बीजिंग में फालुन दाफा स्वयंसेवकों की बैठक में फा-संशोधन के संबंध में की गई टिप्पणियाँ
 

ली होंगज़ी
2 जनवरी, 1995 ~ बीजिंग

सभी को नव वर्ष की शुभकामनाएँ!

आज नये वर्ष की छुट्टी होते हुए भी हमने आपको यहाँ एकत्र किया है। लेकिन यह बैठक करनी पड़ी, क्योंकि हमारे बहुत से शिष्य जानते हैं कि मैं शीघ्र ही विदेश में अभ्यास सिखाने जा रहा हूँ। चूँकि समय की कमी है, इसलिए मैंने आपको यहाँ बुलाया है। इसका कारण यह है कि मुझे आपसे कुछ चीजों के बारे में बात करनी है। यदि मैं ऐसा नहीं करता, तो उभरी हुई कुछ समस्याएँ हमारे दाफा के स्वस्थ विकास को प्रभावित कर सकती हैं।

पहले, मैं फालुन दाफा के प्रसार की स्थिति के बारे में बात करूंगा। जैसा कि आप जानते हैं, हमारे फालुन दाफा का अब देश के विभिन्न क्षेत्रों में काफी बड़ा प्रभाव पड़ा है। आजकल, चीगोंग जगत के प्रभारी लोग, विभिन्न क्षेत्रों के कई चीगोंग संगठन, और विभिन्न प्रांतों और शहरों के चीगोंग विज्ञान और अनुसंधान सोसायटी की शाखाएँ सभी को यह आभास है: अन्य सभी चीगोंग नीचे की ओर जा रहे हैं; केवल फालुन दाफा ऊपर की ओर बढ़ता हुआ दिखाई देता है और वास्तव में बहुत तीव्रता से बढ़ रहा है। इस स्थिति का वर्णन विभिन्न क्षेत्रों के चीगोंग विज्ञान और अनुसंधान सोसायटी की शाखाओं और चीगोंग की देखरेख करने वाले लोगों द्वारा किया गया है—ये मेरे शब्द नहीं हैं। यह भी एक बात को दर्शाता है। कौन सी बात? हमारा दाफा तीव्रता से विकसित हो रहा है, और शिष्यों की संख्या बढ़ती जा रही है। निश्चित ही, आपको इसे दो दृष्टिकोण से देखना होगा कि यह इतनी तीव्रता से क्यों बढ़ रहा है। एक कारण यह है कि कई चीगोंग अभ्यास पाखंडी हैं और वे लोगों को धोखा देते हैं, और वे नैतिकता की परवाह नहीं करते हैं। एक या दो बार मूर्ख बनने के बाद, कुछ समय बाद लोगों को इसका एहसास हो जाता है। यह एक पहलू है। दूसरा कारण यह है कि जब से हमारा फालुन दाफा लोगों के सामने आया है, हम अपने शिष्यों और समाज के प्रति उत्तरदायी रहे हैं, हमने बहुत से लोगों को वास्तव में इससे लाभान्वित किया है, और हमने इतने सारे लोगों को दाफा में वास्तव में साधना करवाकर, समाज की समग्र नैतिक स्थिति को सुधारने में सहायता की है। इसीलिए इसने इतने अच्छे परिणाम प्राप्त किए हैं। दूसरे शब्दों में, फालुन दाफा तीव्रता से प्रसारित हो रहा है, इसे अब लोग व्यापक रूप से जानने लगे हैं, और यह अधिक से अधिक व्यापक रूप से प्रसारित हो रहा है। लेकिन जैसा कि मैंने पहले कहा, निश्चित ही इस अच्छी स्थिति में हमने अपनी कमियां भी देखी हैं। अभ्यास स्थलों पर स्वयंसेवकों द्वारा, हमारे बहुत से अभ्यासियों द्वारा, और हमारे कुछ अनुभवी शिष्यों द्वारा की गई बहुत सी चीजें दाफा की आवश्यकताओं से बहुत दूर हैं। कुछ सीमा तक, उन्होंने फालुन दाफा को भ्रष्ट कर दिया है—वे भ्रष्ट करने वाली भूमिका निभाते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि चाहे आप फालुन दाफा के शिष्य हों या अभ्यासी हों—और यह विशेष रूप से ऐसे व्यक्ति के लिए है जो स्वयंसेवक का काम करता है—लोग आपको एक अकेले व्यक्ति के रूप में नहीं देखते हैं, केवल एक अन्य चीगोंग अभ्यासी के रूप में नहीं देखते हैं। आप चाहे जो भी करें, लोग आपको फालुन दाफा का प्रतिनिधित्व करने वाले एक फालुन दाफा साधक के रूप में ही देखेंगे। यह वास्तव में एक महत्वपूर्ण बिंदु है, क्योंकि पूरे देश में बहुत से लोग जानते हैं कि फालुन दाफा अच्छा है—यह अच्छा है क्योंकि यह नैतिकगुण साधना सिखाता है और विषय के मूल तक पहुँच गया है; सभी फालुन दाफा साधक नैतिकगुण को महत्वपूर्ण मानते हैं, इसलिए लोग आप पर, फालुन दाफा साधक पर और आपकी हर गतिविधि पर ध्यान देते हैं। यदि आप अच्छा नहीं करेंगे तो लोग सोचेंगे कि आप केवल बातें करते हैं, लेकिन इसका पालन नहीं करते। यदि आपकी बातें इतनी बढ़िया है, लेकिन आपके कार्य अनुरूप नहीं हैं, तो इससे लोगों पर वह प्रभाव पड़ेगा, और मैं कहूंगा कि यह अच्छा नहीं है।

मैंने अभी जिस बारे में बात की, वह हमारे अभ्यास के प्रसार की स्थिति है। हमने इस घटना को देखा है, इसलिए हम यह बैठक करना चाहते थे। साथ ही, मुझे विदेश जाने से पहले इस मुद्दे पर आपसे बात करनी थी, क्योंकि बीजिंग में फालुन दाफा का अभ्यास करने वाले बहुत से लोग हैं, और उनका चीजों पर एक विशेष प्रभाव है। वास्तव में, विदेश में मेरा अभ्यास सिखाना वैसा ही है जैसा कि मैं अपने देश में अभ्यास सिखाता हूँ। आप जानते हैं, मैं आज पूर्वोत्तर जाता हूँ, कल दक्षिण-पश्चिम जाता हूँ, परसों दक्षिण जाता हूँ, और फिर मैं यहाँ-वहाँ जाता हूँ—क्या मैंने इस प्रकार यात्रा नहीं की है? विदेश जाना भी अलग नहीं है। पृथ्वी का चक्कर लगाने में बस दो दिन लगते हैं। ऐसा नहीं है कि मैं कहीं चला जाऊँ और कभी वापस न आऊँ—कई लोगों के मन में ऐसा ही विचार आता है। एक व्यक्ति ने यह भी कहा, “अब जबकी ली होंगज़ी चले गये हैं, तो मैं प्रभारी हूँ।” हर प्रकार के विचारों वाले लोग हैं।

हमारी फालुन दाफा साधना आपके नैतिकगुण को विकसित करने पर बल देती है। जब आपका कोई कदम या कार्य साधकों के मानक को पूरा नहीं करता है, तो हमारे शिष्य इसका मूल्यांकन करके बता सकते हैं। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपनी अनुचित प्रवृत्तियों और कार्यों को स्पष्ट रूप से नहीं देख पाते हैं। कई शिष्यों के लिए यह उनके मोहभावों, दिखावे के इरादे और उनके कई भिन्न-भिन्न मोहभावों का परिणाम है जिन्हें हटाया नहीं गया है। आप सभी जानते हैं कि यह फा अच्छा है, और आप सभी जानते हैं कि यह फा लोगों को बचा सकता है। फिर इसके बारे में सोचें : यह फा लोगों को बचा सकता है। यह लोगों को क्यों बचा सकता है? यह लोगों को अच्छा क्यों बना सकता है? एक पूर्व आवश्यकता है : यदि आप अच्छे नहीं बनना चाहते हैं, तो कोई भी आपको नहीं बचा सकता है। फिर भी आपका अच्छा बनना केवल आपके स्वयं के अच्छे बनने की इच्छा का परिणाम हो सकता है। आपका हर एक कदम और हर एक कार्य एक सच्चे साधक के मानक के अनुरूप होना चाहिए। यह बहुत गंभीर है!

कुछ लोगों का दिखावे के प्रति मोहभाव वास्तव में स्पष्ट है। यदि यह और बढ़ता है, तो यह फा को हानि पहुंचाएगा और कुछ लोगों को, जिन्होंने व्यख्यान में भाग नहीं लिया है, साथ ही विभिन्न अभ्यास स्थलों पर लोगों को, कुछ अनुचित विचार बनाने या यहां तक कि बिना सोचे-समझे उनका अनुसरण करने के लिए अनुचित चीजें करने का कारण बनेगा। तो यह स्वयंसेवक के उत्तरदायित्वों का मुद्दा सामने लाता है। स्वयंसेवक का उत्तरदायित्व अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। मुझे याद है कि अभ्यास सिखाने के लिए ग्वांगझोउ शहर जाने से पहले मैंने कहा था, "स्वयंसेवकों, आपका उत्तरदायित्व मठ के मठाधीश से कम नहीं है।" मैंने ऐसा क्यों कहा? वास्तव में उच्च स्तरों की ओर अभ्यास सिखाना लोगों को बचाना है। एक व्यक्ति जो वास्तव में मठ में रहकर साधना करता है, वह भी एक सच्चा साधक है, केवल वह एक धर्म में साधना करता है जबकि हममें से अधिकांश इस सामाजिक-रूप में साधना करते हैं। फिर, क्योंकि आप सभी साधक हैं, आप एक साथ व्यायाम करते हैं, आप एक साथ अपने विचार साझा करते हैं, और आप एक साथ सुधार करते हैं—संयोजक, अर्थात स्वयंसेवक, और मठ के मठाधीश के बीच क्या अंतर है? मैं कहूंगा कि हमारे फालुन दाफा शिष्यों का नैतिकगुण धर्म विनाश काल में भिक्षुओं की तुलना में अधिक है। मैंने कहा कि मेरे शिष्यों का नैतिकगुण भिक्षुओं से ऊंचा है, इसलिए हमारे स्वयंसेवक मठों के मठाधीशों से ऊंचे होने चाहिए। फिर, इस बारे में सोचें : क्या हमारे कुछ स्वयंसेवकों ने इस आवश्यकता को पूरा किया है?

निश्चित ही, यहाँ श्रोताओं में अभी भी कुछ स्वयंसेवक हैं जिन्होंने व्याख्यान में भाग नहीं लिया है। यह एक समस्या है। लेकिन हम इस पर आपत्ति नहीं करते हैं; भविष्य में हमारे लिए यह संभव नहीं होगा कि देश में केवल व्याख्यान में भाग लेने वाले अभ्यासी ही स्वयंसेवक बनें। फिर भी, हमें आपको स्वयंसेवक के मानकों के साथ मापने की आवश्यकता है जिससे यह देखा जा सके कि आप उन पर खरे उतरते हैं या नहीं और यह भी कि आप फा को कितना समझते हैं। कोई व्यक्ति जो साधक के जैसे बात भी नहीं करता या आचरण भी नहीं करता और जो दाफा साधक के सामान नहीं दिखता, वह स्वयंसेवक नहीं हो सकता। हमारी साधना का लक्ष्य बहुत स्पष्ट होना चाहिए—उच्च स्तरों की ओर साधना करना—और हमने व्याख्यानों में इसे पूरी तरह से स्पष्ट कर दिया है। इसके बारे में सोचें, क्या कोई सच्चा व्यक्ति जिसने ताओ प्राप्त कर लिया है, या बुद्ध विचारधारा का एक बुद्ध या बोधिसत्व, आपके जैसे बात करेंगे? क्या उनके विचार आपके जैसे अशुद्ध होंगे? क्या वे आपके जैसे काम करेंगे? निःसंदेह, ऐसा नहीं है कि आपके लिए हमारी आवश्यकताएं इतनी ऊंची होनी चाहिए—आखिरकार, हम अभी भी साधना कर रहे हैं। लेकिन क्या आपको स्वयं के साथ कड़ा नहीं होना चाहिए?

अधिकांश शिष्यों और अधिकांश स्वयंसेवकों ने स्वयं को बहुत अच्छी तरह से संचालित किया है, उन्होंने महान योगदान दिया है और लोगों को फा का अध्ययन करने के लिए संगठित करने के लिए कड़ा परिश्रम किया है। हम सभी स्वेच्छा से साधना करने के लिए आते हैं। ऐसा नहीं है कि किसी ने आपको नेता नियुक्त किया है, आपको कुछ वचन दिया है या कि आप एक निश्चित राशि अर्जित करेंगे। हमारे पास कोई अधिकारी नहीं हैं, हम कुछ करने के लिए बाध्य नहीं हैं, और हम कोई वेतन अर्जित नहीं करते हैं। हर कोई ये काम स्वेच्छा से कर रहा है। हम अपने उत्साह और फा के प्रति हमारे दायित्व के कारण ऐसा कर रहे हैं। तो फिर इसे अच्छी तरह से क्यों नहीं किया जाए? निश्चित ही, मुझे लगता है कि भविष्य में हम उन लोगों को संगठित कर सकते हैं, जिन्होंने, जैसा कि मैंने अभी उल्लेख किया है, व्याख्यान में भाग नहीं लिया है और हम विशेष रूप से नए शिष्यों या स्वयंसेवकों को समय-समय पर विशेष प्रशिक्षण दे सकते हैं। यह किया जाना चाहिए, अन्यथा वे आगे नहीं बढ़ पाएंगे। कुछ स्थानों पर कोई अनुभवी शिष्य नहीं हैं और हमें अभी भी वहां एक सहायता केंद्र स्थापित करने की आवश्यकता है, इसलिए हमें उन्हें कुछ आवश्यक प्रशिक्षण देने की आवश्यकता है। निश्चित ही, प्रशिक्षण एक ऐसी चीज है जो हम भविष्य में करेंगे। चाहे आपने व्याख्यान में भाग लिया हो या नहीं, अब से हम चाहते हैं कि सभी स्वयंसेवक इस फा को अच्छी तरह से समझें। हममें से जो लोग सक्षम हैं, जो अपनी युवावस्था में हैं, उन लोगों को छोड़कर जो अधिक आयु के हैं या जिनकी स्मरण शक्ति क्षीण है, उन्हें पुस्तक को याद करने का प्रयास करना चाहिए। शायद मैं जो सुझाव दे रहा हूँ वह उच्च है—मेरी आवश्यकता वास्तव में बहुत उच्च हो सकती है। लेकिन कई क्षेत्रों में बहुत से शिष्यों ने इसे बहुत अच्छी तरह से याद कर लिया है। जब वे फा का अध्ययन करते हैं तो उन्हें पुस्तक की भी आवश्यकता नहीं होती—वे इसे स्मृति से पढ़ते हैं। फिर तुलनात्मक रूप से... हालाँकि मेरा गृहनगर पूर्वोत्तर में है, मैं हर समय बीजिंग में रहता हूँ। बीजिंग वह जगह है जहाँ हमारी अनुसंधान सोसायटी है, और मैंने यहाँ बहुत से व्याख्यान आयोजित किए हैं। क्योंकि अब हमारा आधार यहीं है। इसलिए मुझे लगता है कि बीजिंग से हमें नेतृत्व करना चाहिए। बीजिंग को नेतृत्व संभालना चाहिए, लेकिन अब देश के अन्य लोग पहले से ही इस प्रकार से फा का अध्ययन कर रहे हैं।

फा का अध्ययन करने में क्या लाभ है? फा-अध्ययन के साथ, हमारे शिष्य किसी भी प्रश्न या समस्या को स्वयं हल कर सकते हैं। दूसरी बात यह है कि यदि कोई लापरवाही से कार्य करना चाहता है, तो शिष्य इसे पहचान सकेंगे, और इसका अर्थ यह है कि जो लोग कुटिल कार्य करते हैं, वे न तो समस्या खड़ी कर पाएंगे और न ही उन्हें ऐसा करने का कोई अवसर मिलेगा। अब से हम इसे एक नियम बना सकते हैं : जब तक आप फालुन दाफा की साधना करते हैं, जब तक आप हमारे दाफा में साधना करना चाहते हैं, आपको फा का अध्ययन करना होगा; हम उन लोगों को मान्यता नहीं देते जो केवल व्यायाम करते हैं। यह आपके लिए अधिक आवश्यकता नहीं है, क्योंकि इस समस्या ने हमारे फा की प्रतिष्ठा को गंभीर रूप से हानि पहुंचायी है। यदि कोई केवल व्यायाम करता है और अपने नैतिकगुण की साधना नहीं करता है, यदि वह भौतिक संसार में आने पर अपनी इच्छा से काम करता है, यदि वह जो चाहे करता है, और साधारण लोगों के बीच वह ऐसी चीजें करता है जो साधारण लोगों से भी अधिक बुरी हैं, तो मैं कहूंगा कि यह अस्वीकार्य है। इसीलिए मैंने यह आवश्यकता रखी है।

हमारे शिष्यों द्वारा दिखावे के मोहभाव से छुटकारा न पाने के परिणामस्वरूप ऐसी बहुत सी परिस्थितियाँ उत्पन्न हुई हैं। उदाहरण के लिए, कुछ लोग हमेशा दिखावा करना चाहते हैं। यहाँ मैं केवल हमारे स्वयंसेवकों के बारे में बात करूँगा क्योंकि यह स्वयंसेवकों की बैठक है; यदि मैं अपने शिष्यों के बारे में बात करूं तो वे इसे वैसे भी नहीं सुन सकते हैं, इसलिए मैं केवल हमारे स्वयंसेवकों के बारे में बात करूंगा। दिखावा करने के मोहभाव को न हटाये जाने का एक मुख्य कारण यह है कि हमारे कई स्वयंसेवकों को फा की बहुत कम समझ है—यह औसत शिष्य की तुलना से भी बहुत कम है। फिर एक और समस्या है। जब शिष्यों के प्रश्न होते थे, तो ऐसा होता था कि वे नियमित रूप से पुस्तक नहीं पढ़ते थे और अध्ययन नहीं करते थे, या यदि वे पुस्तक पढ़ते भी थे तो वे इसे अक्सर नहीं पढ़ते थे, इसलिए निम्नलिखित होता था : उनके बहुत सारे प्रश्न होते थे जिनका उत्तर नहीं दिया जा सकता था, इसलिए वे स्वयंसेवकों से उनके बारे में पूछना चाहते थे। जब उन्होंने स्वयंसेवकों से पूछा, हमारे स्वयंसेवकों की नैतिकगुण समस्याओं के कारण... स्वयंसेवकों ने भी फा का अध्ययन नहीं किया था, वे पुस्तक नहीं पढ़ रहे थे, और वे भी फा के केवल कुछ अंशों को ही समझ पाए थे। तब कुछ स्वयंसेवकों ने सोचा : "यदि मैं इसे स्पष्ट नहीं कर सकता, तो यह मेरे अधिकार को कम कर देगा और संभवतः मेरे लिए लोगों को अभ्यास के लिए संगठित करना सरल नहीं होगा।" निश्चित ही, उनकी मंशा इस फा की रक्षा करनी हो सकती थी—लोगों को अभ्यास के लिए संगठित करना उनके लिए सरल नहीं रहा होगा। इसलिए, उन प्रश्नों पर जिन्हें वे अभी तक समझ नहीं सकते, कुछ स्वयंसेवक चीजों को परिभाषित करने और लापरवाही से बात करने का साहस करते हैं, वे अपनी धारणाओं के आधार पर बातें कहते हैं, या वे जो उन्होंने महसूस किया है और अनुभव किया है उसके आधार पर बातें करते हैं। यह वास्तव में फा को हानि पहुंचा रहा है—फा को गंभीर रूप से हानि पहुंचा रहा है। मैंने पहले भी इस समस्या के बारे में बात की है—आप इस फा को इस आधार पर नहीं समझा सकते कि आप क्या आनुभव करते हैं या आपने अपने स्तर पर इसे कैसे समझा है। क्या इस मुद्दे पर स्पष्ट रूप से चर्चा नहीं की गयी है? यह बिल्कुल यही मुद्दा है! इसलिए हम सभी को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि हम इस पर ध्यान दें।

आपका इरादा अच्छा है—इस फा की रक्षा करना। आप शायद सोचते हैं, "मैं यह अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए नहीं कर रहा हूँ; यदि मैं अभ्यास करने के लिए लोगों को संगठित नहीं कर सकता तो मैं अपना कार्य अच्छी तरह से नहीं कर पाऊँगा"; यह आपका इरादा हो सकता है। लेकिन मैं आपको परामर्श दूँगा कि इस समस्या को हल करने का एकमात्र तरीका, एकमात्र विधि, इस फा को समझना है—इस फा को पूर्ण रूप से समझना। फिर जब लोग आपसे प्रश्न पूछें तो आप इस फा के अनुसार बोल सकते हैं, और आप जो कहेंगे वह इस फा के बारे में होगा। जहाँ तक दिव्य सिध्दियों और अवस्थाओं की विभिन्न अभिव्यक्तियों का प्रश्न है, आपको उनके बारे में उससे चर्चा करने की आवश्यकता नहीं है। उससे कहिए, "सभी प्रकार की दिव्य सिध्दियाँ हैं, और वे दस हजार से अधिक विभिन्न रूपों में प्रकट होती हैं—मैं आपको यह कैसे समझाऊँ?" आपकी विभिन्न अवस्थाएँ हैं, यह अवस्था, वह अवस्था... जब आप स्वयं को एक साधक मानते हैं तो आपको इसके बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। कुछ अवस्थाएँ आप अनुभव कर सकते हैं; कुछ अवस्थाएँ आपके अनुभव करने से पहले ही गुजर जाएँगी। दस हजार से अधिक प्रकार की दिव्य सिध्दियाँ हैं, और जब भी वे आपके शरीर में थोड़ी भी हलचल करती हैं तो आप उन्हें अनुभव कर सकते हैं। दिव्य सिध्दियाँ प्रबल विद्युत प्रवाहित करती हैं और अत्यधिक चुंबकीय होती हैं, और अन्य चीजें भी हैं; जब वे थोड़ी सी भी हिलती हैं आप उन्हें अनुभव कर सकते हैं; आप बहुत संवेदनशील हो सकते हैं। आपके पास विभिन्न अवस्थाएँ और सभी प्रकार के जीव हैं जिन्हें आप विकसित करते हैं। फिर आप उसे ये चीजें कैसे समझाएँगे? आपको उसे ये चीजें समझाने की आवश्यकता नहीं है। उसे बताएँ कि ये सभी सामान्य प्रतिक्रियाएँ हैं, और इससे भी बढ़कर, ये सभी अच्छी चीजें हैं। यदि हम फा को अच्छी तरह से समझ लें तो हम फा के अनुसार चीजों के बारे में बात कर सकते हैं। हम केवल इस फा की रक्षा करना चाहते थे और लोगों को और अधिक समझाना चाहते थे, और हमें डर था कि लोग इसे अच्छी तरह से नहीं समझ पाएँगे। मुख्य कारण यह था कि फा के बारे में हमारी समझ गहरी नहीं थी। इसलिए आप अन्य लोगों को चीजें नहीं समझा पाते थे, और जब आप इसे नहीं समझा पाते थे तो आपको अपनी प्रतिष्ठा खोने का डर होता था, इसलिए आप अपनी धारणाओं के आधार पर चीजें कहते थे। क्या इससे फा को गंभीर हानि नहीं पहुँच रही थी?

यदि दिखावे का यह मोहभाव और अधिक विकसित होता है, तो यह व्यक्ति की एक निश्चित प्रतिष्ठा और स्वार्थपूर्ण लाभ के इच्छा प्रयास को बढ़ावा दे सकती है, क्योंकि यह उसी से आती है—यह प्रतिष्ठा और स्वार्थी लाभ की इच्छा प्रयास से आती है। यदि यह और अधिक विकसित होता है, तो लोग समूह बनाना शुरू कर देंगे। इस प्रकार का कोई व्यक्ति मुखिया बन जाएगा और लोगों से कहेगा: "आपको मेरी बात सुननी होगी! यहां तक कि ली होंगज़ी को भी अपने हर काम में मेरी बात सुननी होगी।" और वैसे भी शिष्य अंतर नहीं कर पाएंगे। वह यही कहेगा। वह यहां तक कह सकता है कि ली होंगज़ी एक असुर है, और केवल वही प्रभारी है! क्या हमारे बीच कोई ऐसा नहीं है? ये समस्याएं जो सामने आयी हैं, बहुत गंभीर हैं। हमारे फा में, आज यहां उपस्थित स्वयंसेवकों के बीच और यहां बीजिंग में, इस प्रकार की बात फिर कभी नहीं होनी चाहिए। फिर भी, ऐसा हुआ, जो दर्शाता है कि हमें फा की बहुत कम समझ है। इसलिए अब कई लोग हैं जो वास्तव में अति कर चुके हैं और जो बहुत ही उपद्रवी हैं। फिर भी कुछ लोग अभी भी उनकी आँख मूंदकर प्रशंसा करते हैं। इन चीज़ों के संबंध में, हम समस्या को लक्षित करते हैं, व्यक्ति को नहीं। मैं केवल इन चीज़ों के बारे में बात कर रहा हूँ। सुनिश्चित करें कि आप इन समस्याओं पर ध्यान दें।

हमारे स्वयंसेवकों में एक और बात जो सामने आयी है, वह है काम करने के प्रति मोहभाव। इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ। यह केवल आज हमारे सामने हो रही विशेष परिस्थिति में होता है; ऐसा केवल इतिहास के इस विशेष काल में होता है। यह स्थिति क्यों उत्पन्न हुई? इतिहास में, परिवार हर चीज का केंद्र था, और यही बात हम चीनी लोगों के साथ-साथ संसार के अन्य क्षेत्रों पर भी लागू होती है। लेकिन आधुनिक लोगों—विशेष रूप से हम चीनी लोगों—के पास अपने-अपने व्यवसाय हैं और वे अपना पूरा जीवन काम करते हुए बिताते हैं, और यदि उनके पास करने के लिए कुछ न हो तो वे बिखर जाते हैं। यह स्थिति उत्पन्न हुई है। परिणामस्वरूप, लोग हमारे फालुन दाफा को अपने लिए एक कार्य के रूप में देखते हैं। कई स्वयंसेवकों की मानसिकता ऐसी है। उन्हें भी लगता है कि फा अच्छा है, अन्यथा वे इसे नहीं करते—यह एक निश्चित बात है, वे जानते हैं कि यह अच्छा है। लेकिन इस बात पर ध्यान देने के स्थान पर कि फा का अच्छी तरह से अध्ययन कैसे करें, फा को अच्छी तरह से कैसे समझें, और फा में स्वयं को कैसे सुधारें, वे काम करने के प्रति मोहभाव रखते हैं। "मैं अब बूढ़ा हो गया हूँ और मैं सेवानिवृत्त हो गया हूँ," या, "मैं सेवानिवृत्त हो रहा हूँ," "मेरे पास करने के लिए कुछ नहीं है। इसके साथ, मुझे कुछ करने को मिल गया है—यह बहुत बढ़िया है! और इसके अतिरिक्त, यह अभ्यास अच्छा है"—उनकी यह मानसिकता है। इस बारे में सोचें, हर कोई, इस प्रकार की सोच हमारे फा की आवश्यकता से बिल्कुल भिन्न है। हमें इस फा के प्रति उत्तरदायी होना चाहिए, न कि आप जो अनुभव करते हैं उसके प्रति। आप सोचते हैं कि आपके पास करने के लिए कुछ नहीं है और आपके पास आश्रित रहने के लिए कुछ नहीं है, और आप कुछ करने के लिए कुछ ढूँढना चाहते हैं। यह इस तरह काम नहीं करता। यह एक प्रमुख समस्या है। आप फा को किस प्रकार देखते हैं यह एक गंभीर मामला है!

जब कोई व्यक्ति साधना अभ्यास करता है, वास्तव में उच्च स्तरों की ओर साधना अभ्यास करता है, तो यह उसके स्वयं को बचाने और दूसरों को बचाने का मुद्दा है। यदि आपकी समझ हमारी आवश्यकता को पूरा नहीं कर सकती, तो आप इस कार्य को अच्छी तरह से नहीं कर पाएंगे। क्या यह सच नहीं है? मैंने इस बात पर बार-बार जोर दिया है, और मैंने देश के विभिन्न क्षेत्रों में इसके बारे में बात की है। हम इसे कार्यस्थल, व्यवसाय, या किसी उद्यम या संस्थान की तरह नहीं चला सकते। मैं अक्सर निम्नलिखित उदाहरण देता हूं। जब शाक्यमुनि ने अपना फा सिखाया, तो लोगों को इस प्रकार के प्रारूप में लिप्त होने से रोकने के लिए (तब ये समस्याएं उपस्थित नहीं थीं, केवल प्रतिष्ठा और स्वार्थपूर्ण लाभ प्राप्त करने की समस्या थी) उन्होंने लोगों से इसके साथ किसी भी प्रकार के संबंध को पूर्ण रूप से तोड़ने के लिए कहा; वह लोगों को साधना करने के लिए दूर के पहाड़ों, प्राचीन जंगलों और गुफाओं में ले गये, उन्होंने आपको कुछ भी नहीं रखने दिया, और वे आपको भौतिक चीजों से पूर्ण रूप से अलग कर देते थे जिससे आपके सभी मानवीय मोहभाव और प्रतिष्ठा और स्वार्थ के प्रति आपके मोहभाव समाप्त हो जाएं। लेकिन हम साधारण लोगों के समाज के बीच हैं। हर कोई साधारण लोगों के समाज में साधना करता है, हम अपनी साधना का उत्तरदायित्व लेते हैं। वास्तव में, मेरा यहाँ आपकी आलोचना करने का कोई इरादा नहीं है। इन बाधाओं की ओर इंगित करके जो आपके उच्च स्तरों तक की साधना को गंभीर रूप से प्रभावित करती हैं, मैं केवल आपकी साधना के प्रति उत्तरदायी बन रहा हूँ। लेकिन हमारे लिए, स्वयंसेवक होने के नाते, उत्तरदायी होने का प्रश्न है; अर्थात, यदि आप अच्छा नहीं करते हैं तो आप अपने लोगों के समूह को गलत दिशा में ले जा सकते हैं। यदि लोगों के पूरे समूह को गलत दिशा में ले जाया जाता है, तो, आपने अपने साथ जो किया है, उसके अतिरिक्त, आपने लोगों के पूरे समूह को बर्बाद कर दिया होगा! मैं अक्सर इस समस्या के बारे में बात करता हूँ—काम करने के प्रति इस मोहभाव का। निश्चित ही, इसका अपना अच्छा पक्ष भी है, इसलिए हमें इन चीजों को संतुलित करने की आवश्यकता है। यदि कोई भी काम करने का इरादा नहीं रखता और कोई भी स्वयंसेवक नहीं बनना चाहता, तो भी मैं कहूँगा कि हम अपना काम अच्छी तरह से नहीं कर पाएँगे। आपको इस काम को करने के लिए उत्साहित अनुभव करना चाहिए, लेकिन आपका उद्देश्य फा होना चाहिए, लोगों को फा का अध्ययन करने और फा प्राप्त करने के उद्देश्य से, बड़े प्रमाण पर फा को प्रसारित करने के लिए, और लोगों को बचाने के लिए। आपकी पहली सोच यह नहीं हो सकती कि “मुझे कुछ करना है।” मुझे लगता है कि हमने इसमें पर्याप्त अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है। आइए इन चीज़ों के बारे में अधिक सोचते हैं।

अब से हमारे स्वयंसेवकों को इस फा को अच्छी तरह से समझने का प्रयत्न करना चाहिए। मुझे लगता है कि तब ये समस्याएँ हल हो सकती हैं। जिन शिष्यों ने व्याख्यान में भाग नहीं लिया है, उन्हें भी फा की पूरी समझ प्राप्त करनी चाहिए। इसलिए, स्वयंसेवकों के लिए हमारे मानक ऊँचे हैं। ऐसे लोग भी हैं जो किसी को उसके व्यक्तिगत संबंधों के आधार पर स्वयंसेवक बनाते हैं—"हम दोनों के बीच अच्छे संबंध हैं; हम हमेशा अच्छे संबंध में रहे हैं।" आप इसे इस तरह से नहीं संभाल सकते। यह होना चाहिए कि जो कोई भी अच्छी तरह से अध्ययन और अभ्यास करता है, वह इस काम को करे। शायद मेरी आपसे अपेक्षाएँ ऊँची हों। मुझे पता है कि नीचे क्या चल रहा है, लेकिन मुझे लगता है कि हम बीजिंग में हैं, इसलिए, और हमारी फालुन दाफा अनुसंधान सोसायटी यहाँ है—केंद्र यहाँ है। मैं कहूँगा कि यदि हम यहाँ अच्छी तरह से काम नहीं करेंगे तो इसका प्रभाव दूसरे क्षेत्रों पर पड़ेगा।

मैं बहुत अधिक नहीं कहना चाहता, क्योंकि आखिरकार, ये कमियाँ हैं। हालाँकि मैं आपकी आलोचना नहीं कर रहा हूँ, लेकिन मैंने यह अवश्य बताया कि आप कहाँ चूक रहे हैं। हमने अन्य लोगों को इस बैठक में भाग लेने के लिए नहीं कहा क्योंकि हम नहीं चाहते कि आपके भविष्य के काम पर इसका प्रभाव पड़े। इसलिए हमने दूसरों को इसमें भाग लेने के लिए नहीं कहा, और केवल अपने स्वयंसेवकों को ही इसमें भाग लेने दिया। मुझे लगता है कि हमारे स्वयंसेवक उदाहरण पेश कर सकते हैं और उन कामों को अच्छी तरह से कर सकते हैं। और फिर मुझे नहीं लगता कि हमें अपने अभ्यास को आगे बढ़ाने और इसे सामान्य रूप से विकसित करने में कोई समस्या होगी।

एक अफवाह भी प्रचारित की जा रही है : ली होंगज़ी विदेश जा रहे हैं और हो सकता है कि वापस न आएँ। जो लोग ऐसा कहते हैं, वे मुझे एक औसत, साधारण व्यक्ति समझते हैं, जैसे कि जब मैं विदेश जाऊंगा तो कुछ धन कमाऊंगा और फिर वापस आऊंगा या वहीं बस जाऊंगा। मैं उस प्रकार का व्यक्ति नहीं हूं। आप जानते हैं, मेरे संबंधी विदेश में रहते हैं, इसलिए मैं कभी भी विदेश जा सकता हूं। हां, वहां जीवन की गुणवत्ता यहां से बेहतर है, लेकिन मैं उन चीजों का पीछा नहीं करता—प्रसिद्धि, लाभ, आनंद, आदि। मैं उन चीजों का पीछा नहीं करता, वे मेरे लिए अनुपयोगी हैं। लेकिन यदि कुछ लोगों को पता नहीं है और कुछ लोगों की कुछ विशेष सोच को रोकने के लिए (जब मैं उपस्थित नहीं हूं तो कुछ क्षेत्रों में समस्या हो सकती है), और लोगों की साधना का मार्गदर्शन करने के लिए, यदि मैं उपस्थित नहीं हूं तो सब कुछ हमारी फालुन गोंग अनुसंधान सोसायटी द्वारा केंद्रीय रूप से तय किया जाएगा और यह सभी का साधना अभ्यास में केंद्रीय रूप से मार्गदर्शन करेगी। अनुसंधान सोसायटी द्वारा अतीत में लिए गए प्रत्येक निर्णय को मैंने अनुमति दी थी; चाहे मैं कहीं भी रहूँ, वे जो भी निर्णय लेते हैं, वे मुझसे फोन या फैक्स द्वारा संपर्क करने के बाद ही लेते हैं। दूसरी बात यह है, जैसा कि मैंने उन्हें बताया है, यह अनुसंधान सोसायटी की भी एक परीक्षा है कि जब मैं उपस्थित नहीं हूँ तो वे दूसरों का कितना अच्छा नेतृत्व करते हैं, यह उनके लिए भी एक परीक्षा है। लेकिन मुझे नहीं लगता कि इसमें कोई समस्या होगी, क्योंकि जो लोग लंबे समय से मेरे साथ रहे हैं, वे अच्छी तरह जानते हैं कि मैं कैसे काम करता हूँ, मैं क्या करना चाहता हूँ, और वे सभी चीजें जो हम फा को लोकप्रिय बनाने के लिए करना चाहते हैं। इसलिए मैं यह स्पष्ट कर रहा हूँ : यदि मैं उपस्थित नहीं हूँ, तो पूरे देश में हमारे सहायता केंद्रों को अनुसंधान सोसायटी द्वारा लिए गए निर्णयों का पालन करना चाहिए और उन्हें लागू करना चाहिए। एक स्वयंसेवक के लिए यह और भी अधिक महत्वपूर्ण है कि वह इस उत्तरदायित्व को पूरा करे।

मैं इस सब के दूसरे पहलू के मुद्दे पर चर्चा करूंगा। हम में से बहुत से लोग "स्वयंसेवक" शब्द को एक पदवी के रूप में लेते हैं। हमने आपको साधारण लोगों के पदों और पदवियों का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी है, इसका कारण है इस प्रकार की चीज़ों से बचना। "स्वयंसेवक" किसी प्रकार का पद नहीं माना जाता है। इसके अतिरिक्त, यदि आप अभ्यास स्थल पर लोगों पर धौंस जमाना शुरू कर देते हैं, और व्यक्ति दूर हो जाता है और आपको अनदेखा करता है, तो वास्तव में आप कुछ नहीं कर सकते। यदि आप चीजों को और भी बदतर बनाते हैं, तो वह कह सकता है, "ऐसा करते हैं, मैं अभ्यास करने ही नहीं आऊँ?" इसलिए हमारे पास अधिकार नहीं हैं, और लोग अपने उत्साह से स्वेच्छापूर्वक यह काम करते हैं; यह दूसरों के लिए एक अच्छा काम करने जैसा भी है। इसलिए हमें अपने काम को करने के तरीके के बारे में अधिक सावधान रहना चाहिए। चूँकि यह किसी प्रकार की शक्ति या कोई पद नहीं है, इसलिए मुझे लगता है कि हम किसी भी समय और किसी भी स्थान पर एक स्वयंसेवक को बदल सकते हैं। इन चीज़ों से मोहभाव न रखें—"यदि आप मुझे स्वयंसेवक का काम करने के लिए कहते हैं, तो मैं करूँगा; यदि आप मुझे स्वयंसेवक का काम करने के लिए न भी कहें, तो ठीक है, मैं बस एक सामान्य अभ्यासी बना रहूँगा और दूसरों के साथ अभ्यास करूँगा।” वास्तव में, स्वयंसेवक होने का अर्थ है अपना कर्तव्य निभाना—ऐसा नहीं है कि यदि आपको स्वयंसेवक का काम दिया जाता है तो इसका अर्थ है कि आप साधना में सफल होंगे! यह वैसा नहीं है। एक स्वयंसेवक केवल दूसरों को अधिक देता है, अधिक कष्ट सहता है, और अधिक काम अपने कंधों पर उठाता है। इसलिए कई क्षेत्रों में यह स्थिति उत्पन्न हुई है : एक स्वयंसेवक को बदलने के बाद, वह निष्क्रिय और असहयोगी हो जाता है। कुछ लोग तो अपने गुट भी बना लेते हैं। मुझे लगता है कि फालुन दाफा में इनमें से कुछ भी नहीं होना चाहिए। एक साधक वे चीजें कैसे कर सकता है? मैं बस अपने स्वयंसेवकों को संबोधित कर रहा हूँ। हम इस स्तर पर इन चीजों के बारे में बात कर रहे हैं। उन चीजों को बहुत अधिक महत्व न दें—सुनिश्चित करें कि आप उन्हें बहुत अधिक महत्व न दें।

लेकिन उन लोगों के संबंध में जिन्होंने वास्तव में हमारे फा को हानि पहुंचायी है, चाहे वह व्यक्ति कोई भी हो, हमें उनमें से हर एक को उनके ऐसा बनते ही बदलना होगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि हमारे पास अपने शिष्यों के लिए बहुत अधिक आवश्यकताएँ नहीं हैं—यदि आप सीखना चाहते हैं, तो आप सीख सकते हैं; यदि आप सीखना नहीं चाहते हैं, तो हम इसके बारे में कुछ नहीं कर सकते हैं; लेकिन एक बार जब आप इसे सीख लेंगे तो हम आपके प्रति उत्तरदायी होंगे और आपको चीजें समझाएँगे। लेकिन एक स्वयंसेवक के लिए ऐसा नहीं है, क्योंकि यदि आप स्वयं को अच्छी तरह से संचालित नहीं करते हैं तो आप लोगों के पूरे समूह को प्रभावित करेंगे और दूसरों को बाधित करेंगे। इसलिए जैसे ही हम किसी को अनुचित काम करते देखते हैं, हम उसे बदल देते हैं। मैं गंभीरता से आपको यह बता रहा हूँ : एवरग्रीन पार्क अभ्यास स्थल पर “सुन” उपनाम वाले किसी व्यक्ति ने वास्तव में कुछ समय के लिए बहुत सी मनमानियाँ की, और उसने अभी तक अपनी गलतियों को स्वीकार नहीं किया है; लेकिन ऐसा नहीं है कि हम चाहते हैं वह अपनी गलतियों को स्वीकार करे। उसे इन चीजों को स्वयं ही सुधारना चाहिए; लेकिन, उसने कुछ नहीं किया, और फिर, मुझे बताया गया कि उसका प्रभाव बहुत बुरा रहा है। चाहे वह मेरे प्रति कैसा भी व्यवहार करे—चाहे वह मेरे साथ मेरे सामने कैसा भी व्यवहार करे या मेरी पीठ पीछे कैसा भी व्यवहार करे—उसने इस फा को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है, इसलिए वह अब स्वयंसेवक नहीं रह सकता। मान लीजिए कोई ऐसा व्यक्ति है जो कहता है, "मैं बुद्ध हूँ," "मैं पहले यह या वह था। मेरा फालुन एक घर जितना बड़ा है," या, "मैं ली होंगज़ी से भी बेहतर हूँ।" वह जो चाहे कह सकता है, और इससे मुझे कोई अन्तर नहीं पड़ेगा। लेकिन यदि वह फालुन दाफा स्वयंसेवक के मानक पर खरा नहीं उतरता है तो यह स्वीकार्य नहीं है; उस स्थिति में हमें उसे हटाना होगा। यदि वह बाद में अच्छा हो जाता है, तो हम उसे फिर से केंद्र का प्रमुख बनने के लिए कह सकते हैं। किसी के बारे में कोई निश्चित राय नहीं बनाते हैं। तो यही मुद्दा है। मेरा अर्थ किसी की आलोचना करना या किसी को दोष देना नहीं है। हम समस्या को लक्षित करते हैं, व्यक्ति को नहीं। मैं केवल एक उदाहरण दे रहा हूँ। क्या ऐसे लोग हैं जिनका हमने नाम नहीं लिया है लेकिन जिन्होंने इस प्रकार का काम किया है? हाँ, ऐसे लोग हैं, केवल उनके मामले इतने प्रत्यक्ष नहीं हैं।

और फिर, जैसा कि मैंने पिछली बार कहा था, हमें फा-अध्ययन का उत्थान शुरू करना होगा। फा को अच्छी तरह से समझें। यदि आप फा को अच्छी तरह से समझेंगे तभी आप पहचान पाएँगे कि कोई व्यक्ति लापरवाही से काम कर रहा है और उसकी बात नहीं सुनेंगे; जब वह इसके बारे में सोचता है या एक वाक्य कहता है, तो आप तुरंत जान जाएँगे कि उसने जो कहा वह उचित था या अनुचित। फिर मुझे बताइए, क्या वह उन चीज़ों को करने में सफल हो सकता है? लोग अनुचित काम नहीं कर पाएँगे—यह निश्चित रूप से ऐसा ही होगा।

आप सभी जानते हैं कि यह फा अच्छा है। मैंने वास्तव में प्रत्येक व्यख्यान में भिन्न-भिन्न दृष्टिकोणों से सिखाया। कुछ लोगों ने कहा है : "आज मैंने गुरूजी के व्याख्यान में जो सुना वह यह था। मैंने दूसरे व्यख्यान में गुरूजी से जो सुना वह भिन्न था।" वास्तव में, मैं दोनों व्यख्यानों में उन्हीं मुद्दों पर बात कर रहा था, केवल मैंने उनके बारे में भिन्न-भिन्न दृष्टिकोणों से बात की। लेकिन आपकी भविष्य की साधना में, या जब आप भविष्य में स्वयं को सुधारेंगे, या जब आप भिन्न-भिन्न अवधि में पुस्तक पढ़ेंगे, तो आप पाएंगे कि आपको मार्गदर्शन करने के लिए जो कुछ भी आवश्यक है वह सब उस फा में सम्मिलित है जो मैंने सिखाया है—यह सब पुस्तक में है। यह फा विभिन्न दृष्टिकोणों से, विभिन्न तत्वों के साथ, और विभिन्न स्तरों पर सिखायी गयी कई, कई चीजों को समाहित करता है। इस पुस्तक के माध्यम से, मैं यह सब एक ही स्तर पर सिखा रहा हूँ। इसलिए जब भी आप समझने का प्रयत्न करेंगे, तो आपको कुछ न कुछ प्राप्त होगा। जब तक आप इसे अच्छी तरह से पढ़ेंगे, मैं कहूंगा कि आप सब ठीक करेंगे। मेरी तीसरी पुस्तक, जुआन फालुन, शीघ्र ही प्रकाशित होगी। इसमें मेरे व्यख्यानों की पूरी सामग्री सम्मिलित है और यह काफी व्यापक है। यह बहुत शीघ्र प्रकाशित होगी। और बीजिंग में आप शिष्य ही होंगे जो सबसे पहले पुस्तक को देखेंगे और उससे लाभ उठाएंगे। हमें फा का अधिक अध्ययन करना चाहिए और फा को अच्छी तरह समझना चाहिए।

ये सारी बातें जो मैंने कही हैं, वे आप सभी को वास्तव में बेहतर बनाने के लिए थीं—इसीलिए मैंने आपको वह सब बताया है जो मुझे कहना था। मैंने आप सभी को यहाँ इसलिए एकत्रित किया है क्योंकि मुझे डर है कि आप बाद में अपनी साधना के दौरान चीजों को ठीक से संभाल नहीं पाएँगे, या तो इसलिए कि आप [फा] को अच्छी तरह से नहीं समझते या इसलिए कि मैंने आपका उचित मार्ग पर मार्गदर्शन नहीं किया है, और आप बीच में ही असफल हो सकते हैं, ऐसी स्थिति में मुझे लगेगा कि मैंने आपके लिए वह सब कुछ नहीं किया जो मैं कर सकता था। इसीलिए मैंने आपको इस मुद्दे पर अधिक बात करने के लिए यहाँ एकत्रित किया है। साधना आपका अपना मुद्दा है। यदि भविष्य में कोई पिछड़ जाता है या सफल नहीं हो पाता है, तो मैं उसके लिए पीछे का द्वार नहीं खोल पाऊँगा। मान लीजिए कि मैं देखता हूँ कि वह बहुत अच्छा है, या, वह मुझे अपनी स्थिति के बारे में बताता है, और मैं कहता हूँ, "ठीक है, मैं पीछे का द्वार खोल देता हूँ और आपको ऊपर जाने देता हूँ।" ऐसा नहीं हो सकता। आप जानते हैं, आज मैं जो सिखा रहा हूँ वह फा है। यह फा ब्रह्माण्ड का नियम है। यदि मैं फा का पालन न करूँ, तो क्या मैं फा को हानि पहुँचाने में अग्रणी नहीं हो जाऊँगा? साधना पूरी तरह आप पर, स्वयं पर निर्भर करती है। [फा] अच्छा है—यह लोगों की रक्षा कर सकता है, और यह लोगों को बचा भी सकता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप फा को कैसे समझने का प्रयास करते हैं, आप फा को कैसे आत्मसात करने का प्रयास करते हैं। ये वे बातें हैं जो मैं आपसे कहना चाहता था, इसलिए मैंने आपको आने के लिए कहा। सुनिश्चित करें कि आप यह न सोचें कि यह बैठक मेरे द्वारा आपकी कमियों को देखने और आपकी आलोचना करने के बारे में है—ऐसा नहीं है। मुझे लगता है कि कुछ समस्याओं को बाद में बताने के बजाय उन्हें समय पर बताना बेहतर है। जब हम विभिन्न स्थानों पर कुछ सहायता केंद्र प्रमुखों, या कुछ स्वयंसेवकों को तुरंत बदल देते हैं, जिन्हें हम पर्याप्त रूप से अच्छे नहीं मानते हैं, यदि बाद में वे संभल जाते हैं और धीरे-धीरे अपनी समस्याओं को पहचानते हैं और नए सिरे से साधना शुरू करते हैं, तो इससे कोई अंतर नहीं पड़ता कि वे केंद्रों के प्रमुख या स्वयंसेवक हैं या नहीं; वे अब भी साधना कर सकते हैं, और वे जो कर रहे थे उसे रोक देंगे। इसके अतिरिक्त, यह उनके लिए वास्तव में अच्छा है, क्योंकि वे भी इसे पहचान लेंगे और वे अभी भी साधना कर रहे होंगे। कुछ लोगों को, हमने उन्हें बार-बार अवसर दिए हैं, लेकिन बार-बार वे जागने में विफल होते रहते हैं, और अंत में बहुत देर हो चुकी होती है—वे पहले ही पूरी तरह से गिर चुके होते हैं और आसुरिक अवस्था में डूब चुके होते हैं। यह एक सीख है!

मैं सीधे-सीधे बात कहना पसंद करता हूँ, मैं घुमा-फिराकर बात नहीं करना चाहता। हाल के समय में, हमने—चाहे वह सहायता केंद्र हों, शाखा केंद्र हों, या विभिन्न स्थानों पर हमारे स्वयंसेवक हों—वास्तव में बहुत काम किया है, और इसने हमारे इस फा को आज इतना प्रभावशाली बना दिया है। निस्संदेह, फा अच्छा है, यह इसका एक पहलू है। आपने बहुत योगदान दिया है, आप इस फा की रक्षा करते हैं, और आप इस फा को प्रसारित करते हैं। वास्तव में, यह फा, मैंने कहा है कि यह सबसे पहले ब्रह्मांड का नियम है। इसमें आप सभी सम्मिलित हैं—आप सभी इस फा के भीतर हैं। तो यह फा भी आपका है। आप इस फा की रक्षा करें या नहीं, आप इस फा को प्रसारित करें या नहीं, आप इस फा को फैलाएं या नहीं, और आप भविष्य में इस फा को आत्मसात करें या नहीं, ये सब आपके अपने हाथों में है। मैं केवल आपको इसे सिखा सकता हूँ और आपका इस पवित्र मार्ग पर मार्गदर्शन कर सकता हूँ—यही मेरी भूमिका है। लेकिन जहां तक बाद में आपके वास्तव में फलपदवी तक पहुंचने की बात है, तो मैं कहूंगा कि यह आपकी अपनी साधना का परिणाम है।

मैं आपका बहुत अधिक समय नहीं लेना चाहता। बहुत से लोग यहाँ स्वयंसेवकों की बैठक में उच्च स्तरों की ओर उपदेश में गुरु द्वारा कही गई बातों को सुनने के लिए आए थे; वे किसी चीज़ की खोज करने की मानसिकता के साथ, मोहभावों के साथ, या ज्ञान प्राप्त करने के लिए आए थे। मैं कहूँगा कि यह अच्छा नहीं है। मैं और कुछ नहीं कहना चाहता, मैं बस इतना ही कहना चाहता हूँ। यदि आपके कोई प्रश्न हैं, यदि आपके कोई विशेष प्रश्न हैं, तो हम आपको थोड़ा समय देंगे और आप उन्हें पूछ सकते हैं। बीजिंग सहायता केंद्र कुछ फोटो लेने की व्यवस्था कर रहा है; थोड़ी देर में सहायता केंद्र और शाखा केंद्र कुछ फोटो लेने के लिए समूह बना सकते हैं। यह ठीक है—आप मेरे साथ तस्वीरें ले सकते हैं। इसके बाद, आप मुझसे कोई भी विशेष प्रश्न पूछ सकते हैं। मैं अभी के लिए बस इतना ही कहूँगा।

मैंने यह भी सुना है कि कुछ शिष्य भिन्न-भिन्न अभ्यास स्थलों पर जाना पसंद करते हैं। भिन्न-भिन्न स्थलों पर जाना अच्छी बात है, क्योंकि इससे आपके बीच संपर्क बढ़ता है और आप एक-दूसरे से सीख पाते हैं—यह बहुत अच्छी बात है। लेकिन जब कुछ लोग कुछ स्थलों पर जाते हैं, तो उनका इरादा दिखावा करने का होता है, और वे कहते हैं, "मुझे कुछ पता है..." अफवाहें फैलाते हैं, या वे कहते हैं, " आपको इन चीज़ों के बारे में नहीं पता, लेकिन मुझे पता है।" वे हमेशा ऐसा करना चाहते हैं... उनके अंदर एक छोटा सा मोहभाव का बीज होता है। उनके अंदर इस फा का उपयोग करके स्वयं को ऊँचा दिखाने की एक छोटी सी इच्छा होती है। यह भी दिखावा करने का एक मोहभाव है। ऐसा नहीं है कि वे जानबूझकर स्वयं को ऊँचा दिखाना चाहते हैं, ऐसा नहीं है। उनके अंदर बस दिखावा करने की एक छोटी सी इच्छा होती है। दिखावा करने का यह इरादा एक साधक के लिए काफी विनाशकारी हो सकता है।

शिष्य: कुछ लोग पूछते हैं कि जो लोग ज्ञानप्राप्ति तक नहीं पहुंचे हैं, उनके पास फा शरीर क्यों होंगे?

गुरुजी: आप लोग जो ज्ञानप्राप्ति तक नहीं पहुंचे हैं, ध्यान दें! जो लोग ज्ञानप्राप्ति तक नहीं पहुंचे हैं, यदि वे बुद्ध के स्तर पर पहुंच गए हैं तो वे भी फा शरीर प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन इस समय हमारे शिष्यों में से कोई भी इस अवस्था तक नहीं पहुंचा है। आजकल के अन्य चीगोंग अभ्यासों के चीगोंग गुरुओं में से कोई भी इस अवस्था तक नहीं पहुंचा है। जहाँ तक मुझे पता है, मैं ही एकमात्र व्यक्ति हूँ जिसके पास फा शरीर है। कुछ लोगों ने अपने सपनों में हमारे स्वयंसेवकों, हमारे केंद्रों के प्रमुखों या अन्य चीजों को क्यों देखा है? यह आपके अपने विचारों और आपके आयामी क्षेत्र का उत्पाद है—यह आपके आयामी क्षेत्र की प्रतिवर्ती प्रकृति का प्रक्षेपण है, यह इस चीज का उपयोग करके इसे आपके आयामी क्षेत्र की सीमा में प्रतिबिंबित करने की एक प्रकार की स्थिति है। इसके अतिरिक्त, जब कोई व्यक्ति एक निश्चित बिंदु तक साधना करता है, यदि वह बंधित नहीं है, तो वह अपने शरीर से अलग हो सकता है जिसका अर्थ है, उसकी मुख्य मूल आत्मा उसके शरीर से अलग हो सकती है। लेकिन ये सभी बहुत निम्न स्तरों पर की जाने वाली तुच्छ चीजें हैं।

शिष्य: किसी ने दावा किया कि वह बोधिसत्व स्कंद है और वह फालुन को बाहर निकाल सकता है जिसे गुरूजी ने शिष्यों के लिए स्थापित किया है।

गुरुजी: यह उसके अपने मन में असुरों को पालने और अपने मन में छवियों को बदलने से हुआ है—उसने स्वयं इसकी कल्पना की। क्या उसने वास्तव में इसे बाहर निकाला? उसने जो निकाला वह उसकी कल्पना में था—यह उसके आयामी क्षेत्र की सीमा में एक छवि थी, जिसकी उसने स्वयं कल्पना की थी। वह कुछ नहीं कर सकता। उसके द्वारा स्वयं को बोधिसत्व स्कंद घोषित करने का क्या अर्थ है? मैं कह सकता हूँ कि मैंने आपको इसके बारे में बहुत पहले बताया था : धर्म विनाश काल में, उच्च स्तर पर भी प्राणी आपदा का सामना कर रहे हैं; जिनकी रक्षा की जानी चाहिए उन सभी की रक्षा की गयी है; जिनकी सुरक्षा नहीं की गयी, उन्हें विस्फोटों से नष्ट कर दिया गया है; अब वहां कोई नहीं है। कई लोगों ने बोधिसत्व गुआनयिन को देखा है, और कुछ शिष्यों ने प्रतिष्ठापन करने के लिए उनकी तस्वीर का उपयोग किया। मैं आपको बता दूँ कि जब कोई व्यक्ति बुद्ध की पूजा करता है तो उस समय जो विचार उसके मन में आता है वह सबसे दयालु होता है, और यह सबसे अच्छा और दयालु, सर्वोत्तम होता है। व्यक्ति के मन में जो विचार हैं, उन्हें संरक्षित रखने के लिए उसे बोधिसत्व गुआनयिन की छवि दिखायी जाती है। वे सभी वास्तव में मेरे फा शरीरों की अभिव्यक्तियाँ हैं। मैंने अपने व्याख्यानों में पहले भी इस बारे में बात की है।

बीजिंग फालुन दाफा सामान्य सहायता केंद्र द्वारा ऑडियो रिकॉर्डिंग।




Falundafa.org > पुस्तकें / Books