ली होंगज़ी
25 फरवरी 2006 ~ लॉस एंजेलिस, संयुक्त राज्य अमेरिका
(उत्साहपूर्ण तालियाँ) (शिष्य कहते हैं, "अभिवादन, गुरूजी! अभिवादन, गुरूजी!")
कृपया बैठ जाइये। आप सभी का धन्यवाद। आप कड़ा परिश्रम कर रहे हैं। (उत्साहपूर्ण तालियाँ)
देखते ही देखते एक और वर्ष बीत गया। हमें पहले ही दाफा शिष्यों द्वारा जीवों को बचाने, फा का स्पष्टीकरण करने और दमन के विरुद्ध काम करने में छह वर्ष बीत चुके हैं, और अब हम सातवें वर्ष में हैं। दाफा शिष्यों के रूप में, आपने फा-सुधार की स्थिति में परिवर्तनों को देखा है, और आपने देखा है कि समाज दाफा शिष्यों को और उसके अनुसार होने वाले परिवर्तनों को कैसे देखता और समझता है। संपूर्ण परिस्थिति में जो भी परिवर्तन हुए है वे पूर्ण रूप से फा-सुधार की स्थिति से संबंधित हैं, और सीधे उस अत्याधिक प्रभाव से संबंधित हैं जो प्रयास दाफा शिष्यों ने फा के स्पष्टीकरण करने में किया है। तो, दूसरे शब्दों में कहा जाए तो, दाफा के शिष्यों ने जो कुछ भी किया है वह व्यर्थ नहीं गया है, और आपने अद्भुत कार्य पूरे किये हैं। आप लोगों ने जो कुछ किया है वह सब स्पष्ट है, और आप लोगों ने इसे स्वयं अनुभव किया है। दूसरे शब्दों में, भले ही छः से सात वर्ष बीत चुके हैं, इस समय दाफा शिष्यों को जो करना चाहिए उसे करने के मामले में आप बिल्कुल भी ढीले नहीं पड़ सकते।
फा का अध्ययन करने और साधना करने के माध्यम से, आप जो कर रहे हैं उसके बारे में आप सभी जागरूक और पूरी तरह से स्पष्ट हैं। हम बिल्कुल भी किसी प्रकार का साधारण लोगों का राजनीतिक संगठन नहीं हैं, न ही यह मनोरंजन के लिए बनाया गया किसी प्रकार का साधारण लोगों का क्लब है। हम यहां जो कर रहे हैं वह साधना है, और यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत प्राणी मूल रूप से उच्च-स्तरीय जीवों में परिवर्तित हो जाता है। मैं जो कह रहा हूं वह यह है कि यहां उपस्थित श्रोतागण में वे सभी लोग हैं जो दिव्यता की ओर बढ़ रहे हैं। तो आपके लिए, वे सभी चीजें जो दाफा के शिष्य फा के स्पष्टीकरण करने और जीवों को बचाने के लिए करते हैं, अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, विशेषकर इतिहास के इस महत्वपूर्ण मोड़ पर।
वास्तव में, जो कुछ भी आप अनुभव कर रहे हैं उसकी योजना सुदूर, प्राचीन काल में बनाई गई थी। लेकिन मानव जाति के बीच होने वाली कोई भी चीज, विशेष रूप से दाफा शिष्यों की साधना, पूर्ण रूप से दिव्य अभिव्यक्तियों की तरह नहीं लगती है, जैसा कि वे दिव्य लोकों में लगती हैं। यदि ऐसा होता, तो देवता सबके सामने काम कर रहे होते, और दाफा शिष्यों द्वारा साधना करने या दाफा शिष्यों द्वारा चेतन जीवों को बचाने जैसा कुछ नहीं होता। उच्च स्तर से लेकर निम्न स्तर तक, कुछ चयन इस आधार पर किए जाते कि कौन पर्याप्त रूप से अच्छा था और कौन नहीं, और यही होता—आज जो कुछ भी हो रहा है, उसमें से कुछ भी नहीं हुआ होता। इसलिए, जैसा कि मैंने कहा है, मानव जाति का यह इतिहास—जिस सीमा तक संसार के लोगों को इसके बारे में जानने की अनुमति है—कुछ हजार वर्ष लंबा है। पृथ्वी के इतिहास की दृष्टि से यह बहुत ही कम समय है; इससे पहले का इतिहास भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से आज के लोगों से जुड़ा था; और, इससे भी अधिक सुदूर काल में, पिछली पृथ्वी पर, इस फा-सुधार के लिए चीजों का एक बार पूर्वाभ्यास किया गया था। लेकिन इस बार यह वास्तव में हो रहा है। ये सभी चीजें फा-सुधार के लिए और उन सभी चीजों के लिए बनाई गई थीं जो आज के दाफा शिष्य कर रहे हैं, भले ही चीजें वैसी ही दिखाई देती हैं जैसी वे साधारण लोगों के साथ होती हैं। केवल जब चीजें इस स्थिति में होती हैं तो चेतन जीवों को बचाया जा सकता है, और केवल भ्रम की इस स्थिति में ही प्राणी आगे बढ़ सकते हैं, किसी व्यक्ति के मन और मस्तिष्क का मूल्यांकन किया जा सकता है, और यह निर्धारित किया जा सकता है कि कोई व्यक्ति योग्य है या नहीं। यदि यह मानव समाज में पूर्ण रूप से देवताओं जैसे अभिव्यक्त होते, तो कोई यह निर्धारित नहीं कर पाता कि कौन पर्याप्त रूप से अच्छा है और कौन नहीं, क्योंकि किसी व्यक्ति के विचार उस व्यक्ति के वास्तविक कार्यों का स्थान नहीं ले सकते। यदि चीजें इस प्रकार से की जातीं, तो जैसे ही मनुष्य एक देवता को देखते, यह गारंटी होती कि उनके मन में कोई भी बुरे विचार आना बंद हो जाते, क्योंकि किसी भी मोहभाव की तुलना देवता से नहीं की जा सकती, और फिर उस व्यक्ति का सच्चा आचरण नहीं देखा जा सकता था। यदि उसके सामने एक वास्तविक, जीवित देवता हो, तो उस व्यक्ति के पास वास्तव में पवित्र विचारों के अतिरिक्त कुछ नहीं होगा। लेकिन वह जीव वास्तव में कैसा है? क्या वह पर्याप्त अच्छा है? इतने लंबे और कठिन समय से गुजरने के बाद, [इन जीवों] को भ्रम की इस स्थिति में ऐसी सभी चीजों को समझना होगा। यही बात साधना पर भी लागू होती है : भ्रम में रहते हुए ही वह तीव्रता से ऊपर उठ सकता है। दूसरे शब्दों में, यद्यपि भ्रम का स्तर भिन्न हो सकता है, केवल भ्रम में रहने की प्रक्रिया से गुजरने से ही कोई सुधार कर सकता है; भ्रम के बिना सुधार जैसी कोई चीज नहीं होगी। मैंने पहले कहा है कि देवताओं के लिए स्तर में वृद्धि करना बहुत कठिन है; एक देवता जिस भी लोक की पुष्टि करता है और जिसका ज्ञान प्राप्त करता है, वही वह लोक है जिसमें वह होगा। और ऐसा क्यों है? ऐसा इसलिए है क्योंकि जो कुछ भी उसके सामने प्रदर्शित होता है वह ब्रह्मांड की वास्तविकता है, और अब कोई भ्रम नहीं है। तो उसके लिए साधना जैसी कोई चीज नहीं रहेगी और उसके लिए उच्चतर समझ तक पहुंचने का प्रयास करने का कोई मुद्दा भी नहीं रहेगा।
मैं जिस बारे में बात कर रहा था वह आपको यह बताने के लिए था कि चाहे आप कितने ही उथल-पुथल वाले समय से गुजरे हों, या कितने भी और अधिक समय की आवश्यकता हो, आप समय से मोहभाव नहीं रख सकते। दुष्टता जितनी अधिक प्रचंड होती है, उतना ही अधिक यह सभी प्राणियों को बचाने में दाफा शिष्यों के शक्तिशाली सदगुण को प्रदर्शित करती है; और यह परिस्थिति जितनी अधिक कठिन होगी, उतनी ही अधिक यह दाफा शिष्यों की भव्यता को प्रदर्शित करेगी। हां, आप भ्रम के इस लोक में साधना कर रहे हैं, इसलिए कभी-कभी आप एक ऐसी स्थिति प्रदर्शित करते हैं जिसमें आप ढीले पड़ जाते हैं, कभी-कभी आपके साथ हस्तक्षेप होता है, और कभी-कभी आप बिल्कुल साधारण लोगों की तरह लगते हैं। निःसंदेह, ये भी उन परिस्थितियों की अभिव्यक्तियाँ हैं जिनसे आप साधना की प्रक्रिया के दौरान गुजरते हैं। यदि यह इस प्रकार नहीं होता, तो यह साधना नहीं होती, और यह मनुष्य नहीं होते जो साधना कर रहे होते—यह देवता कर रहे होते। निस्संदेह, एक देवता द्वारा साधना करने जैसी कोई चीज नहीं है। दूसरे शब्दों में, चाहे जो भी हो, चीजों के बारे में आपकी समझ अच्छी है या बुरी, आप परीक्षा में अच्छे से उत्तीर्ण होते हैं या नहीं, और चाहे आपने अपने कितने भी मोहभाव हटा दिए हैं—यह सब आपकी साधना की प्रक्रिया है, और ये प्रक्रिया के दौरान की अभिव्यक्तियाँ हैं। कुछ परीक्षाओं को अच्छे से और कुछ को बुरे तरीके से उत्तीर्ण करना सामान्य बात है, और केवल इसलिए कि एक शिष्य एक क्षणिक चूक के कारण कुछ अनुचित कर देता है, या एक शिष्य एक निश्चित समय के दौरान दृढ़ नहीं होता है या उस अवधि के दौरान सफल नहीं हो पाता है, गलतियाँ भी कर देता है, आप यह नहीं कह सकते कि यह शिष्य अब साधना नहीं कर रहा है या अब उतना अच्छा नहीं है। वास्तव में, क्या ये सभी साधना की अभिव्यक्तियाँ नहीं हैं? केवल जब इसे साधना की दृष्टि से देखा जाता है तो यह देखा जा सकता है कि आपने अच्छा किया है या नहीं, आप योग्य है या नहीं, और आपको मोहभाव है या नहीं। तो, दूसरे शब्दों में, ये चीजें प्रक्रिया के दौरान अभिव्यक्त होंगी। लेकिन फा-सुधार की संपूर्ण स्थिति और दाफा शिष्य जो कुछ भी कर रहे हैं वह मुख्य चीजें हैं, और समूह संपूर्ण रूप से पवित्र है और बहुत स्वस्थ रूप से आगे बढ़ रहा है।
आप जानते हैं, फा-सुधार की प्रगति [समय-समय पर] अभिव्यक्त होती है, और अधिकांश रूप से दाफा शिष्य फा-सुधार की विभिन्न परिस्थितियों की आवश्यकताओं के अनुसार ठोस रूप से और निरंतर आगे बढ़ रहे हैं। साधना निश्चित रूप से किसी जीव को स्थापित करने और पूर्ण करने की प्रक्रिया है। लेकिन इसका उलटा यह है कि जो लोग वास्तव में अयोग्य हैं, उनके लिए साधना एक छंटाई की प्रक्रिया भी है। इसलिए जब भी कोई विशेष परिस्थिति आती है, तो कुछ मानवीय विचार निश्चित रूप से सामने आएंगे, क्योंकि अंततः, ये मनुष्य ही हैं जो साधना कर रहे हैं। परिस्थिति में कुछ अपेक्षाकृत स्पष्ट परिवर्तन हुए हैं। उदाहरण के लिए, जुलाई 1999 से पहले का समय दाफा शिष्यों की व्यक्तिगत साधना का समय था, और जुलाई 1999 से, दाफा शिष्य दमन के विरुद्ध काम करते हुए साधना कर रहे हैं। जब से नाइन कमेंट्रीज प्रकाशित हुई, कुछ लोग सोच रहे हैं, "क्या इसका हमारी साधना से कोई लेना-देना है?" कुछ लोग जिन्होंने फा का अच्छी तरह से अध्ययन किया था और जिनके पर्याप्त शक्तिशाली पवित्र विचार थे, वे जानते थे कि यह दमन मनुष्यों के बीच प्राचीन शक्तियों द्वारा एक घिनौनी शक्ति, दुष्ट सी.सी.पी. को उपयोग करने का परिणाम था, और इस प्रकार का दमन केवल सी.सी.पी. के दुष्ट शासन के अंतर्गत ही हो सकता है। यदि दुष्ट सी.सी.पी. का घिनौना शासन अस्तित्व में नहीं होता, तो इस प्रकार का दमन नहीं होता। दुष्ट काली छाया चाहे कितनी भी खतरनाक क्यों न हों, उन्हें अपने दुष्ट कार्यों को पूरा करने के लिए बुरे लोगों का उपयोग करना पड़ता है। और इस संसार में साधारण बुरे लोग इतना बड़ा दमन उत्पन्न करने में असमर्थ हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि दुष्ट, घृणित और बिल्कुल घटिया पार्टी दुष्ट शासन के नियंत्रण में है, इसलिए दुष्ट काली छाया के कारक इसका उपयोग करने और इस दमन को उत्पन्न करने में सक्षम थे। लेकिन कुछ लोग इसे स्वीकार नहीं कर पाते और उनका मन अस्पष्ट हो गया है। लेकिन वास्तव में, उनका मन अस्पष्ट क्यों हो जायेगा? मुझे लगता है कि यहाँ मुख्य कारक डर है। तो स्पष्ट शब्दों में कहें तो यह अभी भी उनके मोहभाव के कारण है, और बाकी सब तो एक बहाना है।
इस बिंदु पर, मैं दाफा शिष्यों के साधना के प्रारूप के बारे में बात करूँगा। वास्तव में, मैंने हमेशा आपसे कहा है कि आज के दाफा शिष्य जिस प्रकार साधना करते हैं वह "बिना प्रारूप के महान मार्ग" में से एक है। आप में से प्रत्येक साधारण समाज का भाग है, प्रत्येक व्यक्ति समाज में अपने स्वयं के कार्य निभाता है, प्रत्येक व्यक्ति अपने स्वयं के सामाजिक स्तर पर है, प्रत्येक का अपना व्यवसाय है, और प्रत्येक की अपनी परिस्थितियाँ हैं। दूसरे शब्दों में, आपकी साधना पूर्ण रूप से समाज का एक भाग है और इसका कोई विशिष्ट प्रारूप नहीं होता है। मुझे याद है कि एक अनुभव-साझाकरण सम्मेलन में एक शिष्य ने एक प्रश्न पर्ची दी थी जिसमें पूछा गया था, "गुरूजी, क्या हमारा प्रारूप बिना किसी रूप का है?" कोई रूप न होना एक रूप है। तो मैंने देखा कि आप इस विचार के बारे में सोचने में सक्षम थे। (गुरूजी हँसते हुए) आइए, इसके बारे में सोचते हैं, "शून्यता" क्या है? मैंने पहले बताया था कि लोग सोचते थे कि "रिक्तता" का अर्थ है कि कुछ भी उपस्थित नहीं है। और कुछ लोगों ने कहा है कि "शून्यता" का अर्थ किसी चीज का अस्तित्व न होना है। यदि शून्यता का वास्तव में यह अर्थ है कि वहाँ कुछ भी नहीं है, तो स्वयं शून्यता क्या है? और यदि "शून्यता" का अर्थ यह है कि सब कुछ समाप्त हो गया है, तो स्वयं शून्यता क्या होगी? यदि वास्तव में कुछ भी अस्तित्व में नहीं होता, तो नाम की अवधारणा भी नहीं होती। दूसरे शब्दों में, बिना रूप के महान मार्ग की साधना वास्तव में एक निराकार प्रकार का प्रारूप है।
आप जानते हैं, ऐतिहासिक दृष्टि से, चाहे वह शाक्यमुनि, लाओ ज, येशु हों, या कई अन्य ज्ञानप्राप्त लोग या संत हों जिन्होंने पूर्व-इतिहास में अपना फा या ताओ सिखाया था, उन्होंने हमेशा दो दृष्टिकोणों में से एक को अपनाया। एक था लौकिक संसार को छोड़ना और साधना करना, और दूसरा था ईसाई धर्म और कैथोलिकवाद का उपयोग करने वाला रूप अपनाना। इस कारण से, और पिछले अनुभवों से प्रेरणा लेते हुए, लोगों ने दिव्य प्राणियों के बारे में संकीर्ण समझ बना ली है और एक प्रकार की संस्कृति का निर्माण कर लिया है। इसीलिए जैसे ही आप किसी प्राणी के उत्थान, विकास, साधना आदि जैसी चीजों का उल्लेख करते हैं, संसार के लोग उन प्रारूपों के बारे में सोचते हैं जिनका उपयोग धर्म ने अतीत और वर्तमान में किया है। लेकिन केवल इन धर्मों के प्रारूप ही ब्रह्मांड में नहीं हैं, और वे विभिन्न फा का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकते हैं जिनकी असीमित संख्या में दिव्य प्राणियों ने पुष्टि की है, या उन प्रारूपों का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकते हैं जो उनमें से प्रत्येक ने इसे पूरा करने के लिए उपयोग किया था। प्रत्येक छोटे स्तर पर भी देवताओं की संख्या इतनी बड़ी है कि यह असंख्य है, तो वे दो प्रारूप हर चीज का प्रतिनिधित्व कैसे कर सकते हैं? वे निश्चित रूप से नहीं कर सकते। फिर, साधना के वास्तव में कितने प्रारूप हैं?
आपने जुआन फालुन में पढ़ा है कि बौद्ध प्रणाली में चौरासी हजार साधना पद्धतियाँ हैं और दाओवादी प्रणाली में छत्तीस सौ साधना पद्धतियाँ हैं। वास्तव में, यह बहुत छोटे स्तर के सुविधाजनक बिंदु से कहा गया था, यह एक निश्चित स्तर की समझ है, और इसे केवल उस सीमा तक सिखाया गया था जिसे मनुष्य समझ सकते थे। आप जानते हैं, बुद्धों से ऊपर भी बुद्ध हैं, दिव्यलोकों से ऊपर भी दिव्यलोक हैं, और देवताओं से ऊपर भी देवता हैं। तो ब्रह्मांड कितना बड़ा है? यह बस असीम और अनंत रूप से विशाल है। फा-सुधार के बारे में बढ़ते हुए मैं आज जिस बिंदु पर पहुंचा हूं, भले ही मैं पहले से ही अंतिम मुद्दों पर काम कर रहा हूं, ब्रह्मांड को बनाने वाले सबसे मूल तत्व विशाल प्राणी हैं जो इस प्रकार से अस्तित्व में हैं कि यहां तक कि ब्रह्मांड में उच्च-स्तरीय प्राणियों को वे अतुलनीय रूप से विशाल और अगम्य लगते हैं, मनुष्यों को तो और भी अधिक। दूसरे शब्दों में, ब्रह्मांड में बहुत सारे विशाल प्राणी हैं, और सभी देवताओं के पास स्वयं को स्थापित करने के अपने-अपने तरीके हैं, और उन सभी के पास फा-सिद्धांत हैं जो ब्रह्मांड की उनकी अपनी समझ के आधार पर बने हैं। यहां मैं इसका वर्णन करने के लिए मानवीय भाषा का उपयोग कर रहा हूं। इसके अतिरिक्त, ब्रह्मांड में करोड़ों भिन्न-भिन्न, विशाल ब्रह्मांडीय प्रणालियाँ भी हैं। और वे विशाल प्रणालियाँ निश्चित रूप से संपूर्ण ब्रह्मांड के अंतिम फा-सुधार से गुजर रही हैं।
इस बारे में सोचें, यदि ये विशाल प्रणालियाँ देवता हैं, तो क्या उन्हें यह विचार नहीं आएगा : "आप बुद्धों को हमसे बेहतर कैसे माना जाता है? आप बुद्ध फा के माध्यम से ब्रह्मांड के महान नियम को सिखा रहे हैं, और बुद्ध फा के साथ पूरे ब्रह्मांड का सुधार कर रहे हैं। लेकिन हमारी प्रणाली सीधे तौर पर आपसे संबंधित नहीं है, तो आप बुद्ध यहां हमारे फा का सुधार कैसे कर सकते हैं? आपकी प्रणाली के देवता हमारी प्रणाली में चीजों को कैसे निर्देशित कर सकते हैं? क्या आपके वे फा-सुधार दृष्टिकोण हमारी प्रणाली के लिए उपयुक्त हैं? जीवन के अस्तित्व के तरीकों के बारे में हमारी समझ पूर्ण रूप से भिन्न है, और हमारी कई समझ बेमेल हैं। जिस प्रकार से आप बता रहे हैं इसे हमें कैसे समझना चाहिए? बेमेल होते हुए, आप हमारे फा का सुधार कैसे कर सकते हैं?" ब्रह्मांड अविश्वसनीय रूप से जटिल और बहुत ही विशाल है, और जीवन के अस्तित्व, सोचने और जीवन को समझने के तरीकों में अत्यधिक अंतर हैं। मनुष्य सोचते हैं कि मनुष्य बहुत अच्छे हैं, लेकिन कुछ देवता सोचते हैं, "अपनी बाँहों को आगे-पीछे झुलाकर सड़क पर चलने वाले मनुष्य बहुत बदसूरत हैं।" (श्रोता हंसते हैं) "मेरे विशाल पंखों और मेरे शेर जैसे शरीर को देखो, यह कितना शानदार है।" (श्रोता हंसते हैं) और जीवन के बारे में हमारी समझ और सुदूर, विशाल प्रणालियों में देवताओं की समझ के बीच और भी अधिक असमानताएं हैं। [वे कह सकते हैं,] "आप जिसे अच्छा और बुरा समझते हैं वह यहां भिन्न है, तो यहां, जहां हम हैं, फा-सुधार अच्छा और बुरा कैसे निर्धारित कर सकता है?" प्राणियों के बीच अंतर भी बहुत बड़े हैं। मैं जो महान नियम पारित कर रहा हूं वह ब्रह्मांड का मूल महान नियम है जो सभी को समाहित करता है। केवल इतना है कि अभिव्यक्ति बुद्ध की छवियों और बौद्ध सिद्धांतों का रूप लेती है। वे इन बातों को नहीं जानते इसलिए वे ऐसा सोचते हैं।
फिर, दूसरे शब्दों में कहें तो, क्या फा-सुधार सभी प्रणालियों के प्राणियों को प्रभावित नहीं करता है? यदि वे सभी सम्मिलित हैं, तो, ठीक है, प्राणियों की उन प्रणालियों में देवता नहीं जानते कि आप वास्तव में कौन हैं, तो क्या वे आपको वह करने देंगे जो आप चाहते हैं? क्योंकि यह संपूर्ण ब्रह्मांड से जुड़ा मुद्दा है, तो वे इसमें कैसे सम्मिलित नहीं हो सकते? प्रत्येक प्रणाली का अपना, विशाल स्वामी होता है, तो क्या वह स्वामी बस वहीं बैठकर देखते रहेगा? (गुरूजी हँसते हुए) वास्तव में, उनका सारा ज्ञान एकत्रित करने के बाद भी, वे केवल अपने लोक की चीजों के बारे में ही जानते हैं, और उनके लिए उन चीजों के बारे में जानना असंभव है जो उनसे परे हैं, जो चीजें उच्च स्तर की या अंतिम चीजें हैं। इसीलिए वे सोच रहे हैं, "क्योंकि यह मुद्दा हमसे जुड़ा है, इसलिए हम आपको हमारे साथ जो चाहें वह कैसे करने दे सकते हैं?" दूसरों की तरह मेरे पास भी अनगिनत चेतन जीव हैं और मैं भी चुने जाने का प्रयास करना चाहता हूं।'' यदि विशाल ब्रह्मांडीय पिंड में सभी प्रणालियों के [देवता] इस प्रकार सोचते हैं, तो क्या इसका अर्थ यह नहीं है कि सभी प्रणालियों ने फा-सुधार की दिशा में कुछ किया है? इस प्रकार, यह छोटी सी पृथ्वी फा-सुधार में ब्रह्मांड का केंद्र बिंदु बन गयी।
मैंने अक्सर कहा है कि यह पृथ्वी ब्रह्मांड के फा-सुधार का केंद्र बिंदु है, लेकिन कोई भी कल्पना नहीं कर सकता कि यह ब्रह्मांडीय पिंड कितना विशाल है। आपके पास इसे समझने के लिए पर्याप्त विशाल अवधारणा नहीं है। यह अत्यधिक विशाल है। ऐसा होते हुए भी, उन सभी ने पृथ्वी पर उन मार्गों को स्थापित किया जिनके द्वारा वे अभिव्यक्त होना चाहते थे। विशेष रूप से, मानव जाति लाखों वर्षों से गुजरी है—मैं केवल वर्तमान के समय के बारे में बात करूंगा, न कि सुदूर अतीत के बारे में—और चाहे कितने भी वर्ष हों, पिछली मानव सभ्यता के पतन और विनाश के बाद, जो लोग बचे रहे उन्होंने मानव अस्तित्व के इस कालचक्र में प्रवेश किया, उन्होंने ऐसी स्थिति से शुरुआत की थी जिसमें जीवन जीने के लिए कोई संसाधन नहीं थे, और अब उन्होंने यहाँ तक का सफर तय किया है जहां वे आज हैं। आधुनिक विज्ञान की भाषा में, उनकी शुरुआत तथाकथित "पाषाण युग" में हुई। लेकिन विकासवाद का सिद्धांत निराधार है, निःसंदेह। चाहे जो भी हो, इस कालचक्र के प्राणियों के लिए प्रासंगिक इतिहास लगभग दस हजार वर्षों तक का है, और लगभग सात हजार वर्ष वर्तमान की सभ्यता के लिए लागू होते हैं। अर्थात्, सभ्यता के इस कालचक्र के निर्माण से संबंधित इतिहास लगभग सात हजार वर्ष लंबा है। इस प्रक्रिया के दौरान, प्राणियों ने कैसे कार्य किया है और इतिहास में जो कुछ भी हुआ है उसका सीधा संबंध फा-सुधार से है। लेकिन प्राचीन काल में जो किया गया वह केवल लोगों के लिए फा और देवताओं की अवधारणा को समझने में सक्षम होने के लिए आधार रखना था, यह स्थापित करना था कि लोगों को कैसा होना चाहिए और लोगों के विचार और अवधारणाएं कैसी होनी चाहिए, और एक संस्कृति के व्यापक आंतरिक अर्थों को [लोगों में स्थापित करना], जिसमें अच्छे को बुरे से, सुंदरता को कुरूपता से, दयालुता को दुष्टता से कैसे भिन्न किया जाए, आदि सम्मिलित हैं। इस काल का संपूर्ण प्राचीन इतिहास मनुष्यों की सोच को स्थापित करने और उनके व्यवहार को स्थापित करने की एक प्रक्रिया थी। आज, लोग कैसे व्यवहार करते हैं, अच्छे और बुरे की उनकी अवधारणा, कौनसा पहनावा अच्छा माना जाता है, लोग चीजों के बारे में कैसे सोचते हैं, वे अपने माता-पिता के साथ कैसा व्यवहार करते हैं, वे परिवार और मित्रों के साथ कैसे बातचीत करते हैं, वे समाज में हर चीज के बारे में कैसे सोचते हैं, और वे प्रकृति और संसार को व्यापक रूप से कैसे समझते हैं—ये सभी चीजें लंबे, कठिन वर्षों के बाद स्थापित की गईं। यदि ऐसा नहीं होता तो लोगों का मन रिक्त होता या उनकी सोच पशुओं जैसी होती। यदि ऐसा होता, तो मैं आज यह फा कैसे सिखा पाता? देवता मानव शरीर के माध्यम से इस संसार में कैसे पुनर्जन्म लेते? और देवता मनुष्य को किस दृष्टि से देखते? इसलिए, मनुष्यों को एक ऐसी प्रक्रिया देने की आवश्यकता थी जिससे वे पर्याप्त समझ स्थापित कर सकते थे और पूर्ण रूप से विकसित हो सकते थे। उससे गुजरने के बाद, वे आज की मानव जाति के रूप में सामने आये।
लेकिन पूरे मानव इतिहास में, चाहे कितने भी हजारों वर्ष क्यों न बीत गए हों, कभी भी ऐसा कुछ नहीं हुआ जो आज के समाज से मिलता जुलता हो। और ऐसा इसलिए है क्योंकि अतीत आधार रखने के लिए था, जबकि आज चीजों को वास्तव में किया जा रहा है। अतीत में, मानव जाति का जीवन काफी सरल था, चाहे पूर्व में हो या पश्चिम में। चीन वह मुख्य स्थान था जहाँ देवताओं ने संस्कृति का मार्गदर्शन और प्रसार किया। [चीन को] वर्तमान के समय में "मध्य साम्राज्य" घोषित किया जाना एक संकेत है जो इस ओर इंगित करता है। अन्य स्थानों ने मानव जाति के केंद्रीय मंच को देखने वाले दर्शक और सहायक पात्र, दोनों के रूप में कार्य किया है। यही इतिहास का पाठ्यक्रम और उद्देश्य था। तो फिर ऐसा क्यों है कि वर्त्तमान के समय में अचानक सभी प्रकार की संस्कृतियाँ, सिद्धांत और सामाजिक घटनाएँ उभर आयी हैं? यह विभिन्न विशाल ब्रह्मांडीय प्रणालियों की चीजों का सबसे निचले स्तर, मानव जगत में अभिव्यक्त होने का परिणाम है, और उनके द्वारा ऐसा करने का कारण यह है कि उन्हें चुना जा सके। आप जानते हैं, चाहे चीन हो या पश्चिम, प्राचीन समाज में, कुछ प्रमुख धर्मों के अतिरिक्त, [समाज के] किसी अन्य क्षेत्र में कोई स्वतंत्र सांस्कृतिक प्रणाली या रूप नहीं था। उदाहरण के लिए, नवयुग के बाद का संगीत और ललित कला, वर्तमान के इतिहास के विभिन्न सिद्धांत, और वर्तमान के इतिहास में समाज में विभिन्न व्यवसाय कैसे प्रकट हुए हैं—जिसमें मानव जाति के सकारात्मक और नकारात्मक व्यवहार भी सम्मिलित हैं—वे सभी रातों-रात तीव्र गतिविधि के साथ सामने आए। पिछले लगभग सौ वर्षों ने, विशेषकर, बहुत तीव्रता से हजारों वर्षों से विद्यमान मानव समाज को आज के स्वरूप में परिवर्तित कर दिया है। यह एक कीचड़ भरा मानव समाज है, और फिर भी बहुत से लोग वास्तव में स्वयं से बहुत प्रसन्न हैं, और सोचते हैं कि विज्ञान से मानव जाति की प्रगति हुई है। आज की शिक्षा लोगों को अपनी सोच को पूरी तरह से विकास के झूठे सिद्धांत पर आधारित करने और यह विश्वास करने के लिए प्रेरित करती है कि मानव इस अवस्था तक विकसित हुआ है, कि समाज ने उच्च स्तर की वैज्ञानिक प्रगति प्राप्त की है, और यह कि मानव जाति ने स्वयं ही अपनी सभ्यता निर्मित की—आधुनिक सभ्यता बनायी। ऐसा बिलकुल भी नहीं है। लेकिन परिणाम यह है कि बहुत से लोग उस प्रकार की सोच के प्रभाव में आकर विज्ञान-निर्मित तथाकथित सभ्यता का आनंद ले रहे हैं। और जो लोग आधुनिक विज्ञान से शिक्षित हुए हैं और जो नास्तिक हैं, उन्हें लगता है कि उन्हें उचित वातावरण मिल गया है, उन्हें यह बहुत आनंददायक लगता है! इसलिए वे स्वयं को पूरी तरह से लिप्त कर रहे हैं, और आधुनिक, विकृत कला के रूप प्रचुर मात्रा में हैं, जिससे यह समाज वास्तव में आकर्षक प्रतीत होता है।
वास्तव में, देवता कभी नहीं चाहते थे कि मनुष्य इस तरह से अपना जीवन जियें। मनुष्य मानव समाज में कर्म भोगने की प्रक्रिया या चीजों के कारण और प्रभाव को नहीं देख सकते हैं, और इसलिए वे जो कुछ भी करते हैं उसके परिणामों पर विचार नहीं करते हैं, क्योंकि वे उनके पीछे के कारणों के प्रति जागरूक नहीं होते हैं। परिणामस्वरूप, उन्हें संतुष्टि का कोई अनुभव नहीं होता। वास्तव में, समाज कितना भी चकाचौंध भरा क्यों न हो जाए, भले ही विकास आज से भी आगे निकल जाए, लोग फिर भी संतुष्ट नहीं होंगे। क्या देवताओं ने मनुष्यों को चीजों के अंतहीन पीछा करने के उद्देश्य से अस्तित्व में लाया था? अतीत में, जब किसी के पास एक अच्छा घोड़ा होता था, वाह, उसे ऐसा लगता था जैसे वह बाकी सभी से एक स्तर ऊपर है। और जब वह सड़क पर उस बढ़िया घोड़े पर सवार होता था, तो लोग प्रशंसा करते हुए कहते थे, “वाह, क्या शानदार घोड़ा है! देखो उस व्यक्ति के पास कितना बढ़िया घोड़ा है।” उन्हें वैसा ही अनुभव होता था जैसा आज लोगों को होता है जब किसी के पास अच्छी कार होती है। लेकिन आज यदि कोई सड़क पर घोड़े पर सवार हो, तो लोगों को यह अजीब लगेगा, क्योंकि लोगों के पास अब वह अवधारणा नहीं है। आजकल, जब लोग किसी को अच्छी कार चलाते हुए देखते हैं तो कहते हैं, "वाह, क्या शानदार कार है, क्या अनमोल घोड़ा है (श्रोता हंसते हैं, गुरूजी हंसते हैं), वह कार बहुत सुन्दर है।" मनुष्य भिन्न-भिन्न परिस्थितियों में रह सकते हैं फिर भी उनके जीवन में भावनाएँ समान होती हैं। यदि लोगों को यह आधुनिक जीवन शैली नहीं दी गई होती, तो उन्हें पता ही नहीं चलता कि यह स्थिति कैसी होती है। पिछले कुछ हज़ार वर्षों में, जब लोग उस सामान्य स्थिति में रहते थे जिसमें मनुष्य को रहना चाहिए, तो उनके जीवन में रोचक और आनंददायक चीजें उन्हें बिल्कुल वैसे ही संतुष्टि की भावना प्रदान करती थीं। ब्रह्मांड में, यह वही स्तर है जिसपर मनुष्य है। आजकल लोगों के पास कारें हैं, लेकिन जब उन्हें उड़न तश्तरियों के बारे में पता चलता है, जिन्हें उस ऊर्जा की आवश्यकता नहीं होती है जिसका आज हम उपयोग करते हैं, और तुरंत हवा में उड़ सकती हैं और जहां कोई जाना चाहता है, वहां तुरंत पहुंच सकती हैं, तो, [वे सोचेंगे] यह और भी अधिक सुविधाजनक है! उस समय कौन कार चाहेगा? “कार का क्या लाभ? यह तो बीते हुए काल की है!” (श्रोता हंसते हैं) वास्तव में, यदि आधुनिक लोग सच में इस प्रकार रहते, तो वे संतुष्ट नहीं होते, एवं और भी बेहतर चीजों की खोज में रहते। निश्चित ही, जब भी मनुष्य कुछ बनाने में सक्षम होता है, तो उसमें देवताओं का कार्य होता है, न कि उन मनुष्यों के कार्यों का परिणाम। देवताओं ने आज मनुष्यों को जो कुछ दिया है, वह उन्हें इस प्रकार जीने के लिए नहीं दिया है। उनका उद्देश्य अपनी प्रणालियों से कृतियों को प्रदर्शित करना है जिससे उन्हें चुने जाने का अवसर मिल सके। दूसरे शब्दों में, भले ही लोग अपने तथाकथित शोध में चीजों का पीछा कर रहे हैं, लेकिन उन चीजों को मनुष्य की खोज के माध्यम से प्राप्त नहीं किया गया है। मनुष्य इस भ्रम के पार नहीं देख सकते हैं, वे सत्य को नहीं देख सकते हैं, और इसलिए वे स्वयं को आधुनिक समाज में पूरी तरह से लिप्त कर रहे हैं।
लेकिन ये चीजें लोगों को उनके आनंद के लिए नहीं दी गयीं थी। देवता कभी भी लोगों को वैसा नहीं बनाना चाहते थे जैसा वे आज हैं, क्योंकि उनका उद्देश्य स्वयं को प्रदर्शित करना था। कुछ लोग सोचते हैं कि वे इतना अच्छा जीवन जी रहे हैं, मानो वे दिव्यलोक में हों; निश्चित ही, यह जो एक देवता के पास होता है उसके जैसा थोडा सा भी नहीं है। इन परिस्थितियों में, लोग परिणामों के बारे में और भी कम चिंता करते हैं, देवताओं में और भी कम विश्वास करते हैं, कर्म उत्पन्न करने में और भी अधिक प्रवृत्त होते हैं, और स्वयं को और भी तीव्रता से नष्ट कर रहे हैं। और आज के उद्योग ने पर्यावरण को बुरी तरह प्रदूषित कर दिया है और पदार्थ को ही विकृत कर दिया है। यह कुछ ऐसा है जिसे मानव समाज कभी भी हल नहीं कर पाएगा। और, इसने ब्रह्मांड के अन्य आयामों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। क्योंकि ब्रह्मांड एक चक्रीय प्रणाली है, इसलिए एक आयाम के प्राणियों द्वारा प्राप्त की गयी चीजें आगे उच्चतर आयामों के प्राणियों द्वारा प्राप्त की जाती हैं। जब कोई चीज जो मानव आयाम के जीवों द्वारा प्राप्त की जाती है वह अशुद्ध होती है, तो जो चीजें ऊंचे स्थानों पर प्राप्त की जाती हैं वे सभी, स्तर दर स्तर, अशुद्ध हो जाती हैं। इसलिए आधुनिक मानव समाज के भटकाव, जिसमें उसकी धारणाओं का भटकाव भी सम्मिलित है, ने देवताओं पर प्रभाव डाला है और यहां तक कि उच्च-स्तरीय प्राणियों को भी भटका दिया है। तो ब्रह्मांड के फा-सुधार की आवश्यकता क्यों पड़ी? निःसंदेह, इस भटकाव की यह घटना मानवीय आयाम तक ही सीमित नहीं है। विशाल ब्रह्मांडीय पिंडों में भी भिन्न-भिन्न चीजें घटित हुई हैं। यहां मैं केवल मानव जाति के इस स्थान पर होने वाली अभिव्यक्तियों के बारे में बात कर रहा हूं।
वास्तव में, वर्तमान में मानव समाज में जो समृद्ध प्रतीत होती संस्कृति अभिव्यक्त हुई है, वह वास्तव में विभिन्न ब्रह्मांडों और सुदूर विशाल ब्रह्मांडीय पिंडों से देवताओं द्वारा यहां लायी गयी थी। मानवीय शब्दों में वर्णित, ये वे तरीके हैं जिनसे उनकी प्रणालियों के जीव प्रणालियों को बनाए रखते हैं। वे जो लेकर आए हैं वह मानव समाज के सबसे निचले स्तर पर उनकी प्रणालियों में फा-सिद्धांतों की अभिव्यक्ति है जो एक जीव के स्तर को उच्च या निम्न करने का निर्धारण करते हैं। वे सभी यही चीजें हैं। निःसंदेह, दाफा के मार्गदर्शन से, वे चीजें, वे रूप, किसी जीव को ऊपर उठने में सक्षम बना सकती हैं, जैसे वे एक जीव को गिरा सकती हैं जो इतना अच्छा नहीं है। मैं एक "बिना रूप का महान मार्ग" की अवधारणा के बारे में बात कर रहा था, जिसके कारण यह चर्चा हुई। क्या आपने इस तथ्य के बारे में सोचा है कि, यदि आज उपस्थित अनेक व्यवसाय और अनेक क्षेत्र प्राणियों की उन दूरस्थ प्रणालियों से यहां लाए गए थे, और दाफा शिष्य इस परिस्थिति में साधना कर रहे हैं, दाफा शिष्यों के विभिन्न व्यवसायों में साधना करने पर, क्या यह फा के द्वारा [उन प्रणालियों] को सुधारने जैसा नहीं है? क्या यह उनके अस्तित्व को स्वीकार करना नहीं है? क्या यह उन्हें बचाना नहीं है?
निःसंदेह, मेरे लिए मानव समाज में मानव जाति के लिए उनकी कृतियों को छोड़ जाना संभव नहीं होगा। हम जिन्हें बचा रहे हैं वह उन प्रणालियों के जीव हैं। जब कोई भी चीज उस स्तर पर पहुँचती है जहाँ मनुष्य हैं, तो [यहाँ] का स्तर इसे बहुत बुरा और निम्न बना देता है, इसलिए निश्चित रूप से दाफा और दाफा शिष्य इन निम्न रूपों की अपने आप में पुष्टि नहीं कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, धर्मों को लें। जो लोग वास्तव में चीजों को समझते हैं वे स्वयं साधना करने के लिए उन धर्मों द्वारा अपनाए गए प्रारूपों का उपयोग कर रहे हैं, जबकि जो लोग नहीं समझते हैं वे उन धर्मों के प्रारूपों को कायम रख रहे हैं। दूसरे शब्दों में, देवता जो चाहते हैं वह वे प्रारूप नहीं हैं जिनका उपयोग मानव जाति करती है, बल्कि यह चाहते हैं कि आप यहां प्रारूपों का उपयोग करें और ऊपर उठें। जब आप इन प्रारूपों का उपयोग करके ऊपर उठते हैं, तो आप फा का मान्यकरण कर रहे होते हैं, देवताओं का मान्यकरण कर रहे होते हैं, और चेतन जीवों को बचा रहे होते हैं, है ना? (तालियाँ) दाफा शिष्यों का विविध व्यवसायों में साधना करना उन प्रणालियों में प्राणियों को स्वीकार करना है, और यह उन सभी के जीवों को बचाना है। मैंने आपको पहले निम्नलिखित बात कही है : मैं जो पारित कर रहा हूं वह ब्रह्मांड का महान सिद्धांत है, जिसमे हर चीज समाहित है। तो फिर इसके बारे में सोचें, क्या यह फा बहुत विशाल नहीं है? मैं कहूंगा कि यह इतना विशाल है कि यह निराकार है, यह निराकार है और फिर भी इसमें सब कुछ समाहित है। (तालियाँ) फा-सुधार ब्रह्मांड में सभी प्राणियों का सुधार कर रहा है और उन सभी मूल चीजों को बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है जो देवता यहां छोड़ कर गए हैं।
शुरुआत में, कोई नहीं जानता था कि मैं क्या कर रहा हूं। अलौकिक प्राणियों ने यह भी सोचा कि मैं उनमें से एक था। (श्रोता हंसते हैं) कोई नहीं जानता था। इसीलिए विभिन्न लोकों के देवताओं का आचरण इस प्रकार का रहा है कि वे मेरे फा-सुधार में प्राचीन शक्तियों के हस्तक्षेप को अनदेखा कर रहे हैं। तो मैंने पहले कहा था कि इस विषय की बात आती है तो पूरे ब्रह्मांड के प्राणी पाप कर रहे हैं। मैंने कहा है कि वे सभी मेरे ऋणी हैं क्योंकि मैं उन्हें बचा रहा हूँ। यह फा सभी जीवों का आधार है।
वास्तव में, मानव समाज में कुछ भी, जब तक मैं इसे चुनता हूं, दाफा शिष्यों की साधना के लिए उपयोग किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, संगीत को लें, जिसके बारे में मैंने पहले बात की थी। यदि लोगों को संगीत का अध्ययन और रचना करते समय दाफा द्वारा मार्गदर्शन किया जाता है, तो वे प्रगति कर सकते हैं और प्रेरणा प्राप्त कर सकते हैं, और जिन रचनाओं के बारे में वे सोचेंगे और जिनकी आवश्यकता उन्हें लगती है, वे दिव्य रहस्योद्घाटन होंगे। तो दूसरे शब्दों में, आप चाहे किसी भी क्षेत्र से हों, जब आप अपने कौशल में सुधार करने में सक्षम होते हैं, तो यह आपके द्वारा स्तर में निरंतर ऊपर उठने का प्रतिबिंब है। और लोग देख सकते हैं कि आप एक अच्छे मनुष्य हैं और अपने मन और मस्तिष्क की साधना करने वाले व्यक्ति हैं। मानवजाति के दृष्टिकोण से आप एक अच्छे मनुष्य बन रहे हैं। फा का अध्ययन करने और अपने आंतरिक स्व की साधना करने के परिणामस्वरूप, आप बेहतर से बेहतर करते हैं, और देवता आपको वह ज्ञान देते हैं जिसके आप अधिकारी हैं और आपको प्रेरणा देते हैं जिससे आप अध्ययन करते समय बहुत सी चीजों को समझ सकें, बेहतर चीजें बना सकें, अपनी तकनीक में सुधार कर सकें, और आगे बढ़ सकें। इसके बारे में सोचें, मानव समाज में किसी भी उचित व्यवसाय में ऐसा किया जा सकता है, है ना? जब आप काम में अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो आप स्वयं की साधना कर रहे होते हैं—क्या आप उस प्रकार से सुधार नहीं कर सकते? आज के समाज में, मैं आपकी साधना के प्रारूप के रूप में कोई भी रूप चुन सकता हूं और आपकी साधना को सफल बना सकता हूं। (तालियाँ) बात केवल इतनी है कि मैंने उन चीजों को नहीं चुना। मैंने वो चीजें आपके लिए नहीं चुनीं। इसके स्थान पर, मैंने बुद्ध का रूप चुना और ब्रह्मांड के फा को बौद्ध प्रारूप में सिखाने का निर्णय लिया। और मेरे द्वारा बनाए गए पांच अभ्यासों और साधना के तरीके के माध्यम से, मैंने आपको साधना करनी सिखायी, जिससे सभी बुद्धों, ताओ, देवताओं और मनुष्यों सहित सभी प्राणियों को बचाया जा सके। क्योंकि बहुत सारे प्रारूप हैं, निःसंदेह मैं उन सभी को नहीं चुन सकता था। मैंने बौद्ध प्रारूप चुना। लेकिन सच्चाई यह है कि मैं जो सिखा रहा हूं वह ब्रह्मांड का महान सिद्धांत है। भले ही यह बौद्ध सिद्धांतों और फा के रूप में प्रकट होता है, और मैंने इसे बौद्ध सिद्धांतों और फा के दृष्टिकोण से सिखाया है, मैं वास्तव में जो सिखा रहा हूं वह ब्रह्मांड का परम महान सिद्धांत है। मैं आपकी साधना में आपको जिन मार्गों पर चलने को कह रहा हूं वे सभी ब्रह्मांड की विभिन्न प्रणालियों के महान दिव्य प्राणियों के मार्ग हैं। एक-एक चीज का सुधार किया जा रहा है। सब कुछ इस फा में समाहित है, है ना? महान सिद्धांत ऐसा ही होता है।
मैंने पहले उल्लेख किया था कि जब नाइन कमेंट्रीज पहली बार सामने आयी, तो कुछ लोग इसे समझ नहीं पाए और कहा, "क्या हम ऐसा करके राजनीति में सम्मिलित नहीं हो रहे हैं?" लेकिन राजनीति क्या है? मान लीजिए कि मैं, ली होंगज़ी, वास्तव में आपको राजनीति के माध्यम से साधना करने का निर्देश दूं—क्या आप सफलतापूर्वक साधना कर पाएंगे? (तालियाँ) आप बिल्कुल ऐसा कर पाएंगे। जब तक, कार्य करने की प्रक्रिया में, साधक अपनी साधना का, और अच्छे व फिर और भी अच्छे मनुष्य बनने के अपने प्रयास का मार्गदर्शन करने के लिए निरंतर दाफा का उपयोग करते हैं, और स्वयं को दाफा में आत्मसात और संयमित करते हैं, तब वे निरंतर सुधार करेंगे, निरंतर उन्नति करेंगे, और फलपदवी प्राप्त करने में सक्षम होंगे। यदि आज मैं आपको एक राजा और उसकी प्रजा के स्वरूप में साधना करने के लिए मार्गदर्शन करूँ, जिसमें आप प्रजा के रूप में साधना करें, तो क्या आप उस प्रकार से साधना कर सकते हैं? (तालियाँ) आप निश्चित रूप से ऐसा कर सकते हैं, और आप निश्चित रूप से उसी प्रकार फलपदवी प्राप्त कर सकते हैं। बात केवल यह होगी कि उस मार्ग पर कैसे चला जाए, सभी प्राणियों के प्रति कैसे उत्तरदायी हुआ जाए, और प्राणियों को सुधार करने में कैसे सक्षम बनाया जाए। जब तक इस महान सिद्धांत के मार्गदर्शन का पालन किया जाता है, इसे प्राप्त किया जा सकता है। जब विशिष्ट प्रारूपों की बात आती है, तो मैंने उन्हें नहीं चुना। आज इतनी दूर आने के बाद, हमारे लिए फिर से कुछ और चुनना संभव नहीं होगा। हम इस प्रकार से साधना करते हैं; इसी तरीके से हम साधना करते हैं।
अज्ञान और भ्रम के बीच में रहते हुए, लोग यह नहीं देख पाते कि यह फा कितना विशाल है। यदि कोई वास्तव में इसे देख सके, तो जैसे-जैसे वह साधना करता है, उसके मोहभावों का प्रकट होना देवताओं के विरुद्ध पाप करने के समान होगा। निश्चित रूप से क्योंकि लोग देख नहीं सकते, वे पापों में नहीं गिने जाते। एक व्यक्ति अधिक दृढ़ हो सकता है, जबकि दूसरे की समझ कम हो सकती है। (गुरूजी हँसते हुए) तुलनात्मक रूप से कहें तो, भ्रम का प्रारूप साधना के लिए [आवश्यकताओं] को कम कर देता है। कुछ लोग सोचते हैं, "यह बहुत अच्छा होता यदि मैं यह सब जानता और यह सब देख पाता।" ठीक है, तो उस स्थिति में, आपका साधना पथ इतना संकीर्ण होगा कि आपको थोड़ी सी भी भूल करने की अनुमति नहीं होगी। यदि आप पूर्ण रूप से ज्ञानप्राप्त कर लेते हैं, तो आपको ऐसा व्यक्ति नहीं माना जाएगा जो साधना कर रहा है, और आपको साधना करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। 20 जुलाई 1999 को दमन शुरू होने से पहले, कुछ दाफा शिष्य ऐसी स्थिति में थे जहां वे उच्च स्तर की निरंतर ज्ञानप्राप्ति पर थे। उन्हें दमन का विरोध करने में सम्मिलित होने की अनुमति नहीं दी गई है। कोई भी उन पर अत्याचार करने का साहस नहीं करता, और वे इसमें सम्मिलित नहीं हुए हैं। यदि वे एकजुट होते तो इस दमन को रोक सकते थे, लेकिन वे पहले से ही सब कुछ जानते हैं। मैं अभी जिस बारे में बात कर रहा था वह साधना के स्वरूप के बारे में है। अब जब मैंने इस दृष्टिकोण से इस पर चर्चा की है, तो मुझे लगता है कि आपकी सोच व्यापक हो गयी है, आपको बहुत सी चीजों की शीघ्र ही समझ आ गयी है, और अब आपको उचित रूप से समझ आ गया है कि यह महान सिद्धांत कितना विशाल है और आपके उत्तरदायित्व कितने महत्वपूर्ण हैं। (तालियाँ)
यह सब कहने के बाद, मैं पहले की कुछ और बात करना चाहूँगा। दाफा शिष्यों के रूप में, आपका एक असाधारण अतीत है, और आपका एक असाधारण वर्तमान भी होना चाहिए। कभी-कभी, फा का मान्यकरण करते समय, सामान्य रूप से दाफा कार्य करते समय, या अपनी स्वयं की साधना में, वास्तव में कई असंतोषजनक चीजें उपस्थित होती हैं। सबसे ध्यान देने योग्य और सबसे बड़ी समस्या, जो लंबे समय से अनसुलझी है, वह यह है जो देवता भी मेरे कानों में बड़बड़ा रहे हैं, कुछ ऐसा जो उन्हें सबसे अधिक व्याकुल करता है। लेकिन मैंने कभी इस पर जोर नहीं दिया, और न ही मैंने इसकी कड़े शब्दों में चर्चा की। ऐसा क्यों? ऐसा इसलिए है क्योंकि दाफा शिष्यों को थोड़े मानवीय साहस की आवश्यकता थी क्योंकि वे आज फा का मान्यकरण करने जा रहे थे। इसीलिए मैंने इस बारे में बात नहीं की। मैं उस चर्चा को अंत के लिए बचा कर रखना चाहता था—मैं इसके बारे में बाद में बात करना चाहता था, जब समय अधिक उपयुक्त हो। तो वो क्या है? जब दाफा शिष्य गलतियाँ करते हैं, तो उन्हें आलोचना पसंद नहीं है। कोई भी उनकी आलोचना नहीं कर सकता, और जब कोई ऐसा करता है, तो वे निराश हो जाते हैं। जब वे सही होते हैं, तो उन्हें यह पसंद नहीं है कि दूसरे लोग उन चीजों को सामने लाएँ जिनमें वे सुधार कर सकते हैं; जब वे गलत होते हैं, तो वे आलोचना नहीं चाहते। जैसे ही दूसरे लोग आलोचना करते हैं तो वे व्याकुल हो जाते हैं। समस्या काफी गंभीर होती जा रही है। (तालियाँ)
मैंने इस बारे में बात करने के लिए अब तक क्यों रुका हुआ था? जब आप पहले फा का मान्यकरण कर रहे थे और दुष्टता को उजागर कर रहे थे, तो मैं नहीं चाहता था कि आप चीजें करते समय बहुत ढीले पड़ें; उस स्थिति में जब आपने सत्य को स्पष्ट किया होता तो आप पूरे मनोबल से नहीं कर रहे होते। यह एक समस्या होगी यदि, जब आपने सत्य को स्पष्ट किया तो दूसरों ने [नकारात्मक] टिप्पणी की, आप बिना कोई स्पष्टीकरण दिए, वहीं रुक गए। अब जब आप परिपक्व और तर्कसंगत हो गए हैं, और जानते हैं कि चीजों को कैसे संभालना है, और अब [इस मामले पर चर्चा] आपके सत्य स्पष्टीकरण को प्रभावित नहीं करेगी, मैं उस बारे में बात कर रहा हूं जो मैंने आज के लिए बचाकर रखी थी। इससे आपको जो समस्या है, वह अब काफी प्रमुखता से उभर कर सामने आ रही है। साधकों के रूप में, इसके बारे में सोचें—मैंने जुआन फालुन में और फा पर अपनी पिछली शिक्षाओं में इस बारे में बात की है—मैंने कहा है, " जब मारा जाए तो पलटकर मत मारो, अपमानित किये जाने पर उत्तर मत दो।" जब दूसरे आपके साथ दुर्व्यवहार करें, तो आपको केवल मुस्कान के साथ प्रतिक्रिया करनी चाहिए और वहीं बात समाप्त कर देनी चाहिए। और जब दूसरे लोग झगड़ों में उलझे हों और आप केवल दर्शक हों, तो आपको इस बारे में सोचना चाहिए, “मैं बेहतर कैसे कर सकता हूं? यदि मैं उस स्थिति में होता, तो क्या मैं अपने शिनशिंग को नियंत्रित कर पाता और एक साधक के रूप में आलोचना और अस्वीकृति का सामना कर पाता?" साधना अपने भीतर झाँकने के बारे में है। चाहे आप सही हों या गलत, आपको स्वयं को परखना चाहिए। साधना मानवीय मोहभावों से छुटकारा पाने के बारे में है। यदि आप हमेशा निन्दा और आलोचना को अस्वीकार करते हैं, हमेशा दूसरों पर अपनी उंगलियाँ उठाते हैं, और हमेशा दूसरों की अस्वीकृति और आलोचना का खंडन करते हैं, तो क्या यह साधना है? वह साधना कैसे हुई? आप अन्य लोगों की कमियों पर ध्यान केंद्रित करने के आदी हो गए हैं, और कभी भी स्वयं की परख को गंभीरता से नहीं लेते हैं। जब दूसरों की साधना एक दिन सफल हो जाएगी, तो आप क्या करेंगे? क्या गुरु यह आशा नहीं करते हैं कि आप अच्छी तरह से साधना करें? आप आलोचना स्वीकार क्यों नहीं करते, और आप अन्य लोगों पर ध्यान केंद्रित क्यों करते रहते हैं? क्यों न अपने भीतर की साधना करें और स्वयं का परीक्षण करें? जब आपकी आलोचना होती है तो आप उत्तेजित क्यों हो जाते हैं? यहां बैठे आपमें से कितने लोग सहज रह सकते हैं जब कोई अचानक आपकी ओर इंगित करता है और आपको डांटता है? आपमें से कितने लोग दूसरों द्वारा आलोचना और अपमान का सामना होने पर शांत रह सकते हैं और अपने भीतर इसका कारण खोज सकते हैं?
यह आपको दोष देने के लिये नहीं है—ऐसा नहीं है कि मेरे दाफा शिष्यों ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है। (गुरूजी हँसते हुए) इस विषय में, अब, यह वास्तव में इसलिए है क्योंकि गुरु ने उस थोड़ी सी चीज को आपके अंदर रहने दिया। लेकिन अब जब मैंने आज इस पर चर्चा की है, तो अब से आपको इस समस्या को बहुत गंभीरता से लेना शुरू कर देना चाहिए। (तालियां) हाल ही में, कुछ शिष्यों ने अक्सर मुझे टिप्पणियाँ, पत्र या संदेश भेजे हैं, जिनमें बताया गया है कि ये या वे व्यक्ति कितने अनुचित हैं (श्रोता हंसते हैं), या इन या उन व्यक्तियों को क्या समस्याएं हैं। मैं जानता हूं कि क्या चल रहा है—बहुत अच्छी तरह से। स्वयं की साधना करें। मैं नहीं चाहता कि दाफा शिष्यों का वातावरण ऐसा बने जिसमें लोग एक-दूसरे पर उंगलियाँ उठाएँ। मैं चाहता हूं कि वातावरण ऐसा हो जिसमें हर कोई आलोचना स्वीकार कर सके और साथ ही अपने भीतर भी झांक सके। यदि हर कोई स्वयं की साधना करे, हर कोई अपने भीतर देखे, और हर कोई स्वयं की अच्छी तरह से साधना करे, तो क्या संघर्ष कम नहीं होंगे? यह वह सिद्धांत है जिसे मैं तब से सिखाता आ रहा हूँ जब मैंने पहली बार फा सिखाना शुरू किया था। क्या ऐसा नहीं है? एक साधक के लिए सुधार निश्चित रूप से उंगली उठाने से नहीं होता है, न ही यह आपके गुरु के रूप में मेरे द्वारा आपकी आलोचना से या आपके द्वारा एक-दूसरे पर उंगली उठाने या आलोचना करने से होता है। यह आपके स्वयं की साधना करने से आता है। अब जब गुरु ने यहां फा के आज के व्याख्यान में इस बारे में बात की है, तो अब से आपको इस मामले को गंभीरता से लेना शुरू कर देना चाहिए। (उत्साही तालियाँ)
मानसिक रूप से तैयार रहें (श्रोता हंसते हैं), घर लौटते ही आपको इन चीजों का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन इससे पहले कि आप इसका सामना करें, आपको पता नहीं चलेगा कि यह होने वाला है। (श्रोता हंसते हैं) जब संघर्ष होते हैं, तो आपके साथ देवताओं जैसा व्यवहार नहीं किया जाएगा, न ही चीजें किसी दिव्य तरीके से प्रकट होंगी। वे सभी साधारण दिखायी देंगी, और सभी का रूप वैसा ही होगा जैसा साधारण लोगों के एक-दूसरे के साथ संघर्ष होते हैं। और आपकी प्रतिष्ठा बचाने की निश्चित रूप से कोई बात नहीं होगी। मुझे, ली होंगज़ी को छोड़कर, किसी को भी किसी प्रकार का विशेष व्यव्हार नहीं मिलेगा। जो कुछ भी होगा वह निश्चित रूप से इस स्तर पर नियमों के मापदंडों से हटकर नहीं किया जाएगा। तो, हर चीज इस मानव स्तर के विशिष्ट रूपों में प्रकट होगी। इस बिंदु पर, मुझे लगता है कि क्योंकि आप दाफा के शिष्य हैं जिन्होंने फा का अध्ययन किया है और काफी समय से इसकी साधना की है, जब अधिक विस्तृत सिद्धांतों की बात आती है, तो आप उन्हें जानते हैं, और मेरे द्वारा उन पर चर्चा किए बिना आप उनसे अवगत हैं।
समस्या काफी विकराल हो गई है। क्या आप जानते हैं, पिछले कई वर्षों से उच्च-स्तरीय प्राणी मेरे कानों में इस बारे में बार-बार बड़बड़ा रहे हैं? हालाँकि, मैं टस से मस नहीं हुआ। जब दाफा शिष्य फा का मान्यकरण करने के लिए आगे बढ़ रहे थे तो मैं चाहता था कि उनमें सच्चाई को उजागर करने का साहस हो, और इसलिए मैंने इसके बारे में बात नहीं की। मैं इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए एक समय, एक पर्याप्त अवसर चुनना चाहता था। आज उचित समय है, इसलिए मैंने इसे चुना। साथ ही मैं आपको बता दूं कि पूर्ण रूप से यह बात हमारे लिए अब स्पष्ट हो गई है। कुछ लोगों के साथ तो इतनी बुरी स्थिति हो गयी है कि कोई उनके बारे में एक शब्द भी नहीं बोल सकता। ऐसा लगता है कि मैं इसे संबोधित किए बिना अब और नहीं रह सकता। कुछ लोग माचिस की तरह हो गए हैं—एक रगड़ और वे प्रज्वलित हो जाते हैं। वे बारूदी सुरंगों की तरह हैं—एक कदम रखा और वे फट जाते हैं। [वे ऐसे व्यवहार कर रहे हैं जैसे,]"आप मेरी आलोचना नहीं कर सकते। मैं कोई आलोचना सहन नहीं कर सकता।'' वे अब अस्वीकृति या असहमति की किसी भी अभिव्यक्ति को नहीं सुनते हैं, चाहे वह अच्छी या बुरी मंशा से हो, जानबूझकर या अनजाने में हो; वे हर चीज को सीधे-सीधे अस्वीकार कर देते हैं, और वे स्वयं की परख तो और भी कम करते हैं। यह काफी गंभीर हो गया है। मैं आपको दोष नहीं दे रहा हूं, लेकिन अब से आप सभी को इस पर ध्यान देना होगा। आपको उस बिंदु तक पहुंचना चाहिए जहां आप आलोचना सहने में सक्षम हों, चाहे वह किसी के भी द्वारा हो। यदि इसमें सच्चाई है तो आप इसे सुधार लें, और यदि नहीं, तो आप इसके प्रति सचेत रहें। यदि आप आलोचना या डांट-फटकार के बाद भी शांत रह सकते हैं, तो आप सुधार कर रहे हैं। (तालियाँ)
अक्सर ऐसे शिष्य होते हैं जो कहते हैं, "कुछ शिष्य जानते हैं कि उनमें कुछ कमियाँ और समस्याएँ हैं, लेकिन फिर भी वे दूसरों को उनकी आलोचना नहीं करने देते।" निश्चित ही, मैं यह सुझाव नहीं दे रहा हूं कि आप सभी दूसरों की आलोचना करें। लेकिन जब अन्य लोग कोई समस्या देखते हैं, या देखते हैं कि कोई समस्या आपके द्वारा सत्य को स्पष्ट करने को प्रभावित कर सकती है या आपके साथ मिलकर काम करने में बाधा उत्पन्न कर सकती है, तो उन्हें यह बताना चाहिए। मेरे फा शरीर आपको किसी अन्य शिष्य के मुँह से संकेत दे सकते हैं। आप साधना की इतनी लंबी प्रक्रिया से गुजरे हैं, और आपने बहुत कुछ किया है। आपने सचमुच बहुत परिश्रम किया है। आपने जो कुछ किया है, वह सब मैं देख रहा हूँ। यह सचमुच असाधारण है। लेकिन जैसा कि कहा गया है, यह एक ऐसी चीज है जो मूल स्तर पर इस बात की पुष्टि करती है कि कोई व्यक्ति मूलतः एक साधक है या नहीं; इसलिए जो चीज आपको आलोचना सहन नहीं करने देती, उस चीज को हटाना होगा। भले ही आपने अन्य सभी क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन किया हो और केवल इस एक मामले में बुरे हों, फिर भी आप एक साधक नहीं हैं। अतीत में, साधक पहले इस मुद्दे पर काम करते थे, और यह एक शिष्य के रूप में चुने जाने की परीक्षा थी। 20 जुलाई 1999 को दाफा शिष्यों का दमन शुरू होने से पहले मैंने भी ऐसा ही किया था। 20 जुलाई 1999 के बाद, मैंने इस पर जोर नहीं दिया। आज मैं इस मुद्दे को फिर से उठा रहा हूं और इसके साथ ही मैं आपके लिए उस भौतिक पदार्थ को हटा रहा हूं जो बन चुका है। (तालियां) लेकिन आपने जो प्रवृत्ति बना ली है, उसे सुधारने की आवश्यकता है—आपको ऐसा करना ही होगा। अवश्य ध्यान दें! इस बिंदु से, जो कोई आलोचना नहीं सह सकता वह दृढ़ नहीं हो रहा है, जो कोई आलोचना नहीं सह सकता वह एक साधक की स्थिति प्रदर्शित नहीं कर रहा है, या कम से कम इस मुद्दे पर तो ऐसा नहीं है। (तालियां) यदि कोई अभी भी इस परीक्षा को पास नहीं कर पाता है, तो मैं आपको बताऊंगा, वह बहुत भयावह स्थिति में है, क्योंकि एक साधक के लिए यह सबसे मूल चीज है, यह हटाये जाने वाली चीजों की सूची में सबसे ऊपर है, और इसे हटाना होगा। यदि आप इससे छुटकारा नहीं पाते हैं, तो आप फलपदवी प्राप्त नहीं कर पाएंगे। ऐसा ना होने दीजिए कि दाफा शिष्यों का काम साधारण लोग ही कर रहे हैं। आप फलपदवी प्राप्त करना चाहते हैं, अच्छा भाग्य नहीं।
यदि साधारण लोग दाफा कार्य करना चाहें, तो क्या वे ऐसा कर सकते हैं? वे पहले ही कर चुके हैं। [कुछ लोग आपको बताएंगे,] "मैंने बोला 'दाफा महान है', और मैंने पर्चे बांटे।" जब एक साधारण व्यक्ति ने वह किया है जो दाफा शिष्य करते हैं, लेकिन वह साधना नहीं करता है, तो क्या वह दाफा शिष्यों के जैसे फलपदवी प्राप्त करने में सक्षम होगा? नहीं, वह नहीं होगा। लेकिन उसने इतना बड़ा काम किया है, और वह भी इस ऐतिहासिक मोड़ पर। तो इस प्राणी को कैसे देखा जाएगा? बदले में उसे वास्तव में सौभाग्य प्राप्त होगा, अत्यधिक सौभाग्य। मुझे आशा करनी चाहिए कि आपमें से जो लोग यहां बैठे हैं, जिन्होंने इतने लंबे समय तक साधना की है, अंत में वे बदले में केवल सौभाग्य ही प्राप्त नहीं करेंगे, है ना? (श्रोता हंसते हैं) आपके लिए भविष्य में और भी महान, अधिक भव्य चीजें हैं, और वह सब कुछ जो एक जीवन के लिए वास्तव में अद्भुत है। इसलिए दाफा शिष्यों की साधना अच्छे भाग्य का पुरस्कार प्राप्त करने के विषय में नहीं है। अब से, साधारण लोगों के साथ अपनी बातचीत के साथ-साथ, आपको साथी दाफा शिष्यों के साथ बातचीत करने के तरीके में भी गहन सुधार करने की आवश्यकता है। अब जब मैंने यह सब कह दिया है, तो आपको इसका पालन करना होगा और इसे साकार करना होगा। (उत्साही तालियाँ)
मैं साथ-साथ कुछ और भी बताता हूँ। वर्तमान में एक मुद्दा सामने आया है, और यह उत्तरी अमेरिका के उल्लेखनीय मामले के अतिरिक्त अन्य क्षेत्रों में दाफा शिष्यों से संबंधित है... कई दाफा शिष्य टिकट बेचने और न्यू तांग डायनेस्टी टीवी चीनी नव वर्ष गाला की तैयारी में सम्मिलित रहे हैं। मौसम ठंडा था, इसलिए यह कड़ा परिश्रम था जो आपने किया, और आपने इसे अपने मन से किया। मैंने देखा कि टिकट बिक्री को बढ़ावा देने के लिए दाफा के शिष्यों ने कड़ाके की ठंड में पतले कपड़े पहनकर सड़कों पर प्रदर्शन किया। शायद इसलिए कि आप सब ऐसा कर रहे थे, आपने इसके बारे में अधिक नहीं सोचा। परन्तु देवताओं की दृष्टि में यह कुछ और ही था। और आपके गुरु के रूप में, मैं भी काफी प्रभावित हुआ था। आप अद्भुत हैं। इस विषय में बोलते हुए, मैं इस बारे में बताऊंगा कि वैश्विक चीनी गाला इतना महत्वपूर्ण क्यों है। क्या आपको एहसास है कि इस चीनी नव वर्ष वैश्विक गाला में कौन सी प्रमुख चीजें निर्भर हैं?
दुष्ट सीसीपी ने हमेशा पार्टी संस्कृति को बढ़ावा देने और चीन के लोगों को गुमराह करने और विचारधारा परिवर्तित करने के लिए कला प्रदर्शन को अपना उपकरण बनाया है। मुख्य भूमि चीन के सभी लोग जानते हैं कि हर वर्ष यह "[सीसीटीवी] वसंत महोत्सव" प्रदर्शन आयोजित करता है, और यह कि सभी कार्यक्रम अधम पार्टी का महिमामंडन करते हैं, और अत्यधिक राजनीतिक होते हैं। लेकिन न्यू तांग डायनेस्टी टीवी का चीनी नव वर्ष समारोह और भी बड़ा है—इसे "चीनी नव वर्ष वैश्विक गाला" कहा जाता है। "वैश्विक"—इसमें निश्चित रूप से मुख्य भूमि चीन भी सम्मिलित है। तो, इसके बारे में सोचें, क्या यह बहुत बड़ी बात नहीं है? "वैश्विक" का अर्थ है अंतर्राष्ट्रीय। और यदि यह अंतर्राष्ट्रीय है, तो इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक का होना चाहिए, है ना? यह देखते हुए कि वे पिछले कुछ वर्षों के समारोहों को इतनी अच्छी तरह से प्रस्तुत करने और इतनी उच्च गुणवत्ता प्राप्त करने में कैसे सफल रहे हैं, हमारे शिष्य वास्तव में उल्लेखनीय हैं। चाहे समग्र गुणवत्ता जैसी भी थी या व्यक्तिगत प्रदर्शन जैसा भी था, कम से कम, लोग कोई ध्यान देने योग्य कमी नहीं निकाल सकते थे। (गुरूजी हंसते हैं) (श्रोता हंसते हैं, तालियां बजाते हैं) प्रतिक्रिया बहुत सकारात्मक रही है। इसीलिए प्रत्येक कलाकार, नृत्य-निर्देशक और निर्देशक, संगीतकार, ऑर्केस्ट्रा आदि के लिए आवश्यकताएँ अधिक हैं। इसलिए कुछ चीजों में हमें मूल बातों से शुरुआत करने की आवश्यकता है। साथ ही, जैसा कि आप जानते हैं, मैंने पहले कुछ कहा था : चाहे वह गाला का समग्र प्रभाव हो, गाया जाने वाला गीत हो, या बजाया जाने वाला संगीत स्वर हो, ये सभी चीजें जो दाफा शिष्य करते हैं उनमें अन्य आयामों में फा का मान्यकरण करने का प्रभाव होता है। उत्सर्जित ऊर्जा काफी शक्तिशाली होती है, और यह दुष्टता को समाप्त कर देती है। दूसरी बात यह है कि, भविष्य के लोग वही करेंगे जो आज के दाफा शिष्य करते हैं। दाफा शिष्य भविष्य के लोगों के लिए एक निश्चित संस्कृति छोड़ने का बीड़ा उठा रहे हैं, और वे अधम पार्टी की संस्कृति का सफाया कर रहे हैं, है ना? यही कारण है कि अधम सीसीपी इतनी कुटिल रही है और उसने समस्याएं उत्पन्न करने का प्रयास किया है। प्रदर्शनों का फा का मान्यकरण करने और चेतन जीवों को बचाने पर सीधा प्रभाव पड़ता है। इस प्रकार उनका प्रभाव काफी महत्वपूर्ण है, और उनके परिणाम काफी अच्छे हैं। यदि हम इसे बिना रुके जारी रख सकें, वर्तमान की तरह केवल कुछ प्रदर्शन करने के स्थान पर, यदि हम और अधिक प्रदर्शन कर सकें, तो सोचिए कि कितने चेतन जीवों को बचाया जाएगा! क्या आपको एहसास है कि जब गाला देखने वाले लोग थिएटर से बाहर निकलते हैं, तो उनके सभी बुरे विचार समाप्त हो जाते हैं? उनके सारे बुरे विचार दूर हो जाते हैं। (तालियाँ) इसीलिए लोगों को यह इतना प्रभावशाली लगता है।
मैं बस इतना ही कहूँगा। निःसंदेह, मैं जानता हूं कि आप और अधिक सुनना चाहते हैं। (गुरूजी हँसते हैं) (तालियाँ) मुझे पता है कि इस अवधि के दौरान आपकी साधना में अनेक समस्याएं हैं, और हमारे शिष्यों के भिन्न-भिन्न मत हैं। आपके प्रश्नों का उत्तर देने के लिए मैं कुछ समय दूंगा। आप अपने प्रश्न की पर्चियाँ दे सकते हैं। (तालियां) जिससे हम यहां कुछ ठोस मुद्दों को हल कर सकें, मैं कहना चाहता हूं कि जो शिष्य प्रश्न पर्चियां जमा करना चाहते हैं, वे अपने प्रश्नों का मूल्यांकन करें और आकलन करें कि क्या उन्हें पूछा जाना चाहिए। (गुरूजी हँसते हुए) अन्यथा आप ढेर सारी पर्चियाँ दे देंगे, और हम उन सभी को संबोधित नहीं कर पाएँगे। अब आप अपनी पर्चियां दे सकते हैं।
शिष्य: हम विभिन्न देशों में समाज की मुख्यधारा को, सरकारों और संगठनों को नियमित रूप से ईमेल भेजकर सच्चाई को स्पष्ट कर रहे हैं और मानव अधिकारों के दृष्टिकोण से दुष्टता को उजागर कर रहे हैं, और इसके अच्छे परिणाम मिले हैं। अब हमारे पास एक सूची है जिसमें लाखों पते हैं। कुछ लोग सोचते हैं कि हमारे इस बहुमूल्य संसाधन का उपयोग मुख्य रूप से हमारे मुख्य कार्यों के लिए किया जाना चाहिए, जो सत्य को स्पष्ट करना और दुष्टता को उजागर करना है, जबकि अन्य लोग सोचते हैं कि हमें इस संसाधन का अधिकतम उपयोग अन्य चीजों जैसे आयोजन सूचना, घोषणाएँ, गाला प्रचार, और चीन में मानवाधिकारों के समर्थन से संबंधित गतिविधियों पर सूचना, आदि भेजने के लिए करना चाहिए। यह एक विशिष्ट प्रश्न है, लेकिन यह बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यदि इसे अच्छी तरह से नहीं संभाला गया तो इसका नकारात्मक प्रभाव हो सकता है।
गुरुजी: आपको सबसे पहले यह स्पष्ट होना होगा कि आप आज क्या कर रहे हैं। आप चेतन जीवों को बचा रहे हैं, इसलिए जो चीजें चेतन जीवों को बचाने से संबंधित नहीं हैं, वे उन चीजों में से नहीं हैं जिन्हें आपको करने की आवश्यकताता है। एक बार जब आप लोगों को दाफा शिष्यों के दमन और दाफा के बारे में तथ्य बता देते हैं, तो दूसरी चीजें कम महत्वपूर्ण हैं।
निस्संदेह, इन विशिष्ट मामलों को एक-एक करके देखा जाना चाहिए। उन्हें साधारण लोगों के अधिकारों के समर्थन के आंदोलनों में सम्मिलित होने के लिए प्रेरित करना दाफा शिष्यों का कोई उत्तरदायित्व नहीं है। आपके द्वारा चलाया जाने वाला मीडिया उन गतिविधियों पर कुछ सीमा तक ध्यान केंद्रित कर सकता है, जनता को उनके बारे में जानकारी प्रदान कर सकता है और अधम सीसीपी को उजागर कर सकता है। हालाँकि, एक बात है जिस पर आपको स्पष्ट होना चाहिए। आपके अस्तित्व का उद्देश्य अधिकारों के समर्थन का प्रयास नहीं हैं; बल्कि, फा का मान्यकरण करने में दाफा शिष्यों की सहायता के लिए अधिकारों के समर्थन के प्रयास हैं। (तालियाँ) आपको अपनी प्राथमिकताएँ स्पष्ट रखनी होंगी! यदि आप गाला टिकटों का प्रचार कर रहे हैं, तो इसका उद्देश्य निश्चित रूप से उन्हें दाफा और दाफा शिष्यों के बारे में जानने में सहायता करना है। (गुरूजी मुस्कुराते हैं)
शिष्य: हमारा एक सुझाव है। हम चीन में समकालीन समय और चीन के वर्तमान इतिहास पर वृत्तचित्र बनाने के बारे में सोच रहे हैं, जिसे लोकप्रिय बनाया जा सके, और हम इतिहास के बारे में लोगों के अनुचित विचारों को ठीक करने के लिए ऐसा करेंगे।
गुरुजी: हां, मैं उन चीजों के बारे में जानता हूं। आप आगे बढ़ सकते हैं और उन्हें कर सकते हैं।
शिष्य: हम कैसे निर्धारित कर सकते हैं कि कौन सी ऐतिहासिक सामग्री उचित है, और उनसे सही निष्कर्ष कैसे निकालें?
गुरुजी: जब ऐतिहासिक तथ्यों की बात आती है, तो यदि [आपके संदर्भ के लिए] वृत्तचित्र हैं, तो यह सबसे अच्छा होगा, क्योंकि वे असत्य नहीं होंगे। यदि आप विभिन्न स्रोतों से दस्तावेज एकत्र करके चीजों के बारे में सीखते हैं, तो मुझे लगता है कि आप सबसे सही निष्कर्ष पर पहुंचेंगे। आपको एक बात का ध्यान रखना होगा कि दुष्ट सीसीपी द्वारा बतायी गयी सभी बातें झूठी हैं, इसलिए आपको उन पर विश्वास नहीं करना चाहिए। इतने वर्षों में वह अधम पार्टी चीनी लोगों को धोखा देती रही है, साधारण नागरिकों को धोखा देती रही है।
शिष्य: जब हम मुख्यधारा के पश्चिमी समाज में मूल स्तर के संगठनों के लिये तथ्यों को स्पष्ट करने और दुष्टता को उजागर करने के लिए आगे बढ़े, तो हमें बहुत सारी सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली। कुछ लोगों ने हमसे पूछा है कि वे क्या विशिष्ट कार्रवाई कर सकते हैं। इस कारण से, हमने एक विवेक संस्थान की स्थापना की जिससे विवेकशील लोग जो अभ्यासी नहीं हैं लेकिन हमारा समर्थन करना चाहते हैं वे इसमें सम्मिलित हो सकें। हमारा एक प्रश्न है: यदि कोई पीड़ित दाफा शिष्यों को धन दान करना चाहता है, तो हमें उन शिष्यों के लिए ऐसा दान कैसे प्राप्त करना चाहिए और इन चीजों का समन्वय कैसे करना चाहिए? और हमें भविष्य में दान और धन संग्रह को कैसे संभालना चाहिए?
गुरुजी: मैंने आपसे इस बारे में बहुत पहले ही बात की थी जब मैंने फा सिखाया था। मैंने कहा कि दाफा साधना में आप धन एकत्र नहीं कर सकते या भौतिक चीजें जमा नहीं कर सकते; ऐसा करने से केवल मोहभावों को बढ़ावा मिलेगा, जो आपकी साधना के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं है। इसके अतिरिक्त, आप साधारण समाज में साधना कर रहे हैं, इसलिए आपको साधारण लोगों द्वारा कुछ प्रदान किए जाने की आवश्यकता नहीं है। निश्चित ही, हमारे कुछ दाफा शिष्य हैं जो भिक्षु या भिक्षुणियाँ हैं, लेकिन उनकी स्थिति विशिष्ट है। मैं यहां केवल सामान्य चीजों के बारे में बात कर रहा हूं। इसलिए इन परिस्थितियों में, मैं किसी भी प्रकार के धन संग्रह को पूरी तरह से प्रतिबंधित करता हूं—आप शिष्यों से धन की मांग या संग्रह नहीं कर सकते हैं, न ही आप अन्य धर्मों के जैसे जनता से धन की मांग कर सकते हैं। हम वैसे कोई भी काम नहीं करते हैं।
लेकिन 20 जुलाई 1999 को दमन शुरू होने के बाद से स्थिति बदल गई है। दाफा शिष्यों को सच्चाई को स्पष्ट करने और चेतन जीवों को बचाने के लिए धन की आवश्यकता है, लेकिन उनकी व्यक्तिगत आय सीमित है और दमन लंबे समय तक चला है। इस समस्या को हल करने और दमन को उजागर करने के लिए बहुत सारे धन की आवश्यकता है। कम से कम, आपको पर्चे छापने के लिए धन की आवश्यकता है। और टीवी नेटवर्क, रेडियो स्टेशन और समाचार पत्र सभी को धन की आवश्यकता होती है। कई अन्य चीजों, कई परियोजनाओं के लिए भी धन की आवश्यकता होती है। इस स्थिति को देखते हुए, मैंने कुछ परियोजनाओं के प्रभारी दाफा शिष्यों से कहा कि हम केवल विभिन्न देशों की सरकारों, विभिन्न प्रकार के संस्थानों या बड़ी कंपनियों से प्रायोजन मांग सकते हैं। लेकिन वास्तव में, प्राचीन शक्तियां इस संबंध में पुरजोर तरीके से बाधा डालती रही हैं। पिछले कुछ वर्षों में चीन में निवेश करने में बहुत रुचि रही है, और कई देशों ने वहां निवेश किया है, इसलिए वे इस डर से फालुन गोंग को कोई वित्तीय सहायता देने का साहस नहीं करते हैं क्योंकि सीसीपी उनकी कंपनियों के लिए समस्या उत्पन्न कर सकती है। इसलिए ऐसा लगता है कि जब आर्थिक हित दांव पर लगे होते हैं तो वे अपनी अंतरात्मा को धोखा दे रहे होते हैं। ऐसी स्थिति में, उनसे धन प्राप्त करना बहुत कठिन है।
हमारे कई शिष्यों ने अपने सत्य-स्पष्टीकरण की प्रक्रिया में पाया है कि वास्तव में कुछ बहुत अच्छे लोग हैं, जो जब इस दमन के दुष्टता से अवगत होते हैं, तो शिष्यों को कुछ धन दान करने का प्रस्ताव रखते हैं। इन मामलों में हमें क्या करना चाहिए? मैं अब भी आपसे वही बात कहता हूं : पूरा प्रयास करें कि जनता से चंदा न मांगें, ऐसा न करें। यदि कोई सच्चे मन से दान देने पर जोर देता है, तो इसे स्वीकार करना ठीक है, और आप इसका उपयोग वहां कर सकते हैं जहां इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है और जहां धन की कमी है। बस इतना ही। मैं आपको ऐसा करने का परामर्श नहीं देता, लेकिन यदि कोई वास्तव में दान देने पर बल देता है, तो कभी-कभी आपके द्वारा इसे स्वीकार न करना उन्हें अजीब लग सकता है। ऐसे में इसे स्वीकार कर लें। कभी-कभी आप लोगों को केवल तभी बचा सकते हैं जब आप जो काम करते हैं वे उन्हें समझ में आये। इसलिए यदि आप वास्तव में ऐसी स्थिति में हैं, तो बस [दान] स्वीकार कर लें।
हालाँकि, सुनिश्चित करें कि धनराशि का अनुचित तरीके से उपयोग न किया जाए। मैं जानता हूं कि हमें कुछ परियोजनाओं और कुछ स्थानों पर धन के प्रबंधन में समस्याएं आयी हैं। हालाँकि, मैं उसमें नहीं पड़ना चाहता। यदि इस संबंध में आपके साथ कोई समस्या है, तो मुझे ऐसा लगता है कि आप अब और साधना नहीं करना चाहते। सभी देवता आपको देख रहे हैं। यदि किसी साधक को यह समस्या है तो यह अत्यंत गंभीर है।
शिष्य: हमें दमन को समाप्त करने के लिए लोगों के अधिकारों के समर्थन के प्रयासों और लोगों को "तीन निकासियाँ" करने के लिए प्रोत्साहित करने के बीच संबंधों को ठीक से कैसे संभालना चाहिए?
गुरुजी: "तीन निकासियाँ" करने के लिए [प्रोत्साहित करके], आप लोगों को बचा रहे हैं, चेतन जीवों को बचा रहे हैं, और मुख्यभूमि चीन के लोगों को बचा रहे हैं। यह मुख्यभूमि चीन के बाहर का मुद्दा नहीं है। जैसा कि मैंने कहा, जब पूरा दुष्ट पूर्वी यूरोपीय कम्युनिस्ट ब्लॉक ढह गया, वहां के लोगों ने वही किया जो उन्हें करना चाहिए था—उन्होंने इसे ढहा दिया। मुख्यभूमि चीन के लोगों ने अभी तक यह कार्रवाई नहीं की है, इसलिए स्वयं को साफ-सुथरा रखने के लिए उन्हें दुष्ट सीसीपी के दुष्ट संगठनों से स्वयं को अलग करना होगा।
जैसा कि मैंने पहले कहा, अधिकारों के समर्थन के आंदोलन साधारण लोगों के मामले हैं, और फालुन गोंग बिल्कुल भी एक राजनीतिक समूह नहीं है। आपको इसे अपने मन में स्पष्ट रखना चाहिए : चाहे वे मुख्यभूमि चीन से हों जो अच्छे पक्ष में आ गए हैं, या जो आगे आए हैं और फालुन गोंग के लिए आवाज उठाई है, ऐसा इसलिए है क्योंकि देवताओं ने उनके लिए दाफा शिष्यों की सहायता करने की व्यवस्था की है, और यह निश्चित रूप से ऐसा नहीं है कि दाफा शिष्यों को भी उनकी सहायता करनी चाहिए। उनकी अधिक रिपोर्ट देना और उनके बारे में चिंता दिखाना हमारे मीडिया के लिए कोई समस्या नहीं है। लेकिन आपको अपनी प्राथमिकताओं को भ्रमित नहीं करना चाहिए, न ही आपको भ्रमित होना चाहिए कि आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं। आपको इन चीजों पर स्पष्ट होना चाहिए! हम कोई साधारण लोगों का राजनीतिक समूह नहीं हैं, इसलिए आप स्वयं को पूरी तरह से उन चीजों के लिए समर्पित नहीं कर सकते। लेकिन आप उन पर रिपोर्ट करने और दमन को उजागर करने के लिए अपने मीडिया का उपयोग कर सकते हैं। निश्चित ही, कुछ लोगों को सीधे तौर पर सताया गया है क्योंकि उन्होंने आगे बढ़कर फालुन गोंग के लिए आवाज उठाई है। उस स्थिति में आप उन लेखों पर अधिक ध्यान दे सकते हैं और उनकी अधिक रिपोर्ट कर सकते हैं; विशेष रूप से, आपको उनकी सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए। इनमें से कोई भी काम करने में कोई समस्या नहीं है। मुख्य बात यह है कि आपको स्पष्ट होना चाहिए—अब ध्यान से सुनें—कि कुछ चीजों को करने में उनकी सहायता करना आपके लिए ठीक है, लेकिन आपको यह स्पष्ट होना चाहिए कि वे चीजें आपकी सहायता करने के उद्देश्य से हुई हैं, और यह कि साधना करना व चेतन जीवों बचाना आपके लिए सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण हैं। (तालियाँ)
शिष्य: क्या पाँच व्यायामों के श्लोकों का अन्य भाषाओं में अनुवाद किया जा सकता है?
गुरुजी: जब वे शुरुआत में अंग्रेजी अनुवाद पर काम कर रहे थे, तो मैंने कहा था कि पवित्र फा के श्लोकों का अनुवाद नहीं किया जाना चाहिए। तो फिर उनका अनुवाद क्यों नहीं किया जा सकता? पवित्र फा के श्लोक ब्रह्मांड की ध्वनियों, ब्रह्मांड के कई कारकों और ब्रह्मांड की जानकारी से जुड़े हुए हैं। केवल उन्हें व्यक्त और सक्रिय करने से ही विशाल प्रभाव उत्पन्न होगा जो ब्रह्मांड की अनुकूल सहायता से उत्पन्न होगा। यदि ध्वनि बदल दी जाए तो उनका वह प्रभाव नहीं होगा। देवता उन्हें समझते हैं। वे जानते हैं कि आप क्या व्यक्त कर रहे हैं, तब भी, जब आप कोई ध्वनी नहीं निकालते हैं और केवल सोचते हैं। हालाँकि, यदि आप सीधा प्रभाव डालना चाहते हैं, तो यह काम नहीं करेगा, [जब तक कि आप सही ध्वनि उत्पन्न नहीं करते]। इसीलिए मैंने आपसे कहा है कि इनका अनुवाद ना करें।
वास्तव में, जैसा कि मैं काफी समय से कहता आ रहा हूं, चीनी संस्कृति वह है जो देवताओं द्वारा मनुष्यों के बीच पारित की गयी है। यह एक अर्ध-दिव्य संस्कृति है। इसीलिए उस संस्कृति के बहुत से तत्वों में गहन सामग्री होती है। इसके विपरीत, अन्य जातीय समूहों की भाषाएँ और लिपियाँ दिव्यलोकों में अस्तित्व में नहीं हैं। हालाँकि, चीनी अक्षर दिव्यलोकों के अक्षरों से बहुत मिलते-जुलते हैं। इन्हें लिखने का तरीका वही है जो दिव्यलोकों में होता है, लेकिन रेखाओं के संयोजन भिन्न हैं। अन्य जातीय समूहों की भाषाओं के लिखित रूप दिव्यलोकों में अस्तित्व में नहीं हैं। जब लोग देखते हैं कि दिव्यलोकों के देवता कुछ जातीय समूहों की भाषाओं में मनुष्यों के लिए कुछ लिखकर उन्हें कुछ चीजें दिखाते हैं, तो यह वास्तव में देवताओं द्वारा मनुष्यों के लिए चीजों को उन शब्दों के रूपांतरण का मामला है जिन्हें वे समझने में सक्षम हैं, बस इतना ही। एक अर्ध-दिव्य संस्कृति होने के नाते, चीनी संस्कृति न तो पूरी तरह से दिव्य है और न ही पूरी तरह से अदिव्य है—यह इसी प्रकार है।
शिष्य: जो व्यवसाय दाफा शिष्य नहीं करते वे [भविष्य में] अस्तित्व में नहीं रहेंगे, है ना? (श्रोता हंसते हैं) उदाहरण के लिए, गुप्त जासूस होना? (श्रोता हंसते हैं)
गुरुजी: सही है, जैसा कि मैंने पहले कहा है, भविष्य में गुप्त जासूस अस्तित्व में नहीं रहेंगे—उनका भविष्य रद्द कर दिया गया है। (तालियां) जहां तक यह प्रश्न है कि क्या अन्य व्यवसाय अस्तित्व में रहेंगे, जहां तक मुझे पता है ऐसा लगता है कि दाफा शिष्य वास्तव में सभी व्यवसायों में हैं। मैं जानता हूं कि ऐसे शिष्य हैं जो अधिकारी स्तर पर हैं, और ऐसे शिष्य हैं जो बहुत उच्च सामाजिक स्थिति वाले हैं; बात केवल इतनी है कि वे चीजें भिन्न ढंग से करते हैं। मुख्यभूमि चीन में दाफा शिष्य सभी व्यापारों और व्यवसायों में हैं; हर व्यवसाय में दाफा की साधना करने वाले लोग हैं।
शिष्य: क्योंकि साम्यवाद की दुष्ट काली छाया पहली बार पेरिस समुदाय में प्रकट हुई थी, क्या इसकी जड़ अभी भी वहीं है? क्या यह अभी भी विशेष रूप से पेरिस और फ़्रांस में अस्तित्व में है? और अब इसका क्या प्रभाव रह गया है?
गुरुजी: इसकी जड़ वहां नहीं है; इसकी जड़ चीन में थी, लेकिन इसे पहले ही उखाड़ फेंका जा चुका है। दुष्ट पार्टी की पूरी दुष्ट काली छाया, पूरा लाल, दुष्ट ड्रैगन, पहले ही चकनाचूर हो चुका है। और जो कारक लंबे समय से लोगों के मन में और हर सांस्कृतिक क्षेत्र में स्थापित हो गए हैं—उन सभी चीजों को भी हटाया जा रहा है, वे हटाये जाने की प्रक्रिया में हैं। जहाँ तक अन्य देशों पर इसके प्रभाव की बात है, तो ऐसा है कि, इसका उन देशों पर कोई सीधा प्रभाव नहीं है जो अधम पार्टी द्वारा शासित नहीं हैं।
शिष्य: क्या आप कृपया हमें मिंगहुई वेबसाइट की भूमिका और विशेष रूप से कई अन्य भाषाओं में इसके जैसों की भूमिका के बारे में अधिक बता सकते हैं?
गुरुजी: मिंगहुई की मुख्य विशेषता यह है कि यह मुख्य रूप से मुख्यभूमि चीन में दाफा शिष्यों के दमन के तथ्यों पर रिपोर्ट करती है। वे रिपोर्टें प्रत्यक्ष जानकारी होती हैं जो दुष्टता को उजागर करती हैं, और रिपोर्ट की गई 99 प्रतिशत से अधिक—या यहां तक कि 100 प्रतिशत तक—रिपोर्ट की गई जानकारी बिलकुल सटीक होती है। यह अन्य पारंपरिक मीडिया से भिन्न है। जिन तथ्यों को [यह रिपोर्ट करती है] आप उनका कई भाषाओं में अनुवाद कर सकते हैं और उन्हें इंटरनेट पर प्रकाशित कर सकते हैं। यदि आपके पास क्षमता और संसाधन हैं, तो आप ऐसा कर सकते हैं, और आप कई भाषाओं में मिंगहुई वेबसाइट बना सकते हैं जिससे संसार भर के लोग मिंगहुई पर दैनिक सामग्री देख सकें।
शिष्य: क्या प्राचीन शक्तियों के लिए दाफा शिष्यों की सह आत्माओं (फु युआनशन) में नकारात्मक प्राणियों को स्थापित करना संभव है?
गुरुजी: इन चीजों के बारे में इतना मत सोचो। (श्रोता हंसते हैं) यह सच है कि प्राचीन शक्तियों ने मिले हर अवसर का लाभ उठाया है। उन्होंने दाफा शिष्यों के साथ भी भयानक काम किए हैं जिनका मैंने वास्तव में इतिहास में मार्गदर्शन और नेतृत्व किया था। फिर भी, जब तक दाफा शिष्य फा का मान्यकरण करने की आवश्यकताओं और दाफा की आवश्यकताओं का पालन करते हैं, तब तक कोई समस्या नहीं होगी।
शिष्य: यदि संभव हो, तो क्या उस अभ्यासी के आसपास के दाफा शिष्यों के लिए उन चीजों को पूरी तरह से नकारने और समाप्त करने के लिए साथ मिलकर पवित्र विचार भेजना ठीक है?
गुरुजी: जब आप पवित्र विचार भेजते हैं और बुरे कारकों से स्वयं को शुद्ध करते हैं तो यह पहले से ही सम्मिलित होता है। आपने बहुत पहले ही ऐसा करना शुरू कर दिया था।
शिष्य: क्या गुरूजी कृपया इस बारे में बात करेंगे कि प्राचीन शक्तियों के डायल द्वारा लगाए गए यंत्रों का दाफा शिष्यों के चेतन जीवों को बचाने के प्रयासों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
गुरुजी: हर आयाम में एक डायल है, और डायल वास्तव में पिछले ब्रह्मांड के फा की अभिव्यक्ति हैं। वे सूक्ष्म जगत से स्थूल जगत तक चलते हैं; अर्थात्, ये डायल सूक्ष्म ब्रह्मांडीय कणों से बने कणों से लेकर सबसे बड़े कणों से बने आयामों तक चलते हैं, जो सतह के स्तर पर हैं। और उनकी एक धुरी होती है. यह अतीत के ब्रह्मांड के फा की अभिव्यक्ति है। भविष्य में ऐसा नहीं होगा। (गुरूजी मुस्कुराते हुए) इसीलिए मैं चेतन जीवों को इसके बारे में बता सका। लेकिन उन्होंने फा-सुधार के लिए एक विशेष डायल बनाया और हर आयाम में उन्होंने कुछ चीजें गुप्त रूप से की हैं। उन्होंने संसार के लोगों को भी सम्मिलित किया है, और मनुष्यों के शरीरों में इस प्रकार का डायल लगाया है। इसीलिए जब [डायल] चलता है, तो पृथ्वी पर मानवीय मामलों में बदलाव होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि वे चीजें काम कर रही हैं। फा-सुधार के दौरान वे सभी चीजें हटा दिये जाने की प्रक्रिया में हैं, इसलिए वे अब निर्णायक भूमिका नहीं निभाती हैं।
शिष्य: समग्र रूप से दाफा शिष्यों की परिपक्वता, जो कि एक कठोर प्रक्रिया से प्राप्त होती है, का फा- सुधार के समापन से क्या संबंध है?
गुरुजी: जिस तरह से चीजें अब दिखती हैं ऐसा प्रतीत होता है कि वे मूलतः साथ-साथ प्रगति कर रही हैं।
शिष्य: यदि दुष्ट जासूस हमारे घरों में घुस जाते हैं, तो क्या हम अपनी रक्षा कर सकते हैं? (श्रोता हंसते हैं)
गुरुजी: हाँ, अपना बचाव करना आपके लिए उचित है। वास्तव में, हालाँकि, जब आपके पास बहुत शक्तिशाली पवित्र विचार होते हैं, तो आप उन्हें गतिहीन भी कर सकते हैं। (तालियाँ) लेकिन यदि एक साधक होते हुए भी, आपका मन अशुद्ध है और इसमें पवित्र विचारों का अभाव है, और आप अंदर से भयभीत हैं, तो आप ऐसा नहीं कर पाएंगे।
शिष्य: डिवाइन लैंड (तियान गुओ) मार्चिंग बैंड चेतन जीवों को कैसे बचाता है? क्या आप हमारा इस पर कुछ स्पष्ट मार्गदर्शन करेंगे? (श्रोता हंसते हैं)
गुरुजी: क्योंकि आपकी रुचि है तो मैं आपको इसके बारे में बताऊंगा। (तालियाँ) आप जानते हैं, जब बैंड ने न्यूयॉर्क के चाइनाटाउन और फ्लशिंग क्षेत्रों के प्रदर्शनों में भाग लिया, तो दोनों अवसरों पर मैंने यह दृश्य देखा : जब बैंड बज रहा था, तो उन्होंने जो शक्ति उत्सर्जित की वह अत्यधिक थी। चाहे वह उत्सर्जित शक्ति हो, आपके द्वारा निकाली गई ध्वनियाँ हों, या स्वयं संगीत और स्वर हों, उन सभी में फा का मान्यकरण करने और शक्ति भेजने का प्रभाव था।
उस दिन चाइनाटाउन मार्च के दौरान, दिव्यलोकों के हर आयाम में अनगिनत देवता—देवताओं से भरा हुआ आकाश—सैन्य ड्रम बजा रहे थे। और बहुत से दिव्यलोकों के सैनिक और सेनापति आगे बढ़ रहे थे। और दाफा शिष्यों द्वारा वायु वाद्ययंत्र बजाने से उत्सर्जित उर्जा बहुत शक्तिशाली थी। आपने फिल्मों में परमाणु बम के विस्फोट से उत्पन्न विस्फोट तरंगों की भयावहता देखी है, है ना? तो, [उत्सर्जित शक्ति] उससे भी अधिक शक्तिशाली थी। (तालियाँ) ऐसा इसलिए है क्योंकि दाफा शिष्यों द्वारा उत्सर्जित शक्ति के घटक परमाणुओं से अधिक थे, और हर स्तर पर इसके कण बहुत शक्तिशाली थे। दूसरे शब्दों में, उस समय जब भी ध्वनि उत्पन्न होती तो एक बड़ा क्षेत्र तीव्र प्रकाश से ढंक जाता। परमाणु बम के विस्फोट को समाप्त होने में कुछ समय लगता है, और फिर विस्फोट तरंगें एक विशाल धूल भरी आंधी उत्पन्न करती हैं, है ना? और धूल भरी आँधी थमने के बाद ही वह क्षेत्र स्वच्छ होता है। [हमारी स्थिति में,] क्षेत्र तुरंत स्वच्छ हो गया। और फिर तीव्र प्रकाश से बहुत दूर विस्फोट से भारी मात्रा में धुआं और धूल उड़े, और जैसे-जैसे संगीत बजता रहा, चमकदार रोशनी तेजी से तीव्र होती गई। शीघ्र ही क्षेत्र फिर से स्वच्छ हो गया, और दूर तक धुआं और धूल निरंतर उड़ते रहे। जहाँ भी तीव्र प्रकाश पहुँचा, वहां स्वच्छता हो गयी।
इसीलिए जब बैंड, मार्च में सड़कों पर आगे बढ़ा, तो बहुत से लोग जो देख रहे थे—और मैं उन साधारण लोगों के मन को देख रहा था—वे मूल रूप से स्तब्ध थे। (श्रोता हंसते हैं) और चीनी लोग भावहीन होकर बस देख रहे थे। उनके मन रिक्त थे। "क्या हो रहा है," [उन्हें आश्चर्य हुआ]। उनके सभी बुरे विचार दूर हो गए, और बाद में वे फिर से सोचने लगे (तालियां) और कहा, "वाह, फालुन गोंग कितना अद्भुत है!" (श्रोता हंसते हैं) कुछ लोगों ने कहा, "वाह, फालुन गोंग ने अचानक अमेरिका में इतना बड़ा बैंड कैसे खड़ा कर दिया?" (श्रोता हंसते हैं) इसे अमेरिका के लिए भी एक बड़ा बैंड माना जाता है [लोगों को ऐसा लगा,] अचानक इतने सारे लोग इन सभी वायु वाद्ययंत्रों को बजाते हुए दिखाई दिए! और विशेष रूप से उल्लेखनीय यह था कि बैंड में अधिकतर चीनी लोग सम्मिलित थे। पश्चिमी दाफा शिष्यों की संख्या कम थी, इसलिए अधिकांश लोग चीनी थे। तो चाइनाटाउन में सभी चीनी लोग इसे देखने के बाद इसके बारे में सोच रहे थे, और उन्हें वास्तव में लगा कि [बैंड] से चीनी लोगों के प्रति धारणा अच्छी हो गयी। (श्रोता हंसते हैं) अर्थात उनके मन से विरोधी बातें दूर हो गईं। नकारात्मक भूमिका निभाने वाले विचार समाप्त हो गए। [बैंड] वास्तव में यह प्रभाव डाल रहा था। यह चीनी [दर्शकों] की बात हुयी। पश्चिमी लोगों के लिए भी यह काफी असामान्य दृश्य था—उन्होंने पहले कभी ऐसा कुछ नहीं देखा था। [उन्हें लगा,] अचानक एक बड़ा बैंड सामने आया, जिसमें बहुत सारे चीनी लोग थे! बहुत सारे लोग तालियाँ बजा रहे थे और चिल्ला रहे थे, "फिर से!" तो प्रभाव बहुत अच्छा रहा है।
निःसंदेह, बैंड में अन्य जातीय समूहों के भी दाफा शिष्य हैं, और वे भी उल्लेखनीय हैं, क्योंकि दाफा शिष्य एक समूह हैं। जब बैंड में सम्मिलित शिष्य बजा रहे थे, तो वे स्वयं भी वास्तव में भावुक हो गये। उन्हें लगा कि यह सचमुच पवित्र है।
शिष्य: क्या अगले वर्ष का गाला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दौरा कर सकता है?
गुरुजी: अगले वर्ष की चीजें स्थिति पर निर्भर होंगी। यदि हमारे वित्तीय संसाधन इतने बड़े नहीं हैं, तो यह नहीं हो पायेगा। आप जानते हैं, एक सौ या कई दर्जन लोगों के लिए यात्रा करना बहुत महंगा है।
शिष्य: सीसीपी से प्रभावित होकर, पश्चिमी समाज के कुछ अधिकारियों ने बुरे कार्य किये हैं। जब हम उन्हें तथ्य स्पष्ट करते हैं, तो क्या हम उन्हें बता सकते हैं कि वे एक लोकतांत्रिक देश के अधिकारियों के स्थान पर सीसीपी अधिकारियों की तरह कार्य करते हैं?
गुरुजी: बिल्कुल, यह ठीक है। यह कहना कठिन है कि सीसीपी की दुष्ट छाया किसे नियंत्रित कर सकती है। यह कोई पश्चिमी अधिकारी या कोई चीनी अधिकारी हो सकता है। जब किसी व्यक्ति की सोच उसके अनुरूप होगी तो वह उसे नियंत्रित कर लेगी।
शिष्य: क्या हमें विश्वास करना चाहिए कि फा हमें बुद्धिमत्ता देगा? क्या सामान्य शिक्षा लेना उचित है? हाल ही में मुझे अपनी लेखन परियोजना में कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ा है। मैं सोच रहा हूं कि क्या मुझे अपने लेखन कौशल में सुधार करने की आवश्यकता है या कोई अन्य कारण हैं।
गुरुजी: यदि आप जो लिख रहे हैं वह उचित मार्ग पर है, तो चुनौतियाँ कम होंगी; यदि यह उचित मार्ग पर नहीं है, तो यह अधिक चुनौतीपूर्ण होगा। या, जब किसी चीज के बारे में आपकी समझ में समस्या हो, तो अधिक चुनौतियाँ होंगी; और जब आपकी समझ समस्याओं से मुक्त हो, तो यह कम चुनौतीपूर्ण होगा। यह पक्का है। दाफा शिष्यों ने कई चमत्कार किये हैं। आप जाकर कुछ चीजें सीख सकते हैं। निःसंदेह, यह कोई समस्या नहीं है। लेकिन यदि आप कुछ सीखने के लिए बहुत सारा समय—जैसे कि महीने या वर्ष—बिताने की योजना बनाते हैं और फिर फा का मान्यकरण करने के लिए वापस आते हैं, तो मैं कहूंगा कि तब तक चीजें समाप्त हो जाएंगी। (श्रोता हंसते हैं) और आपने इसे व्यर्थ ही सीखा होगा। इसीलिए मेरा मानना है कि जब कुछ मामलों की बात आती है तो आपको चीजों पर विचार करना चाहिए और स्वयं ही चीजों का आंकलन करना चाहिए। एक दाफा शिष्य के रूप में, आपको एक साधक की तरह इन चीजों के बारे में सोचना चाहिए।
शिष्य: क्या नाइन कमेंट्रीज वियतनामी लोगों के लिए महत्वपूर्ण हैं? क्या वियतनामी लोगों को कम्युनिस्ट पार्टी से बाहर निकलने की आवश्यकताता है?
गुरुजी: चाहे वह वियतनाम हो, क्यूबा हो, या उत्तर कोरिया हो—जब चीन का साम्यवादी शासन गिरेगा, तो वे भी गिर जायेंगे। उनके अस्तित्व की व्यवस्था सीसीपी के मनोबल को थोड़ा बढ़ाने के लिए की गई थी। यदि सीसीपी को वास्तव में अकेला छोड़ दिया जाता, तो वे [सीसीपी] के लोग संसार के सामने अपना सिर उठाने में भी सक्षम नहीं होते। सच तो यह है कि यह प्राचीन शक्तियों की व्यवस्था है। दाफा के शिष्यों को जिस चीज की परवाह है वह है स्वयं साधना करना; ऐसा इसलिए है क्योंकि दुष्ट सीसीपी ने फालुन गोंग का दमन करना शुरू कर दिया था, जिसे दाफा के शिष्य, दुष्ट सीसीपी के दमन के उत्तर में, उजागर कर रहे हैं और इसके दमन को समाप्त कर रहे हैं। इसकी जड़ चीन में है। जब सीसीपी के कारक विघटित हो जाएंगे, तो अन्य सभी विघटित हो जाएंगे। उनके बारे में विशेष तौर पर कुछ करने की आवश्यकता नहीं है। हालाँकि वे सभी समाज अधम पार्टी के शासन के अधीन हैं, वहाँ दाफा शिष्यों का कोई दमन नहीं हुआ है। इसलिए आपको उन्हें प्राथमिकता बनाने की आवश्यकता नहीं है। भविष्य में, जब सीसीपी ढह जाएगी, तो वे सभी ढह जाएंगे और समाप्त हो जाएंगे। इसलिए अभी हम उन्हें नहीं छुएंगे।
शिष्य: कई दाफा शिष्यों ने संगीत, कविताएँ और गीतों जैसी कई उत्कृष्ट कलात्मक चीजों की रचना की है। क्या हम उन्हें कुछ कलात्मक सुधारने और निखारने के बाद साधारण जनता में प्रदर्शित कर सकते हैं?
गुरुजी: निःसंदेह यह एक अच्छा विचार है। यदि सभी लोग हमारे गीत या संगीत गाना शुरू कर दें, तो क्या यह बहुत अच्छा नहीं होगा? यदि संसार भर में बहुत सारे लोग, जिनमें मुख्य भूमि चीन के लोग भी सम्मिलित हैं, "फालुन दाफा महान है" लिखी टी-शर्ट पहनते हैं, तो मैं कहूंगा कि अधम सीसीपी वास्तव में समझ नहीं पाएगी कि क्या किया जाए। (श्रोता हंसते हैं) कुछ लोगों ने रेनमिनबी (चीन की मुद्रा) पर "फालुन दाफा महान है" या "पार्टी से हट जाओ" लिखने का सुझाव दिया है। (श्रोता हंसते हैं) मुझे लगता है कि यह एक बहुत बढ़िया विचार है। (तालियाँ) आप धन फेंक नहीं सकते, और आप इसे नष्ट नहीं कर सकते।
शिष्य: बीजिंग के हैडियन जिले के सभी दाफा शिष्यों ने गुरूजी को अपनी शुभकामनाएं दी है। गुरूजी, हमें आपकी बहुत याद आती है! (गुरूजी: धन्यवाद!) (तालियाँ) कृपया आश्वस्त रहें, गुरूजी, कि हम निश्चित रूप से तीन चीजें अच्छी तरह से करेंगे और अपने सम्मानित गुरूजी की अपेक्षाओं पर खरे उतरेंगे! (गुरूजी: मुझे आप पर विश्वास है।) (तालियाँ)
गुरुजी: यदि यह कुछ वर्ष पहले कहा गया होता, तो मुझे लगता कि शिष्य मुझे प्रसन्न करने का प्रयास कर रहे हैं। (गुरूजी मुस्कुराते हैं) अब मुझे लगता है कि यह सच है, और मैं इस पर विश्वास करता हूं।
शिष्य: हम समलैंगिकों को अधिक प्रभावी ढंग से कैसे बचा सकते हैं?
गुरुजी: वे चेतन जीव हैं, इसलिए उन्हें अन्य साधारण चेतन जीवों के जैसे ही बचाएं। यदि आप बचा सकते हैं तो उन्हें बचाएं, और उनके साथ अन्य लोगों के जैसे ही व्यवहार करें। जितना अधिक आप उन्हें एक विशेष समूह के रूप में मानेंगे, उतना ही कम आप उन्हें बचा पाएंगे। जैसे आप किसी अन्य व्यक्ति को बचाते, वैसे ही उन्हें भी बचाएं। यदि आप बचा सकते हैं तो उन्हें बचाएं। यदि आप नहीं बचा सकते, तो आप नहीं बचा सकते।
शिष्य: पहले रिकॉर्ड किए गए एक अभ्यास निर्देश वीडियो में, सार्वजनिक सुरक्षा विश्वविद्यालय में गुरूजी द्वारा फा सिखाते हुए एक भाग है, जिसमें सभागार के पीछे दुष्ट पार्टी का झंडा लटका हुआ है। क्या हमें इसे किसी तरह हटा देना चाहिए? या क्या हमें इसे एक ऐतिहासिक सन्दर्भ के रूप में रहने देना चाहिए?
गुरुजी: इसे हटाना ठीक है। [यह वहां था] क्योंकि उस समय [मैं] वास्तव में सीसीपी को सबसे दुष्ट चीज मानकर उसे नष्ट नहीं करना चाहता था, क्योंकि सभी प्राणियों को एक अवसर दिया जाता है। क्योंकि दुष्ट सीसीपी ने फालुन गोंग का दमन किया है, इससे वह ब्रह्मांड में सभी प्राणियों की तुलना में एक दुष्ट असुर बन गयी है। और इसीलिए इसे नष्ट करने और हटाने की आवश्यकता है; यह उनकी अपनी इच्छा है।
शिष्य: क्या अन्य क्षेत्रों के शिष्यों को सैन फ्रांसिस्को चाइनाटाउन को समर्थन देना चाहिए जैसा कि उन्होंने न्यूयॉर्क शहर के साथ किया है?
गुरुजी: मुझे लगता है कि यदि किसी शिष्य के पास क्षमता और अनुकूल परिस्थितियाँ हैं, तो वह सहायता कर सकता है। मैंने सैन फ्रांसिस्को में प्रभारी अभ्यासियों के साथ इस पर चर्चा की है।
शिष्य: किसी ने फा प्राप्त किया और पार्टी से निकल गया, लेकिन डर के कारण उसने दाफा का अनादर किया और अब उसका निधन हो गया है। क्या ऐसे लोगों का अभी भी कोई भविष्य है?
गुरुजी: यह स्थिति की विशिष्टता पर निर्भर करता है। एक दाफा शिष्य के लिए, पार्टी से निकलना सबसे महत्वपूर्ण बात नहीं है; बल्कि, चेतन जीवों को बचाना और चेतन जीवों को पार्टी से बाहर निकालना महत्वपूर्ण है। जहां तक इस बात का प्रश्न है कि क्या ऐसे किसी व्यक्ति का अभी भी कोई भविष्य है, तो यह तथ्य कि उसने फा प्राप्त किया लेकिन फा का मान्यकरण नहीं किया, सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।
शिष्य: इस वर्ष गाला देखने वाले सभी लोगों ने कहा कि यह अच्छा था। क्या हम मुख्य भूमि चीन में शिष्यों से व्यापक रूप से इसकी डीवीडी प्रसारित करने के लिए कह सकते हैं जिससे बड़ी संख्या में चेतन जीवों के मन और आत्माओं को छूआ जा सके?
गुरुजी: हां, आप ऐसा कर सकते हैं।
शिष्य: गुरूजी, आपने कहा था कि इतिहास से पहले के समय में निर्धारित की गई अस्सी प्रतिशत चीजों को प्राचीन शक्तियों ने नष्ट कर दिया है। क्या इसका प्रभाव इस पर पड़ेगा कि भविष्य का ब्रह्मांड कितना अद्भुत, सामंजस्यपूर्ण और हमेशा के लिए अविनाशी होगा—जैसा कि मूल रूप से सोचा गया था?
गुरुजी: उन्होंने जो नष्ट किया वह केवल वही चीजें थीं जिनकी योजना बनाई गई थी। वे चाहकर भी यह नहीं देख सकती कि नया ब्रह्मांड कैसा होगा। इसके अतिरिक्त, जब एक दाफा शिष्य अपनी साधना द्वारा फलपदवी प्राप्त कर लेता है और एक देवता या बुद्ध बन जाता है, जब वह अपना स्वयं का एक संसार बनाना चाहता है, तो वह इसे केवल एक विचार के साथ कर सकता है, क्योंकि उसका फा पहले ही स्थापित हो चुका होता है। तो, इनमें से [जो आपने पूछा] कोई भी समस्या नहीं है, और वे सभी तुच्छ चीजें हैं। जहाँ तक यह बात है कि उन्होंने कितना नष्ट किया है और कितनी हानि हुई है, यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि क्या कुछ चाहा गया है। जो कुछ भी चाहिये उसे बनाया जा सकता है, यहां तक कि उसे बिना किसी बदलाव के पूर्ण रूप से पुनर्स्थापित किया जा सकता है।
शिष्य: लगभग आधे वर्ष पहले कुछ शिष्यों ने एक परियोजना शुरू की थी। लेकिन क्योंकि प्रभारी व्यक्ति अपनी ईर्ष्या से छुटकारा नहीं पा सका, इसलिए विघ्न हुआ और इसमें सम्मिलित अन्य शिष्यों के लिए हमारा अपना मार्ग प्रशस्त करना बहुत कठिन हो गया। इस दौरान, उपयोग किए गए दृष्टिकोण और रणनीतियाँ बहुत भयानक रही हैं, और वे पार्टी संस्कृति से दूषित हैं। इसके अतिरिक्त, अधिकांश [दल के सदस्यों] ने हमेशा प्रभारी व्यक्तियों और दाफा संस्था पर विश्वास किया है, इसलिए इस तथ्य के कारण उनमें हममें से बचे हुए लोगों के बारे में अनुचित गलतफहमियां उत्पन्न हो गईं। मैंने उस समय बहुत सी बातें स्पष्ट नहीं कीं, क्योंकि जैसा कि मैंने तब समझा था, साधना करना केवल मेरे लिए आवश्यक नहीं था, बल्कि साधना करना मेरे साथी अभ्यासियों के लिए भी आवश्यक था। लेकिन मैं यह समझने में असफल रहा कि समय के साथ दुष्टता हमारे विरुद्ध आगे निकल रही थी। इन सबका परिणाम यह हुआ कि अब हमारे सामने यह संकट खड़ा हो गया है और मुझे नहीं पता कि क्या करना चाहिए।
गुरुजी: आपको इस बात पर अधिक ध्यान देना चाहिए कि क्या आपकी सोच उचित है। किसी संघर्ष में, दूसरे व्यक्ति का व्यवहार आपके प्रति जितना अधिक प्रतिकूल होगा, आपके लिए यह सोचना उतना ही सरल होगा कि वह अनुचित है—“वह निश्चित रूप से अनुचित है।” साधना एक बहुत ही आत्मसात होने वाली चीज है, और मानवीय मोहभावों से छुटकारा पाना सबसे कठिन है। अपने भीतर झाँकने का अधिक प्रयास करें, और केवल अपने स्वयं के मोहभावों को ढूंढें। हर किसी को अपनी परख करनी चाहिए और एक-दूसरे के साथ अच्छा काम करने का प्रयास करना चाहिए। यह सबसे महत्वपूर्ण बात है।
कुछ विशिष्ट मुद्दों पर कुछ उचित सुझाव देना सही है। लेकिन आपको यह भी विचार करना चाहिए कि आप जो मुद्दा उठाना चाहते हैं वह व्यापक परिस्थिति में अनुकूल बैठता है या नहीं। प्रभारी व्यक्ति की अपनी चुनौतियाँ भी होती हैं। जब आप उसके स्थान पर नहीं होते हैं, तो आप चीजों को उसके दृष्टिकोण से नहीं देखते हैं। हमारे कई अभ्यासी सीधे शैक्षणिक जगत से आते हैं, और उन्होंने कभी कोई प्रबंधन कार्य नहीं किया है; उनके पास उस अनुभव की कमी है। इसलिए किसी परियोजना का नेतृत्व करना उनके लिए एक परीक्षा है। इसके अतिरिक्त, मैंने वे पत्र पढ़े हैं जो कुछ शिष्यों ने मुझे लिखे हैं। हालाँकि पत्रों में अन्य लोगों की समस्याओं के बारे में बात की गई थी, लेकिन इन बातों से जो सामने आया वह लेखक की अपनी साधना में कमियाँ थीं। उनमें से कुछ के अभी भी बहुत शक्तिशाली मोहभाव थे, कुछ तो काफी चरम पर थे, और कुछ ने मानवीय मानसिकता के साथ मुझसे बात की और अपना आक्रोश व्यक्त किया। स्वयंसेवकों को वैध सुझावों को सुनना चाहिए, और जो प्रभारी नहीं हैं उन्हें चीजों पर सहयोग करने का अच्छा काम करना चाहिए। आप साधना कर रहे हैं, केवल कुछ करना है इसलिए नहीं कर रहे हैं।
निःसंदेह, आपको अभी भी अपनी राय व्यक्त करनी चाहिए या सामने आने वाली किसी भी समस्या पर ध्यान आकर्षित करना चाहिए, जब ऐसा करना उचित हो। लेकिन आपको अपने हर काम में दाफा शिष्य के जैसे व्यवहार करना चाहिए। आपमें से जो लोग किसी परियोजना का संचालन कर रहे हैं, दूसरों के जैसे, जब आप [आलोचना या भिन्न राय] सुनते हैं, तो स्वयं की जांच करनी चाहिए, और दूसरों की तरह आपको भी स्वयं की अच्छी तरह से साधना करनी चाहिए। केवल तभी आपके द्वारा किये गये कार्य पवित्र होंगे।
शिष्य: सिचुआन प्रांत के ज़ियांग शहर और चेंग्दू शहर, झिंजियांग स्वायत्त क्षेत्र के यिली, हार्बिन शहर, नानजिंग शहर, गुआंग्शी प्रांत के नाननिंग शहर, हुबेई प्रांत के यिचांग शहर और हुआंगगांग शहर, गांसु प्रांत के जियायुगुआन शहर, लियाओनिंग प्रांत के लिउजिया, जिलिन प्रांत के कैयान, हांग्जोउ शहर, शांक्सी प्रांत, शोगुआन शहर, फ़ूज़ौ शहर, जियान शहर, संयुक्त राज्य अमेरिका से अलबामा, ह्यूस्टन और सिएटल, फी तियान नृत्य स्कूल, कनाडा के टोरंटो, सिंगापुर, न्यूजीलैंड , जापान, और जापान के शिबा से दाफा शिष्य हमारे महान, करुणामयी गुरूजी को शुभकामनाएँ भेजी है!
गुरुजी: आप सभी का धन्यवाद! (तालियां) मुख्य भूमि चीन और अन्य स्थानों पर दाफा शिष्य मूल रूप से अब एक ही गति से प्रगति कर रहे हैं। अतीत में एक निश्चित अंतर था—विशेष रूप से, कुछ वर्ष पहले यह अंतर काफी बड़ा था। वर्तमान में मैंने देखा है कि मुख्य भूमि चीन के दाफा शिष्य अधिकाधिक परिपक्व और संयमित हो गए हैं। इस संबंध में, फिर, मुख्य भूमि चीन से बाहर के दाफा शिष्य—अर्थात, संसार के अन्य क्षेत्रों और अन्य जातियों के दाफा शिष्य—आइए सुनिश्चित करें कि आप मुख्य भूमि चीन के दाफा शिष्यों से पीछे न रह जाएं। (तालियाँ) आपको कड़ा परिश्रम करना होगा!
शिष्य: गुरूजी, चीन के भीतर और बाहर लोकतंत्र कार्यकर्ता उन भूख हड़तालों का समर्थन कर रहे हैं जो मुख्य भूमि चीन में शुरू की गई हैं और अधिकारों की मांग कर रही हैं। क्या मुख्य भूमि चीन में दाफा शिष्यों को उनमें भाग लेना चाहिए जिससे दाफा शिष्यों की आस्था की स्वतंत्रता का समर्थन किया जा सके?
गुरुजी: जैसा कि मैंने पहले कहा, दाफा शिष्यों के लिए साधना करना और चेतन जीवों को बचाना सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण है—ये ऐसी चीजें हैं जो उन्हें करनी हैं। जहाँ तक आपने जिन बातों का उल्लेख किया है, वे वास्तव में दाफा शिष्यों की सहायता के लिए हैं। निःसंदेह, जब दाफा शिष्यों की ओर से याचिका दायर करने वाले एक वकील का दुष्ट पार्टी द्वारा दमन किया जा रहा है, तो हमें समर्थन देना चाहिए। कुछ चीजों में उनकी सहायता करना ठीक है, लेकिन आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आप अति न करें। आप कोई राजनीतिक समूह नहीं हैं। आप साधक हैं।
शिष्य: कुछ पश्चिमी दाफा शिष्यों ने पश्चिमी भाषाओं में द एपोक टाइम्स पर काम करने के लिए स्वयं को पूरी तरह से समर्पित कर दिया है, इस हद तक कि उनके पास दाफा शिष्यों द्वारा आयोजित अन्य गतिविधियों में या फा सम्मेलनों में भाग लेने का भी समय नहीं है। कुछ चीनी साथी अभ्यासियों का मानना है कि पश्चिमी शिष्य कार्यों को करने के मोहभाव में फंस गए हैं। गुरूजी, जब हमारे पास अपेक्षाकृत बड़ी संख्या में महत्वपूर्ण दाफा कार्यक्रम चल रहे हैं, तो क्या हम समाचार पत्र की गुणवत्ता के बारे में कम ध्यान दे सकते हैं और इसे शीघ्रता से पूरा कर सकते हैं (श्रोता हंसते हैं), जिससे हम अन्य गतिविधियों में भाग ले सकें?
गुरुजी: सब हँस रहे हैं। यदि आप इसकी गुणवत्ता सुनिश्चित नहीं करते हैं, तो क्या यह अभी भी चेतन जीवों को बचाने में अच्छी भूमिका निभा सकता है? (श्रोता हंसते हैं) आप ऐसा नहीं कर सकते। तो फिर क्या किया जाना चाहिए? अभी हमारे सामने चुनौतियाँ हैं। हालाँकि, चुनौतियाँ अस्थायी हो सकती हैं। हमारे पास मानव और वित्तीय संसाधनों की कमी है, इसलिए हम बहुत छोटी संख्या में दाफा शिष्यों को इस पर काम में व्यस्त रखने के लिए बाध्य हैं। गुरु इस बात से भलीभांति परिचित हैं। वास्तव में, शुरुआत में चीनी भाषा का एपोक टाइम्स भी ऐसा ही था। लेकिन ऐसा लंबे समय तक चलने वाला नहीं है। कुछ चीजों में कुछ समय के लिए अस्थायी रूप से देरी की जा सकती है। अन्यथा, आप एक-दूसरे की सहायता करके [चुनौतियों] को हल करने का कोई मार्ग ढूंढ सकते हैं। जब इन विशिष्ट विषयों की बात आती है, तो मुझे लगता है कि आपको इन्हें आपस में चर्चा करके हल करना चाहिए।
शिष्य: लंगफंग, हेबेई प्रांत के सभी दाफा शिष्य गुरूजी को अपना अभिवादन भेजा हैं! शिष्यों को गुरूजी की बहुत याद आती है!
गुरुजी: धन्यवाद! मैं लंगफंग क्षेत्र में दाफा शिष्यों का धन्यवाद करता हूं! (तालियाँ)
शिष्य: मुख्य भूमि चीन में, कुछ शिष्यों को बार-बार गैरकानूनी रूप से जेल में डाला गया है और यातनाएं देकर दमन किया गया है, लेकिन वे दृढ़ और परिश्रमी बने रहे; जबकि कुछ अन्य शिष्य अभी भी आगे बढ़ने में सफल नहीं हुए हैं क्योंकि उन्होंने या तो दमन के प्रति स्वयं को शक्तिहीन पाया है या सुविधा को चुना है। गुरुजी, क्या बार-बार दमन किये गए शिष्य उन शिष्यों के लिए त्याग और सहन कर रहे हैं जो आगे नहीं आ रहे?
गुरुजी: नहीं, ऐसी बात नहीं है। व्यक्तिगत साधना व्यक्ति का अपना विषय है। जो लोग आगे नहीं आ रहे हैं उनकी क्या परिस्थिति है यह समझने के लिए आप जो कर सकते हैं वह करें और उनकी सहायता करने का प्रयास करें।
शिष्य: दृढ़ता और इच्छाशक्ति जन्मजात और पूर्वनिर्धारित होती हैं। मेरी इच्छाशक्ति कमजोर है। जब मैं धैर्य रखता हूँ और कड़ा परिश्रम करने का मन बना लेता हूं, तो मैं कुछ दिनों तक तो अच्छा कर सकता हूं, लेकिन लंबे समय तक नहीं। मैं इससे बहुत निराश हूं और मुझे नहीं पता कि मेरी समस्या क्या है। मैंने फा का अध्ययन करने और फा का स्मरण करने का बहुत प्रयास किया, लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ। क्या ऐसा इसलिए है क्योंकि फा का अध्ययन करके अपनी इच्छाशक्ति में सुधार करने की सोच एक प्रकार का इच्छा प्रयास है, या ऐसा इसलिए है क्योंकि मैंने फा का पर्याप्त अध्ययन नहीं किया है? यदि मूल कारण यह है कि मैं स्वयं को महत्व नहीं देता, तो क्या मेरे लिए अब भी कोई आशा है?
गुरुजी: यदि यह एक दाफा शिष्य है जो स्वयं की बहुत अच्छी तरह से साधना करता है और तर्कसंगत रूप से यह समझने में सफल होता है कि दाफा क्या है, तो वह निश्चित रूप से इस पर काफी प्रयास के साथ काम करेगा और जब ऐसा होगा तो हार नहीं मानेगा। दूसरी ओर, जो लोग दृढ़ नहीं हैं वे भी फा का अध्ययन कर रहे हैं, और वे जानते हैं कि फा बहुत अच्छा है, लेकिन उनकी सोच फा के अनुसार नहीं है और उनके पास पर्याप्त पवित्र विचार नहीं हैं। तो, स्वाभाविक रूप से उनकी समझ ऊंची नहीं है; अर्थात्, वे वास्तव में फा की बहुमूल्यता को नहीं समझ सकते हैं। यही कारण है कि वे इतने प्रेरित नहीं हैं।
शिष्य: क्या कच्ची मछली खाना हत्या करना है?
गुरुजी: कच्ची मछली खाने सहित अन्य व्यक्तियों द्वारा मारी गई मछली खाना, हत्या में नहीं गिना जाता है। लेकिन अतीत में सभी लोग यह कहावत जानते थे, "जो खाओगे उसका भुगतान करना पड़ेगा।" साधारण लोगों के लिए यह निश्चित रूप से ऐसा ही है। मनुष्य जो भी करेगा उसे उसका मूल्य चुकाना ही पड़ेगा। इस प्रकार हत्यारा अपने अगले जन्म में मारा जाएगा या नरक में जाएगा। हालाँकि, दाफा शिष्यों के लिए यह कोई मुद्दा नहीं है। आज विशेषतः जब साधारण लोगों के बीच दाफा का प्रसार हो रहा है तो इस प्रकार की बातों का ध्यान रखना होगा। दूसरे शब्दों में, दाफा शिष्यों का फलपदवी की ओर साधना करना सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण है, जबकि उन्होंने दूसरों के साथ जो अनुचित किया है और जो दुःख उन्होंने पहुँचाया है, उनकी भरपाई उन चीजों को उन कारकों में बदलकर की जाती है जो उन्हें फलपदवी की ओर साधना के दौरान सुधार करने में सहायता करते हैं, और/या उनकी भरपाई पुण्य के माध्यम से की जाती है।
दूसरे शब्दों में कहें तो, जो ऋण और दुःख हैं, उन्हें पुण्य द्वारा लौटाया जाना चाहिए और/या [प्रभावित प्राणियों] को फलपदवी की ओर अपनी साधना के दौरान बचाया जाना चाहिए—निश्चित रूप से। गुरु ने ऐसा तब किया जब उन्होंने प्रत्येक दाफा शिष्य के लिए एक साधना पथ की व्यवस्था की; मैंने ऋणों इत्यादि को भी संभाल लिया है। भविष्य में, जब आप फलपदवी तक साधना करेंगे और एक दिव्य प्राणी बन जाएंगे, तो उनमें से कुछ आपके दिव्यलोक में चेतन जीव होंगे। एक दिव्य प्राणी के दिव्यलोक में एक चेतन जीव निस्संदेह एक दिव्य प्राणी ही होता है। वह—एक निम्न लोक का प्राणी—एक ही पग में दिव्यलोक चला गया होगा। जब कोई प्राणी मानव लोक में पुनर्जन्म के चक्र से गुजर रहा होता है, तो वह कठिनाइयों के बीच पुनर्जन्म ले रहा होता है, चाहे उसका जीवन कितना भी अच्छा क्यों न हो, और, चाहे वह कितना भी धन्य क्यों न हो, उसका स्तर ऊंचा नहीं हो रहा होता है। तुरंत ही एक उच्च-स्तरीय लोक का प्राणी बन जाना—वास्तव में, हर कोई यही चाहेगा। क्या मैंने आपको पहले एक साधना की कथा नहीं बतायी थी? मैंने कहा कि एक बौद्ध भिक्षु था जो एक मंदिर में धर्मग्रंथों से उपदेश दे रहा था, और उसने खिड़की पर बैठे दो पक्षियों को देखा, जो वहां से हटना नहीं चाहते थे। इसलिए उन्होंने उनसे कहा, "यदि आप दोनों बौद्ध धर्मग्रंथ सुनना चाहते हैं, तो मनुष्य के रूप में पुनर्जन्म लें और फिर आकर सुनें।" फिर दोनों पक्षी अचानक उड़े, मंदिर के बाहर एक पेड़ के तने से टकराये और मर गए। (गुरूजी मुस्कुराते हैं) बीस वर्ष बाद, दो युवक आये और वे भिक्षु बनना चाहते थे। (गुरूजी मुस्कुराते हैं) मैं यहां केवल एक बात स्पष्ट कर रहा हूं। जब कोई प्राणी जानता है कि वह दिव्यलोक में जा सकता है, तो उसकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती, और वह इसके लिए मरना भी चुनेगा। जब आपको अपने ऋणों के बदले इतना बड़ा पुण्य मिलेगा, तो आप निश्चित रूप से अत्यधिक प्रसन्न होंगे।
आपके लिए, दाफा शिष्यों के रूप में, आपके अतीत में जो कुछ भी ऋण थे वह चुकाये जायेंगे और चेतन जीवों को पुण्य प्रदान करने के रूप में चुकाये जायेंगे। अब कुछ लोग सोच सकते हैं, "ठीक है, फिर, मैं जो भी करूँगा उसके बारे में अब और चिंता नहीं करूँगा। मैं लोगों को मारने का भी साहस करूंगा।'' नहीं, आप ऐसे नहीं हो सकते! आप करुणा की साधना कर रहे हैं, और चेतन जीवों के लिए अच्छे कार्य करना दाफा शिष्यों के रूप में आपके द्वारा की जाने वाली साधना का भाग है। यदि आप वास्तव में लोगों को मारते हैं, आगजनी करते हैं और बुरे काम करते हैं, तो आप साधक नहीं माने जायेंगे, और इससे भी कम संभावना है कि आप फलपदवी तक पहुँच पाएंगे; चेतन जीवों को पुण्य देना बिल्कुल भी लागू नहीं होगा। साथ ही, आपकी साधना में आने वाली कठिनाइयाँ आपके द्वारा देय मानसिक पीड़ा के ऋण का भुगतान करने के लिए हैं, इसलिए बढ़ी हुई कठिनाई आपको साधना करने में असमर्थ बना सकती है, और फिर आप आगे साधना नहीं कर पाएंगे। मैं केवल उन चीजों के बारे में बात कर रहा था जो साधना शुरू करने से पहले आपके ऊपर ऋण थीं, और उस चीज के बारे में जो साधना करने के लिए आपको सामान्य जीवन बनाए रखने की आवश्यकता के परिणामस्वरूप प्राप्त होती है।
जहाँ तक कच्चे मांस वाले खाद्य पदार्थ खाने की बात है, तो यह सबसे बुरा है। मुझे याद है कि यहोवाह ने अपने सृजित किये हुए लोगों से कहा था, "आपको पका हुआ भोजन खाना चाहिए।" मनुष्य को मांस खाने से पहले उसे पकाना चाहिए। ऐसा क्यों? अतीत में साधना करने वालों ने भी यह देखा था : जब कोई मनुष्य या पशु मरता है, तो उसके शरीर की कोशिकाएं नहीं मरती हैं। और उन कोशिकाओं के मरने से पहले, प्रत्येक कोशिका की आत्मा उसकी छवि धारण करती है। क्या आज के विज्ञान ने भी इसकी खोज नहीं की है? एक प्रयोगशाला चूहे को विभाजित करने के बाद, ऑप्टिकल फाइबर के माध्यम से पर्दे पर प्रदर्शित [इसके ऊतक कोशिकाओं की] छवि प्रयोगशाला चूहे की छवि को दर्शाती है। इसका अर्थ है कि आप जो कच्चा मांस खाते हैं वह जीवित पशुओं का एक बड़ा समूह होता है।
दूसरी ओर, पके हुए मांस में वे आत्माएँ नहीं होती हैं। लेकिन यदि यह कच्चा है, तो जब आप इसे अपने पेट में डालेंगे तो कैसा लगेगा? यह ऐसा है मानो आपने जीवित जानवरों को अपने पेट में डाल दिया हो। क्योंकि वे बहुत छोटे होते हैं, इसलिए तब आपको कुछ भिन्न अनुभव नहीं होगा, लेकिन समय के साथ यह गंभीर रोग का कारण बन जाएगा, प्रतिक्रियाएं उत्पन्न करेगा। क्योंकि मानव शरीर विशेष है और इसकी संरचना एक ब्रह्माण्ड की तरह है, इसलिए इसे लघु ब्रह्माण्ड कहा जाता है। जब आप जो चीजें खाते हैं वे वहां से पुनर्जन्म नहीं ले सकती हैं, तो वे आपके पेट में रहेंगी, और समय के साथ परिणामी घृणा और कर्म इसे रोग के लिए प्रजनन स्थल बना देंगे। बहुत सारा कर्म एकत्रित हो जाएगा। तब आपको पेट की समस्याएँ होंगी, गंभीर प्रकार की पेट की बीमारियाँ, अमाशय के फोड़े, पेट का कैंसर ... कुछ भी संभव है। मुख्य भूमि चीन में मैंने लोगों को साँप का ताज़ा रक्त पीते देखा। लेकिन उस रक्त की प्रत्येक कोशिका का प्रत्येक कण एक साँप होता है, तो क्या उन सभी साँपों को अपने पेट में निगलने से संभवतः आपको कोई लाभ हो सकता है? (श्रोता हंसते हैं) एक भौतिक चीज को मानव शरीर की क्षमताओं के माध्यम से अवशोषित और परिवर्तित किया जा सकता है, लेकिन इसकी आत्मा आपके पेट में ही रहेगी, है ना? इसलिए आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आप किसी भी प्रकार का कच्चा मांस न खाएं। आजकल कुछ लोग कच्ची मछली खाने लगे हैं। वह भी बहुत बुरा है। यह निश्चित रूप से कोई सांस्कृतिक व्यंजन नहीं है। यह बहुत ही बुरा है। इसलिए आप कच्चा [मांस वाला भोजन] नहीं खा सकते—सुनिश्चित करें कि ऐसा न करें। विशेष रूप से साधक किसी भी प्रकार का कच्चा मांस बिल्कुल नहीं खा सकते हैं।
इसके विपरीत, जैसा कि मैंने कहा है, जब चीजें अच्छी तरह से पक जाती हैं तो वे मृत हो जाती हैं, है ना? आत्माएँ चली जाती हैं और जो बच जाता है वह केवल एक भौतिक पदार्थ होता है। साधक यहाँ साधना और निवास तभी कर सकते हैं जब वे अपना जीवन निर्वाह कर सकें। मनुष्य के जीने का अपना एक तरीका होता है, और जब तक वे अपने जीवन जीने के सामान्य तरीकों का पालन करते हैं तब तक बहुत कम कर्म उत्पन्न होते हैं; और यह बात साधकों के लिए विशेष रूप से लागु होती है। साधकों के लिए, इस प्रकार के [सामान्य-जीवन-प्रेरित] कर्म से छुटकारा पाना कोई समस्या नहीं है, और उनके लिए इसे अगले जीवन में चुकाना आवश्यक नहीं है। यदि आप इस जीवन में फलपदवी और देवत्व प्राप्त करते हैं, तो आपके गुरु आपको इसे हल करने में सहायता करेंगे, और आप अपनी साधना के दौरान ही इसे हटा देंगे। इस प्रकार, यह आपके द्वारा स्वयं की साधना करने की कठिन प्रक्रिया में अनुभव की जाने वाली कुछ कठिनाईयों और संकटों का कारण बनता है। इसलिए इन चीजों को दूर मत धकेलें। जैसा कि मैं अभी कुछ समय पहले कह रहा था, [कुछ अभ्यासी] जब उनके बारे में कुछ नकारात्मक कहा जाता है तो वे इसे सहन नहीं कर सकते हैं, और वे कोई आलोचना भी सहन नहीं कर सकते हैं। आपको पता होना चाहिए कि जब ये चीजें घटित होती हैं तो यह आपके कर्म के कारण ही है।
शिष्य: क्या ताइवान के ताइपेई, ताई-चुंग और काऊशुंग शहरों में से प्रत्येक के लिए नव वर्ष गाला मनाना आवश्यक है? क्या इससे मुख्य भूमि चीन में सच्चाई स्पष्ट करने पर प्रभाव नहीं पड़ेगा?
गुरुजी: आप इसे मुख्य भूमि चीन में सच्चाई स्पष्ट करने में हस्तक्षेप नहीं करने दे सकते। मैं इसे इस प्रकार देखता हूँ। ऐसा लगता है कि दाफा के सभी शिष्य उत्तरी अमेरिका में, विशेष रूप से न्यूयॉर्क शहर में जो किया जा रहा है, उसे उदाहरण के रूप में अनुसरण कर रहे हैं, क्योंकि आप सभी जानते हैं कि गुरु न्यूयॉर्क शहर में हैं। तो आप सोच रहे हैं, "चलो वही करें जो वे वहां करते हैं।" हालाँकि, ऐसा नहीं होना चाहिए, क्योंकि परिस्थितियाँ भिन्न-भिन्न हैं, और प्रत्येक क्षेत्र को अपनी स्थिति के आधार पर काम करना चाहिए।
ताइवान में फालुन गोंग पर कोई भी दमन नहीं कर रहा है, और ताइवान में अधिकांश लोग फालुन गोंग के बारे में जानते हैं। तो [यदि आप सोच रहे हैं] कि ताइवान के लोगों को सच्चाई कैसे समझाई जाए और ताइवान के लोगों के मन में बसे अधम सीसीपी के कारकों को कैसे दूर किया जाए, तो, ऐसा करना वहां की स्थिति के अनुकूल नहीं है, क्योंकि ताइवान में वह समस्या नहीं है। निःसंदेह, आजकल कुछ युवा चीन के इतिहास के बारे में बहुत स्पष्ट नहीं हैं, और जब भी दुष्ट सीसीपी "संयुक्त मोर्चा" शुरू करती है तो उन्हें गुमराह किया जाता है। उस स्थिति में आपको अधम पार्टी की दुष्टता को ताइवानी लोगों को बताना चाहिए। संक्षेप में, आपको अपनी स्थिति के आधार पर आपस में इस पर चर्चा करनी चाहिए।
लेकिन ताइवान के शिष्यों द्वारा मुख्य भूमि चीन और हांगकांग तथा अन्य क्षेत्रों में चीनी समुदायों को सच्चाई स्पष्ट करने में सहायता करना बहुत महत्वपूर्ण है। आप जो कार्य कर रहे हैं गुरु उसकी पूर्णतः पुष्टि करते हैं। आपने विशेष रूप से मुख्य भूमि चीन में सच्चाई को स्पष्ट करने के लिए बहुत प्रयास किया है, और इसका प्रभाव उत्कृष्ट रहा है! मैंने ताइवान के शिष्यों से यह बात कई बार कही है—उन्होंने इसे वास्तव में बहुत अच्छे प्रकार से किया है। (तालियाँ)
शिष्य: ऐसा क्यों है कि कुछ दाफा शिष्यों के परिवार अपने विवादों को सुलझाने में असमर्थ हैं, जबकि परिवार में कई लोग साधक हैं? उनमें से कुछ ने एक-दूसरे के साथ बहुत बुरी तरह लड़ाई भी की है (श्रोता हंसते हैं), और परिणामस्वरूप, परिवार के सदस्य जो अभ्यासी नहीं हैं अब दाफा का समर्थन नहीं करते हैं।
गुरुजी: यह मत भूलो कि साधना मनुष्य कर रहे हैं, देवता नहीं। साधारण लोग भूल करते हैं, और साधक भी भूल करते हैं, बस इतना है कि साधक कम करते हैं और बाद में समस्याओं को स्वयं ही ठीक कर लेते हैं। जब इस प्रकार की बात [जिसका आपने उल्लेख किया] होती है, तो यह निश्चित रूप से इसलिए होता है क्योंकि उन शिष्यों ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है। आपको किसी बड़े झगड़े में नहीं पड़ना चाहिए, भले ही वह कुछ ऐसा करने के लिए हो जो दाफा शिष्यों को करना चाहिए। (श्रोता हंसते हैं)
जबकि हम इस विषय पर हैं, मैं कुछ बताना चाहूँगा। आपमें से कुछ लोगों ने अपने परिवारों को उचित प्रकार से सच्चाई स्पष्ट नहीं की है, और ऐसा इसलिए है क्योंकि आपने इसे सही ढंग से नहीं किया है। एक कारण यह है कि आप नहीं जानते कि उनकी उलझन क्या है, आपको कारण स्पष्ट नहीं हैं। दूसरी बात यह है कि जब आप अपने परिवार को सच्चाई स्पष्ट करते हैं, तो आप हमेशा उन्हें परिवार के रूप में मानते हैं, न कि उन चेतन जीवों के रूप में जिन्हें बचाया जाना है। आप साधक हैं और आप साधारण लोगों से ऊपर हैं। आप जानते हैं कि इस जीवनकाल में आप परिवार हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हो सकता है अपने पिछले जीवन में आप न रहे हों? आपको पता है कि इस जन्म में यह आपकी पत्नी है, लेकिन यह कौन जानता है कि अगले जन्म में वह किसकी पत्नी होगी। इस जन्म में वह व्यक्ति आपका बच्चा है, लेकिन पिछले जन्म में वह किसका बच्चा था?
साधकों के रूप में, आप सभी को इस पर बहुत स्पष्ट होना चाहिए, और आप उस प्रकार की अवधारणा में नहीं फंस सकते हैं जो साधारण लोगों को किसी के साथ संबंध के प्रति होती है। उसे एक चेतन जीव मानें और किसी भी अन्य चेतन जीव की तरह उसे बचाएं। फिर जब आप उससे बात करेंगे तो परिणाम भिन्न होगा—निश्चित ही। सबसे पहले उसे परिवार के रूप में न सोचें। जब आप उससे ऐसे बात करते हैं जैसे कि वह एक बचाया जाने वाला व्यक्ति है, तो यह भिन्न होगा। वास्तव में, उसके अस्तित्व का जानने वाला पक्ष इस बात से अवगत है कि, "इस जीवन में आप और मैं परिवार हैं, लेकिन अपने अगले जीवन में मैं किसी और के परिवार में रहूँगा।" उसके अस्तित्व का मूल यह जानता है। जब आप उसे बचाते समय वास्तव में पवित्र विचार रखते हैं, तो उसके सच्चे विचार समझ पाएंगे, और वह अब साधारण लोगों की भावनाओं में नहीं फँसेगा।
शिष्य: जो विदेश में रहने वाले शिष्य दुष्ट पार्टी की सूची में हैं, वे कई वर्षों से चीन वापस नहीं जा पाए हैं। क्या अब उनके लिए चीन वापस जाकर अपने परिवारों से मिलने और फा का मान्यकरण करने का समय आ गया है?
गुरुजी: (गुरूजी हँसते हैं) अभी वापस मत जाओ। आप उसकी सूची में हैं, इसलिए वह आपका दमन करेगी। और भले ही वह आपका दमन न करे, वह आपको अपने पक्ष में करने का प्रयास करने के लिए सभी प्रकार की रणनीति का उपयोग करेगी। इसलिए अपनी ओर से पूरा प्रयास करें कि इस प्रकार की समस्याओं को आमंत्रित न करें। क्योंकि आप यहाँ फा का मान्यकरण कर रहे हैं, यही वह स्थान है जहाँ आपको साधना करनी है। वास्तव में, जो कारक आपको वापस जाने के लिए प्रेरित करते हैं, हो सकता है कि वे कारक आपके मानवीय मोहभावों की परीक्षा ले रहे हों, क्योंकि केवल साधना ही आपका मार्ग है। मुख्य भूमि चीन में हमारे पास वहां की चीजों पर काम करने के लिए मुख्य भूमि चीन के शिष्य हैं। निश्चिंत रहें, वे निश्चित रूप से अच्छा प्रदर्शन करेंगे। मुझे इस बात का विश्वास है। (तालियाँ)
शिष्य: मैं पवित्र विचार भेजने के महत्व को जानता हूं, लेकिन कभी-कभी मैं इसे ऐसे करता हूं जैसे कि यह केवल एक नियमित काम है, और कभी-कभी मन सरलता से भटकने लगता है। ऐसा अन्य अभ्यासियों के साथ भी हुआ है। हम पवित्र विचार भेजने में वास्तव में कैसे सुधार कर सकते हैं?
गुरुजी: मुझे इसे इस प्रकार से कहना चाहिए : दाफा शिष्यों को फलपदवी के मार्ग पर तीन चीजें अच्छी तरह से करने की आवश्यकता है, है ना? और पवित्र विचार भेजना उन चीजों में से एक है। यदि यह इतना महत्वपूर्ण है, तो आप इसे अच्छी तरह से क्यों नहीं कर सकते हैं?! आप इसे इतनी साधारण चीज क्यों मानते हैं और इसे गंभीरता से क्यों नहीं लेते हैं? आप जानते हैं कि यह कितना महत्वपूर्ण है। और, यदि आप तीन चीजों में से एक अच्छी तरह से नहीं करते हैं, तो फिर?
मैंने कई शिष्यों को ऐसा करते देखा है जब वे पवित्र विचार भेजना शुरू करते हैं। (गुरूजी शिष्य की नकल करते हैं जो पवित्र विचार भेजते समय सो जाता है) (गुरूजी हँसते हैं) (श्रोता हँसते हैं) दुष्ट पार्टी के वे बुरी छाया के कारक वास्तव में आपको सुस्त बनाना चाहते हैं, और आप जितना अधिक सुस्त हो जाते हैं, उतना ही अधिक वे उस निद्रा को बढ़ाते हैं। वे आपको पवित्र विचार नहीं भेजने देंगे, क्योंकि ऐसा करके आप उन्हें नष्ट कर रहे हैं। जब आप उन्हें नष्ट करने के लिए पवित्र विचार भेजते हैं, तो वे हस्तक्षेप करते हैं।
साधना करते समय, दाफा शिष्यों के शरीर अन्य आयामों में अविश्वसनीय रूप से विशाल होते हैं। तीन लोकों के आयामों को दाफा शिष्यों के बीच बहुत सारे भागों में विभाजित किया गया है... मैं इसे इस प्रकार समझाता हूँ, और मैं इसे विस्तृत रूप से वर्णित करता हूँ : भविष्य में ब्रह्मांड के जितने भी भाग होंगे, दाफा शिष्यों को उतना ही भाग घेरना होगा। तो फिर, आप अपने क्षेत्र के भीतर, उस स्थान पर जिसके लिए आप उत्तरदायी हैं, बुरे और दुष्ट तत्वों से छुटकारा क्यों नहीं प्राप्त करते हैं? आपको उन्हें हटाना होगा। कुछ दाफा शिष्य पवित्र विचारों को गंभीरता से नहीं लेते हैं, और न केवल उनके स्वयं के साथ हस्तक्षेप होता है : वे दुष्ट कारक अन्य दाफा शिष्यों के साथ भी हस्तक्षेप कर रहे होते हैं। क्या आपको जो करना चाहिए वह अच्छी तरह नहीं कर सकते? आपको न केवल अपनी भूमिका अच्छी तरह से निभानी चाहिए, बल्कि दूसरों की भी सहायता करनी चाहिए।
शिष्य: मुख्य भूमि चीन में कुछ दाफा शिष्यों पर लंबे समय से सार्वजनिक सुरक्षा ब्यूरो द्वारा नजर रखी जा रही है। वे बचाव या सुरक्षा के प्रति सचेत नहीं हैं और जब अन्य शिष्य उन्हें चेतावनी देते हैं तो वे नहीं सुनते। गुरुजी, हमें क्या करना चाहिए?
गुरुजी: यह सच है कि जब बचाव और सुरक्षा की बात आती है तो कुछ शिष्य वास्तव में लापरवाह होते हैं। ऐसा लगता है कि जैसे दुष्टों द्वारा छोड़े जाने और गंभीर रूप से दमन किये जाने के बाद, वे कुछ दिनों बाद इसके बारे में भूल जाते हैं। आपका बचाव और सुरक्षा अन्य दाफा शिष्यों के बचाव और सुरक्षा को प्रभावित करती है, इसलिए आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए और इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए। प्राचीन शक्तियों के कारकों को अपनी कमियों का लाभ न उठाने दें। चीन के बाहर के कई शिष्यों ने देखा है कि चीन में दाफा शिष्य बचाव और सुरक्षा पर पर्याप्त ध्यान नहीं देते हैं, लेकिन वे उनसे सीधे कुछ नहीं कह सकते हैं और केवल चिंतित रह सकते हैं। जब आप सावधान नहीं होते हैं, तो आपका दमन किया जाएगा और दूसरों को हानि पहुँचायी जाएगी।
शिष्य: मैं एक अनुभवी शिष्य हूँ और मैंने 1996 में फा प्राप्त किया था, लेकिन आज पहली बार मैंने आपको व्यक्तिगत रूप से देखा है और मैं बहुत धन्य अनुभव कर रहा हूँ। चीन में बहुत से अनुभवी शिष्य हैं जिन्होंने कभी गुरूजी को व्यक्तिगत रूप से नहीं देखा है। वे चाहते हैं कि वे विदेशी शिष्यों की तरह भाग्यशाली हों और आशा करते हैं कि विदेशी शिष्य गुरूजी को देखने के अवसर को संजोकर रखेंगे। क्या यह सच है कि जिन शिष्यों को चीन छोड़ने का अवसर मिला है, उन्हें विदेश में ही रहने का पूरा प्रयास करना चाहिए?
गुरुजी: यह ऐसी चीज है जिस पर आपको अपना निर्णय स्वयं लेना चाहिए। यदि आप विदेश में बेहतर कर सकते हैं और फा का मान्यकरण करने के लिए विदेशी दाफा शिष्यों के साथ जुड़ना चाहते हैं, तो मैं इसके विरुद्ध नहीं हूँ। यदि आपको वापस जाने पर दमन का खतरा बना रहेगा और पुलिस आपको ढूंढ रही होगी, तो आपको विदेश में ही रहना चाहिए। यदि ऐसा नहीं है और आपकी स्थिति [चीन में] अपेक्षाकृत बेहतर है, और चीन में आपके द्वारा बचाने के लिए बहुत से ऐसे चेतन जीव हैं जिन्हें आपने नहीं बचाया है, या आपको बहुत से पछतावे हैं जिन्हें आप संबोधित करने का एक और अवसर चाहते हैं, तो मुझे लगता है कि आपको वहाँ जाकर वह सब अच्छे से करना चाहिए। गुरु आपको केवल एक सुझाव दे रहे हैं; यह आप पर निर्भर है कि आपको क्या करना है।
शिष्य: हेनान प्रांत के झेंग्झौ शहर से दाफा शिष्य, इंग्लैंड से दाफा शिष्य, और लिओनिंग प्रांत के अनशान क्षेत्र के सभी दाफा शिष्यों ने गुरूजी को अपना अभिवादन भेजा हैं।
गुरुजी: आप सभी का धन्यवाद। (तालियाँ)
शिष्य: मैं पिछले एक वर्ष से अभ्यास कर रहा हूँ, लेकिन मुझे समझ नहीं आ रहा है कि वर्तमान में मुझे अक्सर बुरे सपने क्यों आते हैं। क्या इसका कारण यह है कि मैंने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है? (गुरूजी: "[यह] एक पश्चिमी शिष्य ने पूछा है।")
गुरुजी: मैंने अपनी कई फा शिक्षाओं में एक नए शिष्य की स्थिति के बारे में बात की है। जब कुछ नए शिष्य अचानक एक साधारण व्यक्ति से साधक बन जाते हैं, तो उन्हें तुरंत [ऋणदाताओं] द्वारा अपने ऋण चुकाने की मांग की समस्या का सामना करना पड़ता है। अनुभवी शिष्य सभी इस बारे में जानते हैं। कभी-कभी उन्हें बुरे सपने आते हैं और विचित्र चीजें देखने को मिलती हैं। वे सभी चीजें वास्तव में इस तथ्य का प्रतिबिंब हैं कि आप एक साधारण व्यक्ति होने से आगे जा रहे हैं और अतीत की आपकी कृतज्ञता और शिकायतों का निपटारा होना आवश्यक है। आमतौर पर, साधारण लोग पुनर्जन्म से गुजरते हैं और कर्म भुगतान का अनुभव करते हैं, जहाँ वे अपने पिछले जन्मों में अर्जित किए गए कर्मों का भुगतान करते हैं। [इसलिए लेनदार सोचते हैं,] "मुझे आपसे ऋण वसूलने की कोई जल्दी नहीं है, क्योंकि आपको अपने अगले जन्म में इसका भुगतान करना होगा।" लेकिन जब आप साधना शुरू करते हैं और तीन लोकों को छोड़ने के लिए तैयार होते हैं, तो वे सोचते हैं, "आपका जो ऋण है, वह नहीं चुकाया है, और यदि आप चले गए तो मैं आपको बाद में नहीं ढूंढ पाऊँगा, इसलिए आपको मेरा ऋण चुकाना होगा।" यही कारण है कि यह समय से पहले ही आपको खोज लेगा और आप अजीब और विचित्र चीजों का सामना करेंगे। लेकिन गुरु आपको इन सब से बचाएंगे, इसलिए जो कुछ भी होगा वह खतरनाक लगेगा लेकिन आप किसी भी खतरे में नहीं होंगे। चाहे जो हो जाये, एक दाफा शिष्य के रूप में, आपके पास शक्तिशाली पवित्र विचार होने चाहिए और इन चीजों को एक साधक की तरह संभालना चाहिए।
शिष्य: जब कुछ शिष्य माउंटेन से लौटे तो उन्होंने एक फा-अध्ययन समूह को वे अभिलेख दिए जो उन्होंने वहाँ की शिलाओं पर से पढ़े थे और उन्हें लिख लिया था, और उन्होंने शिष्यों से कहा कि वे समूह फा अध्ययन में ज़ुआन फालुन पढ़ने के स्थान पर उन्हें बार-बार पढ़ें। गुरुजी, क्या ऐसा करना ठीक है?
गुरुजी: बिल्कुल नहीं। मैंने ऐसी चीजों के बारे में कई बार बात की है। मैंने कहा है कि मैं माउंटेन पर लोगों के एक छोटे समूह को जो फा सिखाता हूँ, उसे ऐसे ही आगे पारित नहीं किया जा सकता है, क्योंकि इससे दाफा शिष्यों द्वारा फा का मान्यकरण करने की समग्र स्थिति में बाधा उत्पन्न होगी। लेकिन क्योंकि हमारे यहाँ हमेशा ऐसे लोग होते हैं जो इसे आगे पारित करते हैं, इसलिए मैंने वहाँ पूरी तरह से शिक्षा देना बंद करने का निर्णय लिया। इसलिए आपने वर्तमान में कुछ नहीं सुना होगा, है न?
हमेशा से ही ऐसे लोग रहे हैं जो अफवाहें फैलाते हैं। निश्चित ही, मुझे लगता है कि उन्होंने ये काम चुपके से किए हैं, इसलिए मैं यहाँ इस बारे में और बात नहीं करूँगा। अब से ऐसा ना करें। दाफा शिष्यों को दृढ़ पवित्र विचार रखने चाहिए और साधक की तरह व्यवहार करना चाहिए। उन लोगों में [जो इस प्रकार की बातें फैलाते हैं] बहुत सारे मानवीय मोहभाव होते हैं, और वे केवल भिन्न दिखने के लिए निरंतर कुछ नया करना या कहना चाहते हैं, वे निरंतर दिखावा करना चाहते हैं, और वे निरंतर लोगों को यह बताना चाहते हैं कि गुरु व्यक्तिगत रूप से उनपर कितना विशेष ध्यान देते हैं। हालाँकि, ऐसा कुछ नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति को स्वयं साधना करनी होती है। चाहे मैं आपको कितना भी फा सिखाऊँ, यदि आप स्वयं अच्छी तरह से साधना नहीं करते हैं, तो आप साधना में सफल नहीं होंगे।
शिष्य: जब हम नाइन कमेंटरीज पर मंच के लिए चर्चा की तैयारी कर रहे थे, तो हम कुछ ऐसे लोगों के संपर्क में आए जो कम्युनिस्ट देशों से बचकर आए थे, जिनमें मुख्य भूमि चीन के कुछ कम्युनिस्ट साथी भी सम्मिलित थे। लेकिन ये लोग अब अपने मूल देशों से बाहर स्वयं को स्थापित कर चुके हैं और अपने मूल देशों में निवेश के अवसरों में व्यस्त हैं, इसलिए वे दुष्ट पार्टी की दुष्टता के विषय में बताने और उजागर करने के लिए तैयार नहीं हैं। गुरूजी, हमें इसके बारे में क्या करना चाहिए?
गुरुजी: इस समय दूसरे देशों को प्राथमिकता मत दीजिए। लेकिन, जब सत्य को स्पष्ट करने की बात आती है, तो सभी प्राणी समान और एक जैसे होते हैं; हम सभी लोगों को सत्य स्पष्ट करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि दुष्ट पार्टी के कारक संसार भर में हैं और कम्युनिस्ट देशों तक सीमित नहीं हैं। लेकिन कोई भी व्यक्ति चाहे जो भी हो, उसका रवैया क्या है यह उसका अपना मामला है।
शिष्य: संगीत और कला विशाल ब्रह्मांडीय पिंडों से आते हैं, तो फिर खेलों के बारे में क्या? (श्रोता हंसते हैं)
गुरुजी: "खेल" एक सामान्य शब्द है जिसमें कई चीजें सम्मिलित हैं जिन्हें एक साथ रखा गया है। और इसमें सम्मिलित बहुत सी चीजें भिन्न-भिन्न प्रणालियों की हैं। इसलिए यह पूर्ण नहीं है, क्योंकि बहुत सी चीजें भिन्न-भिन्न प्रणालियों से आती हैं। भिन्न-भिन्न प्रणालियों से चीजें क्यों आई हैं? यह फा-सुधार से संबंधित है। कोई नहीं जानता था कि पृथ्वी पर पुनर्जन्म लेने वाला प्राणी फा सिखाने के लिए किस सतही स्वरूप का उपयोग करेगा। उस समय मैंने कोई विशेष विकल्प नहीं चुना था। फा का प्रसार शुरू करने से ठीक पहले, और जब ये सभी चीजें मेरे सामने नई-नई प्रदर्शित हुईं थी, तो मैंने बुद्ध फा और बुद्ध की छवि के माध्यम से ब्रह्मांड के नियम को सिखाने का विकल्प चुना।
शिष्य: चीन के बाहर की एक सुरक्षा संस्था ने हमें सीसीपी के कुछ जासूसों के नाम दिए हैं। क्या हमें उन्हें शिष्यों के सामने सार्वजनिक करना चाहिए?
गुरुजी: कुछ समय के लिए रुको। क्योंकि वे दाफा के संपर्क में आ चुके हैं, इसलिए मैं उन्हें थोड़ा और अवसर देना चाहूंगा। (तालियाँ) मैं उन्हें तब तक उजागर नहीं करना चाहता जब तक कि वे पूरी तरह से उद्धार न होने के योग्य हो जाएं। मुझे पूरा विश्वास है, क्योंकि यह फा इतना विशाल है। इसलिए मैं यह नहीं मानता कि मैं आपको बचा नहीं सकता। (तालियाँ) ऐसे बहुत से शिष्य रहे हैं जिन्होंने अतीत में ऐसे काम किए जो उन्हें नहीं करने चाहिए थे, और बहुत से शिष्य जिनके लिए वो [जासूसी] का काम करना उनका व्यवसाय हुआ करता था, और फिर भी उन्होंने दाफा में साधना शुरू कर दी है। क्या यह दाफा की महान शक्ति नहीं है? (तालियाँ)
शिष्य: अधिकांश समय जब मैं पवित्र विचार भेजता हूँ तो मैं शांत अवस्था में नहीं पहुँच पाता। क्या इसका कारण यह है कि मेरे साथ कोई विघ्न हुआ है या मेरा साधना स्तर निम्न है? मुझे ऐसा लगता है कि कई बार मेरे पवित्र विचार भेजने का प्रभाव बहुत कम होता है।
गुरुजी: मैं इसे इस प्रकार से समझाऊंगा। एक नए शिष्य के लिए, यदि आप पवित्र विचार भेजते समय अधिक अनुभव नहीं करते हैं, तो इसका मुख्य कारण यह है कि आपकी साधना प्रक्रिया संक्षिप्त रही है, और परिणामस्वरूप आप अभी तक अपने पूरे शरीर के परिवर्तन के प्रति संवेदनशील नहीं हैं। वास्तव में, बहुत से लोग जिन्होंने लंबे समय तक साधना की है, आवश्यक नहीं कि वे इसके प्रति संवेदनशील हों। ऐसा क्यों है कि कुछ लोग पवित्र विचार भेजना शुरू करते ही सो जाते हैं? ऐसा इसलिए है क्योंकि वे उनके प्रभाव को अनुभव नहीं कर पाते हैं।
एक बात जो मैंने पहले कही थी कि आप इतने उच्च स्तर तक साधना करने में ठीक इसीलिए सक्षम हैं क्योंकि आप भ्रम के बीच साधना करते हैं, इतने बड़े भ्रम के बीच। इस स्थिति में जहाँ आपके लिए आवश्यकताएँ इतनी अधिक हैं, जब आप शक्तिशाली पवित्र विचारों के साथ इसे पूरा करने में सफल होते हैं, तो यह उल्लेखनीय है, और आप निश्चित रूप से फलपदवी प्राप्त करेंगे। यह सच है कि जब कई शिष्य पवित्र विचार भेजते हैं तो वे साधारणतः चीजों को बहुत तीव्रता से या स्पष्ट रूप से अनुभव नहीं करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि जिस पक्ष पर वास्तव में प्रभाव पड़ता है और यह भाग जो अभी तक पूर्ण रूप से विकसित नहीं हुआ है, अलग-अलग हो गए हैं। लेकिन यह पक्ष जो अभी तक पूर्ण रूप से विकसित नहीं हुआ है वह मुख्य शरीर है, और महत्वपूर्ण बात यह है कि क्या इस सबसे महत्वपूर्ण भाग के पवित्र विचार शक्तिशाली हैं! साधना में, जब आपके पवित्र विचार शक्तिशाली होते हैं, तो आप सुधार कर रहे होते हैं और निरंतर रूपांतरण से गुजर रहे होते हैं। जब आपके पवित्र विचार शक्तिशाली होते हैं, तो आपके द्वारा भेजे गए पवित्र विचार ठोस होते हैं, और आपका वह पक्ष जो पूरी तरह से विकसित हो चुका है, अपनी विशाल क्षमताओं का प्रयोग करता है। क्योंकि विकसित पक्ष अलग हो गया है, और आपका मानवीय पक्ष नियंत्रित हो रहा है, [आपका मानवीय पक्ष] अभी भी बहुत संवेदनशील नहीं है। यदि विभाजन न होता, तो चाहे आप कितने भी असंवेदनशील क्यों न हों, जब ऐसी प्रबल शक्ति सामने आती, तो मुझे लगता है कि आपका वह भाग जो यहाँ है, अविश्वसनीय रूप से काँप उठता, और मानव शरीर—यह भाग जिसे अभी पूरी तरह विकसित होना है—ऐसी प्रबल शक्ति को सहन नहीं कर पाता।
बहुत से शिष्य पवित्र विचार भेजने को अधिक महत्व नहीं देते हैं, और इसका एक बहुत बड़ा कारण यह है कि वे इस बात के प्रति संवेदनशील नहीं हैं कि [इसका क्या प्रभाव हो रहा है]। चाहे आप संवेदनशील हों या नहीं, जब गुरु आपको कुछ करने के लिए कहते हैं तो आपको वह करना चाहिए, और इसका निश्चित रूप से प्रभाव होगा। यह निश्चित रूप से केवल औपचारिकता नहीं है! गुरु आपको कुछ व्यर्थ करने के लिए बिल्कुल नहीं कहेंगे। (तालियाँ) यदि यह केवल औपचारिकता होती, तो यह आपके लिए, मेरे लिए, फा-सुधार और आपके द्वारा फा का मान्यकरण करने के लिए, और सभी प्राणियों के लिए निरर्थक होती। और इसके अतिरिक्त, [मैंने आपको] पवित्र विचार भेजने को बहुत महत्वपूर्ण चीज के रूप में मानने के लिए कहा है। आपको इसे गंभीरता से लेना चाहिए। चाहे आप चीजों को अनुभव कर सकें या नहीं, आपको इसे शक्तिशाली पवित्र विचारों के साथ करने की आवश्यकता है। जैसे-जैसे समय बीतता जाएगा, मुझे लगता है कि आप सब चीजों को अनुभव करने लगेंगे।
जब आप पवित्र विचार भेजते हैं, तो आपको शांत अवस्था में प्रवेश करने की आवश्यकता नहीं होती है, जिसमें आप किसी भी चीज के बारे में नहीं सोच रहे होते हैं। जब आप पवित्र विचार भेजते हैं तो आप सोचते भी हैं, और आपके विचार बहुत शक्तिशाली होने चाहिए। अभी आपको मुख्य रूप से दुष्ट सीसीपी की बुरी छाया और उन वीभत्स अनुचरों और दुष्ट असुरों को विघटित करने, उन्हें नष्ट करने और उनको हटाने के बारे में सोचना चाहिए। यह पूर्ण शांत अवस्था में जाने से भिन्न है।
शिष्या: मैं दस वर्ष की लड़की हूँ और मैं जानना चाहती हूँ कि बच्चों के लिए नृत्य कक्षा कब आयोजित की जाएगी। (श्रोता हँसते हैं)
गुरुजी: (गुरूजी हंसते हैं) ऐसा नहीं है कि गुरु इसे आयोजित करेंगे। (श्रोता हंसते हैं) कभी-कभी गुरु चीजों को थोड़ा समन्वयित करने में सहायता करते हैं और फिर चीजें तीव्रता से हो जाती हैं, लेकिन वे सभी दाफा शिष्यों द्वारा की जाती हैं। अभी हमारे शिक्षण संसाधन सीमित हैं। जब परिस्थितियाँ अनुकूल होंगी तो हम ऐसी कक्षाएँ आयोजित करेंगे।
शिष्य: अभिवादन, आदरणीय गुरूजी। मैं मुख्य भूमि चीन के कई साथी साधकों के बारे में पूछना चाहता हूँ जिन्हें दुष्टता द्वारा अवैध रूप से बंदी बना लिया गया है। उनमें से बहुत से लोगों ने शायद अभी भी "तीन निकासियों" के बारे में नहीं सुना है। यदि, जब सीसीपी के साथ हिसाब-किताब निपटाने का दिन आ जाता है और अवैध रूप से बंदी बना लिए गए कुछ शिष्यों ने अभी तक अपनी "तीन निकासी" घोषणाएँ नहीं की हैं, तो क्या इससे उन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा?
गुरुजी: एक बार जब आप दाफा शिष्य बन जाते हैं तो अन्य चीजें कम महत्वपूर्ण हो जाती हैं। लेकिन साधना में हमेशा शक्तिशाली साधारण मानवीय मोहभावों वाले लोग, अपर्याप्त पवित्र विचारों वाले लोग और नए शिष्य होते हैं। इसलिए यदि आप उन अभ्यासियों में से एक हैं, तो यदि आप अपना पक्ष स्पष्ट नहीं करेंगे तो यह वास्तव में काम नहीं करेगा। हालाँकि, उन परिश्रमी अनुभवी शिष्यों के लिए जो कई वर्षों से साधना कर रहे हैं, इनमें से कोई भी बात महत्वपूर्ण नहीं है। यह इसी प्रकार काम करता है। सबसे महत्वपूर्ण बात सभी प्राणियों को बचाना और साधारण लोगों को अधम सीसीपी से निकलवाना है जिससे इसके साथ उनका पतन न हो।
शिष्य: गुरुजी, मैंने आपके चित्र के सामने प्रण लिया था कि मैं काम इच्छा की परीक्षा में असफल नहीं होऊंगा, लेकिन बाद में मैं फिर से असफल हो गया। मुझे इसका बहुत पछतावा है और मुझे सब कुछ खोने का डर है।
गुरुजी: एक साधक, एक दाफा शिष्य के लिए, यह वास्तव में लज्जाजनक है। बौद्ध धर्म में लोगों से नियमों का पालन करने की अपेक्षा की जाती है, और जब कोई संयम के नियम को तोड़ता है तो यह वास्तव में बहुत गंभीर मामला होता है! क्या आप जानते हैं कि दाफा शिष्य प्राचीन ब्रह्मांड से रूपांतरित हुए हैं और प्राचीन फा सिद्धांतों से आगे निकल आये हैं, लेकिन प्राचीन ब्रह्मांड, प्राचीन फा सिद्धांत, प्राचीन प्राणी... ये सभी आपको पीछे खींचने का प्रयास कर रहे हैं!
मैंने पहले भी प्राचीन शक्तियों के हस्तक्षेप के बारे में बात की है। क्या आपने निम्नलिखित के बारे में सोचा है? [काम इच्छा] उन कारकों में से एक है जिसका उपयोग वे आपको रोकने के लिए करती हैं! प्राचीन शक्तियां और प्राचीन ब्रह्मांड किस चीज को सबसे गंभीर चीज मानते हैं? वासना, विवाह के बाहर यौन गतिविधि [के रूप में]। यही वह चीज है जिसे वे सबसे गंभीर चीज मानते हैं। अतीत में, एक बार जब कोई उसपर दिए गए नियम का उल्लंघन करता था, तो उसे मंदिर से बाहर निकाल दिया जाता था, और उसकी साधना पूरी तरह से समाप्त हो जाती थी। तो देवता इसे अब कैसे देखते हैं? क्या आप जानते हैं कि उन्होंने जो भविष्यवाणियाँ की हैं, उनमें उन्होंने क्या कहा है? उन्होंने भविष्यवाणी की कि अंत में बचे रहने वाले सभी दाफा शिष्य वे होंगे जिन्होंने इस अनुसार अपनी पवित्रता बनाए रखी होगी। दूसरे शब्दों में, ये चीजें उनके लिए बेहद गंभीर हैं। इसलिए प्राचीन शक्तियां और उस ब्रह्मांड के सभी देवता इस पर प्रतिबंध का उल्लंघन करने वाले किसी भी व्यक्ति का बचाव नहीं करेंगे, जो इस संबंध में अच्छा प्रदर्शन नहीं करता है; वास्तव में वे आपको नीचे की ओर धकेल देंगे। वे जानते हैं [और स्वयं से सोचते हैं], "ली होंगज़ी, आप अपने शिष्यों को नहीं छोड़ेंगे, इसलिए हम आपको उन्हें छोड़ने पर विवश करेंगे।" यही कारण है कि वे उन शिष्यों से गलतियाँ करवाते हैं जिन्होंने अधिक गलतियाँ की हैं, बार-बार, और अंत में बुरे काम करते हैं और विपरीत पक्ष में चले जाते हैं। "हम उसके मन में कुटिल समझ भर देंगे और वह दाफा को हानि पहुंचाएगा। फिर हम देखेंगे कि क्या आप उसे अभी भी साथ रखते हैं।" और आप जानते हैं, उन्होंने यही किया है। क्या आपको लगता है कि वे सभी जिनको दुष्ट मार्ग की ओर "ज्ञानप्राप्ति" हुई है, वास्तव में दुष्टता की ओर जाना चाहते थे? इन सबके पीछे कुछ कारण हैं।
इसलिए, आपको इस मामले में सावधान रहना चाहिए, विशेष रूप से युवा दाफा शिष्यों को। यदि आप विवाहित नहीं हैं, तो आपको यौन क्रियाओं में सम्मिलित नहीं होना चाहिए, और जो लोग विवाहित हैं, उन्हें विवाहोतर संबंध बनाने की गलती तो बिल्कुल भी नहीं करनी चाहिए। दाफा शिष्य निश्चित ही साधारण समाज में साधना करते हुए विवाह कर सकते हैं। यह कोई समस्या नहीं है। लेकिन आपको गलतियाँ नहीं करनी चाहिए! आपको प्राचीन शक्तियों के कारकों और दुष्ट प्राणियों को अपनी कमियों का लाभ नहीं उठाने देना चाहिए और आपको इस हद तक सताने नहीं देना चाहिए कि अंततः आप साधना न कर सकें। तब आप अपना अवसर खो देंगे।
गुरु जो कह रहे हैं वह बिलकुल सच है। चाहे आप दृढ़ हों या नहीं, और चाहे आपने इस दाफा में कैसे भी प्रवेश किया हो, हज़ारों वर्षों में धरती पर जो भी व्यवस्थाएँ की गई हैं, वो आज जो हो रहा है उसके लिए की गई हैं। आपको निश्चित ही इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए और इसे हाथ से जाने नहीं देना चाहिए। वास्तव में, धरती पर उपस्थित बहुत से प्राणी दाफा के प्रति जो भी पक्ष लेते है, वे जो भी बुरे काम कर रहे हैं, वे सब अज्ञानता में कर रहे हैं। यदि उन्हें सच में पता होता कि वे इसी की प्रतीक्षा कर रहे थे, तो वे ऐसे बुरे काम नहीं करते जो दाफा के लिए हानिकारक हों, भले ही आप उन्हें पीट-पीट कर मार डालें।
निःसंदेह, नए शिष्यों के लिए मेरी कही गई बातों को समझना बहुत सरल नहीं होगा। एक-एक कदम बढ़ाते हुए साधना करें, और भविष्य में आपको पता चल जाएगा। क्योंकि दाफा शिष्यों ने इतने लंबे समय तक साधना की है और कई चीजों पर स्पष्ट समझ विकसित की है, इसलिए नए शिष्यों के लिए [इन चीजों] को समझना बहुत सरल नहीं होगा। मानव समाज जो महिमामंडित करता है, वह आवश्यक नहीं कि सब अच्छा हो, और मनुष्य जो महिमामंडित करता है, वह आवश्यकता नहीं कि देवताओं को स्वीकार्य हो।
शिष्य: उत्तरी अमेरिका में बहुत से दाफा शिष्य न्यूयॉर्क शहर और न्यू जर्सी में जाने का प्रयत्न कर रहे हैं, और जो लोग अन्य स्थानों पर काम करते हैं, उनमें से भी कुछ पूर्वी अमेरिका में नौकरी ढूँढना चाहते हैं जिससे वे गुरूजी के जितना संभव हो सके उतना पास रह सकें। (श्रोता हँसते हैं) यह बात समझी जा सकती है, लेकिन अन्य क्षेत्रों में दाफा का मान्यकरण करने के लिए शिष्यों की आवश्यकता है, विशेष रूप से जब सीसीपी की दुष्ट छाया अभी भी कुछ क्षेत्रों में काफी व्याप्त है।
गुरुजी: यह एक समस्या है। कुछ शिष्य इसलिए स्थानांतरित हुए हैं क्योंकि उनके पास कुछ विशेष कौशल हैं जिनकी आवश्यकता है, और यह ठीक है। लेकिन अन्य शिष्यों को जल्दबाजी में और बिना सोचे-समझे या ऐसा करने के लिए ठोस कारण के बिना नहीं जाना चाहिए। अपने दैनिक जीवन या अपने जीवन के अन्य पहलुओं में कठिनाइयाँ न लाएँ। उन कठिनाइयों को उत्पन्न करने के बाद, आप हर दिन सोचेंगे, "मैं आज अपना पेट कैसे भरूँगा? मैं कल अपने सिर पर छत कैसे सुनिश्चित कर सकता हूँ?" उस स्थिति में, आप फा का मान्यकरण नहीं कर पाएँगे, है न? अर्थात, अपने लिए अनावश्यक कठिनाइयाँ न उत्पन्न करें, अपनी साधना स्थिति को बाधित न करें, या उन परिस्थितियों को न बिगाडें जो आपको फा का मान्यकरण करने में सक्षम बना सकती हैं। ऐसा लगता है कि भविष्य में मुझे भी कुछ समय के लिए यहाँ पश्चिम में रहना चाहिए। (गुरुजी हँसते हैं) (श्रोता हँसते हैं, तालियाँ बजाते हैं) व्यस्तता का यह दौर समाप्त होने के बाद शायद मैं कहीं और रहने लगूंगा। (श्रोता हँसते हैं, तालियाँ बजाते हैं)
शिष्य: हमारे आस-पास के कुछ वृद्ध दाफा शिष्यों ने कई वर्षों तक साधना की है, उनकी मानसिक स्थिति बहुत अच्छी है और उनका स्वास्थ्य भी अच्छा है, और वे अपनी उम्र के अभ्यास नहीं करने वालों की तुलना में बहुत युवा दिखते हैं। हालाँकि, उनमें अभी भी उम्र बढ़ने के कुछ लक्षण दिखाई देते हैं।
गुरुजी: सतह पर यह भाग जो साधना की प्रक्रिया में पूर्ण रूप से परिवर्तित नहीं हुआ है, इस आयाम में समय की सीमाओं से परे नहीं गया है। जब आपका यह पक्ष उस बिंदु तक विकसित हो जाता है जहाँ यह यहाँ के समय से बंधा हुआ नहीं रह जाता है और इस आयाम के समय से अलग हो जाता है, तो यहाँ का समय आप पर कोई प्रभाव नहीं डालेगा। ऐसा कुछ शिष्यों के साथ हुआ है, लेकिन हर कोई ऐसा नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति का साधना पथ भिन्न है, और उनके लिए व्यवस्थित अवस्थाएँ भी भिन्न हैं। अधिकांश अभ्यासियों के लिए, जिस पक्ष का अच्छी तरह से विकास हो गया है, उसे दिव्य पक्ष द्वारा निर्देशित नहीं किया जा सकता है, क्योंकि वे अलग हो गये हैं।
दूसरा कारण यह है कि हस्तक्षेप करने वाली प्राचीन शक्तियों के कारक अभी भी प्रभाव डाल रहे हैं। मैंने पहले भी कुछ कहा है : "ब्रह्मांड में देवता मनुष्यों को कोई महत्वपूर्ण चीज नहीं मानते हैं।" लोग कहते हैं कि देवता करुणामयी हैं। हाँ, वे करुणामयी हैं, और करुणा ही वह चीज है जिसकी वे साधना करते हैं। लेकिन उनके करुणामयी होने का अर्थ यह नहीं है कि वे मनुष्यों के प्रति करुणा रखते हैं; उनका मनुष्यों से कोई लेना-देना नहीं है। जब कोई देवता मनुष्यों के संपर्क में आते हैं, तो मनुष्य उनसे शक्तिशाली करुणा अनुभव कर सकते हैं, लेकिन वह देवता बस ऐसे ही हैं, और वह विशेष रूप से आपके प्रति करुणामयी नहीं हैं; बल्कि, करुणामयी होना बस उनकी अवस्था है। वास्तव में, पुराने ब्रह्मांड के बहुत से देवता सोचते हैं, "आप दाफा शिष्य इतने उच्च स्तर तक साधना कर रहे हैं, और आप ब्रह्मांड का भविष्य निर्धारित करेंगे। इसलिए यदि आपमें थोड़ी सी भी कमी रह गयी तो मैं आपको आगे नहीं बढ़ने दूंगा। “यद्यपि हम इन प्राणियों को "निर्दयी" नहीं कह सकते, परन्तु जब यह बात आती है तो वे किसी अनुचित काम करने वाले को बिलकुल भी आगे नहीं जाने देंगे, और न ही आपके साथ केवल इसलिए उदार रहेंगे क्योंकि आपने कुछ अच्छे काम किए हैं।
जब मैंने पहली बार फा सिखाना शुरू किया था, तो इन्हीं बातों के लिए मैं उनके कारण आगे नहीं बढ़ पाया था, और चीजें एक वर्ष तक विलंबित हो गईं। बाद में मुझे पता चला कि यदि मैं फा सिखाना और प्रसार करना टालता रहा, तो बहुत से शिष्यों के पास फा प्राप्त करने के लिए भी समय नहीं होगा, और बहुत से प्राणियों को बचाने के लिए पर्याप्त समय नहीं होगा। इसलिए, कई चीजों के लिए मैं उनसे जूझता रहा हूँ। उस समय, मैं चाहता था कि सतही शरीर का रूपांतरण उस भाग के साथ तालमेल में हो, जिसकी अच्छी तरह से साधना की गई है; मैं चाहता था कि साधना के दौरान शरीर को मानवीय अवस्था से अलग रखा जाए; और मैं चाहता था कि साधना करने वाले शिष्य अपने स्वयं के पवित्र विचारों का उपयोग करके एक ऐसी अवस्था बनाए रखें जो बिल्कुल मनुष्यों जैसी हो। इन मुद्दों पर मैं उनके साथ एक वर्ष तक आगे नहीं बढ़ पाया। इसीलिए मैंने उस समय सार्वजनिक रूप से फा को सिखाना शुरू नहीं किया। हम एक वर्ष तक रुके रहे। अब भी मैं यह स्वीकार नहीं कर सकता जिस बात पर उन्होंने जोर दिया है, और मैं भविष्य में भी इसे बिल्कुल स्वीकार नहीं करूंगा। भविष्य में सभी प्राणी जो हस्तक्षेप और व्यवधान का भाग रहे हैं, वे अपने किये का भुगतान करने की प्रक्रिया में विघटित हो जाएंगे। मैं जो चाहता हूं उसे पूरा किया जाना चाहिए, भले ही हमें इतिहास को उलटना पड़े और फिर से शुरुआत करनी पड़े। वह चीजें और प्रक्रिया दोनों ही फा-सुधार के लिए आवश्यक हैं। मैं उन चीजों का उल्लेख नहीं कर रहा हूं जो तब होंगी जब फा मानव संसार का सुधार करेगा।
शिष्य: बीजिंग और झांगजियाकौ के दाफा शिष्यों ने गुरूजी को अभिवादन भेजा हैं। पूज्य गुरूजी ने पिछली फा शिक्षाओं में कहा है कि यदि हम चीन में पचास प्रतिशत लोगों को बचा सकें तो यह भी बहुत अच्छा होगा (यह कोई सटीक उद्धरण नहीं है)। क्या उस संख्या का इस मानवीय आयाम में दो प्रकार के पदार्थों और उनके अवरोधक प्रभाव से कोई संबंध है, जैसा कि लेख "बुद्ध प्रकृति और आसुरिक प्रकृति" में चर्चा की गई है?
गुरुजी: बुद्ध प्रकृति और आसुरिक प्रकृति का अर्थ यह नहीं है। इसका अर्थ है दो प्रकार के पदार्थ—सकारात्मक और नकारात्मक—जो ब्रह्मांड को बनाने वाले तत्वों में उपस्थित हैं। स्तर जितना निम्न होगा, दो प्रकार के पदार्थों के बीच उतना ही अंतर होगा; सकारात्मक पदार्थ अधिक अच्छा हो जाता है, और नकारात्मक पदार्थ अधिक बुरा हो जाता है। जब मनुष्य का निर्माण किया गया था, तो पदार्थ में पहले से ही अच्छे और बुरे के दो तत्व अस्तित्व में थे, इसलिए बनाए गए मनुष्यों में स्वयं अच्छे और बुरे दोनों तत्व थे। जब कोई व्यक्ति तर्कहीन रूप से चिल्लाता और चीखता है या क्रोध करता है, तो यह उसका आसुरिक स्वभाव है—अर्थात उसका आसुरिक पक्ष काम कर रहा है। जब कोई व्यक्ति बहुत परोपकारी, दयालु और मिलनसार, सुशील, और सज्जन होता है, तो यह उसका अच्छा पक्ष है जो सामने आ रहा है।
जब आप एक सच्चे फा की साधना करते हैं और पवित्र ज्ञान प्राप्त करते हैं, तो आपको अपनी आसुरिक प्रकृति को नियंत्रित करना और हटाना होता है। बौद्ध धर्म में किसी समय साधना का अर्थ संयम करना होता था— आसुरिक प्रकृति को नियंत्रित करना और बुद्ध प्रकृति को पूर्ण रूप से सक्रिय होने में सक्षम बनाना। अंत में, जब किसी की संयम की शक्ति बहुत शक्तिशाली हो जाती, तो व्यक्ति की आसुरिक प्रकृति अब कोई प्रभाव नहीं डाल सकती थी, जैसे कि उसे बंधित कर दिया गया हो। यह फा-सुधार पूरे ब्रह्मांड में मूलभूत परिवर्तन लाने के लिए है। यही कारण है कि दाफा शिष्यों की साधना के दौरान सूक्ष्म स्तर से शुरू करके उनके लिए चीजों को नए सिरे से व्यवस्थित किया जाता है, और जो भी आवश्यक नहीं होता है उसे सीधे हटा दिया जाता है। यह एक प्राणी की स्थिति को मूलभूत स्तर पर बदल देता है। पहले जब लोग साधना करते थे, तब चीजें जैसी थीं, यह उससे भिन्न है।
शिष्य: पश्चिमी समाज में राजनीतिक गतिविधि चीजों का एक तरीका है जो लोगों के मानवाधिकार और संप्रभुता की बात करता है, जबकि "राजनीति में सम्मिलित होना" एक ऐसा शब्द है जो सीसीपी की विकृति के बाद की राजनीतिक संस्कृति को दर्शाता है। क्या यह समझ उचित है?
गुरुजी: सीसीपी लोगों को "राजनीति में सम्मिलित" होने के लिए तब उकसाती है जब ऐसा करने से उन्हें लाभ होता है। एक उल्लेखनीय उदाहरण सांस्कृतिक क्रांति है, जैसा कि आप सभी जानते हैं : जब भी किसी को "राजनीतिक रूप से पिछड़ा" कहा जाता था, तो इसका अर्थ था कि उस व्यक्ति की "पिछड़ी सोच" थी और "उसे राजनीति से कोई लेना-देना नहीं था।" लेकिन जब दुष्ट पार्टी को खतरा अनुभव होता है, तो राजनीति में भाग लेना अचानक "अवैध" माना जाता है। जो भी उन्हें ठीक लगता है वे कहते हैं, और जो वे कहते हैं उसे हमेशा उचित समझना होता है।
इसके अतिरिक्त, पश्चिमी देशों में राजनीति की संकल्पना यह है : कोई भी सार्वजनिक गतिविधि जो धार्मिक नहीं है या जो केवल व्यक्ति विशेष को प्रभावित नहीं करती है, उसे राजनीति का भाग माना जाता है। यही कारण है कि जब पश्चिमी समाज इस बात पर विचार करता है कि क्या फालुन गोंग धार्मिक है, तो उनका निष्कर्ष यह है : "क्योंकि आपकी सार्वजनिक गतिविधियाँ राजनीतिक गतिविधियाँ नहीं हैं, इसलिए आप एक धर्म हैं... और आपकी आध्यात्मिक मान्यताएँ होती हैं।" इसलिए वे इसे धर्म मानते हैं।
जब हम इस विषय पर बात कर रहे हैं तो मैं कुछ कहना चाहूँगा। भविष्य में यदि कोई पूछे कि क्या हम धर्म हैं, तो कोई स्पष्टीकरण न दें। अब से इसे साधारण मनुष्य को समझाने का प्रयास ना करें। कोई व्यक्ति हमारे बारे में जो भी समझता है, वह उस पर निर्भर करता है। आप इस बारे में स्पष्ट हैं, है न? चीन में, उस प्रकार के समाज में, इस बात की स्पष्ट धारणा है कि "धर्म" क्या है : धर्म में मंदिर, पूजा, धार्मिक अनुष्ठान होते हैं जिनमें व्यक्ति को भाग लेना होता है, शपथ लेना, दीक्षा लेना, इत्यादि—ये सभी स्पष्ट रूप से किसी व्यक्ति या उसके द्वारा की जाने वाली गतिविधियों को धार्मिक चिह्नित करते हैं। इनके बिना इसे धर्म नहीं माना जा सकता। यह पश्चिम में उनके द्वारा अपनाई गई अवधारणा से बिल्कुल भिन्न है। इसलिए पश्चिमी समाज में, यदि कोई साधारण व्यक्ति इस पर टिप्पणी करता है कि क्या आप एक धर्म हैं, तो आपको उत्तर देने की आवश्यकता नहीं है, और आपको इसे गंभीरता से लेने की आवश्यकता नहीं है। यदि कोई सरकार, सामाजिक संगठन, प्रशासनिक विभाग, कांग्रेस प्रतिनिधि, आदि कहते हैं कि आप एक धर्म हैं, तो आपको उन्हें यह बताने की आवश्यकता नहीं है कि हम नहीं हैं। यदि कानूनी मुद्दे सम्मिलित हैं, तो आप एक धर्म के रूप में चीजों को संभाल सकते हैं और संबंधित कानूनी प्रावधानों के अनुसार चल सकते हैं। तो इन परिस्थितियों में आप कह सकते हैं कि यह एक धर्म है, विशेष रूप से जब इसमें कानूनी मामले सम्मिलित हों। क्या आप सभी इस पर स्पष्ट हैं? यह पूर्व और पश्चिम में वैचारिक मतभेदों के कारण है। यह उस फा का उल्लंघन नहीं करता है जिसे मैंने पहले सिखाया था। पहले मैंने आगे की प्रगति के लिए आवशक लेख में इस बारे में बात की थी। मैंने कहा था : हम कोई धर्म नहीं हैं, लेकिन साधारण लोग हमें एक धर्म ही मानेंगे। आपको वास्तव में इस पर स्पष्ट होना चाहिए।
शिष्य: गुरुजी, हम पर्यटक स्थलों पर अभ्यास करते हैं और सत्य को स्पष्ट करते हैं, और फिर भी हम जो बैनर वहाँ टांगते हैं, वे “सीसीपी के अत्याचारी शासन” और “नाइन कमेंटरीज” के बारे में होते हैं। गुरुजी, क्या आप कृपया हमें बताएँगे कि चेतन जीवों को बचाने में इसका क्या प्रभाव पड़ता है?
गुरुजी: जब नाइन कमेंटरीज पहली बार प्रकाशित हुई, तो मुख्य भूमि चीन सहित वहाँ के साधारण लोग विभिन्न दुष्ट कारकों और दुष्ट सीसीपी की बुरी छाया द्वारा पूर्ण रूप से नियंत्रित थे। उस समय, यदि नाइन कमेंटरीज का [प्रसार] और सत्य को स्पष्ट करना एक साथ किया जाता, तो इससे उन लोगों को बचाना बहुत कठिन हो जाता जिन्हें बचाया जाना था। लेकिन एक वर्ष बीतने के बाद, और आज इस स्थिति पर पहुँचने पर, परिस्थिति भिन्न है : दुष्ट सीसीपी की बुरी छाया इस हद तक नष्ट हो गयी है कि वह अब साधारण लोगों को नियंत्रित नहीं कर सकती, लोग अब चीजों के बारे में स्वतंत्र रूप से सोचने में सक्षम हैं, और लोग अब दुष्ट पार्टी की बुरी छाया द्वारा नियंत्रित नहीं हैं। इस स्थिति में इसे करने में कोई समस्या नहीं है जैसा कि आपने वर्णन किया है।
इसके अतिरिक्त, नाइन कमेंटरीज वितरित करने और लोगों को पार्टी से अलग होने का परामर्श देने का हमारा उद्देश्य स्पष्ट है। आप इसे लोगों को इस प्रकार से समझा सकते हैं : दुष्ट सीसीपी ने इतने वर्षों तक दाफा शिष्यों का दमन किया है, और इस दौरान दुष्ट सीसीपी को अवसर दिए गए हैं; हर कोई इस तथ्य से भलीभांति परिचित है कि दुष्ट सीसीपी फालुन गोंग का दमन कर रही है। हमने इतने वर्षों में इसे कई अवसर दिए हैं, और फिर भी इसने अपना दमन नहीं रोका है और यह अभी भी निरंतर दाफा शिष्यों का मृत्यु की हद तक दमन कर रही है। तो हमारे पास इसके अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं है कि इस दुष्ट पार्टी के दमन को उजागर करें (तालियाँ), दुष्ट सी.सी.पी. की दुष्टता और अतीत में चीनी लोगों का दमन करने और वर्तमान में दाफा शिष्यों का दमन करने के उसके अपराधों को उजागर करें, और लोगों को उसके वास्तविक रूप को पहचानने और यह समझने में सहायता करें कि यह दुष्ट पार्टी फालुन गोंग का दमन क्यों रही है। क्या इस दुष्ट पार्टी को भंग करना चीनी लोगों और फालुन गोंग के दमन को रोकने का सबसे अच्छा तरीका नहीं है? हमें इस दुष्ट पार्टी की राजनीतिक शक्ति में कोई सरोकार नहीं है और हमारी कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं है; हम बस दमन को रोकना चाहते हैं। हर दिन जब यह दुष्ट सीसीपी फालुन गोंग के दमन को नहीं रोकती है, तो हर उस दिन हम इसके दमन को उजागर करने और इसे विघटित करने के अपने प्रयासों को जारी रखेंगे। (उत्साही तालियाँ) वास्तव में, ये बातें बहुत स्पष्ट हैं। हर कोई जानता है कि यह दुष्ट सीसीपी फालुन गोंग का दमन कर रही है, तो हमें इसे उजागर करने के लिए नाइन कमेंटरीज क्यों नहीं वितरित करनी चाहिए?
शिष्य: क्या हम भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में युवा ऑर्केस्ट्रा बना सकते हैं? टोरंटो के शिष्यों ने गुरूजी को अपना अभिवादन भेजा है।
गुरुजी: अब आप सभी जानते हैं कि बैंड का प्रभाव क्या होता है, क्योंकि इस पर पहले चर्चा की जा चुकी है। दूसरे क्षेत्रों के लोग जानते हैं कि न्यूयॉर्क क्षेत्र में एक बड़ा मार्चिंग बैंड स्थापित किया गया है। इस प्रकार के मार्चिंग बैंड को सैन्य बैंड भी कहा जाता है, क्योंकि इसकी शुरुआत सेना में हुई थी और बाद में यह नागरिकों में फैल गया। लेकिन लोग अभी भी इसे इसी नाम से पुकारते हैं। वर्तमान में, ये बैंड शिष्यों के बीच विशेष तौर पर लोकप्रिय हैं। लोग आज भी उन्हें सैन्य बैंड या मार्चिंग बैंड कहते हैं। हमारे बैंड को बनाना वास्तव में काफी कठिन था। यदि सभी दूसरे क्षेत्र ऐसा करते, और यदि उनके पास आवश्यक योग्यताएँ या परिस्थितियाँ नहीं होतीं, तो यह वास्तव में दाफा शिष्यों द्वारा किए जाने वाले दूसरे काम को प्रभावित करता। दाफा शिष्यों द्वारा फा का मान्यकरण करने के लिए किए जाने वाले कामों पर बिल्कुल भी प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए।
शिष्य: चीन से आए प्रदर्शन दल [जो यहाँ विदेश में हैं] उनके दौरे के बारे में हमें क्या करना चाहिए? यदि वे “द सेम सॉन्ग” शीर्षक का उपयोग नहीं करते हैं, लेकिन फिर भी सीसीपी की संस्कृति का निर्यात कर रहे हैं, तो क्या हमें उनके साथ भी उसी प्रकार से आचरण करना चाहिए? हमें इन स्थितियों से कैसे निपटना चाहिए?
गुरुजी: चीन द्वारा बहुत सारे प्रदर्शन दल भेजे गए हैं। आपको उनसे परेशान होने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि उनका हमसे कोई लेना-देना नहीं है। जब तक वे फालुन गोंग को लक्षित नहीं कर रहे हैं, तब तक उनसे परेशान होने की कोई आवश्यकता नहीं है। लेकिन यदि उन दलों में ऐसे लोग हैं जिनका दाफा शिष्यों के दमन में हाथ रहा है, तो निश्चित रूप से उन्हें छोड़ा नहीं जाना चाहिए।
शिष्य: जर्मनी, तियानजिन, डालियान, बीजिंग, हुऐरौ, हुबेई प्रांत में यिंगशान, शिशुई , लुओटीएन, वुहान, चाओयांग, हैदियान, निंगबो, तांगशान, अनहुइ, चोंगचींग, गांसु और चांगचुन के दाफा शिष्यों ने आदरणीय गुरूजी को अपना अभिवादन भेजा है!
गुरुजी: आप सभी का धन्यवाद। (तालियाँ) मुझे पता है कि यहाँ श्रोताओं में चांगचुन से भी दाफा शिष्य उपस्थित हैं।
शिष्य: क्या नए शिष्य जिन्होंने कुछ समय पहले फा प्राप्त किया था, उन्हें फा-सुधार अवधि के शिष्य कहा जा सकता है? क्या वे साधना करते हुए अनुभवी शिष्यों के साथ ही फलपदवी प्राप्त करेंगे?
गुरुजी: नए शिष्यों में निश्चित रूप से एक समूह है जो अगली बार के लिए है—जो कि मानव-विश्व को सुधारने वाले फा काल के दाफा शिष्यों का समूह है। चाहे कोई भी शिष्य किसी भी काल का क्यों न हो, फा प्राप्त करना और उसमें सम्मिलित होना कोई सरल बात नहीं थी। भविष्य में, जब सत्य का भव्य प्रदर्शन किया जाएगा और सभी को पता चल जाएगा कि फालुन गोंग वास्तव में क्या है, तो उस समय लोगों के लिए [दाफा साधना] में प्रवेश करना कठिन होगा, और ऐसा नहीं होगा कि जो कोई भी प्रवेश करना चाहे, वह ऐसा कर सकेगा। (गुरूजी हंसते हैं) तब यह आज के दाफा शिष्यों की साधना से बिल्कुल भिन्न होगा। इसलिए यदि कोई आज प्रवेश कर सकता है, तो यह सबसे अच्छी बात है।
शिष्य: एक शिष्य का मानना था कि किसी संयोजक की योजना इतनी अच्छी नहीं थी और यह हमारे लिए उतना अच्छा काम नहीं करेगा, इसलिए उसने स्वतंत्र रूप से काम करने का प्रयास किया, और फा का मान्यकरण करने के तरीके के बारे में अपनी समझ के अनुसार काम किया। मुझे लगता है कि जिस प्रकार से वह काम करता है वह फा का मान्यकरण करने के लिए अच्छा है, इसलिए मैंने उसके प्रयासों में उसकी सहायता करने का निर्णय किया है।
गुरुजी: हाँ, ऐसी चीजें हुई हैं, जहाँ संयोजक ने कुछ चीजों के बारे में नहीं सोचा या संयोजक ने वास्तव में कुछ मामलों में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया। और कुछ शिष्यों ने देखा है कि [क्या कमी थी] और इसे स्वयं ठीक करने की पहल की—ऐसी चीजें भी बहुत हुई हैं। लेकिन जब समूह कुछ करना चाहता था, तो कुछ शिष्य असहमत होते थे, अपने तरीके से काम करना चाहते थे, और फिर कुछ लोगों को अपने साथ काम करने के लिए खींच लेते थे। मैं आप सभी को बताना चाहता हूँ कि आपको दूसरों के साथ मिलकर काम करना चाहिए, भले ही संयोजक ने किसी काम को ठीक से किया हो या नहीं, और साथ मिलकर आपको इसे बेहतर तरीके से करना चाहिए। आप अलग होकर अपना काम नहीं कर सकते। जो कोई भी ऐसा करता है वह गलत है। और आपके गुरु के रूप में, मैं इसे स्वीकार नहीं करता।
शिष्य: एक बड़ी पश्चिमी कंपनी ने हमसे पूछा कि क्या उन्हें चीन में समर्थन और निवेश बंद कर देना चाहिए। हमें उस प्रश्न का उत्तर कैसे देना चाहिए?
गुरुजी: मुझे लगता है कि वर्तमान में बहुत से लोग आर्थिक लाभ गंवा कर चीन में निवेश करना बंद नहीं कर सकते, लेकिन निश्चित रूप से यह सबसे अच्छा होगा यदि कोई वास्तव में ऐसा कर सके। मैं इसे इस प्रकार से देखता हूँ, और मैंने पिछले व्याख्यान में इसका उल्लेख किया था : मुख्य भूमि चीन में निवेश करना और चीनी लोगों को बेहतर बनने और अच्छी तरह से जीने में सहायता करना कोई समस्या नहीं है। जिस बात पर मुझे आपत्ति है वह है फालुन गोंग का दमन किये जाने के दौरान निरंतर बड़ी मात्रा में धन भेजना, जो दुष्ट सीसीपी को फालुन गोंग का दमन करने की क्षमता देता है। अपने द्वेष के चरम पर, हर वर्ष यह देश के सकल घरेलू उत्पाद का एक चौथाई भाग फालुन गोंग के दमन पर खर्च करती थी—इतनी बड़ी राशि! क्या यह बिना धन के फालुन गोंग का दमन कर सकती थी? बिल्कुल नहीं! आज के चीनी लोग दुष्ट सीसीपी में विश्वास नहीं करते हैं, और यदि उन्हें इससे धन नहीं मिलता तो वे निश्चित रूप से इसके लिए कुछ नहीं करते। वे यह भी जानते हैं कि दाफा शिष्य अच्छे लोग हैं। यदि उन्हें धन नहीं मिलता तो क्या वे बुरे लोग यह सब करते?
शिष्य: क्या आप यह कहना चाहते हैं कि हमें दूसरों की कमियों को बताना नहीं चाहिए? कभी-कभी मैं यह नहीं समझ पाता कि कमियां उनमें हैं या मुझमें।
गुरुजी: मैं यह नहीं कह रहा हूँ कि आप दूसरों की कमियों को नहीं बता सकते। मैं यह कह रहा हूँ कि दाफा शिष्यों का समग्र साधना स्वरूप ऐसा होना चाहिए जहाँ प्रत्येक व्यक्ति अपने भीतर देखे! (तालियाँ) दाफा शिष्यों का समग्र वातावरण ऐसा नहीं होना चाहिए जहाँ लोग सुधार करने के लिए एक-दूसरे की आलोचना करते हैं और दोषारोपण करते हैं! (तालियाँ) इसलिए आपके गुरु के रूप में, मैं आपको केवल अपने भीतर देखने के लिए प्रोत्साहित कर सकता हूँ, और जब समस्याएँ आती हैं, तो अपनी कमियाँ खोजने का प्रयास करें। यदि हर कोई ऐसा कर सके, तो यह सबसे अच्छा होगा। जब कोई व्यक्ति अपनी किसी कमी को पहचान नहीं पाता है, तो निश्चित रूप से आपके लिए उसे बताना अनुचित नहीं है। लेकिन जब आप कुछ बताते हैं, तो यह करुणामयी उद्देश्य के साथ किया जाना चाहिए। आप करुणा की साधना कर रहे हैं, इसलिए आपका उद्देश्य करुणामयी होना चाहिए। इसलिए आपको इन दोनों चीजों के बारे में सावधान रहने की आवश्यकता है और दोनों करने में सक्षम होना चाहिए। फिर, मुझे लगता है, आप बहुत सारी समस्याओं को सरलता से हल कर पाएंगे।
शिष्य: पश्चिम में कुछ विद्वानों ने दाफा के बारे में बुरी बातें कही हैं और वे अपनी सोच में बहुत अडिग हैं। क्या यह महत्वपूर्ण है? हम उनकी बुरी धारणाओं को समाप्त करने में उनकी बेहतर सहायता कैसे कर सकते हैं?
गुरुजी: यदि कोई पश्चिमी व्यक्ति कहता है कि दाफा या दाफा शिष्य बुरे हैं, तो मुझे लगता है कि उसने सीसीपी के प्रचार को सुना होगा। जब वह नहीं जानता कि दाफा शिष्य कैसे होते हैं, तो वह कैसे कह सकता है कि वे बुरे हैं? उसने दुष्टता के बदनामी भरे प्रचार को सुना होगा। इसलिए आपको उसे चीजें समझानी चाहिए। वास्तव में, क्या आप इन वर्षों के दौरान सच्चाई को स्पष्ट नहीं करते आ रहे हैं?
1999 में, जब 20 जुलाई को दमन शुरू हुआ, तो चीन की विशाल भूमि में राष्ट्रीय स्तर से लेकर प्रांतीय स्तर और फिर शहर तक, सीसीपी के सभी संचार माध्यम, समाचार पत्र और रेडियो स्टेशन एक साथ, सभी टेलीविजन केंद्र, संचार माध्यम और समाचार पत्र—एक हज़ार से अधिक टेलीविजन केंद्र और सैकड़ों समाचार पत्र—सभी फालुन गोंग पर आक्रमण करने, उसे दबाने और दमन के लिए एक जबरदस्त अभियान में लगे हुए थे। संसार के सभी देशों के संचार माध्यम के केंद्र फालुन गोंग पर रिपोर्ट करने के लिए मुख्य भूमि चीन से प्राप्त जानकारी का उपयोग कर रहे थे। वे सभी फालुन गोंग का दमन करने में उसकी सहायता कर रहे थे, और पूरी धरती अंधकार से घिरी हुई थी। कई क्षेत्रों में लोग नहीं जानते थे कि फालुन गोंग वास्तव में क्या है और वे सीसीपी के घृणित प्रचार को सुन रहे थे। पिछले कुछ वर्षों में, क्या आपने सच्चाई को स्पष्ट करके उस सब को पलट नहीं दिया है? आज दाफा शिष्यों ने संसार के लोगों को उन्हें बिल्कुल नये प्रकाश में देखने के लिए प्रेरित किया है, और क्या आप इसी प्रकार इसमें सक्षम नहीं रहे हैं?
अर्थात, आपको तथ्यों को सामने लाना चाहिए और दुष्ट सीसीपी के अधम, बदनामी वाले प्रचार को ध्वस्त करना चाहिए, और यह आपने प्राप्त कर लिया है। लेकिन अभी भी कुछ लोग हैं जो तथ्यों से अनजान हैं, ठीक वैसे ही जैसे इस शिष्य के प्रश्न में उठाया गया मुद्दा, जो अभी भी अस्तित्व में है। इसलिए आपको इस पर काम करना जारी रखना चाहिए, जब तक कि सभी को पता न चल जाए कि अधम, दुष्ट सीसीपी वास्तव में क्या है। निश्चित ही, कुछ लोगों की सहायता नहीं की जा सकती है, और चाहे आप कुछ भी करें, वे सहायता किये जाने से परे हैं। मैं यह जानता हूँ, और इसीलिए मैंने कहा कि यदि आप चीन के आधे लोगों को भी बचा सकें तो यह बहुत अच्छा होगा। यही बात अन्य क्षेत्रों पर भी लागू होती है—क्या सभी लोगों को बचाना संभव है? मैं आपको बता सकता हूँ कि यह संभव नहीं है। आप यह इच्छा रख सकते हैं और सभी प्राणियों के प्रति करुणा के साथ ऐसा कर सकते हैं, लेकिन आप इस पर काम करना बंद नहीं कर सकते या केवल इसलिए काम में ढिलाई नहीं कर सकते क्योंकि कुछ ऐसे लोग हैं जिन्हें बचाना असंभव है। यह निश्चित रूप से अस्वीकार्य होगा।
शिष्य: मेरे कार्यस्थल पर किसी व्यक्ति के चीनी वाणिज्य दूतावास से घनिष्ठ संबंध हैं और दुष्ट कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा उसके मन में विष भर दिया गया है। क्या ऐसे लोगों के बचने की अभी भी कोई आशा है?
गुरुजी: बस उसे सच्चाई बताओ और तथ्य प्रस्तुत करो। यदि उसे सचमुच नहीं बचाया जा सकता, तो उसे नहीं बचाया जा सकता।
शिष्य: एक मुख्य भूमि की शिष्य दूसरी बार गर्भवती हो गई। क्या उसे बच्चे को जन्म देना चाहिए? क्या कर्म के संदर्भ में इससे कोई अंतर पड़ता है कि यदि कोई व्यक्ति बच्चे को जन्म देने के स्थान पर अनिवार्य गर्भपात करवाता है?
गुरुजी: मुख्य भूमि चीन में परिस्थितियाँ विशिष्ट हैं, इसलिए मैंने मूल रूप से उन सभी चीजों को सम्मिलित किया है जो मैंने फा-सिद्धांतों में सिखायी हैं। मैं इस प्रकार की परिस्थिति में इन विशिष्ट मुद्दों के बारे में बात नहीं करना चाहता, क्योंकि इसका प्रभाव बहुत विशाल होगा। लेकिन मैं यह कह सकता हूं कि जबरन गर्भपात कराने की घृणित सीसीपी की प्रथा से पूरा संसार घृणा करता है। निस्संदेह आपके लिए, साधना करने वाले शिष्यों के लिए, सैधांतिक रूप से जीवन की रक्षा करने में कुछ भी अनुचित नहीं है। मैं यहाँ बस इतना ही कह सकता हूँ। विशिष्ट परिस्थितियों को एक-एक करके देखने की आवश्यकता हो सकती है।
शिष्य: ग्रेनाइट में जीवन क्यों नहीं है?
गुरुजी: लोग ऐसी चीजों के बारे में क्यों पूछ रहे हैं? (गुरूजी हँसते हैं) "जीवित न होना" केवल ग्रेनाइट के सतही रूप को संदर्भित करता है जो मानव नेत्र को दिखाई देता है। ग्रेनाइट का अधिक सूक्ष्म पदार्थ पूर्ण रूप से भिन्न है। इस स्तर पर जो सत्य है वह एक भिन्न स्तर पर सत्य नहीं हो सकता है। उच्च-स्तरीय फा के संदर्भ में देखा जाए तो निम्न-स्तरीय फा इसके विपरीत और गलत भी हो सकता है। सत्य का निरंतर उत्थान होता रहता है। आपको इस बारे में स्पष्ट होना चाहिए।
शिष्य: एक व्यक्ति है जो दाफा कार्य में सक्रिय रूप से सहायता कर रहा है, लेकिन वह यह नहीं समझ पाता कि फलपदवी तक पहुँचने के बाद व्यक्ति कहाँ जाता है। वह गुरूजी को मानता है, लेकिन हमेशा फा का अध्ययन नहीं करता है। उसके मन की बाधाओं को दूर करने के विषय में मैं कहाँ चूक गया? वह आज यहाँ उपस्थित है। (गुरूजी हँसते हैं) (श्रोता हँसते हैं)
गुरुजी: कई साधारण लोगों के मामले में, आप उनसे बहुत अधिक आशा नहीं कर सकते। आप एक दाफा शिष्य हैं, इसलिए निश्चित रूप से आप उसे फा प्राप्त करते हुए देखने के लिए उत्सुक हैं। निश्चित ही, किसी प्राणी के लिए दाफा शिष्य बनना सबसे अच्छी बात है, और यही आपकी इच्छा है। लेकिन आज की स्थिति को देखते हुए, आप किसी को कुछ हद तक चीजों को न समझने के लिए दोषी नहीं ठहरा सकते। साथ ही, एक चेतन जीव जो इस अवधि के दौरान दाफा शिष्यों को कुछ करने में सहायता कर सकता है, वह काफी उल्लेखनीय है, और निश्चित रूप से उसका भविष्य अच्छा होगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह अवधि किसी भी अन्य अवधि से भिन्न है, क्योंकि यह ऐसा समय है जब दाफा शिष्य अत्याधिक पीड़ा से गुजर रहे हैं।
शिष्य: यदि कोई व्यक्ति गुरूजी की कही हुई हर बात पर विश्वास करता है और उसके बारे में आगे नहीं सोचता है, तो क्या वह उचित स्थिति है?
गुरुजी: देवता निश्चित रूप से सोचेंगे कि वह व्यक्ति असाधारण है। लेकिन मैं फिर भी चाहूंगा कि वह व्यक्ति पुस्तकें पढ़े, और फा का अधिक अध्ययन करे। साधारणतः जब मैं फा सिखा रहा होता हूं, तो आप अनुभव कर सकते हैं कि करुणा का क्षेत्र बहुत बड़ा और शक्तिशाली है, और यह कई समस्याओं का समाधान कर सकता है। लेकिन दैनिक जीवन में मैं ऐसा नहीं हो सकता, और मैं उस शक्ति का प्रयोग नहीं करूंगा। और मेरे पास—मैंने [अपने लिए]—एक साधारण व्यक्ति जैसी विचार क्षमता की योजना बनाई है, और मैं दैनिक जीवन में उसका उपयोग करता हूं। इसलिए मैं उन परिस्थितियों में उपहास कर सकता हूं या सांसारिक प्रकार की बातें कह सकता हूं, और आप आश्चर्यचकित हो सकते हैं, "ऐसा कैसे है कि गुरूजी फा के अनुसार नहीं हैं?" (गुरूजी हंसते हैं) (श्रोता हंसते हैं, तालियां बजाते हैं) इस मानवीय स्थान पर कई बाधाएं हैं।
शिष्य: क्या हम किसी व्यवसाय को दाजीयुआन समाचार पत्र के एक निश्चित पृष्ठ को प्रायोजित करने के लिए कह सकते हैं? हम सामग्री को नियंत्रित करेंगे, और मैं मुख्य रूप से मध्य पृष्ठ का उल्लेख कर रहा हूँ।
गुरुजी: यदि कोई व्यवसाय पूरे पृष्ठ को प्रायोजित करने जा रहा है, तो वह क्या प्रकाशित करना चाहता है, इसका अनुबंध में विस्तृत विवरण किया जाना चाहिए।
शिष्य: जब कोई व्यक्ति अधिक धन कमाना चाहता है या किसी साधारण नौकरी में पदोन्नति पाना चाहता है, तो वह जो चाहता है उसे बेहतर काम करके प्राप्त कर सकता है। दाफा शिष्यों द्वारा संचालित मीडिया केंद्र या कंपनी में, क्या कोई व्यक्ति कड़ा परिश्रम करके वह पद या धन प्राप्त कर सकता है जो वह चाहता है?
गुरुजी: समाज में जब आप अपना काम अच्छे से करते हैं, तो स्वाभाविक रूप से आपको पदोन्नति मिलेगी। और जब आपका बॉस प्रसन्न होता है तो वह आपको बेहतर वेतन दे सकता है। लेकिन दाफा शिष्यों द्वारा चलाये जा रहे मीडिया केंद्र पर्याप्त लाभ नहीं कमा रहे हैं, और उन्हें इस मामले में समाज के प्रमुख मीडिया केंद्रों के समकक्ष पहुँचना होगा। क्योंकि ऐसा नहीं किया जा सकता, तो क्या ऐसे विचार व्यर्थ नहीं हैं? मनचाहा पद कैसे प्राप्त किया जाए, इस बारे में यदि कोई इस प्रकार की चीजों के बारे में बहुत अधिक सोचता है, तो शायद कुछ गड़बड़ है, और यह केवल एक सामान्य मोहभाव से अधिक लगता है। दाफा शिष्य स्वयंसेवकों के रूप में काम करते रहे हैं। मुझे नहीं लगता कि मैंने किसी व्यक्ति द्वारा किसी पद विशेष की चाह जैसी किसी समस्या के बारे में सुना है। (गुरूजी हंसते हैं) (श्रोता हंसते हैं) पद की चाह ऐसी चीज नहीं है जो दाफा शिष्यों के मन में होनी चाहिए, है न? और इसे कैसे प्राप्त किया जाए, इसके बारे में सोचते रहना और भी अधिक समस्याजनक है, है न? दाफा के शिष्य फा का मान्यकरण करने, सत्य को स्पष्ट करने और चेतन जीवों को बचाने के उद्देश्य से मीडिया केंद्र चलाते रहे हैं, और वे बिना कुछ मांगे या आशा किए और बिना किसी भुगतान के ऐसा करते रहे हैं। कोई भी पदों के बारे में अधिक नहीं सोचता, है न? निःसंदेह, यदि मीडिया केंद्र वास्तव में बहुत अच्छी तरह से चलाए जा सकते हैं और वेतन का भुगतान करने और यहां तक कि कुछ बोनस या अन्य लाभ देने का प्रबंधन कर सकते हैं, तो मुझे आपके लिए प्रसन्नता होगी। इसका आधार यह है कि पहले हमारे पास ऐसा करने के साधन हों।
शिष्य: पश्चिमी अभ्यासियों और ताइवान के अभ्यासियों के साथ अधिक बातचीत करने के बाद, मुझे वास्तव में लगता है कि मुख्य भूमि चीन के शिष्य जो दुष्ट पार्टी की संस्कृति में पले-बढ़े हैं, वे काफी हद तक भ्रष्ट हो चुके हैं। हमारे सोचने की आदतों से लेकर हम क्या कहते हैं और हमारा आचरण कैसा है, ऐसी बहुत सी चीजें हैं जिनके बारे में हमें अपने अंदर गहराई से खोज करनी चाहिए।
गुरुजी: जब लोग पहली बार मुख्य भूमि चीन से पश्चिम में आते हैं, तो वे पश्चिम की आलोचना करते हैं, कहते हैं कि यह या वह बुरा है या यह और वह ठीक नहीं लगता। ऐसा क्यों है? वास्तव में ऐसा इसलिए है क्योंकि वे सभी दुष्ट सीसीपी की बातों के आदी हो चुके हैं। कुछ समय बाद ही उन्हें एहसास होता है कि दुष्ट पार्टी की वे बातें बुरी और भयावह हैं। यह लंबे समय तक पार्टी संस्कृति से प्रभावित होने का परिणाम है। लेकिन दुष्ट पार्टी के बाहर जीवन जीने का तरीका एक मनुष्य के लिए स्वाभाविक जीवन जीने का तरीका है—कोई भी आप पर कुछ थोपने का प्रयास नहीं करता। यही कारण है कि लोग जो लंबे समय तक विदेश में रहे हैं, जब वे मुख्य भूमि चीन लौटते हैं, तो उन्हें मुख्य भूमि में लोगों की बातचीत बहुत विनोदी लगती है। उन्हें लगता है कि उनका प्रत्येक वाक्य पार्टी की कठोर हठधर्मिता से भरा हुआ है। These things aren’t major. यह दुष्ट पार्टी की संस्कृति का परिणाम है जो लोगों के जीवन में गहराई से व्याप्त है, यहाँ तक कि उनकी सोच के हर विवरण में व्याप्त है, और इसने लोगों के व्यवहार, आचरण, वाणी और यहाँ तक कि चेहरे के भाव और उनकी आँखों में दिखने वाले भावों को भी दुष्ट पार्टी की संस्कृति ने दूषित कर दिया है। (श्रोता हँसते हैं) निस्संदेह, ये चीजें महत्वपूर्ण नहीं हैं। जब तक दाफा शिष्यों के पवित्र विचार शक्तिशाली हैं और वे जानते हैं कि क्या उचित है और क्या अनुचित है, तब तक उन आदतों को धीरे-धीरे हटाया जा सकता है। ये चीजें महत्वपूर्ण नहीं हैं।
शिष्य: व्यक्तिगत साधना काल में, जब मैं रोग कर्म की परीक्षा से गुजरता था, तो मैं जानता था कि यह मेरे कर्म को हटाने के लिए है और फा में अपनी सहनशीलता और दृढ़ता के माध्यम से मैं परीक्षा उत्तीर्ण कर सकता हूँ, और अंत में गुरूजी कर्म को हटा देंगे। लेकिन फा-सुधार साधना के दौरान, यदि प्राचीन शक्तियां, उनके वीभत्स अनुचर, दुष्ट असुर, और दुष्ट पार्टी की बुरी छाया मेरे भौतिक शरीर का दमन करते हैं, और यह रोग कर्म के रूप में भी प्रकट होता है, तो क्योंकि हमें प्राचीन शक्तियों के दमन को स्वीकार नहीं करना चाहिए और इसे सहन नहीं करना चाहिए, क्या मैं फा में दृढ़ रहकर और दमन को नकारने के लिए पवित्र विचार भेजकर इसके पीछे के बुरे कारकों को समाप्त कर सकता हूँ?
गुरुजी: जब आपके पवित्र विचार दृढ़ होते हैं, तो कोई भी चीज आपको बाधित नहीं कर सकती। जिस दिन से एक दाफा शिष्य साधना शुरू करता है, उसका पूरा जीवन पुनर्व्यवस्थित हो जाता है। दूसरे शब्दों में, आपका यह जीवन अब एक साधक का जीवन है। अब कुछ भी संयोग से नहीं होता, और कुछ भी संयोग से नहीं होगा। आपके जीवन की यात्रा में सब कुछ सीधे आपके सुधार और साधना से संबंधित है। व्यवस्थाएँ बन जाने के बाद, कोई भी उन्हें परिवर्तित नहीं कर सकता। उन्हें परिवर्तित करना दिव्यलोक के नियमों का उल्लंघन होगा। केवल गुरु ही उन्हें बदल सकते हैं। लेकिन प्राचीन शक्तियां—इन सभी चीजों को नष्ट करने के ध्येय से—और पुराने ब्रह्मांड के प्राणी जो फा-सुधार से प्रभावित हुए हैं, उन्होंने फा-सुधार में सहायता करने के नाम पर इसमें भाग लिया है, और इसी के कारण विशाल विभाजन हुए हैं। मेरे फा शरीर चीजों को परिवर्तित करने में सक्षम हैं, लेकिन दाफा शिष्यों के साधना पथों को बहुत विस्तार से व्यवस्थित किया गया है, और यदि किसी दाफा शिष्य के लिए एक छोटा सा परिवर्तन किया जाता है, तो चीजों को पूर्ण रूप से फिर से करना होगा। जैसे-जैसे फा-सुधार की अपार शक्ति आगे बढ़ती है, यह विशाल उपक्रम तब सामने आता है जब दाफा शिष्य साथ-साथ व्यक्तिगत रूप से परिवर्तित हो रहे होते हैं। इसके अतिरिक्त, पूरे ब्रह्मांड का 99% भाग फा-सुधार से गुजर चुका है, और फा-सुधार अवधि के दाफा शिष्य पहले से ही अपनी यात्रा के अंतिम चरण पर हैं। इसलिए आप केवल एक प्राणी के लिए परिवर्तन करने के लिए उस भाग को फिर से आरम्भ से नहीं कर सकते जो पहले से ही फा-सुधार से गुजर चुका है। यही कारण है कि जब कई दाफा शिष्य अपनी साधना में बुरा प्रदर्शन करते हैं, जब उनसे जुड़ी कुछ समस्याएँ आती हैं, या उनके परीक्षाओं से गुजरते हुए जब चीजें बहुत गंभीर प्रतीत होती हैं, तो उस समय यदि आप चाहते हैं कि गुरु सीधे आपके लिए चीजों का ध्यान रखें, तो गुरु को नए और पुराने ब्रह्मांडों में आपसे संबंधित हर चीज को आरम्भ से फिर से करना होगा। इन वर्षों में जो भी चीजें फा-सुधार से गुजरी हैं, उन्हें बदलना होगा, समय को पीछे मोड़ना होगा... सब कुछ फिर से आरम्भ से करना होगा। ये मुद्दे इतने बड़े हैं। यही कारण है कि मैं आपको बता रहा हूँ कि मैं वास्तव में [उस परिस्थिति में] चीजों को बदल नहीं सकता। आप जिस भी स्तर तक साधना करेंगे, वह आपका स्तर होगा, और यदि अंत में ऐसा लगता है कि आप आगे नहीं बढ़ सकते, तो वह स्थिति भी प्राचीन शक्तियों के कारकों के हस्तक्षेप के कारण है। वास्तव में, जब ऐसा लगता है कि कोई व्यक्ति परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर सकता, तो इसके लिए कई कारक उत्तरदायी होते हैं। जब वास्तव में कोई ऐसा व्यक्ति होता है जो जल्दी चला जाता है, जब तक कि वह एक दाफा शिष्य था जो तीनों चीजें कर रहा था, तो वह निश्चित रूप से फलपदवी प्राप्त करेगा। बस इतना है कि उसका स्तर भिन्न होगा।
और फिर, यदि मैं व्यक्तिगत रूप से आपके लिए कुछ करूँ, तो दुष्टता उस तथ्य का लाभ उठाएगी, और नया ब्रह्मांड भी दूषित हो जाएगा। फा-सुधार बहुत गंभीर है। जब आपने पहली बार साधना शुरू की थी, उस समय गुरु ने आपके लिए वह सब कुछ किया जो किया जाना चाहिए था। अब यह आप पर निर्भर है कि आप पवित्र विचारों के साथ परीक्षाओं का सामना करें। जब आपके पवित्र विचार पर्याप्त हों, तो गुरु आपकी सहायता कर सकते हैं। लेकिन जब आपके पवित्र विचारों में कमी हो और आप मानक को पूरा नहीं कर सकते, यदि गुरु कुछ करते हैं, तो मेरे द्वारा अभी वर्णित की गई बड़ी चीजें सम्मिलित होंगी। इस प्रकार, एक बार जब दाफा शिष्य का साधना मार्ग व्यवस्थित हो जाता है, तो मूल रूप से कोई भी इसे बिना विचारे ऐसे ही नहीं बदल सकता है, और कोई भी—अच्छा या बुरा—आपके साथ कुछ नहीं कर सकता है। यहां तक कि जब कोई आपको कुछ विशेष और अच्छा देना चाहता है, तो वह उसे इसमें सम्मिलित नहीं कर पाता है। और यदि कोई आपको कुछ विशेष देना चाहता है जो आपकी साधना में मूल रूप से नहीं था, या यदि कोई आपका दमन करने के लिए हद से आगे जाना चाहे, तो वे ऐसा नहीं कर पाएंगे। अपवाद केवल तब होते हैं जब आप, स्वयं, बुरा प्रदर्शन करते हैं। क्या आप समझ रहे हैं मैं क्या कह रहा हूँ? (तालियाँ)
कई शिष्यों ने पहले देखा था कि जब मैं साधारण लोगों के लिए उपचार करता था, तो मुझे उंगली उठाने की भी आवश्यकता नहीं होती थी। मैं बस उस व्यक्ति को देखता था और वह ठीक हो जाता था। जब मैं उसे देखता था तो मैं कुछ चीजें उत्सर्जित करता था; मैं अपने शरीर के किसी भी भाग से दिव्य शक्तियाँ उत्सर्जित कर सकता था। मेरे द्वारा उन चीजों को उत्सर्जित करने पर उसका रोग तुरंत ठीक हो जाता था। मनुष्य, आखिरकार, मनुष्य ही हैं, इसलिए कभी-कभी व्यक्ति को आश्चर्य होता था, "यदि आपने उंगली भी नहीं उठाई तो मैं कैसे ठीक हो सकता हूँ?" इस कारण से मैं अक्सर अपने हाथों का उपयोग करता था। अधिकांश समय रोग तुरन्त ठीक हो जाते थे, चाहे वह कोई भी रोग क्यों न हो। मैं किसी भी साधारण व्यक्ति का रोग ठीक कर सकता हूँ; मैं उन सभी को ठीक कर सकता हूँ। लेकिन दाफा शिष्यों की बात भिन्न है। निश्चित ही, अब जब मैंने यह कह दिया है तो आपको किसी साधारण व्यक्ति को यहाँ नहीं लाना चाहिए, क्योंकि मैं उपचार नहीं करूँगा। दाफा शिष्यों के लिए अपनी साधना में आज जहाँ वे हैं, वहाँ तक पहुँचना सरल नहीं रहा है, इसलिए मैं नहीं चाहता कि कोई अतिरिक्त परेशानी आए और विघ्न करे। क्योंकि एक साधारण व्यक्ति को ठीक करने में उसका पूरा जीवन सम्मिलित होता है और विभिन्न आयामों के उसके कर्म संबंधों को संतुलित करना होता है—तभी उसे ठीक किया जा सकता है—उसके सभी ऋणों को करुणा से हल किया जाना होता है, और जो प्राणी अपने ऋण का भुगतान प्राप्त करना चाहते हैं उन्हें कुछ अच्छी चीजें मिलनी चाहियें। तभी रोग का उपचार किया जा सकता है। इस समय गुरु ऐसी चीजें नहीं करना चाहते हैं। इसलिए मैं साधारणतः लोगों के लिए [इस प्रकार से] कुछ नहीं करता हूं, और ऐसा इसलिए है जिससे दाफा शिष्यों को उनकी साधना प्रक्रिया में अतिरिक्त समस्याएं न आएँ। यदि कुछ ठीक से नहीं संभाला गया तो तुरंत समस्या शुरू हो जाएगी, और ये अतिरिक्त समस्याएं विघ्न के समान होंगी। मूल रूप से यह परिस्थिती है।
शिष्य: जब कुछ दाफा शिष्यों को दुष्ट लोगों या अन्य आयामों से दुष्ट आत्माओं द्वारा गंभीर रूप से दमन किया गया, तो वे अस्पताल गए और इससे निपटने के लिए साधारण साधनों का उपयोग किया, या इंजेक्शन लगवाए या अपनी पीड़ा को कम करने के लिए दवा ली। क्या इससे साधक के शरीर को बहुत हानि होती है? क्या वे फिर भी साधना कर सकते हैं? इससे पहले कि कोई व्यक्ति अपने शरीर पर हो रहे दुष्टता के अत्याचार से मुक्त हो जाए, क्या वह साधारण साधनों का उपयोग कर सकता है?
गुरुजी: साधकों के लिए सबसे महत्वपूर्ण है पवित्र विचार। जब आपके पास शक्तिशाली पवित्र विचार होते हैं, तो आप किसी भी चीज का सामना करने में और कुछ भी करने में सक्षम होते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि आप एक साधक हैं : एक ऐसा व्यक्ति जो दिव्य मार्ग पर है और जो साधारण लोगों या निम्न-स्तरीय सिद्धांतों के कारकों से नियंत्रित नहीं होता है। (तालियाँ)
मैंने आपको पहले बताया था कि मैंने नर्क की सूची से हर एक दाफा शिष्य का नाम हटा दिया है। हर साधारण व्यक्ति उस रजिस्ट्री में सूचीबद्ध है। मैंने नर्क की रजिस्ट्री से दाफा शिष्यों के नाम हटा दिए हैं। मैंने उनके नाम नर्क से हटवा दिए। इसलिए आपके नाम वहाँ नहीं हैं। दूसरे शब्दों में, आप किसी भी तरह से त्रिलोक के प्राणी नहीं हैं, और आप अब साधारण व्यक्ति नहीं हैं। यही कारण है कि जब आपके पवित्र विचार शक्तिशाली होते हैं तो आप किसी भी समस्या का समाधान कर सकते हैं। आपके शरीर में प्रकट होने वाला रोग कर्म एक परीक्षा के रूप में प्रकट होता है। निःसंदेह यह रोग कर्म के रूप में प्रतीत होता है, क्योंकि इसमें निश्चित रूप से किसी देवता के रोगी होने का आभास नहीं होगा। इसलिए आपको इसे पवित्र विचारों के साथ संभालना चाहिए। आप एक साधक हैं, इसलिए यह निश्चित रूप से वास्तव में रोग नहीं है। लेकिन यह इतना सरल नहीं होगा। क्या आप जानते हैं कि प्राचीन शक्तियां क्या सोचती हैं? वे सोचती हैं, "अरे, आपने, उनके गुरु ने, रोग कर्म के विषय पर फा को इतनी स्पष्टता से समझाया है।" हाँ, यह सच है कि जब मुझे ऐसे शिष्यों का सामना करना पड़ा जिन्हें रोग कर्म की परीक्षा उत्तीर्ण करने में कठिनाई हो रही थी, तो मैंने इन बातों को बहुत स्पष्ट शब्दों में समझाया था, और आज यहाँ उपस्थित शिष्य इसे जानते हैं। लेकिन चाहे फा सिद्धांतों को कितनी भी स्पष्टता से क्यों न बताया जाए, इससे साधना कम कठिन नहीं होगी, एवं [आवश्यकताएँ] और भी सख्त हो सकती हैं। उदाहरण के लिए, इसका एक तरीका यह है कि यदि कोई व्यक्ति केवल कुछ समझ लेता है तो यह पर्याप्त नहीं है : उसे विचार और क्रिया दोनों में पवित्र होना चाहिए। यदि किसी व्यक्ति के पवित्र विचार उसकी साधना के दौरान शक्तिशाली नहीं हैं, तो वह अपनी परीक्षाओं को अच्छे प्रकार से उत्तीर्ण नहीं कर पाएगा और वे लंबी खिंचती रहेंगी। इसके अतिरिक्त, जब वह शक्तिशाली पवित्र विचार रखने में सक्षम नहीं होता है, तो उसका आत्मविश्वास कमजोर हो जाएगा। क्या कुछ लोगों ने आत्मविश्वास नहीं खोया है और इसके परिणामस्वरूप कुछ विकृत "समझ" ही प्राप्त नहीं की हैं? कभी-कभी आप केवल यह चाहते हैं कि गुरु और भी अधिक स्पष्ट रूप से फा को समझाएँ, लेकिन यह साधना का विकल्प नहीं होगा यदि किसी शिष्य में अभी भी फा सिद्धांतों में दृढ़ विश्वास की कमी है। निःसंदेह, दूसरी ओर, दाफा शिष्य जिनके शक्तिशाली पवित्र विचार हैं और जिनका विश्वास फा सिद्धांतों को समझने के बाद और अधिक दृढ़ हो जाता है, वे किसी भी परीक्षा को पार कर लेंगे।
इसके विपरीत, जब कोई कोई व्यक्ति जो एक नया शिष्य है या उसे स्वयं को यह एहसास होता है कि वह पर्याप्त दृढ़ नहीं है, रोगी हो जाता है और अस्पताल जाता है, तो ठीक है—[मुझे लगता है] हम इसे उसकी साधना प्रक्रिया का भाग ही मानेंगे। बाद में जब वह बेहतर तरीके से साधना करेगा, तो उसे धीरे-धीरे एहसास होगा कि उसे क्या करना चाहिए। साधना में एक प्रक्रिया सम्मिलित होती है, और फिर, हमें लोगों को अवसर भी देने चाहियें। निश्चित ही, यहाँ उन लोगों के बारे में बात करने की कोई आवश्यकता नहीं है जो दृढ़ हैं। जो लोग अपने मन में निश्चित नहीं हैं : यदि आप [अस्पताल] जाते हैं तो गुरु कुछ नहीं कह सकते। यदि किसी व्यक्ति ने साधना में हर कदम अच्छी तरह से उठाया है, तो सभी उसकी प्रशंसा करेंगे। देवता उसकी प्रशंसा करेंगे, और गुरु उसका बहुत सम्मान करेंगे। यदि कोई शिष्य बिना रुके सीधे फलपदवी की ओर शीघ्रता से प्रगति करता है (श्रोता हंसते हैं), और एक बार भी नहीं गिरता (श्रोता हंसते हैं), तो मैं आपको बता दूँ, वह शायद एक देवता हो सकता है। (श्रोता हंसते हैं) या, शायद गुरु ने उसके लिए चीजों की व्यवस्था ठीक से नहीं की, और उसकी परीक्षाएं बहुत छोटी रही हैं, क्योंकि वह उन सभी को पार कर सकता है। इसलिए, साधारणतः निर्धारित परीक्षाओं को तब तक उतीर्ण किया जा सकता है जब तक व्यक्ति स्वयं में सुधार करता है; यदि आप स्वयं में सुधार नहीं करते हैं, तो आप उन्हें उतीर्ण नहीं कर सकते। मूल रूप से ऐसा ही है। यदि कोई गलती करता है, तो इसे केवल साधना प्रक्रिया के दौरान की स्थिति माना जा सकता है, और यह नहीं कहा जा सकता है कि वह व्यक्ति अब पर्याप्त अच्छा नहीं है, न ही यह कहा जा सकता है कि वह हमेशा उस स्थिति में रहेगा। यह प्रक्रिया के दौरान केवल एक स्थिति है। यदि किसी के कभी-कभी वास्तव में पर्याप्त शक्तिशाली पवित्र विचार नहीं होते हैं और वह वास्तव में अब कुछ और सहन नहीं कर सकता है, तो उसे क्या करना चाहिए? तो फिर जाओ। (श्रोता हँसते हैं) हाँ (गुरूजी हँसते हैं), तो फिर अस्पताल जाओ।
सैधांतिक रूप से ऐसा ही है। लेकिन एक दिव्य प्राणी कैसे साधारण लोगों से अपना उपचार करवा सकता है? और कैसे साधारण लोग एक दिव्य प्राणी के रोग को ठीक कर सकते हैं? (तालियाँ) (गुरूजी हँसते हैं) ये फा सिद्धांत हैं। लेकिन अक्सर ऐसा होता है कि आपके पवित्र विचार वास्तव में इतने शक्तिशाली नहीं होते हैं। जब आप स्वयं को अच्छी तरह से संभाल नहीं सकते हैं, तो फिर जायें। यदि आपका मन अस्थिर है, तो इसका अर्थ है कि आप शुरुआत में ही मानक पर खरे नहीं उतर रहे हैं, और प्रक्रिया को लंबा खींचने से कोई बदलाव नहीं आएगा। और यदि कोई अपनी प्रतिष्ठा बचाने के उद्देश्य से स्वयं को रोक रहा है, तो वह मोहभावों के ऊपर मोहभाव जोड़ना है। ऐसे मामलों में केवल दो विकल्प हैं : या तो आप अस्पताल जाएँ और इस प्रकार परीक्षा को पार करने का प्रयास करना छोड़ दें, या आप पूरी तरह से सब कुछ छोड़ दें, एक सच्चे और निष्ठावान दाफा शिष्य की तरह आचरण करें, जिसमें कोई द्वेष या मोहभाव न हो, और यह गुरु पर छोड़ दें कि आप रहेंगे या जायेंगे। जब आप ऐसा करने में सक्षम होते हैं, तो आप एक देवता हैं।
शिष्य: मैनहट्टन में सत्य-स्पष्टीकरण गतिविधियाँ समाप्त हो गई हैं, और फा का मान्यकरण करने के लिए विभिन्न स्थानों से शिष्य उन स्थानों पर लौट रहे हैं जहाँ से वे आए थे। क्या हम में से जो दाफा शिष्य मुख्य भूमि चीन से आए हैं, उन्हें, यदि हमारी अपनी परिस्थिति उचित हो, तो वहाँ सत्य को स्पष्ट करने के लिए वापस लौटना चाहिए? (श्रोता हँसते हैं)
गुरुजी: यदि आपने चीन इसलिए छोड़ा क्योंकि वहां आपका दमन किया गया था, तो आपको वापस नहीं जाना चाहिए। अब जब आप वहां से बाहर आ गए हैं, तो आप बाहर हैं। तो फिर यहीं रुकें और सच्चाई को स्पष्ट करें। यदि आपको लगता है कि यदि आप वहां वापस चले गए तो आपकी परिस्थितियाँ काफी हद तक सरल होंगी, तो यह भिन्न बात है। उस स्थिति में आप वापस जा सकते हैं, यह कोई समस्या नहीं है। यदि आपके लिए वापस जाना जोखिम भरा होगा, तो वापस न जाएँ।
शिष्य: क्योंकि नव वर्ष गाला का उद्देश्य चेतन जीवों को बचाना है, इसलिए हमें टिकटें निःशुल्क दे देनी चाहिए और धन अर्जित करने की बात नहीं करनी चाहिए, या हमें टिकट के शुल्क कम रखने चाहिए। क्या यह सोच उचित है?
गुरुजी: नहीं, यह उचित नहीं है। दाफा शिष्य फा-सुधार अवधि के दाफा शिष्य हैं। उस समय जब आपने दाफा पुस्तकें खरीदी थीं, तो मैं तो उन्हें आपको निःशुल्क देना चाहता था। लेकिन वह फा-सुधार अवधि के साधकों के लिए था। साधारण लोगों के लिए, बिना कुछ दिए चीजें प्राप्त करना इस आयाम के सिद्धांतों के अनुरूप नहीं होगा। हालाँकि, दाफा शिष्यों के रूप में आप उन्हें कुछ चीजें निःशुल्क दे सकते हैं, क्योंकि ऐसा दाफा शिष्य की करुणा से किया जाता है।
लेकिन क्या आपने सोचा है कि दाफा शिष्यों द्वारा संचालित मीडिया केंद्रों के लिए यह कितना कठिन रहा है? आप में से जो लोग इसमें सम्मिलित नहीं हैं, उन्हें इस बात का पता नहीं है कि मीडिया केंद्रों—टीवी स्टेशन, समाचार पत्र आदि के संचालन को बनाए रखने के लिए उनके पास धन कितना सीमित है। हर कोई विज्ञापन के जरिए सफलता प्राप्त करना चाहता है और लाभ पाना चाहता है। यही मेरी भी इच्छा है, और यही उन सभी शिष्यों की इच्छा है जो मीडिया चलाने में सहायता करते हैं, और वे इस दिशा में काम कर रहे हैं। क्या यह अच्छी बात नहीं होगी यदि वे एनटीडीटीवी गाला से लाभ अर्जित कर सकें? रेडियो सिटी म्यूज़िक हॉल में क्रिसमस शो में सम्मिलित लोगों ने स्वयं कहा, "हमारा शो आपके शो जितना अच्छा नहीं है। हमारे कार्यक्रम आपसे तुलना नहीं कर सकते।" लेकिन उनके टिकट का मूल्य बहुत अधिक हैं। वे एक महीने में नब्बे शो करते हैं, और वेतन सहित पूरे वर्ष के अपने सभी खर्चों को पूरा करने के लिए पर्याप्त धन अर्जित करते हैं। तो फिर एनटीडीटीवी ऐसा क्यों नहीं कर सकता?
टिकट के मूल्य के बारे में, नव वर्ष गाला की गुणवत्ता और दाफा शिष्यों द्वारा किए गए प्रयासों को देखते हुए, टिकट के मूल्य वास्तव में बहुत अधिक नहीं हैं। यह अमेरिका में कहीं भी लागू होता है, क्योंकि अमेरिका में जीवन स्तर एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में बहुत भिन्न नहीं है। वास्तविक मुद्दा प्रतिष्ठा से सम्बन्धित है। कुछ शिष्य कुछ टिकट खरीदना चाहते थे और उन्हें यह सोचकर औरों को देना चाहते थे, "यदि टिकट के मूल्य अधिक नहीं होते और थोड़े कम होते, तो मैं और टिकट खरीदता और उन्हें उपहार के रूप में देता। जब वे बहुत महंगी होती हैं तो मैं उन्हें खरीदने में असमर्थ होता हूँ, न ही मैं उन्हें देने में समर्थ हो सकता हूँ।" यह एक मुद्दा हो सकता है, और इसीलिए कुछ शिष्य शिकायत कर रहे हैं। हां, फिर भी, टिकटों के मूल्य भिन्न-भिन्न हैं, और सस्ती टिकटें भी हैं, क्योंकि बैठने के भिन्न-भिन्न विकल्प हैं। लेकिन, पिछली एक या दो बार के हमारे अनुभवों के आधार पर, अगली बार टिकट के मूल्य को नियमित करना उचित रहेगा। या हम दाफा शिष्यों के लिए विशेष रूप से एक विशेष प्रदर्शन रख सकते हैं।
शिष्य: हम टेलीविजन के लिए दाफा शिष्यों द्वारा फा का मान्यकरण करने के बारे में एक लघु-श्रृंखला फिल्माने की योजना बना रहे हैं, और इसकी कहानी में मुख्य भूमि चीन के दृश्य सम्मिलित हैं। हमें क्या करना चाहिए?
गुरुजी: पृष्ठभूमि दृश्य से जुड़ी चुनौतियों को हल करना वास्तव में सरल है। आप जानते हैं, फिल्म संयोजन एक सरल तकनीक है। यदि आपको कुछ विशेष स्थानों के दृश्य चाहिए, तो बस किसी को वहां कुछ स्थानों को फिल्मा कर वापस लाने के लिए कहें।
शिष्य: सैन फ्रांसिस्को में कई समलैंगिक हैं, और वहां कई साधारण लोग इस प्रकार के व्यवहार का समर्थन करते हैं। दुष्टों ने गुरूजी के ग्रंथों से समलैंगिकों का उल्लेख करने वाले कुछ शब्दों को संदर्भ से हटाकर दर्शाया है जिससे दाफा पर वार किया जा सके। गुरूजी, कृपया हमें बताएं कि क्या हमें इसका खुले और विस्तृत रूप से उत्तर देना चाहिए, या उन व्यक्तियों को तथ्यों को स्पष्ट करना चाहिए जिनके मन में विष भरा गया है।
गुरुजी: बस लोगों को तथ्य स्पष्ट करें, और इतना ही पर्याप्त होगा। आपको इस पर प्रतिक्रिया देने की आवश्यकता नहीं है। आप जानते हैं, मैं एक चीज को बहुत अच्छी तरह से नियंत्रित रखता हूँ : जब ऐसी चीजों की बात आती है जिन्हें तब हल किया जाना है जब फा मानव संसार को सुधार रहा होगा, तो मैं उनके बारे में अभी बिल्कुल कुछ नहीं करता। चाहे वह प्राचीन शक्तियों द्वारा किया जाए या दुष्ट असुरों द्वारा, जो वर्तमान मुद्दों का भाग नहीं है उन चीजों को उभारने का कोई भी प्रयास व्यर्थ होगा। वे थोड़ा हंगामा कर सकते हैं, लेकिन हमें उन पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता नहीं है। मैं जानता हूँ कि मैं क्या कर रहा हूँ। यदि किसी को कुछ कहना है, तो मैं उसके द्वारा उठाए गए मुद्दे के बारे में सोच सकता हूँ। लेकिन मैं जो काम करना चाहता हूँ, उसमें कोई बाधा नहीं आएगी। यह मेरे वर्तमान के फा-सुधार के साथ, और पूरे ब्रह्मांड के फा-सुधार, इन दोनों पर लागू होता है। मैं किसी के भी सुझाव सुनने को तैयार हूँ, लेकिन मैं फिर भी वही काम करूँगा जो मैं करना चाहता हूँ, और कोई भी इसे बदल नहीं सकता। (तालियाँ) इसी प्रकार, आपको पता होना चाहिए कि आप क्या कर रहे हैं, और एक बार जब आप उचित विकल्पों पर निर्णय ले लेते हैं, तो आपको किसी भी व्यक्ति या चीज से प्रभावित नहीं होना चाहिए। आपको ऐसी किसी भी चीज की अनुमति नहीं देनी चाहिए जो दाफा शिष्यों के साधना करने, सत्य को स्पष्ट करने, चेतन जीवों को बचाने और दमन के विरुद्ध काम करने के दौरान होती है, जो आपके लिए सबसे महत्वपूर्ण है। आपको इसे अच्छी तरह से संभालना चाहिए! जब समाज में कोई घटना घटती है, भले ही वह कुछ ऐसा हो जो दमन का विरोध करने के दाफा शिष्यों के प्रयासों के लिए सहायक हो, दाफा शिष्य साधना करना रोककर केवल उस चीज पर काम करना शुरू नहीं कर सकते हैं! साधना तो साधना है।
शिष्य: इस बारे में बहुत सी ज्ञानवर्धक कहानियाँ हैं कि कैसे प्राचीन काल में उच्च विचार वाले सम्राटों और व्यक्तियों ने आलोचना का आभार के साथ और बिना किसी द्वेष के साथ प्रतिक्रिया व्यक्त की। मुझे वास्तव में लगता है कि आलोचना को स्वीकार करने के मामले में मैंने स्वयं को पर्याप्त रूप से विकसित नहीं किया है। कभी-कभी मैं दूसरों के साथ अच्छी तरह से संवाद नहीं कर पाता क्योंकि मैं स्वयं का बचाव करने पर ध्यान केंद्रित करता हूँ।
गुरुजी: स्वयं का बचाव करने की बात करते हुए (गुरूजी हंसते हैं), मुझे कुछ याद आता है। किसी ने मुझसे कहा था—और मैंने वास्तव में यह देखा है—किसी ने मुझसे कहा था कि मुख्य भूमि चीन के शिष्यों और ताइवान के शिष्यों के बीच समस्याओं से निपटने के तरीके में अंतर है। यदि किसी ताइवानी शिष्य ने कुछ अच्छा नहीं किया है, तो यदि आप उसे इस बारे में बताते हैं तो वह आपकी बात सुनेगा, और वह रक्षात्मक नहीं होगा। लेकिन जब मुख्य भूमि चीन के किसी शिष्य ने कुछ अच्छा नहीं किया है और अन्य लोग उसे इस बारे में बताते हैं, तो वह तुरंत कहेगा, "आपको नहीं पता कि क्या हुआ था। उस समय परिस्थिति ऐसी-ऐसी थी।" (गुरूजी हंसते हैं) (श्रोता हंसते हैं, तालियाँ बजाते हैं) वह जानता है कि साधक के लिए सीधे तौर पर कही गई बात का खंडन करना अच्छा नहीं है। इसलिए वह गोल-मोल तरीके से अपने उत्तरदायित्व से बचने का प्रयास करता है, गोल-मोल तरीके से स्वयं का बचाव करता है। जब आपने गलती की है, तो आपने गलती की है। सीधी-सीधी बात करें। यदि आपने कुछ अनुचित किया है, तो आपने कुछ अनुचित किया है। जो लोग अपनी गलतियों को स्वीकार करने का साहस करते हैं, उन्हें ही दूसरे सकारात्मक नजरिए से देखते हैं और दूसरों द्वारा उनकी प्रशंसा की जाती है। यहाँ तक कि देवता भी उनकी प्रशंसा करते हैं। (तालियाँ) [कल्पना करें,] यदि आप इस यात्रा के अंत तक पहुँच जाते हैं और देवता आपसे पूछते हैं, "क्या आप हमेशा दूसरों द्वारा आपकी आलोचना किए जाने पर इसे उचित तरीके से संभालने में सक्षम थे? हमें दिखाएँ," तो आपके पास दिखाने के लिए कुछ नहीं होगा। (श्रोता हँसते हैं) और यदि आप कहते हैं, "मैंने कभी कुछ अनुचित नहीं किया, और किसी ने कभी मेरी आलोचना नहीं की," तो क्या कोई आप पर विश्वास करेगा?
एक मनुष्य गलती कैसे नहीं कर सकता? यह मनुष्य ही है जो साधना करते हैं, तो वे गलती कैसे नहीं कर सकते? और फिर भी किसी ने आपको अपनी गलतियों को स्वीकार करते नहीं देखा। (श्रोता हँसते हैं) क्या आप यह नहीं दर्शा रहे हैं कि आपके साथ कुछ समस्या है? क्या आपकी साधना में कोई दोष नहीं है? अब से मैं इस बात पर ध्यान दूंगा कि कौन अपनी गलतियों को स्वीकार कर सकता है। (श्रोता हँसते हैं, तालियाँ बजाते हैं)। आखिर ऐसा कौन है जो कभी गलती नहीं करने में सक्षम है? और गलतियों का क्या अर्थ है? हमें बस उन्हें सुधारने की आवश्यकता है, है न? मामले का सार आपके मोहभाव हैं। क्या आपको अपने मानवीय मोहभावों को नहीं हटाना चाहिए? यदि आप हमेशा टालमटोल करने का प्रयास करते हैं, चीजों को प्रहार से बचाने का प्रयास करते हैं, और उनसे छुटकारा पाने के लिए तैयार नहीं हैं, तो यह एक बड़ी समस्या है।
शिष्य: गुरुजी, क्या आप सैन फ्रांसिस्को के चाइनाटाउन में सत्य को स्पष्ट करने के महत्व और विशिष्टता के बारे में बता सकते हैं?
गुरुजी: आप जानते हैं, चाइनाटाउन की वह गली, पूरी गली में लगभग सभी दुकानें, मुख्य भूमि चीन के व्यवसाय हैं, उनके मालिक मुख्य भूमि चीन से हैं। भले ही आप खाड़ी क्षेत्र में बहुत अच्छा काम करते हों, और भले ही चीनी समुदाय बिखरा हुआ हो और दुष्ट सीसीपी को सुनने वाला कोई न हो, फिर भी, जो लोग भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में रहते हैं, वे अक्सर चाइनाटाउन जाते हैं, इसलिए उस स्थान की उपेक्षा नहीं की जा सकती। दुष्ट सीसीपी को कोई पैर जमाने न दें। (तालियाँ) चाहे वह कहीं भी हो, उसे समाप्त कर दें। आप उस दुष्ट असुर को यहाँ पर लोगों को हानि पहुँचाने नहीं दे सकते।
शिष्य: जब हम लोगों को सच्चाई बताते हैं, तो हमें कई ऐसे साधारण लोग मिलते हैं जो जानते हैं कि दाफा अच्छा है और वे दाफा शिष्यों के प्रति करुणामयी होते हैं, लेकिन पार्टी से अलग होने को तैयार नहीं हैं। क्या इन लोगों का कोई भविष्य होगा? क्या किया जा सकता है?
गुरुजी: एक व्यक्ति जो भी करना चाहता है, वह उस पर निर्भर करता है। दाफा शिष्यों को वही करना चाहिए जो उन्हें करना चाहिए, और अपने लिए कोई पछतावा नहीं छोड़ना चाहिए।
शिष्य: द इपोक टाइम्स की हमारी स्थानीय शाखा को काफी गंभीर वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इस स्थिति को देखते हुए, क्या हम मीडिया कार्य में भाग लेने वाले शिष्यों से धन एकत्रित करके वित्तीय समस्याओं का समाधान कर सकते हैं?
गुरुजी: मैंने ऐसा कभी नहीं किया। क्योंकि मुझे याद है कि जब मैंने पहली बार फा सिखाया था, तब मैंने धन एकत्रित करने के लिए बिलकुल मना किया था, बाद में, जब परिस्थितियाँ बहुत कठिन थीं, तब भी मैं हमेशा दाफा शिष्यों से धन एकत्र करने के हित में नहीं था। सच तो यह है कि, हर दाफा शिष्य अपनी आय का उपयोग दाफा का मान्यकरण करने के लिए करता रहा है। यह बहुत बढ़िया है। और यह धन एकत्रित करने से नहीं होता; बल्कि, यह मन से किया जाता है। यह महान सदगुण है। यदि हम धर्मों द्वारा उपयोग की जाने वाली विधियों का उपयोग करें, तो मुझे हमेशा लगा है कि यह दाफा के लिए हानिकारक होगा। और इसीलिए मैंने स्वयं कभी ऐसा नहीं किया, और मैंने आपको ऐसा करने की अनुमति नहीं दी है। हमने लोगों से धन एकत्रित नहीं किया। बल्कि, आपने काम करने की पहल की है। पहला बिना सोचे किया जाता है, जबकि दूसरा मन से किया जाता है। दाफा शिष्य फा का मान्यकरण करते रहे हैं, और महान सदगुण स्वयं उनका होगा। यदि मैं काम करने के लिए धन एकत्रित करूँ, तो महान सदगुण दाफा शिष्यों का नहीं बल्कि मेरा होगा। इसलिए ऐसा न करने का पूरा प्रयास करें। यदि आपको सचमुच कठिनाइयां हैं, तो आप उन कुछ शिष्यों के समक्ष अपनी बात रख सकते हैं जिनके पास वित्तीय संसाधन हैं।
शिष्य: जब आपने कहा कि आधे लोग बच जायेंगे, तो क्या आप आधे चीनी लोगों की बात कर रहे थे, या विश्व की आधी जनसंख्या की?
गुरुजी: अभी तक कुछ भी निश्चित नहीं हुआ है। मैं कह रहा था कि यदि आप आधे चीनी लोगों को बचा सकें, तो आपके गुरु के रूप में मैं आपके लिए बहुत प्रसन्न होऊंगा और चेतन जीवों के लिए प्रसन्न होऊंगा। आप नहीं देख सकते कि आज के चीनी लोग कैसे हो गए हैं। यदि आप देख पाते, तो आप चौंक जाते! आप नहीं देख सकते कि चीन में परिस्थिति कितनी बुरी हो गयी हैं। यदि लोगों की आँखों के सामने वास्तविक वातावरण प्रदर्शित किया जाए, तो यह भयानक होगा। दुष्ट पार्टी चीनी लोगों को आत्माविहीन असुरों में बदल रही है। लोगों का आचरण बहुत ही नीच और पतित हो गया है, और उस निम्नतम रेखा से भी नीचे गिर गया है जिस पर एक मनुष्य हो सकता है। और उसके साथ-साथ फालुन गोंग का दमन भी हो रहा है।
शिष्य: मैं थाईलैंड में रहने वाले दाफा शिष्यों की ओर से आदरणीय गुरूजी का अभिवादन करना चाहता हूं। पुसान, जर्मनी, शेनयांग शहर, लिओनिंग प्रांत के चाओयांग शहर, चांग्शा शहर के दाफा शिष्य और हुनान प्रांत के दाफा शिष्य जिन्हें गैरकानूनी तरीके से हिरासत में लिया गया है और बंदी बना लिया गया है, उन्होनें करुणामयी और महाप्रतापी गुरूजी को अभिवादन भेजा हैं!
गुरुजी: धन्यवाद। (तालियाँ) और मुख्य भूमि चीन में एक दाफा शिष्य ने मुझे शुभकामनाएँ दी हैं। मैं यहाँ उसका नाम जोर से नहीं पढ़ूँगा, क्योंकि हमें दाफा शिष्यों की सुरक्षा करनी है।
शिष्य: जब हम जापान में इंटरनेट विकास पर साथी अभ्यासियों के साथ काम करते हैं, तो हम हमेशा ऐसे शिष्यों से मिलते हैं जो किसी न किसी समय पर मार्ग से भटक गए थे। इस पर हमारे भिन्न-भिन्न मत है, लेकिन केवल कुछ ही शिष्य हैं जो प्रौद्योगिकी के विषय में जानकार हैं। गुरूजी, कृपया हमें बताएं कि क्या हम उस स्थिति में शिष्यों के साथ काम कर सकते हैं।
गुरुजी: यदि वे किसी समय अपने मार्ग से भटक गए थे और गलतियाँ कीं, तो जब तक उन्हें वापस आने का मार्ग मिल गया है, तब तक सब ठीक है। चिंता इस बात की है कि वे लोग अभी भी हठपूर्वक अनुचित मार्ग पर चल रहे हैं। यदि कोई अपने मार्ग पर वापस लौट आया है और दाफा शिष्यों के साथ रहने के बाद से कोई भी बुरा काम नहीं किया है, तो आप विशिष्ट स्थिति के आधार पर निर्णय ले सकते हैं। इन चीजों का निर्णय लेने के लिए गुरु से मत कहिए।
शिष्य: क्या हम साधारण लोगों को अपने रेडियो कमेंटरी कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए बार-बार आमंत्रित कर सकते हैं, जब तक कि वे दाफा के विरुद्ध नहीं हैं और दुष्ट पार्टी के विरुद्ध हैं?
गुरुजी: यह ठीक रहेगा; मुझे नहीं लगता कि इसमें कोई समस्या है। कमेंट्री कार्यक्रमों के लिए यह उचित रहेगा।
शिष्य: मेरी पत्नी एक तकनीकी परियोजना में सम्मिलित रही है। उसने इसमें बहुत समय और शक्ति लगायी है। लेकिन उसे लगता है कि स्वयंसेवक ने उसके साथ उचित व्यवहार नहीं किया है, और वह बड़े परियोजना दल में शिष्यों के साथ सहयोग करने के लिए तैयार नहीं है। परिणामस्वरूप, उसने जो तकनीक विकसित की है उसका उपयोग फा-सुधार परियोजनाओं में नहीं किया गया है। मुझे चिंता है कि वह मार्ग से भटक रही है। गुरूजी, कृपया इस पर अपना करुणामयी मार्गदर्शन प्रदान करें।
गुरुजी: यह वास्तव में मोहभावों को न छोड़ने और जब परीक्षा बड़ी हो जाती है तो उसे सहन न कर पाने का विषय है। वास्तव में, क्या आप [यहाँ समस्या] देख सकते हैं? आपने वह अवस्था छोड़ दी है जिसमें एक दाफा शिष्य साधना करता है और आप उस क्षेत्र को छोड़ने वाले हैं जिसमें आपको फा का मान्यकरण करना है।
कभी-कभी जब दूसरे लोग आपकी किसी ऐसी चीज पर प्रहार करते हैं जिसे आप नहीं चाहते कि वे छूएँ, तो यह आपके लिए वास्तव में कठिन होता है। कुछ लोग दूसरों की टिप्पणियाँ सुनना ही नहीं चाहते। और कुछ लोग तब अप्रसन्न हो जाते हैं जब उनके सुझावों का उपयोग नहीं किया जाता। ये सभी मानवीय मोहभाव हैं, बहुत हठी मानवीय मोहभाव। जब भी आप कोई बात उठाते हैं, क्या उसे अपनाना आवश्यक है? कुछ लोग कहते हैं, "मैंने इसे बार-बार इतने धैर्य के साथ कहा है, लेकिन फिर भी इससे कोई अंतर नहीं पड़ा।" क्या वास्तविक, वस्तुनिष्ठ स्थिति उतनी ही सरल है जितनी आप सोचते हैं? बहुत सी चीजों को पूर्ण स्थिति को ध्यान में रखते हुए संयोजित किया जाना चाहिए। साथ ही, यह भी संभव है कि जिन लोगों के साथ आप काम करते हैं, उन्होंने वास्तव में आपके जितनी अच्छी साधना नहीं की है। लेकिन यदि किसी ने आपके जितनी अच्छी साधना नहीं की है, तो क्या इससे वह दाफा का शिष्य नहीं रहेगा? और क्या आपको तब सहयोग नहीं करना चाहिए? और साथ ही, हर व्यक्ति के पास किसी मामले पर अपने सुझाव होंगे। यह संभव है कि कोई सुझाव कितना भी अच्छा क्यों न हो, उसका उपयोग नहीं किया जाता है। तो क्या आप परियोजना पर काम करना बंद कर देंगे? जो लोग परियोजना के प्रभारी हैं, उन्हें यह विचार करना होता है कि सुझाव समग्र रूप से चीजों से कैसे जुड़ता है, और भिन्न-भिन्न चीजें एक-दूसरे से कैसे संबंधित हैं। यह प्रभारी लोगों और दूसरों की सोच में एक महत्वपूर्ण अंतर है।
कुछ अभ्यासी केवल अपने तकनीकी कौशल के सर्वश्रेष्ठ होने के बारे में ही सोचते हैं, और जब उनके सुझावों को अस्वीकार कर दिया जाता है, तो वे अपना भिन्न मार्ग अपनाना पसंद करते हैं। वास्तव में, वे विरोधी बन रहे हैं। आपको इस प्रकार से काम नहीं करना चाहिए। प्रभारी व्यक्ति के पास निश्चित रूप से अपने सुझाव होंगे। आप दाफा के शिष्य हैं, इसलिए आपको एक-दूसरे के साथ बेहतर तरीके से काम करने का प्रयास करना चाहिए। यहां तक कि जब आपके सुझाव का उपयोग नहीं किया जाता है, चाहे वह सुझाव कितना भी अच्छा क्यों न हो, [आपको सोचना चाहिए,] "जो भी सुझाव आपको अच्छा लगता है, मैं उसके साथ काम करूंगा, और मैं चीजों को करने में सहायता करूंगा, और उन्हें अच्छी तरह से करूंगा। और मैं अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करूंगा कि जो काम मुझे करना है, उसे अच्छे से कर सकूं, क्योंकि मैं साधना कर रहा हूं।" ऐसा नहीं है कि जब आपकी तकनीक अपनाई जाएगी, तभी आप साधना में सुधार करेंगे। दूसरों के साथ अच्छे से काम करना और उनका सहयोग करना, और दिए गए कार्यों को अच्छे से करने के लिए मिलकर काम करना, एक साधक को ऐसा ही होना चाहिए, और यह सबसे ऊपर और सबसे महत्वपूर्ण है।
मुझे लगता है कि आज मैं बस इतना ही कहूंगा। मैंने सभी प्रश्न पर्चियों को पढ़ लिया है। (उत्साही तालियाँ) निश्चित ही, मुझे पता है कि सम्मेलन के कर्मचारियों ने कुछ प्रश्न पर्चियों को छाँट दिया होगा। यह सच है कि समय की कमी के कारण मैं उन सभी प्रश्नों का उत्तर नहीं दे सकता। इसलिए हर फा सम्मेलन में वे उन प्रश्नों को छाँट देते हैं जो पहले पूछे जा चुके हैं या जिनका समग्र रूप से फा सम्मेलन पर कोई विशेष प्रभाव नहीं होगा। किसी भी मामले में, एक साधक को चीजों को एक साधक की तरह और एक साधक के मन से देखना चाहिए, और किसी भी तरह से चीजों को एक साधारण व्यक्ति के मन से नहीं देखना चाहिए। आपके सामने आने वाली कोई भी चीज सरल, आकस्मिक या साधारण चीज नहीं है। इसका आपकी साधना और आपके सुधार से संबंध होना चाहिए। क्योंकि आप एक साधक हैं, इसलिए आपका जीवन पथ परिवर्तित कर दिया गया है, और आपको एक नया साधना पथ दिया गया है; आपके पथ पर कुछ भी संयोग से नहीं होता है। लेकिन यह निश्चित रूप से संयोग से ही प्रतीत होगा, क्योंकि केवल इस भ्रम में और ऐसी स्थिति में जहाँ आप साधारण लोगों के समान हैं, आप दर्शा सकते हैं कि क्या आप साधना कर रहे हैं, क्या आप अच्छी तरह से साधना कर रहे हैं, और क्या आप एक के बाद एक परीक्षा उत्तीर्ण करने में सक्षम हैं। यही साधना है, और यही पवित्र ज्ञानप्राप्ति है!
अभी के लिए, फा-सुधार अवधि के दाफा शिष्यों को ऐसा ही होना चाहिए। भविष्य में चीजें भिन्न होंगी। भविष्य के दाफा शिष्य इस प्रकार से साधना नहीं करेंगे। इस अवधि के दाफा शिष्यों के लिए आवश्यकताएं बहुत अधिक हैं, और उन पर बहुत बड़ा उत्तरदायित्व हैं—उनके ऐतिहासिक उद्देश्य बहुत महान हैं (तालियाँ)—इसलिए वे इस भ्रम की स्थिति में कैसे साधना करते हैं, यह बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। यही कारण है कि जब आप कुछ भी अनुभव नहीं कर सकते हैं या नहीं देख सकते हैं कि आपकी साधना में वास्तव में क्या हो रहा है, तो आप धीमे नहीं पड़ सकते। आपको इस बात का ध्यान रखना होगा। जिस परिस्थिति में आप साधना करेंगे, उसमें आपको अप्रत्यक्ष रूप से कई बातें पता चलेंगी और उनका बोध होगा। मैं सोचता हूँ कि यह, और दाफा के फा सिद्धांत, आपके पवित्र विचारों को शक्तिशाली करने के लिए पर्याप्त होने चाहिए।
गुरु द्वारा सिखाए गए फा सिद्धांतों के संदर्भ में, आज जो श्रोताओं में हैं उनमे से कई लोगों ने कभी न कभी बौद्ध और ताओवादी ग्रंथ पढ़े हैं, कुछ लोग एक समय बौद्ध धर्म के साधारण अनुयायी थे, और अन्य लोगों ने पहले कुछ स्थानों पर साधना भी की थी। तो आप देख सकते हैं—क्या कभी किसी ने फा सिद्धांतों को इस हद तक समझाया है? क्या कभी कोई चीज इतनी दूरगामी या स्पष्ट रही है? यह कुछ ऐसा है जो पहले कभी नहीं हुआ। यदि मैं मनगढ़ंत कुछ बना लेता, तो मुझे नहीं लगता कि ऐसा कभी हो सकता था, जो चीजें आपने देखी हैं वे कभी नहीं होतीं, और अधम पार्टी की दुष्ट छाया इतनी भयभीत नहीं होती । साधारण मानवीय ज्ञान के दृष्टिकोण से, मैंने, ली होंगज़ी ने जो उजागर किया है वह आधुनिक लोगों के ज्ञान और आज के ज्ञान के सीमा से बहुत आगे निकल गया है। मैंने उन रहस्यों को भी सुलझाया है जो अध्ययन के कई विषयों को उलझा देते हैं। ये ऐसी चीजें नहीं हैं जो आप पुस्तकों में पा सकते हैं या समाज में सीख सकते हैं। आप अपनी साधना के माध्यम से जान गए हैं कि यह बुद्ध सिद्धांत है, यह ब्रह्मांड का महान नियम है, और यह वह फा है जिसने वास्तव में ब्रह्मांड के सत्य को उजागर किया है। मैं बहुत सी ऐसी बातें प्रकट कर सकता हूँ जो मानवजाति के लिए और भी अधिक रोचक होंगी, लेकिन यह अगले चरण में किया जाएगा। मानवजाति की उत्पत्ति, चीजों का विशिष्ट विवरण, विभिन्न ऐतिहासिक अवधियों में घटित हुए सभी रहस्य, विभिन्न अवधियों में संसार में घटित हुई सभी प्रकार की घटनाएँ, विभिन्न ऐतिहासिक व्यक्ति, और कुछ ऐसी अकथनीय घटनाएँ जिन पर लोग विश्वास नहीं करते, जिनमें दिव्य प्राणी सम्मिलित हैं, और इसी प्रकार की अन्य चीजें, ये सभी भविष्य के मानव समाज में स्पष्ट रूप से प्रदर्शित होंगी। उस समय, मैं भविष्य के दाफा शिष्यों का मार्गदर्शन करने के लिए एक भिन्न दृष्टिकोण का उपयोग करूँगा और उन्हें एक भिन्न तरीके से साधना करने का मार्ग बताऊंगा। जैसी चीजें अभी हैं वह आज की स्थिति है।
दाफा शिष्यों की, उनकी फलपदवी के अंतिम चरण तक, इस बात की परीक्षा होगी कि वे इसे पार कर सकते हैं या नहीं। समाप्ति से केवल एक कदम दूर रहने तक भी आपकी बहुत, बहुत कठिन परीक्षाएँ होती रहेंगी। ऐसा इसलिए है क्योंकि हर कदम आपकी साधना और आपकी परीक्षाओं के लिए अधिक से अधिक गंभीर होता जाता है, विशेष तौर पर अंत की ओर। आप जानते हैं, पुराने ब्रह्मांड के वे असैधान्तिक देवता अंत तक चीजों को नियंत्रित करने का प्रयास करेंगे, जब तक वे बचे रहेंगे। जब आप अपने स्तर पर खरे नहीं उतरते, तो वे निश्चित रूप से आपको नीचे गिराने का कोई मार्ग ढूंढने का प्रयास करेंगे। वे जानते हैं कि ली होंगज़ी आपका त्याग नहीं करेंगे, इसलिए वे आपको गिराने के लिए हर प्रकार के तरीके अपनाएँगे। एक भी विचार अनुचित हो जाने से व्यक्ति लड़खड़ा जाएगा। इसलिए अंत जितना निकट होगा, परीक्षाएं उतनी ही गंभीर और कठिन होंगी।
दाफा के शिष्य जिनका लंबे समय से दमन किया जा रहा है, लेकिन जो दृढ़ बने हुए हैं और फा का मान्यकरण करना जारी रखा है, उन्होंने बहुत परिश्रम किया है, और जो उन्होंने प्राप्त किया है उसे प्राप्त करना उनके लिए सरल नहीं रहा है। उन्हें तो और भी कम ढिलाई करनी चाहिए। क्षणिक अस्पष्टता के कारण या समय के साथ ढीले पड़ जाने के कारण अपने आप को उस स्थिति को न छोड़ने दें जिसमें आपको साधना करनी है। एक बार पूर्वनिर्धारित अवसर खो जाने के बाद, सब कुछ समाप्त हो जाएगा। दुष्टता आपको नीचे गिराने का हर संभव प्रयास कर रही है। कुछ देवता नहीं चाहते कि आप साधना के माध्यम से ऊपर उठें। ऐसा मत सोचिए, “वे हमारे लिए जो अच्छा है वही चाहते हैं और चाहते हैं कि हम साधना के माध्यम से ऊपर उठें।” यह सच नहीं है! वे आपको नीचे गिराने और आपको ऊपर नहीं उठने देने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। आपको यह ध्यान में रखना चाहिए, और वास्तव में ऐसा ही है। भिन्न-भिन्न लोकों के देवताओं के विचार भिन्न-भिन्न लोकों के अनुसार होते हैं। फा-सुधार में वे ब्रह्मांड के परम सत्य को नहीं देख सकते हैं, और उनमें से कुछ को लगता ही नहीं कि फा-सुधार और दाफा के अनुयायी इसके योग्य हैं। केवल वे लोग जो सत्य को जानते हैं, वे ही इसकी गंभीरता को देख सकते हैं और मनमानी करने का साहस नहीं करते। यदि संपूर्ण ब्रह्मांड का यह फा-सुधार विफल हो गया, तो ब्रह्मांड का अस्तित्व हमेशा के लिए समाप्त हो जाएगा, सब कुछ विघटित हो जाएगा, पदार्थ की उत्पत्ति का स्त्रोत सब विघटित हो जाएगा, और यदि आप किसी ऐसे ब्रह्मांडीय पिंड से कुछ बनाना चाहते हैं जिसमें कुछ भी नहीं है, तो उस प्रक्रिया में लगने वाला समय बहुत ही भयानक होगा। और फिर, यदि उचित अवसर या परिस्थितियाँ न हों तो इसका गठन नहीं हो सकता।
दाफा के सभी शिष्य जानते हैं कि मैं जिन चीजों के बारे में बात करता हूँ, वे अधिक से अधिक ऊँची और बड़ी होती जा रही हैं, और वे कुछ ऐसी चीजों को और भी स्पष्ट कर रही हैं जो फा-सुधार में हो रही हैं। नए शिष्यों या ऐसे शिष्यों के लिए जो परिश्रमी नहीं रहे हैं, इससे यह संभावना बढ़ सकती है कि चीजों को समझने के मामले में कोई विसंगति हो, और इसकी अधिक संभावना है कि आप चीजों को समझ नहीं पाएँगे। हालाँकि, इसके अतिरिक्त और कुछ कर भी नहीं सकते। मुझे फा को फा-सुधार की समग्र स्थिति के संदर्भ में सिखाना है, और इसीलिए मुझे चीजों के बारे में इस प्रकार से बात करनी पड़ती है। मुझे आशा है कि इस फा को प्राप्त करने वाले सभी लोग इसे संजोकर रखेंगे और इस अवसर को नहीं खोएंगे। अतीत में, जब मैंने पहली बार फा सिखाना शुरू किया था, तो मैंने कहा था, "यदि मैं आपको नहीं बचा सकता, तो और कोई भी नहीं बचा सकता।" सच तो यह है कि न केवल कोई भी आपको नहीं बचा पाएगा, बल्कि आपको फिर कभी ऐसा अवसर भी नहीं मिलेगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस बार, मानवजाति इस बिंदु पर पहुंच गई है, बिल्कुल अंत पर। इस फा-सुधार और मानव जगत के फा के सुधार के समाप्त होने के बाद, मानवजाति का अगला चक्र एक नई मानवजाति होगी, और जो लोग आगे जा सकेंगे, उनमें परिवर्तन आएंगे—यहां तक कि उनका बाहरी रूप भी बदल जाएगा।
ठीक है, मैं बस इतना ही कहूंगा। मुझे आशा है कि अंत में हर कोई बेहतर से बेहतर प्रदर्शन करेगा। सुनिश्चित करें कि आप ढीले न पड़ें। आपको सुस्त नहीं होना चाहिए, और आपको निरुत्साही नहीं होना चाहिए। दूसरी बात जो मैंने पहले कही थी कि दाफा शिष्यों में एक आवश्यक घटक की कमी है, जिसे वे चूक गए हैं, और वह है एक-दूसरे की आलोचना को स्वीकार करने में आपकी असमर्थता। आप अन्य लोगों की सुधार करने वाली टिप्पणियों और यहां तक कि नकारात्मक टिप्पणियों को भी स्वीकार करने से इनकार नहीं कर सकते। आप इन चीजों को निरंतर टालते नहीं रह सकते। अब से आप सभी को इस मोहभाव से छुटकारा पाना शुरू करना होगा। यह ऐसा कुछ नहीं है जिसमें मैं आपसे एक-एक कदम करके सुधार करने के लिए कह रहा हूं, जैसा कि मैं साधारणतः फा सिखाते समय करता हूं। बल्कि, यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण, अंतिम, बड़ी समस्या है जिसे अभी हटाना चाहिए। मैं बस इतना ही कहूंगा। (देर तक, उत्साही तालियाँ)
पीछे बैठे शिष्यों ने सब कुछ सुन लिया है, है न? (तालियाँ) इससे कोई अंतर नहीं पड़ता कि पीछे बैठे शिष्य दूर हैं, क्योंकि मेरे अनगिनत फा शरीर उनके साथ हैं। (गुरूजी हँसते हैं) (शिष्य उत्साह से तालियाँ बजाते हैं)
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