ली होंगज़ी
14 मई, 2015
(सभी उपस्थित लोग खड़े होकर गुरूजी के लिए उत्साहपूर्वक तालियाँ बजाते हैं।)
सुप्रभात! कृपया बैठ जाइए। दाफा की साधना आप सभी को यहां एक साथ लायी है। प्रत्येक दाफा शिष्य अपने ऐतिहासिक उद्देश्य को पूरा करने के लिए वह सब कर रहा है जो उसे करना चाहिए। निःसंदेह, कुछ लोग परिश्रमी हैं और कुछ लोग इतने परिश्रमी नहीं हैं, लेकिन यह स्वाभाविक है। जब साधकों का एक समूह होता है, तो वास्तव में सभी का इतना परिश्रमी होना अस्वाभाविक होगा। लेकिन जो भी हो, दाफा शिष्यों के रूप में हमें वह पूरा करना है जो हमें करना चाहिए। यदि दाफा शिष्य जिस चीज के लिए काम कर रहे हैं वह वास्तव में निकट भविष्य में घटित होता है, और फिर भी आपने अच्छा नहीं किया, तो उस समय आपको इसका पछतावा होगा—वास्तव में पछतावा होगा। यदि [उस समय] आपने वे बहुत सी चीजें नहीं की हैं जो आप मूल रूप से करना चाहते थे, या आपने उन लोगों को नहीं बचाया है जिन्हें आप बचाना चाहते थे, तो यह एक बड़ी समस्या है।
निःसंदेह, यदि आप उन चीजों में अच्छा करना चाहते हैं तो आपको व्यक्तिगत साधना में अच्छा प्रदर्शन करना होगा। इसका अर्थ है कि साधना आप में से सभी के लिए एक आवश्यकता है। लोगों को बचाने की किसी भी परियोजना के साथ, यदि आप साधना से भटक जाते हैं तो आप पाएंगे कि आप, अधिक से अधिक, जो साधक नहीं है उनके जैसे हो जाते हैं और मामलों के बारे में सोचने और आप चीजों को अधिकाधिक सामान्य तरीके से करने की प्रवृत्ति रखने लगेंगे। लेकिन यदि आप हमेशा फा पर बने रह सकते हैं, और किसी भी बिंदु पर अपनी व्यक्तिगत साधना में कमी नहीं आने देते हैं, तो आप पाएंगे कि आप जो कुछ भी करते हैं वह वास्तव में एक साधक के लिए उपयुक्त है। यदि एक दाफा शिष्य को अपना उद्देश्य पूरा करना है तो यह अत्यंत आवश्यक है, और जो इसे मूल स्तर पर सुनिश्चित करता है। इसलिए आप फा से भटक नहीं सकते हैं, और किसी भी बिंदु पर आप अपनी साधना में कमी नहीं आने दे सकते हैं। हाँ, चीन के बाहर कई दाफा शिष्य परियोजनाओं में व्यस्त हैं। और यदि आप उन परियोजनाओं के साथ अच्छा काम करना चाहते हैं और लोगों को बचाने में उन्हें प्रभावी बनाना चाहते हैं, तो आपको उन्हें बेहतर तरीके से करने, उनमें अधिक मन लगाने और उन पर अधिक समय बिताने की आवश्यकता है। और ऐसा होने पर, ऐसा लग सकता है कि आपके पास अपनी साधना के लिए कोई समय नहीं है। लेकिन परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हों, आप सभी को अभी भी साधना और फा अध्ययन के लिए समय निकालना होगा।
निःसंदेह, चूँकि आप साधना कर रहे हैं, इसलिए आप जो कुछ भी करते हैं, जब तक आप एक साधक हैं, वह सीधे आपकी साधना से संबंधित है, और वे चीजें वास्तव में आपके साधना पथ का निर्माण करती हैं। आप जो कुछ भी करते हैं वह आपकी साधना यात्रा के साथ एकीकृत होता है। आपकी साधना आप जो कुछ भी करते हैं, उसमें अंतर्निहित है, चाहे वह संसार में काम करना हो, दाफा परियोजनाएं करना हो, या अपने दैनिक जीवन को जीना हो, और यह निश्चित है। निःसंदेह, जैसा कि मैंने अभी कहा, कुछ लोग परिश्रमी हैं और कुछ नहीं; कुछ लोग इस बात को समझते हैं कि दाफा शिष्य, इस प्रकार के व्यक्ति, का, कितना बड़ा उत्तरदायित्व है, जबकि कुछ को इसका बहुत अधिक एहसास नहीं है। निश्चित ही, मुझे लगता है कि जो भी हो, आप दाफा शिष्यों के रूप में, ढीले नहीं पड़ सकते। कुछ वर्ष पहले जिस बात को लेकर मैं सबसे अधिक चिंतित था, वह यह थी कि जब दमन इतना गंभीर था, तब भी कई लोग दाफा परियोजनाओं में एक-दूसरे के साथ सहयोग करने में सक्षम नहीं थे। आपके विवादों के परिणामस्वरूप बहुत सी चीजें विफल हो गईं; एक-दूसरे के साथ आपकी अत्याधिक प्रतिस्पर्धा का लाभ उठाने वाले बुरे कारकों के परिणामस्वरूप बहुत सी चीजें विफल हो गईं। अब आप इन समस्याओं से अवगत हो गए हैं, और कई चीजों में लोग अब मूल रूप से आगे बढ़ते हैं और यदि उन्हें लगता है कि विचार ठीक हैं तो वे उन्हें करते हैं। हालाँकि कई चीजों पर व्यापक रूप से या पूर्ण रूप से विचार नहीं किया जाता है, यदि आप इसे एक दाफा शिष्य के रूप में देखते हैं, तो क्या ये परिस्थितियाँ आपको प्रदान नहीं की जा रही हैं और आपको स्वयं की साधना करने के लिए अवसर नहीं दिए जा रहे हैं? क्या यह आप पर नहीं छोड़ा जा रहा है कि जिस चीज पर पूर्ण रूप से विचार नहीं किया गया है, या जो कुछ भी आपको लगता है कि वह अभी तक आदर्श रूप में नहीं है, उस पर काम करें और उसको ठीक करें? क्या ये बिल्कुल वही चीजें नहीं हैं जिन्हें आपको जाकर करना चाहिए?
यही समस्याएँ तब भी स्पष्ट थीं जब कई लोग प्रचार कर रहे थे और शेन युन की टिकटें बेच रहे थे। पहले तो विवाद हुए और कुछ लोग उत्साहहीन लग रहे थे। और हालाँकि अधिकांश लोगों ने वैसा ही किया जैसा कि उन्हें बताया गया था, उन्होंने अपना पूरा मन लगाकर काम नहीं किया। लेकिन चूँकि आपके जीवन का हर मिनट और हर सेकंड आपकी साधना का भाग है, आप अपने स्वयं के [अवसरों] को गंवा रहे हैं, अपनी साधना यात्रा पर जो सीमित समय आपके पास है उसे गंवा रहे हैं, और मार्ग पर अच्छी तरह से चलने में विफल हो रहे हैं। आपको जो भी करना चाहिए उसे पूरे मन से करना चाहिए—और तभी यह सराहनीय होगा। हो सकता है कि आप वही कर रहे हों जो आपको बताया गया है, लेकिन यदि आप वास्तव में चीजों के प्रति अपने दृष्टिकोण या लोगों को प्रभावी ढंग से बचाने के तरीके पर ध्यान नहीं देते हैं, तो यह आपकी साधना में एक समस्या है।
निस्संदेह, आपने वह करने का प्रयास किया जो आप कर सकते थे। लेकिन जीवों को बचाने के मामले में चीजें कभी इतनी सरल नहीं होती हैं। प्राचीन शक्तियों का मानना है कि यदि आप किसी काम को सरलता से पूरा कर सकते हैं तो कोई महान सद्गुण अर्जित नहीं होगा। और इसीलिए वे आपके लिए चीजों को कठिन बना देती हैं। यदि कोई काम सरलता से किया जा सकता है, तो कोई भी उसे कर सकता है। फिर दाफा शिष्यों से उसे करवाने का क्या अर्थ होगा, और आपसे करवाने का क्या अर्थ होगा? और इस प्रकार यह पता चलता है कि आप जो काम करते हैं, उसमें एक निश्चित सीमा तक कठिनाई सम्मिलित होती है, और केवल इसी प्रकार आप यह प्रदर्शित कर सकते हैं कि आप साधना कर रहे हैं। वास्तव में, जब चीजें ऐसी होती हैं, तभी दाफा शिष्य वास्तव में अपने महान सद्गुण का प्रदर्शन कर सकते हैं। जब आप वह कर पाते हैं जो दूसरे नहीं कर पाते, कठिनाइयों और दमन के दबावों के होते हुए भी स्वयं बेहतर तरीके से साधना कर पाते हैं और इसके अतिरिक्त चेतन जीवों को बचा पाते हैं, तो यह बहुत ही सराहनीय बात है। फिर भी “चेतन जीवों को बचाने” का वास्तव में क्या अर्थ है? निम्नलिखित पर विचार करें। इतिहास में कई लोगों ने “चेतन जीवों को बचाने” के अपने इरादे के बारे में बात की है। हालाँकि उन शब्दों को कहना सरल था, लेकिन वास्तव में वे देवताओं के बीच उपहास बन गये। आखिर कौन इतना साहसी होगा कि चेतन जीवों को बचा सके? उन भव्य शब्दों को बोलना एक बात है, लेकिन वास्तव में उन्हें पूरा करने का साहस कौन करेगा? यदि आपको किसी को बचाना है, तो आप उसे उसके भारी कार्मिक ऋणों या इस संसार में रहते हुए उसके द्वारा बनायी गई कई प्रकार की धारणाओं को समाप्त करने में कैसे सहायता करेंगे? आप उसके कार्मिक ऋणों और इस संसार में उससे जुड़ी सभी चीजों के बीच कार्मिक एवं पहले से उपस्थित संबंधों को कैसे सुलझाएँगे? और केवल एक जीव के स्थान पर बहुत सारे चेतन जीवों को बचाना कितना अधिक जटिल है। लोगों को बचाना कितना कठिन है। लेकिन, ये चीजें जितनी भी जटिल हों, गुरु के साथ-साथ दूसरे देवता भी हैं जो इसमें सम्मिलित गहरी चीजों में सहायता करते हैं। और सतही स्तर की चीजों में भी बड़ी चुनौतियाँ सम्मिलित हैं। और ये वो चीजें हैं जिन पर आपको अपना मन लगाकर काम करना चाहिए।
साधक, दिखने में, साधारण लोगों से भिन्न नहीं होते। ऐसा नहीं है कि दाफा में साधना करने के बाद आप रातों-रात एक दिव्य प्राणी जैसे दिखने लगेंगे। दिखावट में कोई परिवर्तन नहीं होता। दिव्यता के इस मार्ग पर चलते समय एकमात्र परिवर्तन यह होता है कि आप चीजों के बारे में जिस प्रकार सोचते हैं वह साधारण लोगों से भिन्न होता है। कुछ लोग साधना करते समय, फा का अध्ययन करते समय और व्यायाम करते समय काफी परिश्रमी दिखाई देते हैं, लेकिन वे अपने भीतर नहीं झांकते। लेकिन यदि आप अपने भीतर नहीं झांकते, इसके बारे में सोचें, तो क्या आप एक साधारण व्यक्ति नहीं हैं? क्या कोई साधारण व्यक्ति अपने भीतर झांकता है? कौन सा साधारण व्यक्ति अपने भीतर झांक सकता है? मान लीजिए कोई व्यक्ति किसी असहमति में यह सोचने का प्रयास करता है कि उसने कहाँ गलती की, और चीजों को समझने के बाद दूसरे पक्ष से क्षमा मांगता है, यदि वह चीन में है, तो लोग उसे पागल समझेंगे। ऐसा इसलिए है क्योंकि उस दुष्ट पार्टी ने पूरे समाज की नैतिकता को बर्बाद कर दिया है। कोई भी साधारण व्यक्ति समस्याओं को उस प्रकार से नहीं देखेगा। इसके स्थान पर, जब वह किसी असहमति में पड़ता है तो वह साधारणतः दूसरे पक्ष पर ऊँगली उठाता है और तनाव बढ़ जाता है। दाफा शिष्य ऐसे नहीं होते हैं।
निस्संदेह, कुछ लोग परिश्रमी हैं और कुछ लोग नहीं हैं, साथ ही नए अभ्यासी भी हैं। और इसलिए जब आप संघर्ष या तनाव का अनुभव करते हैं, तो आप में से बहुत से लोग हैं जो कुछ समय के लिए इससे उबर नहीं पाते। हालाँकि, अनुभवी अभ्यासियों की सहायता से या निरंतर फा-अध्ययन से आप धीरे-धीरे मामलों के प्रति स्पष्ट हो जाएँगे। साधना में, धीरे-धीरे, आप यह समझ जाएँगे कि, "ओह, मुझे अपने भीतर झाँककर यह पता लगाना होगा कि मुझमें क्या कमी है, मेरी ओर से क्या अनुचित है, या मैंने क्या अच्छा नहीं किया, जिसके कारण यह हुआ।" और यही बात एक साधक को एक साधारण व्यक्ति से भिन्न बनाती है। यह ऐसी चीज नहीं है जिसे आप किसी व्यक्ति की सतह से समझ सकते हैं। लेकिन आपका मन असहमति या संघर्ष पर कैसे प्रतिक्रिया करता है, या इसके प्रति आपकी क्या सोच है, यह एक साधारण व्यक्ति जैसी नहीं है। मैंने अक्सर ज़ुआन फालुन और अन्य उपदेशों में इन चीजों के बारे में बात की है, जिससे आपको समय-समय पर इनका स्मरण कराया जा सके। कभी-कभी जब आप साधना में सचेत नहीं होते हैं तो आप इसे भूल जाते हैं, या जब कोई मानवीय मोहभाव बहुत शक्तिशाली होता है तो आप इसके बारे में नहीं सोचते। लेकिन ऐसा नहीं चलेगा। आपको स्पष्ट होना चाहिए कि आप एक साधक हैं।
यह आशा की जा सकती है कि, जब आप लोगों को बचाने के लिए दाफा शिष्यों द्वारा किए जाने वाले कामों को करेंगे, तो आपको इस लौकिक संसार में सभी प्रकार के लोगों का सामना करना पड़ेगा। और यहीं पर आपके सामने आने वाली चुनौतियाँ हैं। इस बात पर ध्यान न दें कि लोग सतही तौर पर कैसे हो सकते हैं। उनमें से कुछ ने उन असत्यों को स्वीकार कर लिया है जिनका उपयोग सीसीपी हमारा दमन करने के लिए करती है, और दाफा या दाफा शिष्यों के प्रति उनकी सोच बुरी है। लेकिन इस पर थोड़ा ध्यान से विचार करें और आपको एहसास होगा कि सीसीपी के असत्य ने इन लोगों में विष भर दिया है। यदि दाफा शिष्य वास्तव में इस अंतिम प्रसंग के दौरान उद्धार के प्रचारक हैं—दाफा शिष्य, निश्चित रूप से, इस बारे में स्पष्ट हैं कि वे जो कर रहे हैं, क्यों कर रहे हैं—तो इस बारे में सोचें : वास्तव में सीसीपी क्या है? क्या यह कोई और नहीं बल्कि अंतिम दिनों में आने वाला वह जंगली जानवर है जिसके बारे में उन सभी भविष्यवाणियों और धर्मों ने पूरे इतिहास में बात की है? और क्या यह मानवता को नष्ट करने का प्रयास नहीं करती है? निःसंदेह, हम इसे वैसे ही देखते हैं जैसी यह है। बस यह है कि यह अंतिम प्रसंग दो चरणों में विभाजित है। इस चरण में चीजें केवल चीन में होती हैं, न कि संसार भर में, हालाँकि इसका विष पुरे संसार में फैल चुका है। फालुन गोंग का दमन करने के लिए पार्टी ने जिस एकतरफा असत्य का उपयोग किया है, उसने पृथ्वी को ढंक दिया है और संसार के सभी मीडिया उन असत्यों को दोबारा छाप रही हैं। फालुन गोंग के दमन के उस भाग के दौरान, वे मीडिया वास्तव में उसकी ओर से दुष्टता फैला रहे थे। और आज भी कई देशों के अप्रवासन विभागों के पास दुष्ट सीसीपी द्वारा जारी की गई ब्लैकलिस्ट है। निश्चित ही, स्वतंत्र संसार में ये चीजें मीडिया या उन संस्थाओं द्वारा जानबूझकर नहीं की गईं। हम यह जानते हैं। बल्कि, मेरा कहना यह है कि विष पुरे संसार में प्रसारित किया गया है, कुछ देशों में कुछ संस्थाएँ अभी भी उस जानकारी के आधार पर चल रही हैं और अच्छे और बुरे में अंतर करने के लिए अपनी स्वयं की समझ का उपयोग नहीं कर रही हैं।
दूसरी बात यह है कि इस प्रकार का दमन वैसा नहीं है जैसा लोग सोचते हैं। किसी व्यक्ति को बचाना उस व्यक्ति के मूल में जो है उसे बचाना है। और जो मूल में है वह उसके विचारों और आत्मा में प्रतिबिंबित होता है, जबकि सतही चीजें बहुत महत्वपूर्ण नहीं हो सकती हैं। यदि किसी व्यक्ति के मन और आत्मा को विष से भर दिया गया है, गंभीर रूप से दूषित कर दिया गया है, तो वह जीव वास्तव में भ्रष्ट है। यदि किसी व्यक्ति ने कोई भयानक अपराध किया है, तो इसका अर्थ यह नहीं है कि उसे अब बचाया नहीं जा सकता। मैं ऐसा नहीं कह रहा हूँ। ये केवल उसके बाहरी कार्य हैं, और उसके लिए वापस लौटना संभव है, क्योंकि उसके मूल में जो है वह शायद उतना बुरा नहीं है। लेकिन जब किसी जीव को वास्तव में विष से भर दिया गया है और उसने दिव्य प्राणियों या दिव्यता के प्रचारकों के विरुद्ध अनैतिक कार्य किए हैं, तो यह बहुत गंभीर है। निस्संदेह, जहाँ हम लोगों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं, वहीँ दुष्टता लोगों को नर्क में खींचने का प्रयास कर रही है। ऐसे लोग जो हमें दाफा के प्रति बुरी सोच रखने वाले जैसे दिखते हैं या जो दाफा शिष्यों के प्रति दुष्ट हैं, वास्तव में दयनीय हैं। वास्तव में, वे सीसीपी के असत्य के विष से भर चुके हैं, और यही कारण है कि वे ऐसा करते हैं। निश्चित ही, कुछ मामलों में लोग धन से प्रेरित हुए हैं। लेकिन जो भी मामला हो, हमें इन लोगों सहित, जिन्हें भी बचा सकते हैं, उन्हें बचाने का प्रयास करना चाहिए। आप शायद इसके बारे में नहीं जानते होंगे, लेकिन जिस व्यक्ति को आप अब इतनी दुष्टता से काम करते हुए देख रहे हैं, वह कभी दिव्यलोकों में एक पवित्र दिव्य व्यक्ति रहा होगा, और वह अब एक मनुष्य के रूप में यहाँ है, इस धरती पर यह फा प्राप्त करने के लिए आया है।
इस संसार में लोगों की ऊपरी त्वचाएँ देवताओं द्वारा बनायी गई थीं, और, एक पोशाक के जैसे, उन्हें अब यहाँ उतरे दिव्य प्राणियों द्वारा पहना जाता है; इनमें से अधिकांश प्राणी दिव्यलोकों से आए दिव्य व्यक्ति हैं। इसका अर्थ यह है कि, इस संसार में अब लोग इतने साधारण नहीं हैं। अतः मानव समाज की चीजों के विभिन्न स्वरूपों के बाद भी, लोगों के अनेक व्यापारों या व्यवसायों के बाद भी, तथा विभिन्न प्रकार के लोग होते हुए भी, एक व्यक्ति चाहे किसी भी रूप में क्यों न हो, वास्तव में वह अपने मूल रूप में बिल्कुल भी वैसा नहीं है। बस एक पल के लिए सोचें कि एक दिव्य प्राणी के लिए इस संसार में आना और मानव बनना कैसा रहा होगा। क्या उसे इस बात का पता नहीं रहा होगा कि मानव संसार कैसा होगा? यह खतरनाक और भयानक है। और फिर भी उसने अपने दिव्य पद को त्यागने और यहाँ आकर मानव बनने का साहस किया। इसलिए केवल इसी गुण के आधार पर दाफा शिष्यों को उसे बचाना चाहिए। ये प्राणी आप दाफा शिष्यों के जैसे ही हैं, जो यहाँ आकर इतने विशाल उद्देश्य और उत्तरदायित्व उठाने में सफल रहे। क्या आप नहीं जानते थे कि इस व्यवस्था का क्या होगा? जब आपकी स्वयं की ही यहां बर्बाद होने की संभावना होती है, तो लोगों को बचाने की कल्पना करना कठिन हो जाती है। और फिर भी आप आए। और उन्होंने भी ऐसा ही किया। वे इस विचार के साथ आए कि यह फा निश्चित रूप से उन्हें बचाएगा और दाफा पर पूरे विश्वास के साथ। तो फिर हमें उन्हें बचाने के लिए केवल यही कारण पर्याप्त होना चाहिए, है न? आपको निश्चित रूप से उन्हें बचाना चाहिए। वे एक समय में अतुलनीय रूप से पवित्र देवता थे। यदि आपको यह अच्छी तरह से करना है, तो आपको निरंतर साधना में परिश्रमी होना होगा और निरंतर स्वयं को शक्तिशाली करना होगा।
मैंने देखा है कि कुछ परियोजनाओं में आप में से कई लोग बहुत ही साधारण तरीके से काम कर रहे हैं। एक मीडिया कंपनी... उदाहरण के लिए, मीडिया के काम के बारे में बात करते हैं। एक मीडिया कंपनी को अच्छे प्रकार से चलाया जाना चाहिए। फिर भी हमारे पास क्या है, इसके अतिरिक्त कि समय के साथ लोगों की सोच अधिक से अधिक साधारण होती जा रही है, लोग अब चीजों को एक साधक के जैसे नहीं देखते, बल्कि साधारण तरीकों से देखते हैं। यह किसी भी प्रकार से दाफा शिष्य के जैसे नहीं है। आखिर दाफा शिष्य मीडिया कंपनी क्यों चला रहे हैं? लोगों को बचाने के लिए। यह मत भूलिए कि आपका उद्देश्य लोगों को बचाना है, और मीडिया कंपनी को अच्छी तरह से चलाने का कारण लोगों को बचाना है। तथ्यों को स्पष्ट करना और चेतन जीवों को बचाना ही वह है जो आपको पूरा करना है। आपके लिए पूरा करने के लिए इसके अतिरिक्त और कुछ नहीं है। इस संसार में ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे आपको पूरा करने की आवश्यकता है। ये वे चीजें हैं जिनके लिए आपको काम करने की आवश्यकता है, और फिर भी कुछ लोग अब अपनी स्वयं की साधना पर भी अधिक ध्यान नहीं देते हैं, और इसके स्थान पर साधारण चीजों को प्राथमिकता देते हैं। तो फिर, क्या आप एक दाफा शिष्य की साधना के मार्ग से भटक नहीं गए हैं?
ऐसे कई दाफा शिष्य रहे हैं जिन्हें वर्षों से अपनी साधना में हमेशा समस्याएँ रही हैं। संघर्ष सबसे गंभीर मुद्दे नहीं रहे हैं। रोग कर्म परीक्षाओं के कई उदाहरण हैं, जिनमें कई लोग मर भी गए। लेकिन सच कहा जाए तो, यदि मैं इसे गंभीरता से कहूं, तो आप सतह से यह नहीं बता सकते कि एक साधक वास्तव में कैसा आचरण कर रहा है। निश्चित ही, ऐसा व्यक्ति दूसरों के जैसे दाफा कार्य कर रहा होगा, लेकिन लोग जो देखते हैं वह बाहरी चीजें हैं, जबकि वास्तव में उसके अंदर बहुत से मोहभाव होते हैं, जिन्हें दूसरे नहीं देख सकते। बहुत सी चीजें जो वह छोड़ नहीं सकता, वे बहुत गहराई से छिपी हुई हैं। व्यक्ति स्वयं जानता है कि वे चीजें अच्छी नहीं हैं, और इसलिए वह लज्जित होने के डर से दूसरों को उनके बारे में पता चलने से डरता है। फिर भी वह एक साधक के रूप में उन चीजों को गंभीरता से नहीं लेता है, और उन्हें हटाने के लिए पूरे मन से काम करने में सफल नहीं हुआ है या उन्हें पहचानने के बाद उन्हें अच्छी तरह से संभालने में सफल नहीं हुआ है। ऐसे मामले भी हुए हैं जहाँ किसी ने अपनी साधना में कुछ छोटी-छोटी चीजों को गंभीरता से नहीं लिया, और वे बड़ी समस्याएं बन गईं।
मैं इसे इस प्रकार से कहूँगा। एक दाफा शिष्य के लिए आवश्यकताएँ उच्च हैं—किसी भी अन्य साधना मार्ग की तुलना में उच्चतर। इसका स्वरुप उतना कठोर नहीं है, लेकिन आपकी साधना के लिए मानक और आवश्यकताएं ऊंची हैं। यदि आप अपनी कमियों को पहचानने में विफल रहते हैं, तो यह एक समस्या है, ठीक वैसे ही जैसे कि यदि आप अपने प्रबल मोहभावों को देखने में विफल रहते हैं, तो यह एक समस्या है। और जब आप उनके बारे में जागरूक हो जाते हैं, तो आपको निश्चित रूप से, एक दाफा शिष्य के रूप में, उन्हें संबोधित करना चाहिए। और यही साधना है।
फिर भी कुछ लोगों के साथ... विशेषतः मुख्य भूमि चीन में, जहाँ उस स्थान की दुष्ट संस्कृति हर जगह फैली हुई है, पूरे समाज में लोगों के बीच जो संबंध हैं, वे अब वैसे नहीं हैं जैसे कि वे साधारणतः मनुष्यों के लिए होने चाहिए। वहां लोगों का एक-दूसरे से झूठ बोलना साधारण बात है, और सच्चे शब्दों के स्थान पर झूठ सरलता से निकल जाता है। और लोगों के सोचने के तरीके साधारण, मानवीय तरीकों से अलग हो गए हैं। तो उस प्रकार की स्थिति में किसी व्यक्ति के लिए अपनी समस्याओं के बारे में जागरूक होना वास्तव में बहुत कठिन है। तो क्या यह उचित है? प्राचीन शक्तियां मानती हैं कि यह उचित है, क्योंकि आप जो आशा करते हैं वह भविष्य में पहुँचने की है। यहाँ जो है वह समाप्त हो जाएगा, और आप भविष्य में पहुँचने का प्रयास कर रहे हैं। और यह केवल आपके भविष्य में पहुँचने के बारे में नहीं है; बहुत से लोग जो उच्च स्तरों से आए हैं, वे बहुत उच्च स्तरों के अपने ब्रह्मांडीय पिंडों के चेतन जीवों के प्रतिनिधि हैं, और वे बहुत से जीवों के उद्धार की संभावनाओं का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। तो आपके लिए कठोर मानक कैसे निर्धारित नहीं किए जा सकते? प्राचीन शक्तियां इसे इसी प्रकार देखती हैं। और इसी कारण से उन्होंने [चीन के] उस वातावरण को इतना अव्यवस्थित बना दिया, जहाँ चीजें वैसी नहीं रहीं जैसी कि साधारणतः मनुष्यों के लिए होनी चाहिए। पुराने ब्रह्मांड की प्राचीन शक्तियों को लगता है कि, आपको उस प्रकार की स्थिति में साधना करवाना उचित हैं। उनका सोचना है, "मैं आपकी फलपदवी को तभी मान्यता दूंगा जब आप इस प्रकार के वातावरण में सफल होंगे। अच्छे वातावरण में कौन साधना नहीं कर पाएगा?" लेकिन ऐसी स्थिति में अपनी कमियों के बारे में जागरूक होना वास्तव में बहुत कठिन है, है न? यह वास्तव में बहुत कठिन है। जब वहां आपके सामने आने वाला हर व्यक्ति उसी प्रकार सोचता है जैसा वे सोचते हैं, और लोग एक-दूसरे के प्रति उसी प्रकार व्यवहार करते हैं, तो आप क्या करेंगे?
लेकिन, आपके पास दाफा है। और प्राचीन शक्तियां भी इसे इसी प्रकार से देखती हैं, और सोचती हैं, "आप दाफा के शिष्य हैं, है न? इसलिए आपको दाफा के अनुसार साधना करनी चाहिए और दाफा की आवश्यकताओं के अनुसार आचरण करना चाहिए।" और यह ऐसा ही है। फिर भी कुछ शिष्य दाफा के अनुसार आचरण नहीं करते, बल्कि साधारण तरीके से आचरण करते हैं। और इससे भी बुरी बात यह है कि जब उन्हें अपनी गलतियों का पता चलता है, तो उन्हें लगता है कि यह कोई बड़ी बात नहीं है और वे उन्हें अनदेखा कर देते हैं। लेकिन प्राचीन शक्तियां उन चीजों को अनदेखा नहीं करेंगी। वे आपको एक साधक के मानकों पर खड़ा करेंगी; वे आपको भविष्य के जीवन के मानकों पर खड़ा करेंगी। तो क्या आपको लगता है कि यदि आप स्वयं का मूल्यांकन करने या स्वयं को नियंत्रित करने के लिए साधारण लोगों के मानकों का उपयोग करते हैं, तो वे इससे सहमत होंगी? वे सहमत नहीं होंगी। और यही कारण है कि कुछ लोगों को इतनी सारी कठिनाइयों और समस्याओं का सामना करना पड़ा है, और कुछ लोग तो बिना कारण जाने ही मर भी गए हैं। निस्संदेह, दाफा शिष्यों के रूप में आप तथ्यों को स्पष्ट करके लोगों को बचाने में सक्षम हैं। फिर, चूँकि साधारण लोगों को बचाया जा सकता है, तो क्या ऐसे दाफा शिष्य द्वारा किया गया सारा काम व्यर्थ हो जाएगा? नहीं, ऐसा नहीं है। यह स्तरों का मुद्दा है। दूसरे शब्दों में, यदि किसी ने दाफा शिष्य के रूप में कई काम किए लेकिन कुछ विषयों में अच्छी तरह से साधना नहीं की, और उसकी मृत्यु हो गई, तो क्या होगा? निश्चित ही, उसका दाफा शिष्य होना व्यर्थ नहीं होगा, न ही उसके द्वारा किए गए कार्य। यह केवल उस स्तर का मुद्दा है [जिसे वह प्राप्त करता है]।
मैं इस तथ्य के बारे में सोचने से स्वयं को नहीं रोक सकता कि हमारे दाफा शिष्यों का सामना 7 अरब लोगों के संसार से है। और भले ही चीन में हमारे बहुत से दाफा शिष्य हैं, लेकिन उनका सामना वहां 1.5 अरब की आबादी से है। उस भयावह दुष्ट शासन के दबाव को देखते हुए, वहां लोगों को बचाना वास्तव में बहुत कठिन है। और आपको इसमें अच्छा प्रदर्शन करना होगा। तो फिर आप यह कैसे करेंगे? चूंकि आप दाफा शिष्य हैं, इसलिए आपके पास ऐसी चीजें करने की क्षमता है जो पिछले साधक नहीं कर पाये, और आपके पास वह पूरा करने की क्षमता है जो सामान्य लोग नहीं कर सकते। आप दाफा शिष्य हैं और आपके पास दाफा है—भविष्य का दाफा। फिर भी कुछ लोग इस प्रकार से नहीं सोच रहे हैं। वे फा को उतना महत्व नहीं देते और उनके पास बहुत शक्तिशाली पवित्र विचार नहीं हैं। इसलिए वे वह नहीं कर पाते जो मैंने वर्णित किया है या वे चीजें अच्छी तरह से नहीं कर पाते हैं, और वे कई बार मार्ग से भटक जाते हैं।
निःसंदेह, कुछ दाफा शिष्यों ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। जैसा कि मैंने कहा है, दाफा शिष्यों के आधार (गेंजी ) भिन्न-भिन्न होते है। कुछ ने असाधारण रूप से अच्छा प्रदर्शन किया है, और कुछ के पास इतना कम कर्म है कि [दुष्ट प्राणी] उन्हें इतनी कठोरता से दमन करने का साहस नहीं कर पाते; हालाँकि, कुछ के पास बहुत अधिक कर्म है, और इसलिए [दुष्ट प्राणी] इसे दमन करने के बहाने के रूप में लेते हैं।
चूँकि यह एक फा सम्मेलन है, इसलिए मैं आपका बहुत अधिक समय नहीं लेना चाहूँगा। इसलिए मैं सीधे मुद्दे पर आया, साधना के बारे में सीधे बात की, और सीधे लक्ष्य की ओर बढ़ गया। यहाँ आपके एकत्रित होने का उद्देश्य, दूर-दूर से आकर, आखिर, साधना के इस वातावरण में स्वयं को बेहतर बनाना और गुरु को बोलते हुए सुनना है। लेकिन वास्तव में, सब कुछ जुआन फालुन में है। मैंने जो कुछ भी बात की है वह जुआन फालुन की व्याख्या मात्र है। और आप स्वयं पुस्तक में यह सब देख सकते हैं। बात केवल इतनी है कि जब आप पुस्तक उठाते हैं तो कभी-कभी आप उतने ऊर्जावान या सचेत नहीं होते हैं। और कभी-कभी जब आप व्यस्त होते हैं, या किसी प्रकार से आपके काम में बाधा आ रही होती है, तो पुस्तक पढ़ने की आपकी इच्छा उतनी प्रबल नहीं होती या आपका मन एकाग्र नहीं होता। और उस स्थिति में आप इससे फा प्राप्त नहीं कर पाएँगे या कुछ भी अधिक नहीं देख पाएँगे। साधना एक गंभीर विषय है।
मैं कुछ उल्लेख करना चाहूँगा। जैसा कि आप जानते हैं, जुआन फालुन को खोलते ही सबसे पहले जो चीज दिखाई देती है वह है लुनयु । लेकिन, मैं पुस्तक की प्रस्तावना के रूप में वर्तमान लुनयु से संतुष्ट नहीं हूँ। (गुरूजी हँसते हैं। ) मैं दाफा शिष्यों की फा के प्रति भावनाओं से अवगत हूँ—यह आपके लिए आपके अपने जीवन जितना ही प्रिय है। हर कोई स्मृति से लुनयु का पाठ करने में सक्षम है। और लुनयु ने वास्तव में आपकी फा-सुधार साधना में एक बड़ा प्रभाव डाला है; इसने आपके पवित्र विचारों को शक्तिशाली करने में सहायता की है और एक सकारात्मक भूमिका निभाई है। लेकिन, चूँकि लुनयु को उन लोगों की सहायता करने के लिए लिखा गया था जिन्हें उस समय फा के बारे में कोई जानकारी नहीं थी, इसलिए इसका प्रारंभिक बिंदु बहुत ऊँचा नहीं था, और विज्ञान के साथ फा की पुष्टि करने का विचार कुछ सीमा तक प्रबल था। फिर भी यह फा विशाल है। भविष्य इसके हाथों में है। लेकिन लुनयु विज्ञान को बहुत अधिक महत्व दे रहा था और इसे बहुत अधिक बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत कर रहा था। इसलिए मैं काफी समय से इसमें सुधार करना चाह रहा था। लेकिन चूंकि इन वर्षों में स्थिति बहुत बुरी रही है, और जानकारी सीमित है, सच्ची और झूठी दोनों प्रकार की बातें सामने आ रही हैं और यहां तक कि लोग जानबूझकर समस्या खड़ी कर रहे हैं, इसलिए मैंने कुछ समय तक इस पर काम नहीं किया। हाल ही में मैं लुनयु में सुधार कर रहा हूं और मैं आपको बताना चाहता था। मैं इसे शीघ्र ही मिंगहुई वेबसाइट पर प्रकाशित कर सकता हूं।
तो, आपको पहले वाले लुनयु के साथ क्या करना चाहिए? आप पृष्ठ को अपनी पुस्तक के समान आकार में और मूल लिपि के फॉन्ट टाइप और आकार जैसी एक नई प्रतिलिपि बना सकते हैं या छाप सकते हैं। आप पहले वाले लुनयु के पृष्ठ को काट सकते हैं, और फिर नया पृष्ठ चिपका या लगा सकते हैं। मैं यहाँ फा सम्मेलन में आप सभी को इसके बारे में बताना चाहता था। आज यहाँ इसका उल्लेख करने से आप विश्वास करेंगे कि यह समाचार वैध है। (शिष्य हँसते हैं और तालियाँ बजाते हैं।) अन्यथा (गुरूजी हँसते हैं ), मुझे समझता हूँ कि, भावनात्मक कारणों से, कुछ दाफा शिष्यों को इसे स्वीकार करने में कठिनाई हो सकती है। मुझे पता है।
जो भी हो, आपके गुरु के रूप में, मैं इस बारे में सोचता हूँ कि आपके लिए, आपकी साधना के लिए और भविष्य के लिए क्या अच्छा है। यह फा बहुत विशाल है।
मैंने आपको ब्रह्मांड की संरचना के बारे में बताया है, यहाँ तक कि उस संरचना को भाषा के साथ और अधिक वर्णित नहीं किया जा सकता है। इसकी जटिलता के स्तर को समझने के लिए, बस विचार करें कि एक पेड़ में कितनी शाखाएँ होती हैं। और हम केवल एक पेड़ की शाखाओं के बारे में बात कर रहे हैं। फिर एक जंगल में, कितने पेड़, कितनी शाखाएँ और कितनी पत्तियाँ हैं? और यदि आप इस धरती पर उपस्थित सभी पेड़ों, शाखाओं और पत्तियों को एक साथ कर लें, तो भी वे ब्रह्मांड के एक छोटे से विस्तार का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकते। इसे व्यक्त करने का कोई तरीका नहीं है। यह बहुत विशाल और जटिल है। जीवों की संख्या बस अनगिनत, असीम, इतनी है कि इसे मापा नहीं जा सकता, कुछ देवता इतने विशाल हैं कि यह अकल्पनीय है। और सब कुछ जीवित है। जब लोग चीजों को "जैविक" या "अजैविक" मानते हैं, तो यह केवल उन घटनाओं पर आधारित होता है जिन्हें लोग सतह पर, दृष्टिगत रूप से देखते हैं। कारखानों द्वारा निर्मित उत्पादों सहित सभी चीजें जीवित हैं। यदि कोई चीज जीवित न हो तो वह शीघ्र ही विघटित हो जाएगी और उसका अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। लोगों ने दावा किया है कि दिव्य शक्तियों के साथ एक व्यक्ति यह देख सकता है कि किसी के कमरे में सब कुछ—चाहे वह मेज, कुर्सियाँ, स्टूल, दीवारें हों—उनसे बात कर सकता है और उनसे संवाद कर सकता है। और वास्तव में ऐसा ही है। सभी चीजें जीवित हैं। और यही कारण है कि प्राचीन समय के भिक्षु और साधक लापरवाही से चीजों को व्यर्थ या बर्बाद नहीं करते थे और किसी भी चीज को हानि पहुंचाने से बचने का प्रयास करते थे। यह उससे संबंधित था। मैं अपनी टिप्पणियों को बड़े आयाम की संरचना तक सीमित रखता हूँ, क्योंकि चीजें अत्याधिक जटिल हैं।
मैं पहले इस मानवीय आयाम पर चर्चा करने से दूर रहा हूँ। चूँकि दाफा शिष्य उच्च स्तर पर साधना कर रहे हैं, इसलिए मैं केवल महान मार्ग सिखाता हूँ। लेकिन यहां तक कि इस मानवीय वातावरण में, अर्थात्, यह मानवीय आयाम जो अणुओं से बना है, ऐसे कई, कई आयाम या काल-अवकाश हैं, जो मनुष्यों के लिए अदृश्य हैं। और मैं किस बारे में बात कर रहा हूँ? जैसा कि आप जानते हैं, मानव नेत्र इस संसार में लाल, नारंगी, पीला, हरा, नीला, गहरा नीला और बैंगनी रंग देख सकते हैं। (गुरूजी अपने हाथों से सीमित सीमा का संकेत देते हैं।) आप इन रंगों की सीमा के अंतर्गत ही देख सकते हैं। लेकिन अब वैज्ञानिकों को पता है कि इनसे अधिक हैं, है न? कई अन्य रंग अस्तित्व में हैं। क्या प्रकाश वर्णक्रम में उच्च आवृत्तियाँ और लंबी तरंगदैर्ध्य नहीं हैं (हाथ को अपने ऊपरी दाएँ भाग की ओर दो बार बढ़ाते हुए)? और वास्तव में, प्रकाश वर्णक्रम में निम्न आवृत्तियाँ भी हैं (हाथ को अपने निचले बाएँ भाग की ओर दो बार बढ़ाते हुए)। क्या इन्फ्रारेड, अल्ट्रावायोलेट और एक्स-रे जैसी चीजें नहीं हैं? मैं उन्हीं का उल्लेख कर रहा हूँ। वे भी इस आयाम का भाग हैं और इसी प्रकार अणुओं से बनी हैं, और फिर भी वे मानव नेत्रों के लिए अदृश्य हैं। उदाहरण के लिए, यह बिल्कुल पियानो के जैसे है। मान लीजिए कि मानव नेत्र केवल एक सप्तक के बटन देख सकते हैं, भले ही पियानो की सीमा कई सप्तक है... (अपने दाहिने हाथ को आगे बढ़ाते हुए कई सप्तक को दर्शाते हुए) वे सात हैं। और डबल बास में कई निम्न सप्तक भी हैं (अपने बाएं हाथ को आगे बढ़ाते हुए )। मैं पियानो को केवल एक रूपक के रूप में उपयोग कर रहा हूँ; प्रकाश वर्णक्रम पियानो की सीमा से कहीं अधिक व्यापक है (हाथों को क्षैतिज रूप से आगे बढ़ाते हुए, एक बहुत दूर की दूरी का संकेत देते हुए )। सब कुछ भौतिक है। मैं केवल विचार व्यक्त करने के लिए प्रकाश वर्णक्रम का उपयोग कर रहा हूँ। वे चीजें वास्तव में अस्तित्व में हैं। और अणु जो वास्तव में अस्तित्व में हैं, वे भौतिक अस्तित्व, संसार, काल-अवकाश, आदि की चीजों का निर्माण करते हैं। लेकिन मानव नेत्र केवल इस बहुत ही संकीर्ण भाग को देख सकते हैं (संकीर्णता दिखाने के लिए हाथों को नेत्र की चौड़ाई जितना अलग रखते हुए ), या इस एक सप्तक में क्या है (हँसते हुए), जब अनगिनत अन्य सप्तक हैं जिन्हें लोग नहीं देख सकते हैं (बाएँ और दाएँ हाथ एक साथ फैलाते हैं), निचले और उच्चतर दोनों। (जब गुरूजी बोलते हैं तो वे अपना बायाँ हाथ बाईं ओर बढ़ाते हैं और रुक जाते हैं, अपना दायाँ हाथ दाईं ओर बढ़ाते हैं और रुक जाते हैं, और जब उनके दोनों हाथ एक निश्चित चौड़ाई बनाते हैं जो एक सीमा को दर्शाता है, और वे सभी को मुस्कुराते हुए देखते हैं। )
मैं वास्तव में केवल एक क्षैतिज, सीधी रेखा में चीजों का वर्णन कर रहा था। (हथेलियों को शरीर की ओर रखते हुए, गुरूजी अपनी छाती से अपनी भुजाओं को क्षैतिज रूप से बाएँ और दाएँ फैलाते हैं। ) चीजें लंबवत भी होती हैं (अपनी छाती से अपनी भुजाओं को आगे की ओर, श्रोताओं की दिशा में फैलाते हुए ), साथ ही इस प्रकार से (दाहिने हाथ को कमर की ऊंचाई पर दाईं ओर बढ़ाते हुए ), और उस प्रकार से (बाएँ हाथ को सामने की ओर, श्रोताओं की दिशा में और कमर की ऊँचाई पर बढ़ाते हुए ), और इनमें कुछ इस प्रकार भी हैं (बाएं हाथ को उसी दिशा में श्रोताओं की ओर बढ़ाते रहते हुए, तथा दाएं और बाएं दोनों तरफ बहुत अधिक शाखाएं होने का संकेत देने वाली गति करते हुए ), और इस प्रकार से। (गुरूजी अपनी भुजाओं को पीछे, दाएँ और कई अन्य दिशाओं में फैलाते हैं, और साथ ही, प्रत्येक दिशा में बहुत सी शाखाएँ निकलने का संकेत देते हैं, फिर रुकते हैं और सभी को देखते हैं। ) (शिष्य तालियाँ बजाते हैं और गुरूजी मुस्कुराते हैं और हशी करते हैं। ) इसका वर्णन करने के लिए कोई भाषा नहीं है, है न? इसे व्यक्त करना कठिन है। और मैं केवल उन चीजों को समझा रहा हूँ जो एक रेखा पर हैं (बाएं से दाएं क्षैतिज रेखा का संकेत देते हुए )। तो विचार यह है कि कई, कई सप्तकों के बटन हैं जो मानव नेत्र के लिए अदृश्य हैं। जो कुछ मानव नेत्रों को दिखाई देता है या दृष्टि से समझने योग्य है, वही आपके शरीर के शेष भागों पर भी लागू होता है। दूसरे शब्दों में, जो आप नहीं देख सकते, आप उसे छू या सुन भी नहीं पाएंगे। आपकी सुनने, छूने और देखने की इंद्रियाँ सभी इस एक सप्तक की सीमा तक सीमित हैं (सीमित चौड़ाई दिखाने के लिए इशारा करते हुए )। कुछ लोगों ने कहा है कि वे दिव्यलोकों का संगीत सुन सकते हैं और यह बहुत सुंदर है, जबकि कुछ कहते हैं कि वे अन्य आयामों में जीवित चीजों को देख सकते हैं। और वास्तव में वे देख सकते हैं, लेकिन वे सभी इस आयाम में हैं—बड़ा आयाम जो अणुओं से बना है, और जो उल्लेखनीय रूप से विविध है। वे सभी चीजें प्रत्यक्ष रूप से उपस्थित हैं। और वे सभी जीवित चीजें वास्तव में मनुष्यों को देख सकती हैं, जबकि मनुष्य उन्हें [साधारणतः] नहीं देख सकते। तो फिर ऐसा कैसे हो सकता है? जैसा कि मैंने पहले भी बताया है, यह मानवीय क्षेत्र (सीमित सीमा को दिखाने के लिए इशारा करते हुए ) एकमात्र ऐसा स्थान है जो भ्रम में है। वे जीवित चीजें जिन्हें मनुष्य नहीं देख सकते, वे भ्रम के अधीन नहीं हैं।
मैं जिस बारे में बात कर रहा हूँ, वह आधुनिक विज्ञान की जानकारी में है, और कोई सनसनीखेज बात नहीं है। तो उन समान आयामों में जीवन कैसा है जो मानव जाति के समानांतर अस्तित्व में हैं? और वहाँ कौन रहता है? मनुष्य का जीवन, जो इस संसार तक सीमित है, वास्तव में दयनीय है। (गुरूजी एक छोटे से क्षेत्र को इंगित करने के लिए इशारा करते हैं। ) इस संसार के लोगों को बस यही एक छोटा सा विस्तार पता है जिसे वे अब देख सकते हैं, जबकि अन्य सभी जीवित चीजें (दाहिने हाथ से समावेशी प्रकार का इशारा करते हुए ) इस संसार के लोगों के बारे में जानती हैं। लेकिन इसका विपरीत सच नहीं है। कुछ लोग दिव्य शक्तियों का अध्ययन कर रहे हैं। लेकिन जैसा कि मैंने अभी बताया, इस एक रेखा में यह है, और यह... (जैसे ही वे बोलते हैं, गुरूजी अपने शरीर से कमर की ऊंचाई पर अपनी भुजाओं को सीधे सामने की ओर तेजी से फैलाते हैं, फिर अपनी भुजाओं को एक ही ऊंचाई पर एक साथ दोनों तरफ फैलाते हैं, फिर दोनों हाथों का उपयोग करके उस दिशा में बहुत अधिक शाखाओं को इंगित करते हैं, जिसे उन्होंने अभी अपने दाहिने भाग में प्रदर्शित किया था, और फिर, उस सतह पर जिसके ऊपर कई दिशाएँ थीं, उन दिशाओं में शाखाओं को इंगित करते हैं जो सीधे आगे से ऊपर 45 डिग्री, सीधे आगे से शून्य डिग्री और सीधे आगे से नीचे 45 डिग्री, इत्यादि।) और यह अभी भी वहाँ से और भी अधिक शाखाओं में बँटता है। और फिर लंबवत के बारे में क्या (शरीर के लंबवत और कमर से कुछ ऊपर क्षैतिज सतह पर सीधे सामने की ओर भुजाओं को फैलाते हुए बोलते हुए )? और इस प्रकार (उसी सतह पर सीधे आगे से ऊपर 45 डिग्री की दिशा में इशारा करते हुए ), या इस प्रकार (उसी सतह पर सीधे आगे से नीचे 45 डिग्री की दिशा में इशारा करते हुए ), या इस प्रकार (शरीर के सामने अपने शरीर के समानांतर सतह पर 12 बजे की स्थिति की ओर इशारा करते हुए ), या इस प्रकार (जब वह बोलते हैं, तो दोनों हाथों से दिखाते हैं कि उस सतह पर 1:30 और 10:30 बजे की दिशाओं में अतिरिक्त सतहें हैं ), या इस प्रकार? (गुरूजी क्षैतिज सतह से 45 डिग्री के कोण पर एक सतह पर 1:30 और 10:30 की दिशाओं में इशारा करते हैं, और प्रत्येक दिशा में शाखाओं में बँटने का संकेत देते हैं, इत्यादि ) और इन सभी में से शाखाएँ निकलती हैं, और फिर और भी निकलती जाती हैं। मेरा कहना है कि अणुओं से बना यह आयाम भी इस प्रकार अत्यधिक जटिल है। जो लोग इन चीजों को देख सकते हैं उनके दिव्य नेत्र केवल भौतिक दृष्टि पर खुलते हैं। और भौतिक दृष्टि के भीतर विभिन्न स्तर हैं। इसलिए आप में से प्रत्येक व्यक्ति जो देखता है वह भिन्न हो सकता है। जीवन के आश्चर्य सचमुच भव्य हैं। वे उस छोटी सी चीज से कहीं अधिक हैं जिसे अब मानव जाति की प्रौद्योगिकी समझ सकती है। यदि मानव जाति की प्रौद्योगिक प्रगति अपने वर्तमान मार्ग पर चलती रही, तो यह हमेशा घोंघे की गति से आगे बढ़ेगी।
वैसे भी, मैं अभी जो बात कर रहा था, वह आपको यह समझाने के लिए थी कि मनुष्य, और इसमें साधना करने वाले दाफा शिष्य भी सम्मिलित हैं, [वास्तविकता के] एक बहुत ही संकीर्ण सीमा के भीतर काम कर रहे हैं। इसके अपने लाभ हैं, जैसे कि आपको पता नहीं चलता कि आपने इस सीमा से बाहर कब कुछ अनुचित किया है। और इसी प्रकार मानव जीवन का अस्तित्व हैं। यदि यह कुछ और होता, तो उस प्रकार का हस्तक्षेप और वे जटिल कारक आपके लिए चीजों को संभालना असंभव बना देते, क्योंकि मनुष्य की बुद्धि सीमित है। इस संकीर्ण सीमा के भीतर काम करके, आप अपने सामने आने वाली परिस्थितियों से सरलता से निपट सकते हैं।
मैंने पहले कहा है कि इस संसार में एक व्यक्ति जो कुछ भी करता है उसे अन्य काल-अवकाश में अनगिनत प्राणियों द्वारा देखा जाता है। हालाँकि, कुछ लोग इस पर विश्वास नहीं करते। यदि कोई साधारण व्यक्ति इस पर विश्वास नहीं करता है तो इससे कोई अंतर नहीं पड़ता। लेकिन दाफा के शिष्य जानते हैं कि उच्च-स्तरीय प्राणी वास्तव में लोगों के विचारों को बहुत स्पष्टता के साथ देख सकते हैं, और वे उनके विचारों का सृजन भी देख सकते हैं। कोई व्यक्ति कैसे सोचता है या उसका मन चीजों पर कैसे प्रतिक्रिया करता है, यह उन्हें सरलता से दिखाई देता है। और दाफा के शिष्यों के साथ, आपका हर विचार कई प्राणियों के अस्तित्व को निर्धारित कर रहा है; आप चीजों को कैसे संभालते हैं, और आप उन्हें अच्छी तरह से करते हैं या नहीं, यह उन प्राणियों के भविष्य के अस्तित्व को तय कर रहा है। तो फिर, क्या संभवतः उन्हें चिंता नहीं होगी? वे सभी देख रहे हैं। हर आकार और प्रकार की चीजें अब संसार बनाती हैं और समाज इतना जटिल है, विशेषतः अब, जब अतीत, भविष्य और वर्तमान की चीजें यहाँ रखी गई हैं, यह देखने के लिए कि आप क्या चुनते हैं। इसने समाज को पहले से कहीं अधिक घटनापूर्ण और रोमांचक बना दिया है, जो सरलता से मोहभावों को भड़का सकता है। साधकों के लिए यह हस्तक्षेप का काम करता है, जिससे साधना करना और लोगों को बचाना कठिन हो जाता है। इसलिए इन परिस्थितियों में साधना करना वास्तव में कठिन है। [वे दूसरे प्राणी] आपके मन और कार्यों को देख सकते हैं और देख रहे हैं। इनमें से कोई भी चीज आपके मानवीय मोहभावों को भड़का सकती है। फिर भी यदि कोई दाफा शिष्य फा से भटक जाता है, और उसके विचार पर्याप्त रूप से पवित्र नहीं हैं, तो वह सचमुच अपने मार्ग से बहुत दूर भटक सकता है, और कुछ ही समय में काफी दूर तक फिसल भी सकता है।
आज के लिए बस इतना ही। (शिष्य झिझकते हुए तालियाँ बजाते हैं। ) मुझे लगता है कि बहुत से लोग प्रश्न पूछना चाहेंगे। (शिष्य उत्साह से तालियाँ बजाते हैं।) ठीक है, मैं एक घंटे तक आपके प्रश्नों के उत्तर दूँगा। (शिष्य उत्साहपूर्वक तालियाँ बजाते हैं। ) आप अपनी प्रश्न पर्चियाँ दे सकते हैं।
एक दाफा शिष्य अपने पद की परवाह किए बिना साधना कर सकता है—चाहे वह राष्ट्रपति के रूप में कार्य कर रहा हो या एक साधारण व्यक्ति के रूप में। आप किसी भी व्यापार या पेशे में एक अच्छे व्यक्ति हो सकते हैं, और वर्तमान में प्रत्येक व्यक्ति दाफा शिष्यों को साधना करने के लिए एक वातावरण प्रदान कर रहा है। पहले साधना मठों या विहारों में की जाती थी। लेकिन आज दाफा शिष्यों को किसी विशेष वातावरण में साधना करने तक सीमित नहीं रखा गया है, क्योंकि आपको चेतन जीवों को बचाना है। आप समाज के किसी भी वातावरण में साधना कर सकते हैं। मैंने आपके लिए साधना करने के लिए बहुत सी परिस्थितियाँ प्रदान की हैं, और इसका उद्देश्य यह है कि आप चेतन जीवों को बचा सकें। और दूसरा कारक यह है कि प्राचीन शक्तियां इसे उचित नहीं मानेंगी यदि आप दाफा शिष्यों के रूप में इस समाज के जैसी परिस्थिति में अपनी साधना नहीं करते, जिसमे ऐसा हस्तक्षेप होता है जो पहले कभी नहीं देखा गया; यदि आपने ऐसे गंभीर संघर्षों का अनुभव नहीं किया; और यदि आपको इस समाज के जैसे ऐसे आकर्षक प्रलोभनों का सामना नहीं करना पड़ा। यह अतीत में की गई किसी भी साधना से भिन्न है। सृजन के समय से ऐसा कभी नहीं हुआ; पहले कभी ऐसा कुछ नहीं था। ज्ञात इतिहास के पहले वाले काल में अनेक बार लोग प्रलयों से गुजरे, जिसमें केवल कुछ ही लोग जीवित बचे; केवल पवित्र आस्था वाले लोग, जो दिव्य में पूर्ण विश्वास रखते थे, वे ही जीवित बच पाते थे। इन सभी चक्रों में जहाँ मानवजाति ने पुनःस्थापित होकर समृद्धि प्राप्त की, दाफा शिष्यों द्वारा की जाने वाली साधना जैसी कोई घटना कभी नहीं घटी। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था, और इसलिए ऐसा कोई उदाहरण नहीं है जिसका आप अनुसरण कर सकें। कुछ साधक और भिक्षु आपकी साधना को स्वीकार नहीं करते हैं। लेकिन, यह उनके लिए संभव नहीं है, क्योंकि उन्हें आपकी साधना को समझने और स्वीकार करने के लिए एक दाफा शिष्य की तुलना में उनका स्तर ऊँचा होना चाहिए।
शिष्य: कई शिष्य बार-बार मुख्य भूमि चीन जाते हैं, कुछ तो अक्सर ऐसा करते हैं। चीन में भी बहुत से अभ्यासी हैं जो विदेश जाना पसंद करते हैं, कुछ तो वर्ष में कई बार जाते हैं, और कुछ केवल फा सम्मेलन के लिए आते हैं। क्या यह हमारे लिए बेहतर नहीं है कि हम अपने-अपने क्षेत्रों में उन कामों को अच्छी तरह से करें जो हमें करने चाहिए, और सभी ओर भागदौड़ करने से बचें?
गुरुजी: मुझे नहीं लगता कि आप फा सम्मेलनों में जाने के लिए किसी को दोष दे सकते हैं। और यदि कोई व्यवसाय के लिए बार-बार जा रहा है तो यह कोई समस्या नहीं है। कुछ दाफा शिष्य हैं जो दुष्टों के निशाने पर नहीं हैं, इसलिए वे बार-बार जाने में सक्षम हैं, और यह कोई समस्या नहीं है।
हालाँकि, चीन के बाहर रहने वाले कुछ दाफा शिष्य हैं, जिनके बारे में चीनी कम्युनिस्ट दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों के एजेंट हर छोटी-बड़ी बात जानते हैं। जैसे ही आप [चीन में] अप्रवासन केंद्र पर पहुँचते हैं, वे आपको हिरासत में ले लेंगे। मैंने पहले भी कहा है कि दुष्ट पार्टी के गुर्गों द्वारा आपको पकड़े जाने के बाद या जब आप उनके नकली "सलाह सत्रों" से गुजर रहे थे, तब आपने जो कुछ भी किया, उसके लिए आप उत्तरदायी हैं और दिव्य प्राणी देख रहे हैं। आप सोच सकते हैं कि कोई और नहीं जानता और गुरु ने इसे नहीं देखा। और वास्तव में, यह वर्तमान में गुरु का यह सतही भाग है जो यहाँ कार्य कर रहा है। लेकिन गुरु के पास अपने अनगिनत वास्तविक शरीर और अनगिनत फा शरीर हैं, और अनगिनत उच्च-स्तरीय प्राणी हैं जो आपको एक फिल्म की तरह देख सकते हैं। आप सोच रहे होंगे कि जो हुआ उसके बारे में कोई नहीं जानता, लेकिन आप बस स्वयं को मुर्ख बना रहे हैं। जैसा कि मैंने कहा, न केवल गुरु, बल्कि हर दूसरे आयाम के जीव भी—सभी जीव—जानते हैं कि आप क्या कर रहे हैं। और आप अपने द्वारा की गई अनुचित बात को मान नहीं रहे हैं, आप एक साधक के जैसे स्वेच्छा से यह घोषणा करके इसकी भरपाई करने का प्रयास नहीं कर रहे हैं कि आपको एहसास है कि आपने अनुचित किया और आगे के मार्ग में आप बेहतर करेंगे। इसके स्थान पर, आप इसे छिपा रहे हैं। आपने सीसीपी द्वारा आपके अंदर भरी गई बहुत सी बातों पर विश्वास भी किया है; आप इसके द्वारा गुमराह किये जाने से भी आश्वस्त हो गए हैं, और आपने अन्य दाफा शिष्यों को भी नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है। अब आपको क्या करना है? यदि मानव जाति का अंतिम प्रसंग जिसके बारे में मैंने बात की है वास्तव में घटित होता है, तब आपके लिए सतही मानवीय मोहभावों के अतिरिक्त और भी कई मुद्दे होंगे। तो, आपके अस्तित्व की संपूर्णता के साथ-साथ आपके पीछे उन जीवों के बारे में क्या किया जाना चाहिए जो आपके द्वारा बचाए जाने की प्रतीक्षा कर रहे थे—वह सब कुछ जिसका आप प्रतिनिधित्व कर रहे थे? निःसंदेह, आप शायद मेरी बातों पर विश्वास न करें क्योंकि सीसीपी ने आपके अंदर वे चीजें भरी हैं, और यदि ऐसा है, तो यह बहुत दुःखद है।
आज का मानव समाज एक ऐसा वातावरण है जो फा-सुधार अवधि के दाफा शिष्यों की साधना और फा प्राप्त करने आये चेतन जीवों के लिए बनाया गया है। चाहे वह दाफा शिष्यों द्वारा तथ्यों को स्पष्ट करना हो या वह परियोजनाएँ जिन पर दाफा शिष्य लोगों को बचाने के लिए काम कर रहे हैं—ये सभी चीजें जो आप देख सकते हैं—साधारण लग सकती हैं, लेकिन वास्तव में असाधारण हैं और जो साधारण लोग कर सकते हैं उससे परे हैं। मानव समाज भ्रम का समाज है। जब दमन शुरू हुआ, तो मुझे आपके लिए उस भ्रम को तोड़ने से रोकने के लिए, प्राचीन शक्तियों ने मुझे उन परिस्थितियों से वंचित करने का भी प्रयास किया जो मुझे मिलनी चाहिए थी, और चाहती थीं कि मैं आर्कटिक चला जाऊँ—आर्कटिक, जहाँ कोई लोग नहीं हैं। उनके विचार थे, "वहाँ जाओ। हमारे साथ हस्तक्षेप मत करो।" वे जानती थीं कि यदि मैं बोलूँगा और लोगों को चीजें बताऊँगा, या लोगों को कुछ दिखाऊँगा, तो उनकी व्यवस्थाएँ, तथाकथित परीक्षाएँ और समस्याएं जो उन्होंने दाफा शिष्यों के लिए व्यवस्थित की थीं, टूट जाएँगी। तब वास्तव में एक ब्रह्मांडीय युद्ध छिड़ जाता। इन वर्षों में, चेतन जीवों को बचाने के लिए, भले ही मैंने फा सम्मेलनों में फा की सीख दी है और विभिन्न परिस्थितियों में आपसे बातचीत की है, मैंने एक साधारण व्यक्ति के जैसे ही व्यवहार किया है और आपको केवल फा के सिद्धांतों की शिक्षा दी है। फिर भी, प्राचीन शक्तियां क्रोधित हो गई हैं। यदि मैं कुछ और करता, तो प्राचीन शक्तियां अभ्यासियों के दमन को और बढ़ा देतीं, आपके लिए साधना करना एवं लोगों को बचाना और भी कठिन हो जाता, और आपकी साधना के लिए और भी बड़ी, अधिक गंभीर चुनौतियाँ उत्पन्न हो जातीं।
शिष्य: ताइवान के एक शहर में शेन युन प्रदर्शन से एक माह पहले भी काफी टिकटें नहीं बिकी थीं, इसलिए उन्होंने साधारण लोगों के समाचार पत्रों में शेन युन का परिचय देने वाले तीन मोड़ वाले पर्चे डाले। क्या मैं पूछ सकता हूँ कि क्या ऐसा करना ठीक था?
गुरुजी: यह ठीक था। क्या यह साधारण मीडिया में विज्ञापन देने जैसा ही नहीं है? निःसंदेह इसमें कोई समस्या नहीं है। निश्चित ही, सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ऐसा कुछ न करें जिससे लोगों का ध्यान भटके या लोगों द्वारा बनाए गए किसी नियम का उल्लंघन हो।
शिष्य: यदि आधिकारिक रूप से लाइसेंस प्राप्त और प्रकाशित दाफा पुस्तकें खरीदने के बाद, एक दाफा शिष्य मिंगहुई वेबसाइट द्वारा प्रदान की गई इन पुस्तकों की इलेक्ट्रॉनिक फाइलों को केवल व्यक्तिगत उपयोग के लिए अपने मोबाइल फोन पर डाउनलोड करता है, और उन्हें पुनः उत्पादित या वितरित नहीं करता है, तो इसे कॉपीराइट का उल्लंघन या फा को बाधित करने का कार्य नहीं माना जाता है, है ना?
गुरुजी: इस प्रकार के मामले में, यदि आप केवल व्यक्तिगत स्तर पर कुछ कर रहे हैं और फाइलों को आगे प्रसारित या वितरित नहीं कर रहे हैं, या कुछ भी नहीं बेच रहे हैं, तो यह कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। यदि यह केवल अपने फा अध्ययन को सरल बनाने के लिए है, तो यह कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। लेकिन यदि आप फाइलों को बड़े पैमाने पर प्रसारित करते हैं और इसे किसी प्रकार के व्यवसाय में बदल देते हैं, तो यह हमारी साधना की पद्धति को परिवर्तित करने के समान होगा।
शिष्य: कुछ दाफा एसोसिएशन संयोजक ऐसे हैं जो अक्सर नियमों के विरुद्ध काम करते हैं, और यहाँ तक कि नियमों का उल्लंघन करने में भी आगे रहते हैं। इसके उदाहरणों में हाल ही में मुख्य भूमि चीन से आए अभ्यासियों को शेन युन कार्यक्रम में मंच के पीछे जाने की अनुमति देना, और किसी ऐसे व्यक्ति को शेन युन प्रचार में भाग लेने देना सम्मिलित है, जिसके बारे में एसोसिएशन ने कहा था कि वह समस्याजनक है। किसी ने दूसरे अभ्यासियों से यहाँ तक कहा, "मैं हमारे एसोसिएशन का मुख्य संयोजक हूँ। और गुरूजी ने कहा है कि जब तक मैं लोगों को कुछ करने की स्वीकृति देता हूँ या कहता हूँ, तब तक यह ठीक है।" कुछ अभ्यासी कुछ चीजों पर आपत्ति करते हैं लेकिन बोलने में संकोच करते हैं, लेकिन साथ ही उन्हें लगता है कि नियमों की अवहेलना करके, ये संयोजक उचित तरीके से काम नहीं कर रहे हैं।
गुरुजी: यह प्रश्न पूछने वाले अभ्यासी की बात उचित है। हमारे बीच हमेशा कुछ ऐसे लोग होते हैं जो गुरु के नाम पर काम करते हैं। जब लोग मुझसे चीजों के बारे में पूछते हैं, तो मैं अक्सर कहता हूँ, "जब बात उन चीजों की आती है जो दाफा शिष्यों को करनी चाहिए, तो आप कर सकते हैं—मैं इसके विरुद्ध नहीं हूं।" यह एक बात है जो मैं कह सकता हूँ। दूसरा दृष्टिकोण यह हो सकता है कि, उन्हें साधक और संयोजक के रूप में परिपक्व होने में सहायता करने के लिए, मैं उन्हें कुछ मामलों को अपने विवेक से संभालने के लिए कहता हूँ। लेकिन एक बार गुरु ने कुछ कह दिया, तो कुछ लोग इसे अभ्यासियों तक ले जाते हैं और कहते हैं, "गुरूजी ने यह कहा है," "गुरूजी ने इसे स्वीकार किया है," "गुरूजी ने इसे मंजूरी दी है," या "गुरूजी ने इसे इस प्रकार करने के लिए कहा है।" तो मैंने जो कहा वह बदल दिया गया, और ऐसा अक्सर होता है।
इसका अर्थ यह नहीं है कि चीन से हाल ही में आए सभी अभ्यासियों में समस्याएँ हैं। यदि आप इसके बारे में सोचें, तो, चूँकि दाफा एसोसिएशन को इतनी बड़ी संख्या में अभ्यासियों के साथ काम करना है, तो वे उनमें से हर एक के बारे में कैसे पता लगा पाएँगे? इसलिए नियम आवश्यक है। एक और कारक, जैसा कि आप सभी जानते हैं, यह है कि मुख्य भूमि के अभ्यासियों की अंग्रेजी अक्सर कमजोर होती है। जैसा कि मैंने पहले बताया, यदि आप अभी-अभी चीन से आए हैं, तो आप तुरंत नहीं समझ पाएँगे—लेकिन दूसरे लोग बहुत स्पष्ट रूप से देख पाएँगे—आप चीजों को कैसे संभालते हैं, इस संदर्भ में आपकी चीनी सोच, और आपको यह समझने में कुछ समय लगेगा कि आपके बारे में कुछ ऐसा है जो बिल्कुल उचित नहीं है। हाल ही में चीन से आए अभ्यासी सोच सकते हैं : दूसरे देशों के ये लोग इतने मूर्ख कैसे हो सकते हैं? वे इतने सरल कैसे हो सकते हैं? वे जो प्रश्न पूछते हैं वे इतने सरल और भोले कैसे हो सकते हैं? लेकिन आप जो भी सोचें, वास्तव में साधारण लोग ऐसे ही होते हैं। चीन से आए लोग दुष्ट सीसीपी के दमन और चीनी संस्कृति के व्यवस्थित विनाश का उत्पाद हैं। इसलिए कई बार अनुभवी अभ्यासी हाल ही में आए अभ्यासियों से कुछ विशेष काम करवाने में सहज नहीं होते, क्योंकि वे अभ्यासी चीजों को चरम सीमा तक ले जाते हैं और इच्छित प्रभाव के विपरीत प्राप्त करते हैं। और उन्हें दूसरे अभ्यासियों से, चीन से बाहर के अभ्यासियों से संवाद करने में समस्या होती है। और उन अभ्यासियों को लगता है कि चीन से हाल ही में आए अभ्यासियों के सोचने के तरीके बहुत अजीब हैं। इस बीच, चीन से आए अभ्यासी सोच रहे हैं, "आप चीजों के बारे में बहुत सरल तरीके से सोचते हैं। चीजों को इस दूसरे तरीके से करने से ही यह ठीक से काम करेगा।" लेकिन चीन के बाहर के अभ्यासी विस्मित हैं कि यहां के लोग उन तरीकों को कैसे अपना सकते हैं।
यदि आप वास्तव में इस समाज को नहीं समझते हैं तो आप चीजों को अच्छी तरह से नहीं कर पाएंगे। इसलिए, अतीत में, शेन युन टिकट बिक्री पर काम करते समय, अक्सर एक उदाहरण सामने आता था जहाँ [चीन से हाल ही में आए अभ्यासी] लोगों से अपनी बात मनवाने के ढंग में बात करते थे और उन्हें छोड़ते ही नहीं थे, और इससे इस समाज के लोगों की ओर से बहुत ही नकारात्मक प्रतिक्रिया होती थी। यह विशेष रूप से एक मुद्दा है जब आप समझते हैं कि शेन युन समाज के उच्च वर्ग को लक्षित कर रहा है, और वे लोग अपने सोचने के तरीके और सांस्कृतिक शिष्टता के स्तर के मामले में भिन्न हैं। आप में से जो हाल ही में चीन से आए हैं, वे अभी तक इन चीजों से अवगत नहीं हैं, इसलिए जब तक आप इन बातों को समझ नहीं लेते और इन पर पकड़ नहीं बना लेते, तब तक आपको यह काम नहीं करना चाहिए। अन्यथा, इसका इच्छित प्रभाव वास्तव में विपरीत होगा। और हाँ, शेन युन कार्यालय का एक नियम है कि हाल ही में मुख्य भूमि चीन से आए लोगों को मंच के पीछे जाने की अनुमति नहीं है। कुछ नए अभ्यासी अनुभवी दाफा शिष्यों के संबंधी हैं जो चीन से बाहर रह रहे हैं। तकनीकी रूप से कहें तो, इनमें से कुछ अभ्यासी कोई समस्या प्रस्तुत नहीं करते हैं, लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता है। यदि कोई आपको पहचानता या जानता नहीं है, तो आप कहेंगे कि आप दाफा के शिष्य हैं और सतही रूप पर अपने आपको अच्छा मानते हैं, लेकिन क्या लोग जान पाएंगे कि आप वास्तव में दाफा के शिष्य हैं? हो सकता है कि आप दाफा के शिष्य हों, लेकिन यहाँ के लोग आपको नहीं जानते। इसीलिए एक नियम है कि [जो लोग हाल ही में चीन से आए हैं] वे मंच के पीछे नहीं जा सकते। यह भी हो सकता है कि आप अन्य तरीकों से भी सहायता कर सकते हैं, और आपको मंच के पीछे जाने की आवश्यकता नहीं है।
कुछ संयोजकों को वास्तव में इस बारे में गंभीरता से सोचने की आवश्यकता है कि वे कैसे काम कर रहे हैं। मैं आपको बताना चाहूँगा कि, चूँकि आप एक संयोजक हैं, आपको स्थानीय अभ्यासियों को एकत्रित करना चाहिए और उन्हें गुरु की ओर से एक साथ लाना चाहिए जिससे वे साधना में सुधार कर सकें, और आपको उनका अच्छी तरह से नेतृत्व करके गुरु की सहायता करनी चाहिए। अपने क्षेत्र में एक संयोजक के रूप में यह आपका उत्तरदायित्व है। लेकिन आप हमेशा कुछ लोगों से दूर रहते हैं, आप हमेशा कुछ ऐसे लोगों से दूर रहते हैं जो आपकी इच्छा के अनुसार नहीं चलते हैं, आप हमेशा चीजों को साधारण तरीकों से देखते हैं, आप हमेशा चीजों को साधारण तरीकों से निपटाते हैं, और हमेशा स्थानीय अभ्यासियों को एक साथ मिलकर अच्छी तरह से काम नहीं करने का कारण बनते हैं। और इसीलिए जब आप देखते हैं कि चीन से आए नए लोगों को जो भी करने को कहा जाता है, वे वही करते हैं और आज्ञाकारी होते हैं, तो आप उन्हें मंच के पीछे के काम करने के लिए कहते हैं, या यहाँ तक कि उन्हें खाना पकाने और भोजन सेवा का प्रबंधन करने के लिए कहते हैं। लेकिन इससे शेन युन के लोग घबरा जाते हैं। उनके पास एक के बाद एक सौ से अधिक प्रदर्शन करने का काम है, इसलिए वे किसी भी समस्या को आने नहीं दे सकते, है न? इसलिए मैं आपमें से उन लोगों से पूछूंगा जो नियमों की अवहेलना करते हैं, क्या आप वास्तव में उन लोगों की गारंटी ले सकते हैं? नहीं, आप नहीं ले सकते। आप किसी को कोई काम सौंपने का निर्णय केवल इस आधार पर नहीं ले सकते कि वह वैसा ही करता है जैसा आप उसे बताते हैं। दाफा शिष्यों के संयोजक को इस प्रकार से काम नहीं करना चाहिए। मैं आपको बताना चाहता हूँ : अभ्यासियों का अच्छी तरह से मार्गदर्शन करके गुरु की सहायता करें; ये मेरे शिष्य हैं, जैसे आप हैं, इसलिए आप लोगों को मना नहीं कर सकते।
लेकिन दूसरी ओर, अन्य दाफा शिष्यों को भी इसी प्रकार ध्यान में रखना चाहिए कि वे दाफा शिष्य हैं और उन्हें अच्छा सहयोग करना चाहिए। आपके संयोजक के लिए यह सरल नहीं है! जो कोई भी यह भूमिका निभाता है उसे इस प्रकार के मुद्दों से निपटना पड़ता है, इसलिए सभी को एक-दूसरे को समझना चाहिए। यदि हम वास्तव में ऐसा कर सकते हैं, तो क्या चीजें अच्छी नहीं होंगी? आपको कई बार ठोकर खाने की आवश्यकता नहीं है, यह समझने से पहले कि यही तरीका अपनाना बेहतर है। जब दमन बहुत गंभीर था, तो क्या कई चीजें इसलिए विफल नहीं हुईं क्योंकि आप अक्सर एक-दूसरे के विरुद्ध जा रहे थे, हमेशा इस बात पर असहमत थे कि साथ काम करने का प्रयास करते समय किसका सुझाव बेहतर था, और एक-दूसरे के साथ बहस कर रहे थे? यदि आप उस समय एक-दूसरे के साथ अच्छा सहयोग कर पाते, तो चीजें अधिक प्रभावी ढंग से हो सकती थीं। निःसंदेह, जब आप अब पीछे मुड़कर देखते हैं, तो आपको एहसास होता है कि हां, आपने तब अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था। लेकिन उसी मार्ग पर न चलते रहें।
शिष्य: मैं गुरूजी से निवेदन करना चाहता हूँ कि कृपया हमें "महान मार्ग का कोई स्वरुप नहीं है" के गहरे अर्थों के बारे में बताएं, तथा मिंगहुई.ओआरजी और दाफा एसोसिएशन द्वारा प्रमुख असुर पर अभियोग लगाने के बारे में बताएं...
गुरुजी: वास्तव में, इस पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए (शिष्यों की ओर से उत्साहपूर्ण तालियाँ); पूरी मानवता को इस पर अभियोग लगाना चाहिए। इसने सभी चीनी लोगों के साथ-साथ संसार के अन्य क्षेत्रों के कई लोगों को हानि पहुँचायी है। इसके झूठ के कारण बहुत से लोग नर्क में घसीटे जाएँगे।
जहाँ तक महान मार्ग का कोई स्वरूप न होने की बात है, ऐसा लगता है कि हमारे पास उस विषय पर फिर से विचार करने का समय नहीं है, और मैं केवल आपकी प्रश्न-पर्चियों के उत्तर दे सकता हूँ। आपकी साधना कोई विशेष प्रारूप से नहीं चलती है। अतीत में, साधकों के पास मंदिर या मठ होते थे और वे कुछ विशिष्ट स्वरूपों तक ही सीमित थे। लेकिन जब आप घर वापस जाएँगे तो आप अपने विभिन्न व्यवसायों में लौट जाएँगे। इस विशेष अवधि के दौरान जब दमन चल रहा है, दाफा शिष्यों ने दमन का सामना करने के लिए निश्चित रूप से मीडिया कंपनियाँ और परियोजनाएँ स्थापित की हैं, लेकिन वे केवल ऐसी कंपनियाँ हैं जो साधारण लोगों के तरीकों के अनुरूप हैं; वे कंपनियाँ स्वयं हमारी साधना का भाग नहीं हैं। मैंने हमेशा कहा है कि वे दाफा का कोई विशेष भाग नहीं हैं, बल्कि दाफा शिष्यों द्वारा संचालित कंपनियाँ हैं। दाफा शिष्य विभिन्न व्यवसायों में साधना करने में सक्षम हैं, इसलिए निश्चित रूप से वे अपनी स्वयं की कंपनियाँ शुरू कर सकते हैं। वे कोई निश्चित स्वरूप नहीं हैं जो दाफा साधना विशेष तौर पर लेती है। दाफा में कोई कंपनियाँ नहीं हैं। यह शेन युन पर भी लागू होता है, जो कि लोगों को बचाने के लिए दाफा शिष्यों द्वारा स्थापित एक परियोजना है, न कि कोई विशेष साधना पद्धति या वातावरण जिसके लिए दाफा शिष्यों को उस विशेष तरीके से साधना करने की आवश्यकता होती है। ऐसा नहीं है।
शिष्य: ताइवान में बहुत सारे बड़े स्तर के कार्यक्रम और बैठकें आयोजित की जाती हैं, और उनमें से अधिकांश हमारे स्वयं के लिए ही कार्यक्रम होते हैं।
गुरुजी: हम्म, हमारे लिए कम कार्यक्रम रखना बेहतर है, एकसाथ फा का अध्ययन करने के अतिरिक्त। मुझे नहीं लगता कि फा का मान्यकरण करने या लोगों को सच्चाई स्पष्ट करने के लिए अधिक कार्यक्रम रखने में कोई समस्या है, क्योंकि हम लोगों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं।
शिष्य: शेन युन में बहुत सारे गीत हैं, जो सीधे गुरूजी की ओर से साधारण लोगों के लिए शब्द हैं। मैं हमेशा सोचता रहा हूँ कि हम साधारण लोगों को उन्हें सुनने या पढ़ने का अवसर प्रदान करने के लिए क्या कर सकते हैं। मैं गुरूजी से पूछना चाहता हूँ कि क्या मैं हमारे कार्यक्रमों के दौरान शेन युन के गीत बजा सकता हूँ, और क्या हम शेन युन के गीतों के बोल छाप सकते हैं और उन्हें सत्य को स्पष्ट करने के लिए आयोजित कार्यक्रमों के दौरान प्रदर्शन बोर्ड पर लगा सकते हैं?
गुरुजी: शेन युन के कलाकार साधारण लोगों के लिए गा रहे हैं। और गीत बस गीत होते हैं। यदि आप केवल गीतों के शब्द छाप कर प्रदर्शन बोर्ड पर लगा दें, तो, क्योंकि उनमें से कुछ पुराने छंदों में लिखी कविताएँ हैं, कुछ मुक्त स्वरूप की कविताएँ हैं जिनमें तुकबंदी नहीं है, और कुछ कविता के रूप में नहीं लिखे गये हैं, इसलिए साधारण लोग उन्हें नारे या कुछ और समझ सकते हैं। गीत बस गीत ही होते हैं, और साधारण लोगों के उन्हें सुनने में कोई समस्या नहीं है, इसलिए आप उन्हें बजा सकते हैं।
शिष्य: गुरूजी ने हमारे मीडिया केंद्रों को कई बार निर्देश दिया है कि वे अपने व्यवसाय प्रबंधन को पश्चिमी कंपनियों के अनुरूप बनाएं, लेकिन इस समय जो चल रहा है, उसके आधार पर, क्या वे चीन में पाए जाने वाले पार्टी संस्कृति वाले राज्य उद्यमों के जैसे नहीं लगते? उनमें श्रम और उत्तरदायित्व का स्पष्ट, व्यावहारिक और ठोस विभाजन का अभाव है…
गुरुजी: चूँकि आप अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करने वाली मीडिया कंपनियाँ हैं, इसलिए निश्चित रूप से आपको चीन के बाहर पाई जाने वाली अन्य कंपनियों के जैसे ही होना चाहिए। और कंपनी का वह स्वरूप वास्तव में वैसा ही है जैसा कि साधारण समाज में हैं, और एक साधारण कंपनी भी ऐसी ही होती है। चीन में कुछ कंपनियों की स्थापना और संचालन दुष्ट पार्टी के अधिकारियों द्वारा किया गया है, हालाँकि अब निश्चित रूप से बहुत सारे निजी उद्यम हैं। मुझे पता है कि सभी उद्यम एक समय में दुष्ट पार्टी के अधिकारियों द्वारा चलाए जाते थे, और उनकी प्रबंधन संरचना दुष्ट पार्टी की चीजों से भरी हुई थी, जैसे कि पार्टी समिति और पार्टी शाखा की चीजें। वे अस्वाभाविक हैं। मुख्य भूमि चीनी समाज में, उन चीजों के प्रभाव को इतनी शीघ्रता से नहीं हटाया जा सकता है। यहाँ तक कि निजी तौर पर संचालित कंपनियों के साथ भी, उनकी बहुत सारी परिचालन संरचनाएँ, प्रबंधन प्रथाएँ और अवधारणाएँ राज्य द्वारा संचालित उद्यमों से उत्पन्न होती हैं। बहार के देशों में ऐसा न करें। साधारणतः, मुझे नहीं लगता कि चीन के बाहर मुख्य भूमि चीन प्रणाली का बहुत अधिक प्रभाव है, क्योंकि विदेशों में बहुत से चीनी लोग बहुत पहले ही मुख्य भूमि छोड़ चुके हैं, और हमारे दाफा शिष्यों ने अन्य देशों के कॉलेज या विश्वविद्यालय की डिग्री प्राप्त की है। लेकिन निश्चित रूप से कुछ लोग होंगे जो अभी भी कुछ आदतों या दृष्टिकोणों के साथ व्यवहार करते हैं या काम करते हैं जो सामान्य अमेरिकी समाज से भिन्न हो सकते हैं। ये कुछ ऐसी चीजें हैं जिनका आपको ध्यान रखना होगा।
शिष्य: साथी अभ्यासी जो जापानी हैं, कहते हैं कि वर्तमान वातावरण उनके लिए समूह में एकीकृत होना बहुत कठिन बना देता है। उन्हें आशा है कि उनके चीनी साथी साधक, स्वयं ही काम करने के स्थान पर, जापानी साधकों को आगे करके उनकी साधना में सहायता और समर्थन देंगे। लेकिन उनके लिए अपनी बात समझाना बहुत कठिन है।
गुरुजी: हाँ, यदि जापानी अभ्यासी इस मुद्दे को उठा रहे हैं, तो इस पर ध्यान देने का यह और भी अधिक कारण है। मुझे लगता है कि जापान और कोरिया की परिस्थितियाँ एक तीव्र विरोधाभास प्रस्तुत करती हैं। स्थानीय कोरियाई दाफा शिष्य वहाँ प्रेरक शक्ति हैं, इसलिए जब आप वहाँ की स्थिति और लोगों को बचाने के मामले में उनकी शक्ति को देखते हैं, तो चीजें ठोस हैं, और वे वास्तव में समाज में बदलाव ला रहे हैं। जापान में, चीनी दाफा शिष्य प्रेरक शक्ति हैं। जापान में बहुत से लोग हैं जिन्हें फा प्राप्त करना चाहिए, इसलिए सुनिश्चित करें कि आप ऐसी चीजें न करें जो उन्हें रोकती हैं। मैंने इस स्थिति को देखा है, लेकिन प्रत्येक क्षेत्र की अपनी चुनौतियाँ हैं। इसलिए, जब कोई समस्या आती है, तो आपको दाफा शिष्यों के रूप में मिलकर यह पता लगाना चाहिए कि इसका समाधान कैसे किया जाए।
यदि जापानी दाफा शिष्यों को लगता है कि इन चीजों के कारण उनके लिए समूह में एकीकृत होना कठिन है, तो यह एक वास्तविक समस्या है। आप, जो जापान में दाफा शिष्य हैं, उनसे जापानी लोगों को बचाने की अपेक्षा की जाती है। निस्संदेह, सभी अभ्यासी दुष्ट सीसीपी के दमन के विरुद्ध बोलेंगे क्योंकि वे इसके विरुद्ध काम करते हैं और इसे रोकने और इसे उजागर करने का प्रयास करते हैं। यह हमारा उत्तरदायित्व है। लेकिन आपका मुख्य उद्देश्य लोगों को बचाना है, है न? आपको अपने क्षेत्र के स्थानीय लोगों को बचाना है।
शिष्य: चीन में इंटरनेट अवरुद्धि के कारण, "जेन-शान-रेन" और "फालुन दाफा" जैसे कई दाफा शब्दों को [इंटरनेट संचार से] हटा दिया जाता है। इसलिए कुछ अभ्यासी इंटरनेट पर सत्य को स्पष्ट करते समय उससे बचने के लिए उन शब्दों को सामान ध्वनी वाले शब्दों से बदल देते हैं। मैं गुरूजी से पूछना चाहता हूँ कि क्या ऐसा करना उचित है।
गुरुजी: यदि दाफा अभ्यासी आपस में जानकारी साझा कर रहे हैं, तो इसमें कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। लेकिन यदि आप लोगों को तथ्यों को स्पष्ट कर रहे हैं, तो हो सकता है कि वे इसे नहीं समझें या समझ न पाएँ कि आप किस बारे में बात कर रहे हैं।
शिष्य: क्या मुख्यभूमि के अभ्यासी इंटरनेट पर शेन युन के प्रदर्शन का प्रसारण या प्रसार कर सकते हैं?
गुरुजी: नहीं, ऐसा न करें। आपको पता है कि शेन युन के प्रत्यक्ष प्रदर्शन लोगों को बचाने के विषय में बहुत शक्तिशाली होते हैं। हम चीन के बाहर डीवीडी वितरित नहीं करते या डीवीडी नहीं बेचते क्योंकि हम चाहते हैं कि लोग इसे प्रत्यक्ष देखने आएं। जब लोग व्यक्तिगत रूप से वहां उपस्थित होते हैं, तो उनके उद्धार की बात का उसी समय ध्यान रखा जाता है, और उन्हें बचाया जाता है। टेलीविजन के माध्यम से ऐसा करना कठिन है। एक बार जब कोई डीवीडी पर प्रदर्शन देख लेता है, तो उसे लग सकता है कि अब इसे देखने की कोई आवश्यकता नहीं है, लेकिन डीवीडी का प्रत्यक्ष प्रदर्शन जैसा प्रभाव नहीं होता। हम उन्हें चीन में वितरित करते हैं क्योंकि इस समय शेन युन वहां प्रदर्शन नहीं कर सकता है, इसलिए यही है जो किया जा सकता है। इसका अभी भी प्रभाव होगा, हालाँकि यह उतना शक्तिशाली नहीं होगा। इसलिए इसे इंटरनेट पर न डालें। एक बार जब यह इंटरनेट पर आ जाता है, तो चीन के अंदर और बाहर के बीच का विभाजन समाप्त हो जाएगा।
शिष्य: चूँकि हमें दाफा सामग्री को अभ्यासियों के अनुभव साझाकरण, संगीत, या ध्वनि उपकरणों में सत्य-स्पष्टीकरण सामग्री के साथ नहीं मिलाना चाहिए, तो यही समस्या हमारे मोबाइल फोन या कंप्यूटर में समान सामग्री संग्रहीत करने के साथ भी होती है।
गुरुजी: जब आप अपने उपयोग के लिए कुछ संग्रहित करते हैं, तो वह केवल आपकी अपनी सुविधा के लिए होता है। लेकिन यदि आप एक ध्वनि उपकरण से जो बजाते हैं वह दाफा की चीजों और साधारण लोगों या अभ्यासियों की चीजों का मिश्रण है, तो लोग नहीं जान पाएंगे कि कौन सी चीज फा है, कौन सी चीज अभ्यासियों की है और कौन सी साधारण चीजें हैं। तब क्या यह गड़बड़ा नहीं जायेगा? क्या यह कुछ सीमा तक फा को बाधित करने जैसा नहीं है? (गुरूजी हाँ में सिर हिलाते हैं। ) एक साधक को अपनी साधना और फा के प्रति उत्तरदायी होना चाहिए।
शिष्य: कुछ क्षेत्रों के शीर्ष संयोजक गुरूजी द्वारा उन्हें दिए गये अधिकार का दुरुपयोग कर रहे हैं, बड़े और छोटे मामलों के निर्णय लेने को नियंत्रित कर रहे हैं, और भिन्न राय रखने वाले अभ्यासियों को बाहर कर रहे हैं। जब गुरूजी ने समय रहते एक थिएटर के प्रति अतिवादी कार्रवाई को रोकने के लिए कदम उठाया, तो उस निर्णय को लेने वाले व्यक्ति ने अपने भीतर नहीं झाँका, बल्कि यह पता लगाने के प्रयास में ध्यान केंद्रित किया कि गुरूजी को सूचना किसने दी।
गुरुजी: वास्तव में, कुछ संयोजकों में कुछ ऐसे गुण होते हैं जो साधारण लोगों से बहुत मिलते-जुलते हैं। लेकिन आपको ऐसे साधकों के साथ काम करने की आवश्यकता है, ऐसे साधक जिनकी स्थिति अब ऐसी है, और उनके पास कई मानवीय विचार हैं। लेकिन फिर भी वे दाफा के शिष्य हैं। इस प्रकार से आपके सामने आने वाली चुनौतियाँ असंख्य और बहुत बड़ी हैं और, एक संयोजक के रूप में, आपको इनका सामना करना होगा और इनका दृढ़ता से सामना करना होगा, और आपको उनके अनुकूल ढलना होगा। इन अभ्यासियों को ऐसे लोगों में बदलना आपके लिए संभव नहीं है जो एक निश्चित प्रकृति वाले हों या जिस प्रकार के लोग आप उन्हें बनाना चाहते हैं। इस पूरे समाज जैसी बड़ी चीज भी उन्हें बदल नहीं सकती। दाफा की साधना उन्हें बदल सकती है, लेकिन यह एक समय में एक परत में की जाती है, और जब तक वह प्रक्रिया सतह तक नहीं पहुंचती, तब तक व्यक्ति वैसा ही रहेगा। जो लोग परिश्रमी होते हैं केवल वे ही अपनी बुरी प्रवृत्तियों पर नियंत्रण रख पाते हैं। लेकिन साधारणतः कुछ लोग ऐसे भी होंगे जो [अपनी समस्याओं] के बारे में जानते भी नहीं हैं और वैसे ही रहते हैं। यदि आप चाहते हैं कि वे एक निश्चित तरीके से व्यव्हार करें, तो उनके लिए ऐसा करना बहुत कठिन होगा। यहां तक कि मैंने, उनके गुरु के रूप में, यह आवश्यकता नहीं रखी है कि उन्हें एक निश्चित तरीके से व्यवहार करना चाहिए। तो आपको एक संयोजक के रूप में कैसे कार्य करना चाहिए? यदि आप केवल कुछ लोगों के लिए संयोजक के रूप में काम करते हैं तो क्या यह उचित होगा? आप किस प्रकार के संयोजक बनना चाहेंगे? क्या आपने इसके बारे में सोचा है? क्या आप आशा कर रहे हैं कि हर कोई आपके सामने भेड़ों के झुंड के जैसे आज्ञाकारी हो? यह आप चाहते हैं, वह नहीं जो मैं चाहता हूँ। जिस प्रकार से चीजें जितनी जटिल हैं, [आपको यह पता लगाना चाहिए] कि दाफा शिष्यों का एक अच्छा संयोजक कैसे बनें। अब जब गुरु ने आपको उत्तरदायित्व दिया है, [यह सोचें कि] कि आप मेरे लिए इन लोगों का नेतृत्व कैसे करेंगे।
हाँ, यह वास्तव में बहुत कठिन है, लेकिन क्या आप साधक नहीं हैं? और क्या आप साधकों के संयोजक नहीं हैं? संयोजक होने पर वास्तव में बहुत दबाव होता है, लेकिन यदि बहुत अधिक दबाव न हो तो यह साधना नहीं होगी। यह कठिन है, हाँ, बहुत कठिन है, और मैं भी आपके गुरु के रूप में जानता हूँ कि यह कठिन है। आपने देखा होगा कि मैं दाफा शिष्यों के बीच विवादों को सीधे हल नहीं करता। ऐसा इसलिए है क्योंकि यदि मैं ऐसा करता हूँ तो मोहभावों के कारण लोग मेरे विरुद्ध हो सकते हैं। यदि वे मेरे साथ कुछ करने का प्रयास करते हैं तो यह भयानक होगा, क्योंकि इसका अर्थ होगा कि उन्होंने गुरु का अनादर किया है और पाप किया है। इसलिए मैं उनकी बातों में सम्मिलित नहीं होता। जब कोई मुझसे किसी विवाद के बारे में मिलने आता है (गुरूजी मुस्कुराते हैं ), [मैं उनसे कहता हूँ] कि जो भी प्रभारी है उससे मिलें। इसलिए मैं जानता हूँ कि आप किन चुनौतियों का सामना करते हैं। लेकिन सोचिए कि जब आप चुनौतियों के बाद भी अच्छा करने में सफल होते हैं तो क्या होता है—क्या यह महान सदगुण नहीं है? साधना में हम परिश्रमी बनना चाहते हैं, जल्दी सुधार करना चाहते हैं, और दिव्यता के इस मार्ग पर बेहतर प्रदर्शन करना चाहते हैं, है न? गुरु आपके साथ सहानुभूति रखते हैं। लेकिन प्रयत्न करें कि चीजों को ऐसे तरीके से न करें जिससे दूसरे अभ्यासियों के लिए इसे समझना या स्वीकार करना बहुत कठिन हो जाए।
यह सच है कि कुछ मामलों में आप गुरु को इन चीजों के बारे में बताना नहीं चाहते। यदि इसके पीछे का उद्देश्य गुरु पर उन चीजों का बोझ न डालना है, तो यह समझ में आता है। लेकिन यदि यह किसी मानवीय मानसिकता के कारण कुछ छिपाना है, तो यह साधक के चरित्र (नैतिकगुण) का मामला है। वास्तव में, मैं नहीं जानना चाहूँगा, सच में। लेकिन किसी भी मामले में, आपके मोहभाव का प्राचीन शक्तियों द्वारा लाभ उठा लिया जायेगा।
शिष्य: हम दाफा शिष्य हैं जो चीन में दमन सहने के कारण विदेश आए हैं। क्या हम यहाँ से न्यायिक मुकदमा कर सकते हैं, चीन के सर्वोच्च अभियोजक और सर्वोच्च न्यायालय में उस असुर जियांग पर मुकदमा कर सकते हैं?
गुरुजी: अवश्य आप कर सकते हैं। ऐसा करने में कोई समस्या नहीं है। जब दूसरे देशों में दाफा शिष्यों ने दुष्टता पर मुकदमा चलाने के लिए अपने प्रयास शुरू किए, तो यह कार्य हमारे वकील दाफा शिष्यों और चीन के बाहर के अन्य दाफा शिष्यों द्वारा साथ मिलकर किया गया था।
शिष्य: हमारे मीडिया की वर्तमान स्थिति के आधार पर, मैं व्यक्तिगत रूप से अनुभव करता हूं कि हमारे लेखों का उच्च स्तरीय होना बहुत कठिन है।
गुरुजी: उच्च गुणवत्ता वाला मीडिया कार्य करने के लिए आपके पास पेशेवर कर्मचारियों का एक अच्छा समूह होना चाहिए। इस बारे में बात करते हुए, यह मुझे कुछ याद दिलाता है। अक्सर इंटरनेट पर प्रकाशित होने वाले बहुत से लेखों के शीर्षक अस्पष्ट और समझने में कठिन होते हैं। ऐसा कैसे हो सकता है कि हम चीनी व्याकरण भी ठीक से नहीं समझ पाते? यह समझना कठिन होता है कि मुख्य समाचारों का अर्थ क्या है। इसलिए आपको इन बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
शिष्य: हमारे मीडिया की वर्तमान स्थिति के आधार पर, मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि लेखों के लिए हमारे लिए आवश्यक कौशल स्तर तक पहुँचना बहुत कठिन है। हमारे समाचार उत्पादन के संबंध में राय में महत्वपूर्ण मतभेद हैं, और मुझे लगता है कि लोगों को बचाने के मामले में हमारी समाचार-लेखन की प्रभावशीलता इतनी बढ़िया नहीं है। मुझे नहीं पता कि हम गुरूजी की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए क्या कर सकते हैं।
गुरुजी: वास्तव में, आपको इतना चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है। गुरु पहले से ही आपके द्वारा किए जा रहे कामों से काफी संतुष्ट हैं। मीडिया कंपनियों ने एक बड़ी भूमिका निभाई है—उन्होंने वास्तव में तथ्यों को स्पष्ट करने, दमन के विरुद्ध काम करने और लोगों को बचाने में एक बड़ी भूमिका निभाई है। निश्चित ही, यह बेहतर होगा यदि आपके लेख बेहतर तरीके से लिखे जा सकें। लेकिन यह काम नहीं करेगा यदि आप बहस करना शुरू कर दें क्योंकि आप एक तरीके से लेख लिखना चाहते हैं और कोई और इसे दूसरे तरीके से लिखना चाहता है। यह ठीक वैसा ही है जैसे, जब आप एक-दूसरे के साथ परियोजनाओं पर काम करते थे, तो इस बात पर भिन्न-भिन्न राय होती थी कि किसके विचार बेहतर हैं, और लोग सोचते थे कि यह या वह काम नहीं करेगा, या कुछ और काम नहीं करेगा, और जो कार्य करने की आवश्यकता थी, वह इस कारण से प्रभावित हुए। किसी के लिए वास्तव में सभी को संतुष्ट करने के लिए कुछ करना बहुत कठिन है। निःसंदेह चीजों को बेहतर करना अच्छा है, लेकिन यदि कोई काम उतना अच्छा नहीं भी किया जाता है, तो उसे पूरा होने से न रोकें। कुछ चीजें तब भी प्रभाव डाल सकती हैं जब वे उतने अच्छे से नहीं की जाती हैं। यदि इन्हें बेहतर ढंग से किया जाए, तो निश्चित रूप से ये और भी अधिक प्रभावी होंगी, लेकिन चीजों को रोककर न रखें और ऐसा न करें कि उनका कोई प्रभाव ही न पड़े।
शिष्य: जब से मैं संयुक्त राज्य अमेरिका आया हूँ, मेरी साधना की स्थिति उतनी अच्छी नहीं रही जितनी चीन में थी। मेरे मन में कुछ जन्म के बाद की धारणाएँ हैं जिन्हें मैं स्पष्ट रूप से बुरा मानता हूँ, लेकिन मेरे लिए उनसे छुटकारा पाना कठिन है। मुझे लगता है कि मैंने गुरूजी को निराश किया है।
गुरुजी: मुझे लगता है कि यह बहुत अच्छा है कि आप इसे पहचान पाए हैं, क्योंकि यह बदलाव की शुरुआत है—अपनी समस्याओं को देखने और पहचानने में सक्षम होना है। चीन के कुछ अभ्यासी अपनी समस्याओं को पहचानने में सक्षम नहीं हैं, फिर भी वे आगे बढ़ते रहते हैं, और आश्चर्य करते हैं कि दूसरे लोग इस या उस तरीके से काम कैसे कर सकते हैं। जब आप अपनी समस्याओं के बारे में जागरूक हो जाएँगे, तभी आप सभी के साथ मिलकर काम कर पाएँगे, और तभी दूसरे देशों के लोग आपको स्वीकार करेंगे। कभी-कभी आपकी प्रबल इच्छा होती है कि कुछ चीजें आपकी अपनी सोच के आधार पर घटित हों या आप चाहते हैं कि दूसरे लोग अपने सोचने का तरीका बदल लें, लेकिन वे समझ नहीं पाएंगे कि आप क्या कर रहे हैं। यही वह समय होता है जब समस्याएँ सामने आती हैं।
शिष्य: शिष्यों की इस बात पर भिन्न-भिन्न राय है कि क्या हमें इस भयंकर दुष्ट और पापी पार्टी के मध्यम से निचले स्तर के अधिकारियों पर गैरकानूनी हिरासत, यातना, नरसंहार, मानवता के विरुद्ध अपराध इत्यादि के लिए मुकदमा करना चाहिए। एक समूह का मानना है कि हमें उन पर मुकदमा नहीं करना चाहिए और इसके स्थान पर अपने भीतर झांकना चाहिए, जबकि दूसरे समूह का मानना है कि हमें मुकदमा दायर करना चाहिए।
गुरुजी: मेरी यह सोच है। लोगों को बचाना दाफा शिष्यों के काम का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए। जैसा कि मैंने पहले कहा, बहुत से लोग, चाहे वे अधिकारी हों, पुलिस अधिकारी हों या कुछ और, उनमें झूठ का विष भर दिया गया है। वास्तव में वे विशिष्ट प्राणी स्वाभाविक रूप से दुष्ट नहीं हैं; वे स्वयं दुष्ट अधिकारी नहीं हैं। उनमें से कुछ प्राणी वास्तव में बहुत अच्छे हो सकते हैं, लेकिन दुष्ट पार्टी की संस्कृति के झूठ से भर दिये जाने के बाद वे भटक गए हैं और इस प्रकार उन्होंने जो किया, उसे करने के लिए प्रेरित हुए। निश्चित ही, कुछ ऐसे लोग भी हैं जो पूर्ण रूप से जानते थे कि स्थिति क्या थी और जिनके कार्य स्वार्थ से प्रेरित थे। आपको उन्हें सच्चाई के बारे में जानने का अवसर देना चाहिए। यदि आप उन सभी पर मुकदमा करते हैं, तो वास्तव में, यह आपका लक्ष्य नहीं है। हम जो चाहते हैं वह दमन को रोकना है। बदला लेने की इच्छा—जो लोग हमारा दमन करते हैं उनके साथ कुछ करना—यह ऐसी चीजें नहीं है जो आपके अंदर होनी चाहिए। साधक के रूप में, आपको लोगों को बचाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। [यदि आप सोच रहे हैं,] “आपने मेरा दमन किया है, इसलिए भविष्य में मैं आपको देख लूँगा,” तो आप एक साधारण व्यक्ति हैं, है न? आपके मन में बदला लेने का विचार नहीं आना चाहिए।
लेकिन मैं आपको यह भी बता दूँ कि फालुन गोंग का दमन करने में जिन लोगों का हाथ रहा है, उन सभी का हिसाब होगा। एक दाफा शिष्य एक बार इस बारे में बात कर रहा था कि कैसे कुछ शिष्य भविष्य में सभी दमन करने वालों को न्याय के कटघरे में लाएँगे, और मैंने उससे कहा, "क्या आपको यह करने की आवश्यकता होगी?" क्या आपने देखा है कि [चीन में] अब कितनी व्यापक गिरफ्तारियाँ हो रही हैं? बड़े से लेकर छोटे तक, सभी प्रकार के बदमाशों को पकड़ा जा रहा है (मास्टर हंसते हैं, शिष्य तालियां बजाते हैं ), और यह निर्दयता प्रतीत होगी। फालुन गोंग के साथ जो हुआ है उसको रोका नहीं गया है क्योंकि कुछ लोगों को अभी तक बचाया नहीं गया है, और कुछ अभ्यासी अपनी साधना में पर्याप्त रूप से आगे नहीं बढ़े हैं। एक बार जब चीजें समाप्त हो जाएँगी, तो यह सब समाप्त हो जाएगा। यही कारण है कि वर्तमान में प्राचीन शक्तियां फालुन गोंग के साथ जो किया गया है उसका सुधार करने के नाम पर दमन करने वालों को पकड़ नहीं रही हैं, और क्यों इस समय फालुन गोंग का दमन करने वाले लोगों को न्याय के कटघरे में नहीं लाया जा रहा है। दुष्टता ने उन लोगों को इस अवधि के दौरान फालुन गोंग के दमन में भाग लेने के लिए प्रेरित किया, उन्हें दुष्ट असत्य के साथ लुभाया, उनसे गबन करवाया, उन्हें भ्रष्ट बनाया, उनसे सभी प्रकार के बुरे काम करवाए, और इसके अतिरिक्त उन्हें अधिकार भी दिये। और ये वही लोग हैं जिन्हें अब निशाना बनाया जा रहा है और तथाकथित "भ्रष्ट तत्वों" और "गबन करने वालों" के रूप में उनके साथ व्यवहार किया जा रहा है। आप देख सकते हैं कि यह अभी हो रहा है, और जो लोग इसे स्पष्ट रूप से देखते हैं वे कहते हैं कि यह प्रतिशोध है। लोग वास्तव में अनुभव करते हैं कि, इस प्रकार, उन लोगों को उनके किए का दंड दिया जा रहा है। और उन लोगों को मन की गहराई से अहसास कराया जा रहा है कि यह प्रतिशोध है। लेकिन उनके साथ दमन करने वालों के रूप में व्यवहार नहीं किया जा रहा है, क्योंकि दाफा शिष्यों के लिए अभी और भी बहुत कुछ किया जाना शेष है।
शिष्य: मैंने चीन में कुछ इंटरनेट मित्रों के लिए इंटरनेट पर शेन युन के कुछ अंश डाले, लेकिन विदेश में रहने वाले अभ्यासियों से विरोध का सामना करना पड़ा। ऐसा क्यों है कि हम शेन युन की डीवीडी तो वितरित कर सकते हैं, लेकिन उन्हें इंटरनेट पर उपलब्ध नहीं करा सकते?
गुरुजी: यह ऐसा ही है, जैसा कि मैंने पहले कहा, आप वीडियो को इंटरनेट पर उपलब्ध नहीं करा सकते। ऐसा इसलिए है क्योंकि एक बार जब आप उन्हें इंटरनेट पर डाल देते हैं, तो चीन और शेष संसार के बीच कोई फर्क नहीं रह जाता। और ऐसा करने से शेन युन द्वारा प्रत्यक्ष प्रदर्शनों के माध्यम से लोगों को बचाने के प्रभाव पर नकारात्मक असर पड़ेगा। यदि कुछ लोग जो प्रदर्शनों में उपस्थित होने वाले हैं, वे डीवीडी देखना चाहते हैं, तो वे वास्तविक प्रदर्शन को देखने से चूक जाएंगे। फिर जो लोग बचाये जाने चाहिए थे, वे नहीं बचाये जाएंगे, क्योंकि डीवीडी उतनी शक्तिशाली नहीं हैं। फिर चीन के अंदर डीवीडी क्यों वितरित की जा सकती है? क्योंकि शेन यून वहां नहीं जा सकता। इसलिए डीवीडी का जितना भी प्रभाव हो, हम स्वीकार कर लेंगे। इसके पीछे यही सोच है। साथ ही, लोगों के लिए वीडियो को चोरी करना सरल है। आपके मन में जो भी आता है वह ना करें। यही कारण है कि हम शेन युन डीवीडी को इंटरनेट पर नहीं डाल सकते।
शिष्य: गुरूजी ने हमारी मीडिया कंपनी को शेन युन से सीखने के लिए कहा है, लेकिन हमारे प्रबंधन ने कहा कि शेन युन के कलाकार युवा हैं और अच्छी योग्यता रखते हैं, जबकि हम बूढ़े और अनुभवहीन हैं, इसलिए परिस्थितियाँ भिन्न हैं।
गुरुजी: (सभी हंसते हैं ) शेन युन से सीखना अर्थात उसके प्रबंधन के तरीके और उन चीजों से सीखना है, जिसने इसे सफल बनाया है। क्या यही नहीं है जो आपको सीखना चाहिए? शेन युन के कलाकार आवश्यकता के कारण युवा लोग हैं। क्या किसी ने कभी कहा है कि दाफा के शिष्य केवल युवा होने पर ही अच्छी तरह से साधना कर सकते हैं? ऐसा नहीं है कि आप कलाकार हैं, इसलिए इन चीजों से कोई समस्या नहीं होगी। उन चीजों को न करने के लिए बहाने न बनाएं जो एक दाफा शिष्य को करनी चाहिए।
शिष्य: चूँकि कुछ अभ्यासी मीडिया परियोजनाओं में सम्मिलित हैं, इसलिए उनके पास तथ्यों को स्पष्ट करने के लिए अग्रणी प्रयासों का भाग बनने का समय नहीं है। क्या वे उन चीजों में भाग लेने के लिए कुछ समय निकाल सकते हैं जो तथ्यों को सीधे स्पष्ट करती हैं?
गुरुजी: जब मीडिया कंपनियों को अच्छी तरह से चलाया जाता है, तो वे तथ्यों को स्पष्ट करने और लोगों को बचाने में बहुत प्रभावी होती हैं, और चीन में दुष्टता द्वारा किए जा रहे दमन और दुष्ट पार्टी के भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए समय पर समाचार दे सकती हैं। निश्चित ही, भ्रष्टाचार दमन से संबंधित नहीं है, लेकिन वे भ्रष्ट लोग फालुन गोंग के दमन करने वाले भी हैं, और आपको संसार को बताना चाहिए कि ये लोग दमन में सम्मिलित रहे हैं। मैंने पहले भी कहा है कि दाफा शिष्यों के दमन का कर्म प्रतिशोध में दोगुना होगा। चीन में अब परिस्थितियां कैसी हैं, इस पर एक दृष्टि डालें। क्या यह सच नहीं है कि फालुन गोंग का दमन करने के लिए उस समय बनाया गया सारा लाल आतंक और दाफा शिष्यों के लिए उस समय बनाया गया मानसिक दबाव अब उन भ्रष्ट लोगों पर ढाया जा रहा है और उन्हें भुगतना पड़ रहा है? (सभी तालियाँ बजाते हैं )
शिष्य: मिंगहुई वेबसाइट ने मुख्य भूमि के अभ्यासियों से सामग्री उत्पादन स्थलों की बड़ी संख्या और व्यापक वितरण करने तथा मिंगहुई के साथ सीधे-सीधे संचार माध्यम रखने का आह्वान किया है। हालाँकि, मुख्य भूमि में कुछ संयोजक सामग्री उत्पादन स्थलों की सुरक्षा पर अधिक ध्यान नहीं देते हैं, "समग्र समन्वय" के बहाने इधर-उधर घूमते रहते हैं, सामग्री उत्पादन स्थलों का केंद्रीकृत नियंत्रण प्राप्त करते हैं, और सामग्री बनाने वाले सभी अभ्यासियों को अपने इर्द-गिर्द घुमाते हैं।
गुरुजी: मानवीय मोहभाव, ये वही हैं—प्रतिष्ठा, व्यक्तिगत लाभ, दिखावा और प्रतिस्पर्धा के मोहभाव। वे अभ्यासियों की सुरक्षा की अनदेखी करते हैं और दाफा शिष्यों के लिए कठिनाईयां और संकट लाते हैं। ये सभी लोग जो विभिन्न स्थानों पर जा रहे हैं और जिनके पास अभ्यासियों के बारे में विशिष्ट जानकारी है, उनकी सोच अनुचित है। उनमें से कुछ ऐसे भी हैं जिनके छिपे हुए उद्देश्य हैं। इसलिए आपको इन चीजों से सावधान रहने की आवश्यकता है, और इन लोगों को कोई अवसर नहीं देना चाहिए।
शिष्य: मैंने देखा है कि बहुत से अभ्यासी अपना बहुत समय समर्पित करते हैं, और हमारी मीडिया कंपनियों में काम करते हुए बहुत मन और प्रयास लगाते हैं, लेकिन उनमें से बहुत से लोग स्वयं के लिए उच्च मानक नहीं रखते हैं, सीखने के लिए तैयार नहीं हैं, और पेशेवर तरीके से काम नहीं करते हैं। वे साधारण कंपनी के लोगों के साथ तुलना नहीं कर सकते। इस कारण, मुझे इस बात को लेकर बहुत निराशा होती है कि क्या हम वास्तव में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मीडिया में एक प्रमुख स्थान प्राप्त कर सकते हैं।
गुरुजी: हाँ, कुछ लोग दूर की नहीं सोचते और बस इतना ही करते हैं कि काम चल जाए। उन्होंने यह नहीं सोचा कि वे क्या कर रहे हैं। मैंने मीडिया कंपनियों के संयोजकों से कहा है कि आप निश्चित रूप से भविष्य में सबसे बड़ी वैश्विक मीडिया कंपनियाँ बनेंगे। इन मीडिया कंपनियों को अच्छी तरह से चलाने का आपका बहुत बड़ा उत्तरदायित्व है। दाफा के शिष्य जो चीजें करते हैं, वे भविष्य में मानव समाज के लिए छोड़ी जाएंगी, और इसी प्रकार आपकी मीडिया कंपनियां भी हस्तांतरित हो जाएंगी और इस विश्व में प्राथमिक मीडिया कंपनियां बन जाएंगी। इसके बारे में सोचें, जब मानव जाति को एहसास होगा कि आप उन्हें बचा रहे हैं, तो उनका इन परियोजनाओं पर कैसा दृष्टिकोण होगा जिन पर दाफा शिष्य काम कर रहे हैं? वे उन्हें अत्याधिक सम्मान देंगे। (तालियाँ ) लेकिन आप में से कुछ लोगों ने इतना अच्छा नहीं किया है। कम से कम, आपने जो किया है, वह इतना अच्छा नहीं रहा है, है न? हर कोई दाफा शिष्यों की परियोजनाओं में सकारात्मक योगदान देना चाहता है, लेकिन सकारात्मक योगदान देने के स्थान पर, समूह में रहते हुए आप वास्तव में नकारात्मक योगदान दे रहे हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए।
शिष्य: अब जबकि फा-सुधार समाप्ति के निकट पहुंच रहा है, अनेक अभ्यासी यह नहीं समझ पा रहे हैं कि हांगकांग में स्थिति क्यों तेजी से भयावह होती जा रही है तथा कम क्यों नहीं हुई है।
गुरुजी: वास्तव में, यदि आप इसके बारे में सोचते हैं, यदि आप हांगकांग की वर्तमान स्थिति की तुलना दमन की शुरुआत की स्थिति से करते हैं, तो क्या यह बेहतर नहीं है? यह कैसे "तेजी से भयावह" हो रही है? अब आपके लिए तथ्यों को स्पष्ट करना सरल है और आप हर दिन बहुत से लोगों को पार्टी से अलग होने में सहायता कर रहे हैं। क्या आप अतीत में ऐसा करने में सक्षम थे? नहीं। दुष्टता हस्तक्षेप कर रही है, लेकिन, फिर, हांगकांग किस प्रकार का स्थान है? वह स्थान दुष्टता के जबड़े में है, और आप उसके दांत निकालने का प्रयास कर रहे हैं, है न? (गुरूजी हँसते हैं ) मैं कहता हूँ कि दाफा के शिष्य असाधारण हैं, भले ही ऐसा लगता है कि वहाँ बहुत सारी कठिनाइयाँ हैं। और प्राचीन शक्तियों का मानना है कि चीजें ऐसी ही होनी चाहिए। दुष्टता आपको छू नहीं सकती, लेकिन न ही वह आपको इतनी सरलता से छोड़ देगी या आपको इतना आराम से रहने देगी। दाफा के शिष्यों के मार्ग ऐसे ही होते हैं, और ये वही कष्ट हैं जो प्राचीन शक्तियों ने दाफा के शिष्यों पर थोपे हैं। और आपको उन हस्तक्षेपों और परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है जो उन लोगों के साथ आती हैं जिन्हें आप बचा रहे हैं, क्योंकि लोगों के सभी कर्मों के ऋण का उपयोग दुष्टता द्वारा बाधाएँ उत्पन्न करने के लिए किया जा रहा है।
शिष्य: मेरे आस-पास ऐसे तीन अभ्यासी हैं, जिनमें भिन्न-भिन्न सीमा तक बौद्धिक क्षमता में कमी और धीमी प्रतिक्रिया देखी गई है, और डॉक्टरों ने इसका कारण मस्तिष्क की क्षीणता बताया है। इनमें से एक की मृत्यु हो चुकी है।
गुरुजी: यदि यह चीन में हुआ है, तो यह दमन के कारण हुआ है। यदि यह कहीं और हुआ है, तो अनुभवी दाफा शिष्यों को पता है कि दाफा शिष्यों के साथ कुछ भी संयोग से नहीं होता है। [उन अभ्यासियों से] मैं कहूंगा कि अब समय आ गया है कि आप साधना के संदर्भ में स्वयं की गंभीरता से जांच करें। उन चीजों को इतना हल्के में न लें जिनपर आप ध्यान नहीं देते हैं और जिन्हें इतना बड़ा मुद्दा नहीं मानते। साधना के मानकों के संदर्भ में, जिन चीजों को आप साधारण मानते हैं, [यदि आप] प्राचीन शक्तियों द्वारा दाफा शिष्यों को देखने के तरीके से चलते हैं, तो वे बिल्कुल भी साधारण नहीं हैं। जब आप सोचते हैं कि कुछ चीजें महत्वपूर्ण नहीं हैं, तो अक्सर यह फा के स्थान पर साधारण मानकों के साथ स्वयं का मूल्यांकन करने पर आधारित होता है! सच तो यह है कि सभी दाफा शिष्य उल्लेखनीय हैं, जिनमें इन परिस्थितियों में सम्मिलित लोग भी हैं—उनका फा का मान्यकरण करने के दौरान दमन किया गया था, क्योंकि उन्होंने दाफा को बचाए रखने और लोगों को बचाने के लिए स्वयं को समर्पित कर दिया था। मैं इसे इसी प्रकार देखता हूं। लेकिन साथ ही, मुझे यह खेदजनक लगता है। इस संसार में 7 अरब लोगों की तुलना में, केवल इतने ही दाफा शिष्य हैं। हम कितनों को बचा सकते हैं? दुर्भाग्य से वे ऐसे समय में चले गये हैं जब हमें वास्तव में लोगों की आवश्यकता है।
शिष्य: पर्यटक स्थलों पर सत्य को स्पष्ट करने वाले कुछ अभ्यासी सोचते हैं कि चूँकि मुख्य भूमि के लोग लंबे समय से दुष्ट पार्टी के नियंत्रण में हैं, इसलिए उनमें सीसीपी संगठनों को छोड़ने की अपनी इच्छा को घोषित करने का साहस नहीं होगा, भले ही वे ऐसा करना चाहें। इसलिए, जब ये अभ्यासी पर्यटकों से पूछते हैं कि क्या वे छोड़ना चाहते हैं, तो वे उनके लिए ऐसा मान लेते हैं यदि व्यक्ति सिर हिलाता है या मुस्कुराता है।
गुरुजी: नहीं, ऐसा नहीं चलेगा। बिलकुल नहीं! उन्हें इससे सहमत होना चाहिए। यदि वे इसे व्यक्त नहीं करते या कहते नहीं हैं, तो इसकी कोई गिनती नहीं होगी। ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्होंने वास्तव में यह स्वीकार किया है कि वे दुष्ट पार्टी के लिए काम करेंगे, दुष्ट पार्टी में योगदान देंगे और यहाँ तक कि अपना जीवन भी इसके लिए समर्पित कर देंगे। उन्होंने वे शब्द कहे हैं।
शिष्य: दमन के शुरुआती दिनों में, कुछ अभ्यासियों ने ऐसी दाफा पुस्तकें बनाईं जो आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं थीं, और कुछ ऐसे भी थे जिन्होंने गुरूजी की तस्वीर वाली मालाएं बनायी। जब भी हम ऐसा देखते हैं, तो हम उनसे वे चीजें मांग लेते हैं और उनसे कहते कि वे ऐसी चीजें न बनाएँ या उन्हें प्रसारित न करें। लेकिन हमें हमारे पास आयी उन वस्तुओं का उचित तरीके से निपटान करने का कोई तरीका नहीं मिला है।
गुरुजी: जब बात पुरानी हो चुकी सामग्री या अनुचित तरीके से छपी दाफा पुस्तकों की आती है, तो मैंने हमेशा लोगों से कहा है कि उन्हें जलाया जा सकता है। हालाँकि, जब आप उन्हें जलाते हैं, तो इसे बहुत लापरवाही से न करें। लेकिन आप उन्हें जला सकते हैं।
शिष्य: कुछ वर्ष पहले, हार्बिन शहर में धन एकत्रित करने और भाषण देने की घटनाएं हो रही थीं, जिससे फा में बाधा उत्पन्न हो रही थी, और तब से निरंतर हो रही है। इसमें सम्मिलित कई अभ्यासी अभी भी इस तथ्य से अवगत नहीं हैं कि वे जो कर रहे हैं वह अनुचित है, और उन्होंने भरपाई नहीं की है। उनमें से कुछ लोग ऐसे दिखावा करते हैं जैसे कि वे बहुत परिश्रमी हैं, लेकिन वास्तव में वे मामले से निपटने से बचने का प्रयास कर रहे हैं और जो उन्होंने किया है उसे छिपा रहे हैं। हमें इस बारे में क्या करना चाहिए?
गुरुजी: कुछ लोग दाफा का भाग होते हुए भी केवल औपचारिकता निभाते हैं, और कुछ लोग कुछ परिस्थितियों का लाभ उठाते हैं। इनमें से कुछ मामले साधना में दृढ़ता की कमी के कारण होते हैं, और कुछ ऐसे लोगों के छिपि हुई मंशा के कारण होते हैं और इस प्रकार वे दाफा शिष्यों की दयालुता का लाभ उठाते हैं। इसलिए, आपको इन चीजों से सावधान रहने की आवश्यकता है। जब आप किसी को दान देते हैं या आर्थिक रूप से सहायता करते हैं, तो आपको यह पता होना चाहिए और पूर्ण रूप से स्पष्ट होना चाहिए कि वह धन का क्या कर रहा है। अन्यथा आप ऐसा नहीं कर सकते। यदि आप किसी को धन देते हैं, तो यह उसके कार्यों में उसका समर्थन करने के समान है, और आप भी उत्तरदायी होंगे। इसलिए, प्राचीन शक्तियां आपको ठगा गया नहीं मानेंगी। इसके स्थान पर, वे आपको दूसरे पक्ष के साथ मिलीभगत करने और उसका समर्थन करने वाला मानेंगी। इसलिए आपको इन चीजों से बिल्कुल सावधान रहना चाहिए।
जैसा कि मैं इस बारे में बात कर रहा हूँ, आप में से कुछ सोच रहे हैं, "लेकिन मेरे मन में ऐसे विचार नहीं थे। मैं एक दाफा शिष्य हूँ, तो मैं जानबूझकर उसका समर्थन कैसे कर सकता हूँ?" दिव्य प्राणी इसे इस प्रकार देखते हैं : एक व्यक्ति का व्यवहार और अंत में उसका परिणाम क्या होता है, यह वास्तव में उस व्यक्ति की पहचान को दर्शाता है, न कि वह क्या कहता है, जो उसके कार्यों से भिन्न हो सकता है। उच्च-स्तरीय प्राणी चीजों को इसी प्रकार देखते हैं। कुछ लोगों की नियति वास्तव में इस प्रकार का व्यवहार करने के लिए ही थी। उनके शब्द अच्छे लग सकते हैं, लेकिन उनके कार्यों के परिणाम विपरीत प्रभाव डालते हैं। बहुत से लोग जो इस प्रकार का व्यवहार करते हैं उनका भाग्य भी ऐसा ही होता है। मैंने पहले कहा है कि जब दाफा का प्रसार होना था, तो सभी प्राणी दाफा के लिए आएंगे, लेकिन आवश्यक नहीं कि वे सभी फा प्राप्त करने के लिए आये हैं। कई लोग नकारात्मक भूमिका निभाने आये हैं।
शिष्य: चीन में पिछले काफी समय से ऐसे कई मामले सामने आये हैं, जिनमें संयोजकों को, जो बहुत सक्षम हैं और सामान्य परिस्थितियों में बहुत प्रभावी हो सकते हैं, गंभीर दमन का सामना करना पड़ा है। उन्हें अन्य अभ्यासियों के साथ संघर्षों का सामना करना पड़ा है, दूसरों द्वारा अलग-थलग कर दिया गया है, और रोग कर्म जैसे अन्य प्रकार के हस्तक्षेप या दमन का सामना करना पड़ा है। क्या ऐसा होने का कारण यह हो सकता है कि उन्होंने अपने काम में कुछ ऐसा किया था जिसका नकारात्मक प्रभाव पड़ा?
गुरुजी: चीन में स्थिति बहुत जटिल है। जैसे ही आपकी सोच थोड़ी सी भी अनुचित होगी, प्राचीन शक्तियां उस कमी को पकड़ लेंगी। इसलिए आपको अपनी साधना और वहां अपने कार्यों के पीछे के उद्देश्यों के बारे में विशेष रूप से सावधान रहना चाहिए। आखिर, वह लाल आतंक का स्थान है।
शिष्य: (अनुवादित) मैं एक तुर्की दाफा शिष्य हूँ। कुछ अनुभवी शिष्य समूह फा अध्ययन और दाफा परियोजनाओं में भाग नहीं लेते हैं। एकजुट बनने के लिए हम क्या कर सकते हैं?
गुरुजी: मैंने वास्तव में यूरोपीय संयोजकों से इस बारे में बात की है कि कैसे दमन की शुरुआत में, यूरोप में दाफा शिष्यों ने बड़ा प्रभाव डाला और दमन के विरुद्ध अपने काम में ठोस परिणाम प्राप्त किये। उस समय आपके मन वास्तव में एकजुट हुए थे। लेकिन धीरे-धीरे आप अलग हो गए हैं और समय के साथ और अधिक ढीले पड़ गए हैं। इसलिए मैंने यूरोपीय संयोजकों से इस बारे में बात की कि कैसे सभी को साधना के मामले में अधिक गंभीर बनाया जाए और वास्तव में दाफा शिष्यों के जैसे आचरण करें। यदि आप साधना में कड़ा परिश्रम नहीं कर सकते, तो लोग बिखर जाएंगे और आप लोगों को खोना शुरू कर देंगे, और भले ही आप उन्हें शारीरिक रूप से एक साथ एकत्रित कर भी लें, जब आप कुछ करेंगे तो यह साधारण लोगों के एक समूह के एक साथ होने जैसा ही होगा, और आप उन्हें एकत्रित नहीं रख पाएंगे। सभी प्राणी यहाँ फा प्राप्त करने और साधना करने के लिए आए हैं, और यह जन्म के बाद की बनी हुई धारणाएँ हैं जो फा प्राप्त करने और आगे बढ़ने की उनकी क्षमता को प्रभावित करती हैं। फिर भी उनको इन चीजों का एहसास नहीं है। इसी कारण, अनुभवी अभ्यासियों को उन्हें अपने साथ लाना चाहिए और फा के अनुरूप उनका मार्गदर्शन करना चाहिए।
शिष्य: मैंने जो देखा है उसके आधार पर, हमारे मीडिया के प्रबंधन के साथ मुख्य समस्या यह है कि वे कम समय में सफलता प्राप्त करने और लाभ कमाने के लिए अत्यधिक उत्सुक हैं, और इसलिए बिक्री करने वाले अभ्यासियों को प्रेरित करने के लिए पहचान और वित्तीय पुरस्कार जैसे प्रोत्साहनों का उपयोग कर रहे हैं। उन्होंने इन अभ्यासियों को अलग-अलग होकर काम करने के लिए विवश किया है, उन्हें एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा करने, जानकारी छिपाने और एक-दूसरे के विरुद्ध सतर्क रहने के लिए विवश किया है। लोग बैठकों के दौरान खुलकर बात नहीं कर पाते हैं, और एक साधक के पास स्वाभाविक रूप से जो योग्यताएँ और बुद्धिमत्ता होनी चाहिए, वे सीमित हो रही हैं।
गुरुजी: हाँ, ये आधुनिक चीनी लोगों की बुरी प्रवृत्तियाँ हैं। कुछ लोगों ने कहा है कि चीनी लोग बड़े व्यवसाय में सफल नहीं हो सकते। जब व्यवसाय करने की बात आती है तो मैं आपको दूसरे देशों के लोगों की मानसिकता के बारे में बताता हूं। चाहे वे बड़ा व्यवसाय चलाते हों या छोटा, वे इसे अपने जीवन का भाग मानते हैं और इसमें अपना सर्वश्रेष्ठ देते हैं, और दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाते हैं। इस मानसिकता के परिणामस्वरूप उनके काम के प्रति एक अच्छा दृष्टिकोण और उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद बनते हैं। चीन के कई लोग शीघ्र धनवान बनना चाहते हैं, और जब वे कोई काम करते हैं तो उनके पास कोई दीर्घकालिक योजना नहीं होती। दूसरे देशों के लोग इस प्रकार से नहीं सोचते। व्यवसाय चलाना उनका काम है और उनके दैनिक जीवन का भाग है, और वे केवल सामान्य लाभ ही चाहते हैं। इसके प्रति उनकी यही सोच है। मीडिया और अन्य परियोजनाओं में आपके कुछ दृष्टिकोण उन कामों को करने के तरीके को दर्शाते हैं, जिनके प्रति मैं सावधान कर रहा हूँ, इसलिए आपको इन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
शिष्य: ताइपेई में कई पर्यटक स्थलों पर सत्य को स्पष्ट करने के हमारे प्रयासों में कुछ दुष्ट संगठनों द्वारा हस्तक्षेप किया जा रहा है, और मैं पूछना चाहता हूँ कि हमें इससे कैसे निपटना चाहिए।
गुरुजी: (गुरूजी मुस्कुराते हैं ) बस यही कठिनाई है जो इन चीजों के साथ आती है। दुष्टता एक स्वतंत्र समाज में उपस्थित कमियों का लाभ उठा रही है। सीसीपी के वे एजेंट स्वतंत्र देशों में दी गयी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का लाभ उठा रहे हैं। लेकिन सीसीपी वास्तव में एक असुर है। चाहे वह शीत युद्ध का दौर हो या जब दुष्ट पार्टी पहली बार अस्तित्व में आयी, विश्व के लोगों ने इसका विरोध किया और विश्व की सरकारों ने इसे प्रतिबंधित कर दिया। उन्होंने इसे अस्तित्व में रहने की अनुमति नहीं दी, इसके लोगों को कार्यक्रम आयोजित करने, एकत्रित होने, विरोध करने या इस प्रकार की अन्य चीजें करने की अनुमति तो दूर की बात है। इसे एक राक्षसी, एक वास्तविक संकट माना जाता था। लेकिन अब, धीरे-धीरे, विश्व के लोगों की सतर्कता कम हो गई है। पूर्वी यूरोप में दुष्ट पार्टी के पतन के साथ, लोग अधिक लापरवाह हो गए। इसलिए अब वास्तव में इसमें ताइवान में, जो कहीं न कहीं कम्युनिस्ट विरोधी है, वहां अपना झंडा लहराने और हंगामा करने का साहस करते है। यह वास्तव में काफी अजीब लगता है। फिर भी, आपको इसे बस एक चुनौती के रूप में देखना चाहिए, लोगों को बचाने में चुनौती के रूप में। जो करना चाहिए वह करें और इसका अपने ऊपर प्रभाव न पड़ने दें, इससे उन्हें फिर कभी वैसी चीजें करने का मन नहीं करेगा।
शिष्य: घर-घर जाकर लोगों के दरवाज़ों पर सामग्री टांगना शेन युन का प्रचार करने के तरीकों में से एक बन गया है। हर वर्ष हमारे संयोजक अन्य क्षेत्रों से बहुत से अभ्यासियों को आमंत्रित करते हैं जो हाल ही में मुख्य भूमि चीन से इस परियोजना में भाग लेने के लिए आए हैं। संयोजक हमारे स्थानीय अभ्यासियों से शहर से बाहर के अभ्यासियों के भोजन और आवास की लागत को उठाने के लिए धन और संसाधन दान करने के लिए कहता है। ये लागत शेन युन खर्चों में सम्मिलित नहीं हैं, और न ही उन्हें लेखांकन प्रक्रिया में पारदर्शी रूप से दर्ज किया जाता है। संयोजक साधारणतः पुरे समय शेन युन प्रचार का काम कर रहा है, इसलिए उसका अपना जीवन-यापन खर्च एक बड़ा बोझ हो सकता है। साथ ही वह अन्य क्षेत्रों के अभ्यासियों की, जिनके पास आप्रवासन स्थिति नहीं है, उनकी राजनीतिक शरण के लिए आवेदन करने में सहायता कर रहा है। क्या उसके इस कार्य से लोग राजनीतिक शरण पाने के लिए शेन युन का प्रचार करने लगेंगे?
गुरुजी: मेरा विचार यह है। कुछ क्षेत्र शेन युन के अपने प्रचार को बढ़ावा देने के लिए शहर से बाहर के या नए अभ्यासियों को अपने प्रयासों में सम्मिलित होने के लिए कह रहे हैं। तकनीकी रूप से कहें तो, यदि वे सहायक महत्वपूर्ण पदों पर नहीं हैं तो यह कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। दरवाजों पर सामग्री टांगने के लिए आपको सीधे तौर पर सच्चाई स्पष्ट करने की आवश्यकता नहीं होती है, इसलिए इसमें कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। शुरुआत में, दुष्ट सीसीपी चीजों को बहुत ही अधिक बाधित कर रही थी, और शेन युन समाज में इतना प्रसिद्ध नहीं था; लोगों ने इसके बारे में नहीं सुना था, और उस समय शेन युन द्वारा बनाए जा रहे, दरवाजे पर टांगने वाले विज्ञापन इतने अच्छे नहीं थे। इसलिए लोग उन्हें रद्दी डाक के जैसे मानते थे। इसके अतिरिक्त, दुष्ट पार्टी के एजेंट चीजों को बाधित कर रहे थे और बदनामी फैला रहे थे। But now things are different. लेकिन अब चीजें अलग हैं। कम से कम संयुक्त राज्य अमेरिका में तो लगभग सभी लोग शेन युन के बारे में जानते हैं, वयस्क और बच्चे दोनों। वे जानते हैं कि शेन युन एक उच्च-स्तरीय, प्रथम श्रेणी का प्रदर्शन है। इसलिए जब आप बेहतर आवासीय स्थानों पर जाते हैं और उनके दरवाज़ों पर सुघड़ता से बने विज्ञापन टांगते हैं, तो मैं आपको बता सकता हूँ कि वे बिल्कुल भी निराश नहीं होंगे। वे बस यही कहेंगे, “ओह, यह शेन युन है।” और वे सोचेंगे, “यह एक ऐसा प्रदर्शन है जिसे हमें देखना चाहिए।” साधारणतः यही होता है। हालाँकि, कुछ आवासीय स्थानों के बहुत ही कम लोगों ने शिकायत करने के लिए फोन किया है। लेकिन जब आप इसकी जाँच करते हैं, तो आप पाते हैं कि यह चीनी लोग किसी उद्देश्य से ऐसा कर रहे हैं—चीनी जिनमें या तो सीसीपी ने विष भरा है या जो इसके एजेंट हैं और चीजों को बाधित करने का प्रयास कर रहे हैं। इसलिए इसका प्रभाव अपने ऊपर न पड़ने दें।
शिष्य: क्या ऐसी पत्रिका पर काम करना जारी रखना आवश्यक है जिसमें सत्य को स्पष्ट करने वाली कोई सामग्री नहीं है, जिसमें भारी मात्रा में मानव संसाधन खर्च होता है, और जो लाभदायक नहीं है?
गुरुजी: यदि यह तथ्यों को स्पष्ट नहीं करती है, तो निस्संदेह ऐसा नहीं चलेगा। दाफा शिष्य इसमें क्यों सम्मिलित होंगे? लेकिन यदि आपकी चिंता यह है कि यह तथ्यों को स्पष्ट करने में कितनी प्रभावी है, तो यह एक अलग विषय है। या यदि यह एक साधारण कंपनी है जिसे आप चला रहे हैं, तो मुझे इससे कोई समस्या नहीं है, क्योंकि आप सभी साधारण समाज में काम कर रहे हैं, और आपको यह सोचने की आवश्यकता है कि कैसे अपनी आजीविका चलाएँ। यदि दाफा शिष्य जिस मीडिया इकाई को चला रहे हैं उसका उद्देश्य समाज के उच्च वर्ग तक पहुँचना है, और इसलिए इसमें तथ्यों को स्पष्ट करने वाले बहुत सारे लेख नहीं हैं, तो यह भी एक तरीका हो सकता है। यदि आपको समाज के उच्च वर्ग तक पहुँचना है, तो आप वास्तव में ऐसे बहुत सारे लेख नहीं डाल सकते।
शिष्य: (अनुवादित) एक परियोजना संयोजक है जो कभी-कभी हमें बताता है कि आपने उससे क्या कहा है। हमें इस प्रकार की दूसरे से प्राप्त जानकारी को किस प्रकार समझना चाहिए? (सभी हंसते हैं )
गुरुजी: (गुरूजी खुलकर हंसते हुए ) हां, कुछ संयोजक ऐसे होते हैं जो किसी कार्य को आगे बढ़ाने के लिए गुरु का नाम लेना पसंद करते हैं। [वे कहेंगे,] "गुरूजी ने यह कहा," या, "यह वही है जो गुरूजी ने कहा था।" लेकिन वास्तव में, एक बार जब आप गुरु ने जो कहा उसके बारे में बात करना शुरू करते हैं, तो दूसरे अभ्यासी तुरंत सोचेंगे, और समझ जायेंगे, कि आप गुरु का नाम इसलिए ले रहे हैं क्योंकि आप स्वयं मामले को संभालने में सक्षम नहीं हैं। (शिष्य तालियाँ बजाते हैं ) इसीलिए जब कभी-कभी लोग मेरे पास बिना सोचे-समझे हर प्रकार के मुद्दे लाते हैं, तो मैं अब उन सभी को वापस भेज देता हूँ। वे चाहते हैं कि मैं उन्हें कुछ आश्वासन या स्वीकृति दूँ, और अधिकतर ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उन्हें प्रतिरोध का सामना करना पड़ता है। लेकिन एक बार जब मैं उस मुद्दे पर अपनी राय देता हूँ, तो वे बाद में लोगों को कुछ और ही बताते हैं, और कहते हैं कि गुरु उनके काम का समर्थन करते हैं। वास्तव में, मैं साधारणतः निम्नलिखित करता था। जब वे मुझसे पूछते कि क्या इस या उस प्रकार से काम करना उचित है, तो मैं उनसे कहता कि गुरु को दाफा शिष्यों द्वारा शुरू की गई किसी भी परियोजना पर आपत्ति नहीं है, और वे जिस भी तरीके को सबसे अच्छा समझते हैं, उसे अपना सकते हैं। (आह भरते हुए ) लेकिन बस उस एक वाक्य के बाद, वे वापस चले जाते है और लोगों से कहते हैं, "गुरूजी ने इसका समर्थन किया है, इसलिए हम इसे इस प्रकार से करने जा रहे हैं।" और जब कोई आपत्ति करता, तो वे कहते, "गुरूजी ने इसका समर्थन किया है।" (सभी हंसते हैं ) लेकिन यह ऐसा नहीं है, है ना? इसलिए इस कारण से मैं कभी-कभी अब लोगों से नहीं मिलता।
साधना आपका अपना मामला है, और यह पता लगाना कि अच्छी तरह से कैसे की जाए और दूसरों के साथ अच्छा काम कैसे किया जाए, यह आपकी यात्रा का भाग है। यह आपकी साधना का भाग है, तो आप इसे गुरु पर कैसे डाल सकते हैं? आप इसे कैसे टाल सकते हैं?
शिष्य: पचास से अधिक देशों और क्षेत्रों से आए आठ हज़ार से अधिक दाफा शिष्यों ने गुरूजी को शुभकामनाएँ भेजी हैं। (सभी शिष्य उत्साहपूर्वक और बहुत देर तक तालियाँ बजाते हैं।)
गुरुजी: आप सभी का धन्यवाद। (गुरूजी हशी करते हैं ) साधना हमारे काम की आधारशिला है, और लोगों को बचाना हमारा उत्तरदायित्व है। इन दोनों चीजों को अच्छी तरह से किया जाना चाहिए। मुझे लगता है कि हमारे फा सम्मेलन... क्या आप जानते हैं कि हर बार विमानों की टिकटों पर कितना खर्च होता है? यह बहुत बड़ी रकम है। और भोजन व आवास का खर्च कितना अधिक है? दाफा के संसाधन, विशेष रूप से चीन के बाहर, बहुत सीमित हैं। इसलिए फा सम्मेलन को औपचारिकता न समझें, और इस फा सम्मेलन को अपने लिए गुरु द्वारा यहाँ कही गयी किसी भी नई चीज के बारे में जानकारी फैलाने का साधन न बनाएं। गुरु चाहते हैं कि आप शीघ्र ही स्वयं में सुधार करें, और इस फा सम्मेलन में भाग लेने के परिणामस्वरूप वास्तव में उन बाधाओं पर विजय प्राप्त करें जिनका आपने साधना में सामना किया है। इसलिए जब फा सम्मेलन समाप्त हो जायेगा, तो आप खाली हाथ नहीं लौटेंगे।
यह किसी प्रकार का मिलन समारोह नहीं है, लोगों के एक-दूसरे से मिलने के लिए आयोजित एक सभा नहीं है। साधना एक गंभीर मामला है। प्राचीन शक्तियां हमारा इस प्रकार दमन क्यों कर रही हैं? और उन्होंने जो परिस्थिति उत्पन्न की है वह इतनी क्रूर क्यों है? वे निश्चित रूप से गंभीर हैं! और जहाँ तक आपकी बात है, आप स्वयं की साधना कर रहे हैं। यदि आप जो कर रहे हैं उसके विषय में गंभीर नहीं हैं, तो आप स्वयं को निराश कर रहे हैं, और उससे भी अधिक उन लोगों को निराश कर रहे हैं जिन्हें आपको बचाना है। इसलिए मुझे आशा है कि आप मेरे द्वारा यह सब कहने के बाद अनुभव करेंगे कि आपका परिश्रम और फा की समझ वास्तव में आपकी अपनी साधना का परिणाम है। आपके गुरु के रूप में, मैं आपको और तीव्रता से आगे बढ़ते हुए और दिव्यता के इस मार्ग पर और भी बेहतर होते हुए देखना चाहता हूँ। आप सभी का धन्यवाद। (गुरूजी हशी करते हैं, और सभी शिष्य देर तक तालियाँ बजाते हैं। गुरूजी श्रोताओं से हाथ हिलाकर बिदाई लेते हैं। जब गुरूजी चले जाते हैं, तो शिष्य खड़े रहते हैं और गुरूजी के जाने की दिशा में तालियाँ बजाते रहते हैं। span>)
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